शिवरात्रि व होली पर्व में घरों में बड़े चाव के साथ पकाई जाती है तरड़ी की सब्जी
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (श्रीमद् भगवद्गीता)
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Friday, 12 March 2021
अवैज्ञानिक दोहन के कारण खतरे में है पौष्टिक तत्वों से भरपूर जंगली कंद 'तरड़ी'
Wednesday, 3 March 2021
कोरोना महामारी के कठिन दौर में पीएम स्वनिधि बनी रेहड़ी-फहड़ी विक्रेताओं का सहारा
जोगिन्दर नगर में पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि के तहत 41 स्ट्रीट वेंडर्स लाभान्वित
जोगिन्दर नगर शहरी क्षेत्र में प्रधान मंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) के तहत 41 रेहड़ी-फहड़ी विक्रेताओं को लाभान्वित किया गया है। पीएम स्वनिधि के अंतर्गत इन लाभान्वित रेहड़ी-फहड़ी विक्रेताओं को आजीविका व रोजगार को पुन: पटरी पर लाने के लिए विभिन्न बैंकों के माध्यम से सरकार ने 10 हजार रूपये का लघु ब्याज सब्सिडी आधारित ऋण आवंटित किया है।
पीएम स्वनिधि के अंतर्गत ऋण प्राप्त करने वाले जोगिन्दर नगर शहर के रेहड़ी-फहड़ी विक्रेता साधु राम का कहना है कि वे जोगिन्दर नगर शहर के पुलिस थाना चौक में पिछले लगभग 13 वर्षों से फल व सब्जी की दुकान लगाते हैं जिसके माध्यम से उनका व परिवार का भरण पोषण होता है। उन्होने बताया कि पिछले वर्ष मार्च में कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन से उनका यह रोजगार काफी प्रभावित हुआ। लेकिन इस बीच उन्हे पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि बारे स्थानीय नगर परिषद के माध्यम से पता चला तथा उन्होने स्वयं को पीएम स्वनिधि के तहत पंजीकृत करवा लिया। उन्होने बताया कि पीएम स्वनिधि के तहत उन्हे 10 हजार रूपये का ऋण सस्ती व आसान दरों में कोरोबार को पुन: स्थापित करने को प्राप्त हुआ है। इसके लिए वे सरकार विशेषकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हैं।
Tuesday, 23 February 2021
बस्सी विद्युत गृह ने स्थापना के पूरे कर लिये हैं 50 वर्ष, प्रदेश को प्रतिवर्ष हो रही है 100 करोड़ की कमाई
ऊहल चरण दो के तहत स्थापित है 66 मैगावॉट का प्रोजैक्ट, 1965 में पंजाब के सीएम राम किशन ने रखी थी आधारशिला
मंडी जिला के जोगिन्दर नगर कस्बे से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर बस्सी नामक स्थान पर स्थापित है 66 मैगावॉट की पन विद्युत परियोजना। वर्ष 1970 से बिजली उत्पादन की शुरूआत करते हुए इस परियोजना ने अपनी स्थापना के 50 वर्षों को पूर्ण कर लिया है।
ऊहल चरण दो के तहत स्थापित इस पन बिजली परियोजना से प्रतिवर्ष प्रदेश सरकार को औसतन 90 से 100 करोड़ रूपये की आय प्राप्त हो रही है। वर्तमान में इस परियोजना में साढ़े 16 मैगावॉट की क्षमता वाले चार टरबाईन कार्य कर रहे हैं। जिनसे प्रतिदिन 15 लाख 84 हजार युनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है।वर्ष 1965 को पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री कामरेड राम किशन ने रखी थी आधारशिला
ऊहल नदी पनविद्युत परियोजना के अंतर्गत चरण दो के तहत बस्सी पन विद्युत परियोजना की आधारशिला 17 मई, 1965 को पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री कामरेड राम किशन ने रखी थी। इस परियोजना की 15 मैगावॉट की पहली टरबाईन ने 13 अप्रैल, 1970 को विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया था। दूसरी टरबाईन 24 दिसम्बर, 1970 तथा तीसरी टरबाईन ने 15 जुलाई 1971 को बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। पहले इस परियोजना की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 45 मैगावॉट थी जिसे 10 जुलाई 1981 को बढ़ाकर 60 मैगावॉट कर दिया गया। इसके बाद इसमें व्यापक सुधार लाते हुए वर्ष 2010 व 2012 के बीच इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर प्रति टरबाईन 16.5 मैगावॉट की दर से 66 मैगावॉट कर दिया गया है। वर्तमान में इस परियोजना से 66 मैगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इस परियोजना के निर्माण पर आरंभिक तौर पर लगभग साढ़े 17 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई है।प्रतिवर्ष 302 मिलियन युनिट बिजली उत्पादन का रहता है लक्ष्य
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के अंतर्गत कार्यरत बस्सी पन बिजली परियोजना के तहत प्रतिवर्ष औसतन 302 मिलियन युनिट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रहता है। परियोजना शुरू होने से लेकर अबतक सबसे अधिक बिजली उत्पादन वर्ष 1998-99 में 332 मिलियन युनिट रहा है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह उत्पादन 331 मिलियन युनिट प्रति वर्ष दर्ज हुआ है।
वर्तमान में इस परियोजना के संचालन के लिए यहां पर लगभग 150 विभिन्न श्रेणीयों के कर्मी तैनात हैं। जिनमें तकनीकी, गैर तकनीकी, अनुबंध, आउटसोर्स एवं सुरक्षा कर्मी शामिल हैं। यदि स्वीकृत पदों के आधार पर बात करें तो इस परियोजना में विभिन्न श्रेणीयों के लगभग 90 पद रिक्त चल रहे हैं।क्या कहते हैं अधिकारी:
स्थानिक अभियन्ता बस्सी पन विद्युत परियोजना ईं. सूरज सिंह ठाकुर का कहना है कि ऊहल पनबिजली परियोजना के अंतर्गत चरण-दो के तहत स्थापित बस्सी पॉवर हाउस ने उत्पादन शुरू करने के अपने 50 वर्ष के सफर को पूर्ण कर लिया है जो पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्णिम हिमाचल के लिए ये गौरवशाली पल हैं। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा मिलने से एक वर्ष पहले 13 अप्रैल, 1970 को इस परियोजना की 15 मैगावॉट की पहली टरबाईन ने विद्युत उत्पादन प्रारंभ कर दिया था जबकि 15 जुलाई 1971 तक 45 मैगावॉट की तीन टरबाईनों ने बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। उन्होने बताया कि इस परियोजना से वर्तमान में प्रतिदिन 15 लाख 84 हजार युनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जबकि प्रतिवर्ष औसतन 90 से 100 करोड़ रूपये के बीच बिजली उत्पादन हो रहा है।
ऊहल नदी के तहत स्थापित होनी है तीन बिजली परियोजनाएं
जोगिन्दर नगर की खूबसूरत बरोट घाटी से बहने वाली ऊहल नदी पर तत्कालीन पंजाब सरकार में अंग्रेज चीफ इंजीनियर कर्नल बीसी बैटी ने वर्ष 1922 में ऊहल नदी पर आधारित पन बिजली परियोजनाओं की परिकल्पना की थी। वर्ष 1925 में तत्कालीन मंडी रियासत के राजा जोगिन्द्रसेन व भारत सरकार के मध्य हुए समझौते के तहत पहले चरण में शानन पन बिजली परियोजना निर्मित हुई। जिसमें वर्ष 1932 से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया था। वर्तमान में शानन पन बिजली परियोजना से 110 मैगावॉट बिजली उत्पादन हो रहा है जो पंजाब राज्य के अधीन है। इसके बाद दूसरे चरण में बस्सी पन बिजली परियोजना की परिकल्पना की थी जिसमें भी वर्ष 1970 से बिजली उत्पादन की शुरूआत करते हुए वर्तमान में 66 मैगावॉट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। इसके बाद ऊहल चरण तीन के तहत जोगिन्दर नगर के लडभड़ोल क्षेत्र के तहत चुल्ला नामक गांव में 100 मैगावॉट बिजली उत्पादन प्रस्तावित है जो अभी निर्माणाधीन है।
ऐसे में ऊहल नदी पर आधारित इन तीनों पन बिजली परियोजनाओं के शुरू हो जाने से 276 मैगावॉट बिजली का उत्पादन होगा जो आने वाले समय में प्रदेश की आर्थिकी को बल प्रदान करने में अहम कड़ी साबित होंगे।
हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि योजना के तहत सम्मानित हुए जोगिन्दर नगर के रमेश बंटा
आपातकाल के दौरान हुई थी जेल, हिमाचली पत्रकारिता के हैं मजबूत स्तंभ
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के जोगिन्दर नगर निवासी व वैटरन जर्नलिस्ट रमेश बंटा को प्रदेश सरकार ने आपातकाल के दौरान प्रजातंत्र को बचाने तथा मौलिक अधिकारों की बहाली को किए गए संघर्ष व इस दौरान सही यातनाओं के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि योजना-2019 (पार्ट-दो) के तहत सम्मान राशि प्रदान की है। इस योजना के अंतर्गत रमेश बंटा को प्रदेश सरकार ने प्रतिमाह आठ हजार रूपये की दर से सम्मान राशि स्वीकृत की है। इस तरह का सम्मान पाने वाले वे मंडी जिला के एक मात्र पत्रकार हैं। पत्रकारों की बात करें तो इस योजना के अंतर्गत रमेश बंटा के अलावा बिलासपुर के जय कुमार को भी इस योजना के भाग एक के तहत सम्मान राशि प्राप्त हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पूरे प्रदेश भर से पात्र केवल दो पत्रकारों को ही इस योजना के तहत लाभान्वित किया गया है।
जब इस संबंध में हिमाचल प्रदेश के सबसे वरिष्ठ पत्रकार एवं वैटरन जर्नलिस्ट रमेश बंटा से बातचीत की तो 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक देश में लगे आपातकाल एवं इस दौरान सही यातनाओं व कष्टों को यादकर वे भावुक हो उठते हैं। लेकिन इतने लंबे अर्से के बाद प्रदेश सरकार द्वारा उन्हे लोकतंत्र प्रहरी योजना के तहत सम्मान राशि प्रदान करना उन्हे बेहद खुशी भी मिल रही है। बातचीत के दौरान आपातकाल के वक्त उन्हे मिली जेल का किस्सा सुनाते हुए बतियाते हैं कि 20 सितम्बर, 1975 को जोगिन्दर नगर पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज हुई और उन्हे तथा उनके दोस्त स्वर्गीय पीडी शर्मा को पुलिस ने घर से बुलाकर गिरफतार कर लिया गया। उनके विरूद्ध यह आरोप लगा कि वे स्थानीय बस स्टैंड में टूरिस्ट होटल के सामने आपातकाल के विरूद्ध तथा नेताओं व सरकार के खिलाफ आम जनता को भडक़ा रहे थे। पुलिस ने इस विषय को लेकर उनके खिलाफ गवाही के लिए कुछ स्थानीय वरिष्ठ लोगों को तैयार कर लिया तथा उनके खिलाफ गवाही दिलवाई गई। वे बतियाते हैं कि इसके पीछे तथ्य ये थे कि उन्हे पुलिस ने घर से बुलाकर शाम को गिरफतार किया था तथा इस गिरफतारी के पीछे स्थानीय नेताओं का बड़ा हाथ था। उन्हे कई दिनों तक मंडी जेल में रखा गया तथा उसके बाद उनकी जमानत हो गई। बाद में कोर्ट कचहरी का दौर चला तथा अप्रैल 1977 में सरकार ने यह केस वापिस ले लिया।रमेश बंटा कहते हैं कि उनके जेल जाने के बाद परिवारजनों को बेहद कष्ट व मानसिक तौर पर असनीय पीड़ा का जो दर्द झेलना पड़ा उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। लेकिन एकाएक चेहरे में खुशी के भाव लाते हुए रमेश बंटा कहते हैं कि जब वे जेल काट कर घर लौटे तो उसी दिन उनके घर में एक बेटे का जन्म हुआ, ऐसे में दु:ख भरे ये पल कैसे खुशी में बदल गए इसके लिए उनके पास शब्द ही नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा उन्हे सम्मान स्वरूप यह राशि प्रदान करने के लिए वे मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर का आभार व्यक्त करते हैं।हिमाचली पत्रकारिता के मजबूत स्तंभ हैं रमेश बंटा, 1964 से लगातार पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत
वैटरन जर्नलिस्ट रमेश बंटा हिमाचली पत्रकारिता के मजबूत स्तंभ भी हैं। 6 अगस्त, 1942 को पैदा हुए रमेश बंटा वर्ष 1964 से लगातार पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं। इस दौरान उन्हे समय-समय पर अनेक सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। उन्हे वर्ष 1965 को जोगिन्दर नगर में आयोजित राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह तथा वर्ष 1975 में मंडी के तत्कालीन उपायुक्त उन्हे पत्रकारिता के क्षेत्र में दी गई उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए सम्मानित कर चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 1986 में हिमोत्कर्ष संस्था द्वारा राज्य स्तरीय पुरस्कार, 1999 में महामहिम दलाई लामा द्वारा कलम के सिपाही पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा कई अन्य संस्थाएं भी उन्हे समय-समय पर सम्मानित कर चुकी हैं। रमेश बंटा 1991-93 तक हिमाचल प्रदेश प्रेस एक्रीडेशन कमेटी के गैर सरकारी सदस्य भी रह चुके हैं। उन्हे वर्ष 2012 में वैटरन जर्नलिस्ट का दर्जा प्राप्त हुआ। उन्हे वर्ष 1968 में सरकारी मान्यता यानि कि एक्रीडेशन प्राप्त हुई। इसके अलावा वे लगभग 18 वर्षों तक जोगिन्दर नगर प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।पत्रकारिता में 50 वर्ष पूर्ण होने पर पंजाब केसरी से मिला विशेष सम्मान
रमेश बंटा को पत्रकारिता के क्षेत्र में 50 वर्ष पूर्ण करने पर पंजाब केसरी के मुख्य संपादक पदमश्री विजय चोपड़ा वर्ष 2015 में उन्हे पंजाब केसरी सम्मान से भी सम्मानित कर चुके हैं।
प्रदेश के प्रथम मुख्य मंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार के साथ कई बार किया प्रदेश दौरा
रमेश बंटा कहते हैं कि प्रदेश के पहले मुख्य मंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार के साथ उन्होने कई बार प्रदेश का दौरा किया तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों के माध्यम से प्रदेश के विकास, संस्कृति एवं राजनैतिक पहेलुओं पर कई लेख लिखे। उन्हे प्रदेश सरकार विकासात्मक पत्रकारिता के लिए जिला स्तर पर सम्मानित भी कर चुकी है।
Friday, 5 February 2021
भगेहड़ वासियों का जन मंच के माध्यम से हल हुआ पेयजल का मामला
77 हजार लीटर का बना नया पानी का टैंक, 9 गांवों की 22 सौ आबादी को मिला लाभ
Monday, 1 February 2021
कोरोना महामारी : ठोस मुकाबला और भारत की विजयगाथा
भारत ने दृढ़निश्चय और विश्वास के साथ पूरी दुनिया की तुलना में अग्रणी और अनुकरणीय बनकर कोरोना महामारी का डटकर मुकाबला किया | भारत की संवेदनशील और जिम्मेदार सरकार, सेवाभावी समाज ,अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं और हमारी अद्वितीय निर्माण क्षमता ने कोरोना को पराजित करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी |
चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में ही अधिकारियों ने नए वायरस के मामले की
पुष्टि कर दी थी |
वुहान से निकले इस घातक वैश्विक वायरस की असलियत देर से जैसे ही दुनिया में
फैली भारत पूरी तरह से चौकन्ना होकर मुकाबले के लिए पूरी तैयारियों में जुट गया |
30 जनवरी-2020 को
ठीक एक साल पहले
भारत के केरल राज्य के त्रिशूर में कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला दर्ज किया गया
था।
चीन की वुहान यूनिवर्सिटी से एक भारतीय छात्र अपने देश वापस
लौटा था, जिसमें कोरोना वायरस की पुष्टि की गई थी।
31 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)ने कोरोना वायरस को वैश्विक चिंता की
अंतरराष्ट्रीय आपदा घोषित किया |
27 फ़रवरी 2020 को चीन से अपने 759 नागरिकों को भारत एयरलिफ़्ट करके लाया जिनमें43 विदेशी नागरिक भी चीन से लाए गए |
6 मार्च को भारत ने विदेश से आने वाले सभी लोगों की
एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग शुरू करने के साथ संक्रमितों को क्वारंटीन करना शुरू कर
दिया |
11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को वैश्विक
महामारी घोषित कर दिया |
12 मार्च को भारत में कोरोना संक्रमण से पहली मौत की पुष्टि
हुई |
केंद्र सरकार और राज्य सरकारें सतर्क हुईं और भारत के
वज्ञानिक और चिकित्सक कोरोना वायरस की पहचान करने में सफल हुए |
17 मार्च को भारत सरकार ने निजी लैब्स को कोरोना वायरस की जांच
की अनुमति दे दी |
22 मार्च 2020 कोभारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता
कर्फ्यू का आह्वान किया जो एक प्रकार से पूर्ण लॉकडाउन की
तैयारी का श्रीगणेश था |.
25 मार्च को पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुएरात्रि 12 बजे से 21 दिन के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की |
28 मार्च को भारत में पहले 1,000 मामलों की पुष्टि हुई,14 अप्रैल तक ही 10 हज़ार मामले और19 मई आते-आते देश
में कोरोना संक्रमण के मामले एक लाख को पार कर गए |
14 अप्रैल को लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा हुई |
20 अप्रैल को देश में प्लाज़मा थेरेपी के द्वारा कोरना से ठीक
होने का पहला मामला सामने आया |
01 मई को प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन को 17 मई तक के लिए और बढ़ा दिया |
मई में ही आईसीएमआर ने भारत बॉयोटेक के साथ मिलकर कोरोना
वैक्सीन बनाने की घोषणा की |
01 जून कोलॉकडाउनसे बाहर निकलकर भारत सरकार ने अनलॉक-1 की गाइडलाइन घोषित कीं |
10 जून को भारत में पहली बार कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले
लोगों की संख्या संक्रमित लोगों से ज़्यादा हो गई |
26 जून को भारत ने संक्रमण के पाँच लाख मामलों का आंकड़ा पार
कर लिया जबकि 16 जुलाई को 10 लाख मामलों का आंकड़ा पार हो गया |
01 जुलाई को भारत सरकार ने अनलॉक 2.0 के दिशानिर्देश जारी किए |
06 जुलाई को भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोरोना संक्रमित
देश बन गया |
15 जुलाई को भारत बायोटेक की देश में बनी कोवैक्सिन वैक्सीन का
पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हुआ |
03 अगस्त को सीरम
इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया को डीसीजीआई से दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल करने की
अनुमति मिल गई |
26 अगस्त को सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वैक्सीन कोवीशील्ड का
भारत में ट्रायल शुरू कर दिया.
सितंबर में भारत कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा. इस
महीने में रोज़ाना सामने आ रहे मामलों का आँकड़ा औसत एक लाख पहुंच गया |
16 सितंबर इस मामले में भारत का 'पीक' था जब 97,894 मामले सामने आए |
18 दिसंबर को कोरोना संक्रमण के मामलों का आँकड़ा भारत में एक
करोड़ को पार कर गया |
02 जनवरी 2021 को भारत के औषधि महानियंत्रक ने सीरम
इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की वैक्सीन
कोविशील्ड को आपात प्रयोग की स्वीकृति दी |
03 जनवरीको भारत बायोटेक और आईसीएमआर की वैक्सीन कोवैक्सिन
को आपात इस्तेमाल के लिए मंज़ूरी मिली |
कोरोना मौत के आंकड़ों पर नजर डालें तो पहले स्थान पर 4,47,459 मृतकों के साथ विश्वशक्ति अमेरिका है,
दूसरे स्थान पर 2,22,775 मौतों के साथ ब्राजील और 1,56,000 के आंकड़ों के साथ मैक्सिको
तीसरे स्थान पर पहुंच गया है |
वैश्विक स्तर पर सितंबर 2020 के पहले 14 दिनों में सर्वाधिक
कोरोना संक्रमणयानी दस लाख से अधिक और कोरोना मौतों लगभग 16,400 के आंकड़ों के
कारण भारत की स्थिति खराब रही ,लेकिन अक्तूबर में कोरोना वायरस के मामलों में
थोड़ी राहत और दैनिक मामलों में कमी दिखाई पड़ने लगी।
वर्ष 2021 शुरू होते ही जनवरी माह में कोरोना वायरस से होने
वाली दैनिक मौतों का आंकड़ा 200 से भी कम होने लगा है, देश में कोरोना वायरस से
संक्रमित हुए लोगों की संख्या 1,07,20,048 है जिनमें से 1,03,94,352 लोग संक्रमणमुक्त हो चुके हैं | इसी तरह कोरोना मृतकों की संख्या 1,54,010 हो गई है तो कोरोना के
एक्टिव मामलों की संख्या 1,71,686 है |
आर्थिक पैकेज की घोषणा
कोरोना संकट काल में अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया, इसे प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में कमजोर हो रही अर्थव्यवस्था के लिए मिनी बजट की संज्ञा दी |
अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और देशवासियों के कर्जे,उनकी
मासिक किश्तों के तनाव को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़े राहत की
घोषणाएं कीं |
रिजर्व बैंक ने जहां ब्याज दरों में ऐतिहासिक कटौती की है.
वहीं, केंद्रीय बैंक ने रिटेल
लोन की EMI भरने पर भी 3 महीने का मोरेटोरियम लगाया |
आरबीआई ने होम लोन, कार लोन या किसी भी लोन की EMI नहीं चुकाने की छूट दे दी |
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, लॉकाडाउन के दौरान पीएम किसान फंड में 18,700 करोड़ ट्रांसफर किए गए है. PM
फसल बीमा योजना
के तहत 6,400 करोड़ की राहत दी गई |
कृषि में मार्च से
अप्रैल के बीच में 86000 करोड़ रुपये के 63 लाख लोन मंजूर हुए |
आवास योजना से जुड़ी
क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम की डेडलाइन बढ़ा दी गई है. इससे आवास क्षेत्र को 70,000 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन दिया गया |
माइक्रो फूड इंटरप्राइज के लिए 10,000 करोड़ की स्कीम लाई गई |
प्रवासी मजदूरों के लिए
सरकार के ठोस उपाय
केंद्रीय गृह मंत्रालय और श्रम मंत्रालय ने राज्य सरकारों
से 11 अप्रैल तक सभी प्रवासी
मजदूरों का डेटा चीफ लेबर कमिश्नर (सीएलसी) के पास देने के लिए कहा |
डेटाबेस से ये पता लगाया जाना था कि इन मजदूरों के
प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खोला गया बैंक खाता, या अन्य बैंक खाता है। साथ ही, मजदूरों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में आधार नंबर के
तहत मुफ्त गैस सिलेंडर का लाभ मिले ।
25 मार्च से देशभर में 21 दिन का लॉकडाउनल लगाया गया ,प्रवासी मजदूर शहरों को छोड़कर
अपने गांव वापस जाने लगे । उद्योंगो के बंद होने से उनके पास घर का किराया देने के
साथ दूसरी बुनियादी जरूरतों के लिए भी पैसे नहीं थे औरस्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी
उनके लिए चुनौती थी ।
5 से 6 लाख मजदूरों को
पैदल घर वापस जाना पड़ा, क्योंकि
ट्रांसपोर्ट की सेवाएं भी बंद थीं। देश की राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए सेल्टर
होम्स में भी सैंकड़ों प्रवासी मजदूर रह रहे थे ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून को देश को संबोधित करते हुए कहा कि नवंबर तक देश के
करीब 80 करोड़ गरीब लोगों को
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ मिलेगा, जिसका पूरा खर्च केंद्र सरकार
उठाएगी और अनाज वितरण राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा |
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत सभी गरीब
परिवारों को जिनके पास राशन कार्ड है, और जिनके पास नहीं है, उन्हें 5 किलो गेहूं/चावल प्रति सदस्य और एक किलो चना
अप्रैल माह से 30 नवंबर तक मुफ्त दिया गया | यह मुफ्त अनाज राशन कार्ड पर मिलने
वाले अनाज के कोटे के अतिरिक्त था |
देश के सभी राज्यों ने अपने स्तर पर प्रवासी श्रमिकों के
खातों में सीधे पैसे भेजने के साथ केंद्र सरकार की खाद्यान्न योजना को भी गंभीरता
से पूरा किया | उत्तर प्रदेश सरकार ने 4
लाख 81 हजार शहरी रेहड़ी पटरी वालों के अलावा 11 लाख से अधिक श्रमिकों को एक -एक
हजार रुपये की राशि दी | 20 लाख निर्माण श्रमिकों को भी यह धनराशि उपलब्ध करवाई गई
|
लॉकडाउन से लेकर मास्क,सैनेटाइजर ,कोरोना टेस्ट की स्पीड ,पीपीई किट और उसे
नेक नीयत,उत्साह और फुर्ती के साथ स्वावलंबन,आत्मविश्वास और स्वदेशी आविष्कार के
द्वारा कोरोना मुक्त भारत का संकल्प लेकर सर्वे संतु निरामया के भाव को सार्थक
सिद्ध करते हुए समूचे विश्व के लिए भी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करने का
गौरवपूर्ण इतिहास भारत ने रच डाला |
सही समय पर लॉकडाउन
भारत ने ठीक एक साल पहले कोरोना को रोकने के लिए एडवाइजरी जारी की। पीएम मोदी
के शब्दों में –“भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश के लिए तमाम तरह की आशंकाएं जताई
जा रही थीं। दूसरे देशों में महामारी की भयावहता को देखते हुए लोगों का जीवन को
बचाने के लिए लॉकडाउन के अलावा कोई उपाय नहीं था।“
आंकड़ों की दृष्टि से देखें तो लॉकडाउन की वजह से मात्र63 लाख कोरोना संक्रमण का मामला और लगभग 98 हजार मौत का आंकड़ा
सितंबर-2020 के अंत में पहुंचा।
यह अनुमान लगया गया कि अगर
लॉकडाउन नहीं लगाया जाता तो 1 करोड़ 40 लाख ज्यादा लक्षण
वाले केस और 26 लाख से ज्यादा मरने वालों की संख्या जून– 2020
में ही हो जाती।
सजग और सेवभावी समाज की भूमिका
लॉकडाउन के समय प्रवासी मजदूर बेरोजगार हो गए,उन्हें भोजन,रहने और अपने गाँव
तक पहुँचने के लिए आर्थिक संकट झेलना पड़ा | व्यापक स्तर पर सबको साथ लेकर सबके
कष्टों को दूर करने का संकल्प भाव लेकर सेवा संस्थाओं और सामाजिक व धार्मिक
संगठनों ने अद्वितीय पहल की|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से इस संकट में आर्थिक मदद की अपील
की और सब ओर से भरपूर सहयोग मिला |
ऐसा आत्मीय भाव और सहयोग किया कि हताशा और निराशा के दौर में भी विश्व की
तुलना में भारत कोरोना से लड़ने और मुकाबले के लिए एकजुट और प्रतिबद्ध दिखा |
धार्मिक क्षेत्र की विशेष भूमिका
कोरोना संक्रमण, और उसको फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन
जैसी विषम स्थिति में देश के मठ मंदिरों,आश्रमों और गुरुद्वारों ने पीएम करे फंड
में नकद दान देने के साथ ही प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन,दवाई,कपड़ों और अन्य
सामान्य जरूरतों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई |
मंदिर और गुरुद्वारों में सैकड़ों हजारों लोगों के लिए निशुल्क भोजन के भंडारे
और लंगर महीनों तक चलते रहे | भोजन आदि कल्याणकारी गतिविधियों के साथ प्रवासी
श्रमिकों को उनके गांवों तक पहुंचाने, रक्तदान शिविर लगाने और प्लाज्मा डोनेट करने
के लिए अभियान चलाए |
धार्मिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान देश को इस संकट
के समय यथाशक्ति सहयोग करते दिखाई दिए | सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट गुजरात, कांची
कामकोटि पीठम तमिलनाडु, माता वैष्णों देवी मंदिर जम्मू कश्मीर, महाकालेश्वर मंदिर
उज्जैन,पतंजलि योग ट्रस्ट हरिद्वार, माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट, विलासपुर छत्तीसगढ़, श्री नित्य चिंताहरण गणपति मंदिर ट्रस्ट रतलाम मध्य प्रदेश,
सिद्ध विनायक मंदिर मुंबई, दिल्ली के झंडेवाला माता मंदिर, गुरुद्वारा रकाबगंज
साहब आदि अनगिनत धार्मिक ट्रस्ट,मंदिर और प्रतिष्ठान हैं जिन्होंने राज्यों के
मुख्यमंत्री राहत कोश में भी भरपूर योगदान दिया
अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा टेस्ट भारत में
अगस्त 2020 तक देश में प्रतिदिन 5 लाख औसत टेस्ट
हो रहे थे जो नवंबर तक 10 लाख प्रतिदिन के आँकड़े और अब 12 लाख टेस्ट प्रतिदिन के
औसत तक पहुँच चुका है | |
जनवरी 2021 की स्थिति ये है कि भारत में करीब 10 करोड़ टेस्ट पूरे
किए जा चुके हैं। भारत से ज्यादा 12.7 करोड़ टेस्ट अब तक सिर्फ
अमेरिका में किए गए हैं। अभी अपने देश में हर दिन 12 लाख से भी ज्यादा
टेस्ट किएजाते हैं।
इच्छाशक्ति ने बढ़ाई निर्माण क्षमता
मार्च 2020 तक जो भारत पीपीई किट के उत्पादन में शून्य की स्थिति में था,
विदेश से ही आयात करता था ,जुलाई- 2020 तक भारत अन्य देशों को पीपीई किट का
निर्यात करने की स्थिति में आ गया। हर दिन देश में
विकसित की गई पांच लाख टेस्टिंग किट तैयार होना भारत के नेतृत्व की इच्छाशक्ति और
देश की उत्पादन क्षमता को प्रमाणित करता है |
भारत दो महीने से कम समय के भीतर पीपीई किट बनाने वाला दुनिया का दूसरा सबसे
बड़ा मैन्युफैक्चरर बना, भारत से आगे रहने का दावा करने वाले चीन की क्वान्टिटी
विश्वभर में क्वालिटी के मामले में खूब किरकिरी करवा गई |
भारत में अक्टूबर तक छह करोड़ से अधिक निजी सुरक्षा किट (पीपीई) और करीब 15 करोड़ एन-95 मास्क का उत्पादन हुआ।दो करोड़ से अधिक पीपीई और
चार करोड़ से अधिक एन-95 मास्क का निर्यात अन्य आवश्यकता वाले देशों को
भी किया गया |
लॉकडाउन की स्थिति में पीपीई किट और जांच में उपयोग होने वाले स्वैब के
उत्पादन ने पांच लाख प्रत्यक्ष रोजगार का निर्माण किया। भारत ने 60 दिन के भीतर ही पीपीई किट में उपयोग होने वाले कपड़े के उत्पादन और परिधान
निर्माताओं का घरेलू नेटवर्क तैयार कर लिया ।
स्वदेशी आत्मनिर्भर टीकों का आविष्कार
देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन कोविशील्ड सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया
प्राइवेट लिमिटेड (एसआईआईपीएल) ने और कोवैक्सीन भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा
भारत में ही तैयार की गई हैं |
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक तरफ दुनिया के तमाम देश दूसरे मुल्कों पर आश्रित
हैं, लेकिन भारत दूसरी सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश होने के
बावजूद अपने दम पर टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने में सफल रहा |कोरोना संकट काल
में अमेरिका सहित 150 देशों को भारत द्वारा भेजी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन उपयोगी
सिद्ध हुई इसलिएवैक्सीन के लिए भी दुनिया उम्मीद लगा रही है |
संकट में अवसर खोजते हुए आत्मनिर्भर भारत को वैश्विक स्वीकार्यता दिलाने का
आत्मविश्वास भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य में सिद्ध होता दिखाई
देता है –
'कोरोना से हमारी
लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है | आज हम मास्क, PPE किट, टेस्टिंग किट, वेंटीलेटर के निर्माण में
आत्मनिर्भर हो गए हैं और निर्यात भी कर रहे हैं | इसी ताकत को हमें टीकाकरण के इस
दौर में भी सशक्त करना है |'
कोरोना टीकाकरण की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “यह
भारत की सामर्थ्य की दिखाता है। भारत शुरू में ही जितने लोगों को टीका लगाने जा
रहा है, वह कई देशों की आबादी से अधिक है।
टीकाकरण के प्रथम चरण में कोरोना योद्धा
पहले चरण में ही तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों और
सुरक्षाकर्मियों को मुफ़्त टीका लगाया जाएगा। जबकि दुनिया के 100 देशों की आबादी तीन करोड़ से कम है। 50 साल अधिक उम्र और
गंभीर बीमारी ग्रसित लोगों को जोड़ लें, अगले कुछ महीने में 30 करोड़ लोगों को प्राथमिकता के साथ टीका लगने जा रहा है।“
वास्तव में अनुमानित आंकड़ों पर नजर डालें तो 16 जनवरी को देश में शुरू हुए
टीकाकरण के प्रथम चरण में 3 करोड़ कोरोना योद्धाओं को चिन्हित किया गया है जिनमें
चिकित्सक ,स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षा से जुड़े अग्रिम पंक्ति के योद्धा शामिल हैं |
अनुमानतः सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलाकर देश में लगभग 70 लाख हेल्थकेयर वर्कर्स हैं। जिनमें 11 लाख चिकित्सक , 8 लाख आयुष प्रैक्टिशनर,15 लाख नर्सें ,10 लाखANM और आशा कार्यकर्ता और इनके अलावा सफाईकर्मी और दूसरे कर्मचारी भी शामिल हैं।
पुलिसकर्मियों की संख्या45 लाख और सैन्य जवानों की संख्या 15 लाख के आसपास
होगी | सार्वजनिक सेवा ,समुदाय सेवा जिसमें शिक्षक ,सार्वजनिक परिवहन के ड्राइवर,
कंडक्टर और क्लीनर
इत्यादि आते हैं जिनकी
संख्या 1.50 करोड़ से अधिक है।
प्रथम चरण के टीकाकरण में 50 वर्ष से अधिक आयु के वे सभी नागरिक शामिल हैं जो
किसी खतरनाक या असाध्य बीमारी से ग्रस्त हैं ,देश में ऐसे लोगों की अनुमानित
जनसंख्या लगभग 26 करोड़ के आसपास होगी |
विश्व ने माना लोहा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने कोरोना वैक्सीन उत्पादन के मामले
में भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि “भारत की वैक्सीन उत्पादन क्षमता दुनिया में
सबसे बेहतर है, मुझे उम्मीद है कि दुनिया समझेगी कि इसका भरपूर उपयोग होना चाहिए। हमें
उम्मीद है कि भारत का टीकाकरण में अहम योगदान रहेगा। भारत के पास सभी तरह के साधन
हैं और दुनिया के टीकाकरण में उसकी भूमिका बेहद अहम रहेगी। उसके प्रयासों से
वैश्विक टीकाकरण अभियान सफल हो सकेगा।“
We strongly hope that India will have all the instruments
that are necessary to play a major role in making sure that a global
vaccination is campaign is made possible: UN Secretary-General Antonio Guterres
ऑस्ट्रेलियाई राजदूत बैरी ओ'फारेल ने भारत की वैक्सीन क्षमता को देखते हुए
कहा कि केवल भारत ही पूरी दुनिया की वैक्सीन आवश्यकता को संतुष्ट कर सकता है –
“There are many vaccines being produced in countries
around the world. But there's only one country that has the manufacturing
capacity to produce sufficient quantities to satisfy the demand of citizens in
every country. And that's India. This is another example of the moment in which
India will shine, because of the strength of this sector and the planning that
has gone in. I suppose that's not unexpected from a country that itself has
suffered so many pandemics in the past.
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने इस उपलब्धि पर कहा कि “भारत की स्वदेशी
वैक्सीन (कोवैक्सीन) में पूरे वायरस की पहुंच पर आधारित कुछ अनूठी विशेषताएं हैं।
यह एक सराहनीय उपलब्धि है और दूरदर्शी मजबूत तथा उत्साही प्रयासों के लिए सभी
संबंधित व्यक्ति बधाई के पात्र हैं।“
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'मोदी जी के नेतृत्व वाला यह ‘नया भारत’ आपदाओं
को अवसर में और चुनौतियों को उपलब्धियों में बदलने वाला भारत है। यह 'मेड इन इंडिया' वैक्सीन इसी आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की परिचायक हैं। इस ऐतिहासिक दिन पर
मैं हमारे सभी कोरोना योद्धाओं को कोटि-कोटि नमन करता हूं। भारत उन चुनिंदा देशों
में से एक है, जिसने मानवता के विरुद्ध आए सबसे बड़े संकट को
समाप्त करने की दिशा में विजय पायी है। इस अभूतपूर्व उपलब्धि से हर भारतीय
गौरवान्वित है। यह विश्वपटल पर एक नये आत्मनिर्भर भारत का उदय है।“
को-विन (कोरोना वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क)
को-विन (कोरोना वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क) के द्वारा वैक्सीन के कंपनी से
निकलने से लेकर व्यक्ति को लगने तक की जानकारी के साथ किसी क्षेत्र में इसकी
आवश्यकता,उपलब्धता और इसको लेने वाले के विषय में पूरी जानकारी भी होगी |
पीएम केयर्सफंड ट्रस्ट ने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए
अतिरिक्त 162 समर्पित प्रेशर स्विंग एडसोर्पश्न (पीएसए)
चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित
किए हैं।
टीकाकरण में भी अव्वल
भारत में टीकाकरण अभियान की शुरुआत 16 जनवरी को हुई थी, भारत में
देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम
के तहत कोविड-19 के खिलाफ टीका
लगवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में उल्लेखनी वृद्धि दर्ज की गई है।
कोविड-19 का टीका लगवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की कुल
संख्या 29 जनवरी तक 33 लाख को पार कर गई है। 62,939 सत्रों के माध्यम से कोविड-19 का टीका लगा चुके स्वास्थ्य कर्मियों की कुल संख्या 33,68,734तक पहुंच गई |
अन्य देश दिसंबर के पहले हफ्ते से टीकाकरण कर रहे हैं। भारत ने मात्र छह दिनों
में 10 लाख लोगों को वैक्सीन दे दी जबकि इतने ही लोगों को वैक्सीन
देने में अमेरिका में 10 दिन, स्पेन में 12 दिन, इजरायल में 14 दिन, ब्रिटेन में 18 दिन, इटली में 19 दिन, जर्मनी में 20 दिन और यूएई में 27 दिन लग गए थे।
मानवता और पड़ोसी धर्म
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार 20 जनवरी से हम अपने
पड़ोसी देशों को कोरोना वायरस वैक्सीन की 55 लाख से अधिक खुराकें उपलब्ध करवा चुके
हैं।
इस सूची में 13 देश- बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, बहरीन, ब्राजील, मॉरीशस, मोरक्को, ओमान, सेशेल्स और श्रीलंका- शामिल हैं |
भूटान को वैक्सीन की 1.5 लाख खुराकें, मालदीव, मारीशस और बहरीन को एक लाख, नेपाल को 10 लाख, बांग्लादेश को 20
लाख, म्यांमार को 15 लाख, सेशेल्स को 50 हजार
और श्रीलंका को पांच लाख खुराकें उपलब्ध कराई गई हैं।
अगले कुछ दिनों में ओमान को वैक्सीन की एक लाख खुराकें, CARICOM देशों (कैरेबियाई समुदाय) को पांच लाख और निकारागुआ व
प्रशांत द्वीपीय देशों को दो-दो लाख खुराकें उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है।
ऑस्ट्रेलियाने भारत से वैक्सीन की 14 करोड़ खुराकजापान ने 12 करोड़,
इंडोनेशिया ने 10 करोड़ ,, फिलीपींस ने 5 करोड़ ,दक्षिण कोरिया ने दो करोड़ खुराक,दक्षिण
अफ्रीका ने 15 लाख और इसी तरह सऊदी अरब,,कनाडा, मोरक्को ,मंगोलिया और अन्य देशों ने वैक्सीन की मांग की है।
दुनिया के 92 देशों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन के लिए भारत से
संपर्क किया है। इससे वैक्सीन हब के रूप में भारत की साख और मजबूत हुई है।
सस्ती और सुरक्षित वैक्सीन
दुनियाभर में प्रयोग हो रही वैक्सीन की तुलना में भारत की ये दोनों
वैक्सीनअन्य कोरोना वैक्सीन की तुलना में काफी सस्ती है |
फाइजर-बायोएनटेक के टीके की लागत प्रति खुराक 1431 रुपये , मॉडर्ना का2348 रुपये से लेकर 2715 रुपये तक, नोवावैक्स का टीका1114 रुपये, स्पूतनिक-वी 734 रुपये और जॉनसन एंड
जॉनसन निर्मित टीके की कीमत 734 रुपये है | चीन की साइनोफोर्म वैक्सीन की कीमत 77 यूएस डॉलर अर्थात5650 रुपये से अधिक |.
फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगने के बाद
ब्रिटेन में पहले ही दिन 24 घंटे के अंदर 2 स्वास्थ्यकर्मियों की तबीयत बिगड़ गई |
नार्वे में 23 लोगों की मौत हो
गई और 100 लोगों पर इसका
दुष्प्रभाव देखा गया ।
यूरोपीय देश चाहे अमेरिका हो , ब्रिटेन या
फ्रांस अथवा फिनलैंड इस वैक्सीन को लगाने के बाद 32 लोगों में साइड इफेक्ट देखा गया । यही स्थिति दुनिया की अन्य वैक्सीन की है लेकिन भारत की दोनों वैक्सीन से
दुनियाभर से कोई दुष्प्रभाव की खबर नहीं मिली |
फाइजर को जहां 70 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान की आवश्यकता
पड़ती है वहीं भारत की कोरोना वैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा
जा सकता है |
भारी उत्पादन और मांग
विश्वभर में, लगभग 17 कोरोना वैक्सीन को अलग-अलग
देशों में औपचारिक स्वीकृति दी जा चुकी है और इनकी 12.7 अरब डोज को विभिन्न देश
अपने नागरिकों के लिए रिजर्व कर चुके हैं | कोरोना वैक्सीन के उत्पादन की क्षमता
अमेरिका और भारत में सबसे ज्यादा है।
डाटा विश्लेषण कंपनी एयरफिनिटी के मुताबिक, अमेरिका 2021 तक 4.7 अरब कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर लेगा। डाइचीवेले के एक
डाटा के मुताबिक, भारत में 2021 तक 3.13 अरब डोज का उत्पादन होगा।
इसके बाद चीन (1.90 अरब), ब्रिटेन (0.95 अरब), जर्मनी (0.50 अरब) और दक्षिण कोरिया (0.35 अरब) में ज्यादा संख्या में वैक्सीन बनाई जाएगी।
सबसे बड़ी कंपनी की भी यदि बात हो तो भारत की सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे
बड़ी कोरोनापूरे वैक्सीन उत्पादक है। यह हर साल 1.4 अरब डोज वैक्सीन का
उत्पादन अकेले ही करती है।
कोरोना मुक्त भारत की ओर कदम
एक वर्ष के अंदर भारत दुनिया में कोरोना वायरस मामलों और इससे हुई मौतों की
संख्या की दृष्टि से चौथे स्थान पर हैजहां कोरोना वायरस से 1,54,010 लोगों की मौत हुई है। | कोरोना मृतकों के मामले में सितंबर 2020 से
भारत तीसरे स्थान पर था |
भारत की संवेदनशील सरकार ,सजग समाज और कोरोना योद्धाओं,वैज्ञानिकों और
आत्मनिर्भर भारत के आत्मविश्वास और निर्माण क्षमता का सामूहिक प्रयास है जो भारत
को कोरोना मुक्त करने के संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने में सफल होता दिखाई पड़ रहा
हैं |
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भारत की सजग,सक्रिय और संवेदनशील सरकार के
साथ यहाँ के सेवभावी समाज के बल पर कोरोना काल में भी अपने योग्य और समर्पित
कोरोना योद्धाओं के बल पर देश ने वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर भारत की गौरवमय छवि
का निर्माण किया है |
(स्त्रोत विश्व संवाद केंद्र
भारत)