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Friday, 10 September 2021

लोक निर्माण विभाग के माध्यम से जोगिन्दर नगर में व्यय हो रहे 141 करोड़ रूपये

पीएमजीएसवाई के तहत 50 करोड़ तो नाबार्ड के माध्यम से खर्च हो रहे 37 करोड़

    जोगिन्दर नगर विधान सभा क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग के माध्यम से लगभग 141 करोड़ रूपये की धनराशि विभिन्न सडक़ों, पुलों एवं अन्य विकास कार्यों पर खर्च की जा रही है। जिनमें प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत 50 करोड़ जबकि नाबार्ड के माध्यम से लगभग 37 करोड़ रूपये की धनराशि शामिल है।

    जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो वर्तमान सरकार के साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान लोक निर्माण विभाग के माध्यम से लगभग 141 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जा रही है। जिनमें प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत कुल आठ सडक़ निर्माण कार्यों पर लगभग 50 करोड़, नाबार्ड के माध्यम से विभिन्न सडक़ परियोजनाओं पर लगभग 37 करोड़, पुलों के निर्माण पर लगभग 28 करोड़ तथा विभिन्न भवनों के निर्माण पर लगभग 18 करोड़ रूपये की धनराशि शामिल है।
    अकेले प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत जोगिन्दर नगर विस क्षेत्र में आठ सडक़ परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। जिनमें लगभग साढ़े 6 करोड़ रूपये की लागत वाली गलू-भटवाड़ सडक़, पांच करोड़ रूपये की लागत वाली भराडू-बनारू डोम सडक़, लगभग अढ़ाई करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रही कस-पथोलू सडक़, सवा चार करोड़ रूपये की लागत से बन रही गुम्म्मा-खारसा सडक़, पौने पांच करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रही द्रुब्बल-बनवार सडक़, लगभग अढ़ाई करोड़ रूपये की लागत से अपग्रेड हो रही चक्का-झमेहड़, लगभग 13 करोड़ रूपये की लागत से अपग्रेड हो रही ढेलू-भटेहड़ तथा तीन करोड़ रूपये की लागत से अपग्रेड हो रही आहजू-सूजा सडक़ का निर्माण कार्य शामिल है।
    इसी तरह नाबार्ड के माध्यम से लगभग 37 करोड़ रूपये की सडक़ों एवं पुलों का निर्माण कार्य भी विभिन्न चरणों में प्रगति पर हैं। जिनमें लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रही ऊपरला भडयाड़ा से निचला भडयाड़ा सडक़, लगभग तीन करोड़ रूपये की लागत से बन रही द्रमण-कून-का-टार सडक़, लगभग पौने पांच करोड़ रूपये की लागत से बन रही बयूंह-कुंड सडक़ तथा लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रही कडकूही-जलह-चघेड़ सडक़ शामिल है। इसके अलावा लगभग पांच करोड़ रूपये की लागत से सपडू-लंगा तथा 13 करोड़ रूपये की लागत से सुदृढ़ होने वाली बगोड़ा-बगला-हरड-रोपड़ी-मोरडुघ सडक़ की टैंडर प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया गया है तथा जल्द ही इनका कार्य भी शुरू होने जा रहा है।
    इसके अतिरिक्त सांढापत्तन में ब्यास नदी पर लगभग 23 करोड़ जबकि जोगिन्दर नगर-सरकाघाट-घुमारवीं सडक़ पर मच्छयाल में रणा खड्ड पर लगभग साढ़े पांच करोड़ रूपये की लागत से पुलों का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
    अधिशाषी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग जोगिन्दर नगर संजीव सूद ने बताया कि जोगिन्दर नगर क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग के माध्यम से 141 करोड़ रूपये की राशि व्यय हो रही है जिसमें से वर्तमान में लगभग 115 करोड़ रूपये के विभिन्न विकास कार्य प्रगति पर हैं। जिनमें सडक़ों पर पीएमजीएसवाई के तहत 50 करोड़ व नाबार्ड के माध्यम से 19 करोड़, 2 पुलों के निर्माण पर 28 करोड़ जबकि 9 भवनों के निर्माण पर लगभग 18 करोड़ रूपये की धनराशि शामिल है।
क्या कहते हैं विधायक:
    जोगिन्दर नगर के विधायक प्रकाश राणा का कहना है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान लोक निर्माण विभाग के माध्यम से जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र को लगभग 73 करोड़ रूपये की नई विकास परियोजनाओं को स्वीकृति प्राप्त हुई है। जिनमें पीएमजीएसवाई के तहत 23 करोड़, नाबार्ड के अंतर्गत 37 करोड़ तथा पुलों व अन्य विकास कार्यों के लिए 13 करोड़ रूपये की धनराशि शामिल है।






Tuesday, 7 September 2021

जीवन की पीड़ा से ज्यादा दुखदायी होती है,समाज की दी हुई पीड़ा

    (सच्ची घटना पर आधारित सामाजिक प्रेरक प्रसंग)

        जीवन कई खटटे मीठे अनुभवों की खान होती है। ऐसे अनुभव न केवल हमें जीवन के वास्तविक रंगों से रू-ब-रू करवाते हैं बल्कि समाज और आसपास के परिवेश को भी देखने, समझने व जानने का मौका मिलता है। हमारा समाज जहां नेक दिल व दूसरों के प्रति समर्पित रहने वाले लोगों से भरा पड़ा है तो उसी समाज में कुछ ऐसे परजीवी भी होते हैं जो दूसरों के हक हकूकों को छीनकर स्वयं को सिकन्दर साबित करने का असफल प्रयास करते रहते हैं। 

लेकिन यदि नियति पर जाएं तो हमेशा सच्चा व नेक दिल इंसान ही जीवन में न केवल मोक्ष को प्राप्त करता है बल्कि जीवन भी उसी व्यक्ति का सफल होता है। यहां सफलता महज ऊंचा रूतबा, पद, प्रतिष्ठा या फिर आर्थिक व भौतिक सुख सुविधाओं से नहीं बल्कि व्यक्ति की अंतरआत्मा व ईश्वर के प्रति श्रद्धाभाव से जुड़ा हुआ है। लेकिन अब आपको यह लग रहा होगा कि आखिर मैं यहां क्या कहना चाह रहा हूं। वास्तव में आप सभी के साथ समाज की उस पीड़ा को साझा करना चाहता हूं जो व्यक्ति जीवन की पीड़ा से न केवल ग्रसित होता है बल्कि लड़ भी रहा होता है। जिसकी गहराई का अंदाजा न कोई इंसान लगा सकता है न ही एक सामान्य इंसान उसे महसूस कर पाता है। लेकिन जब वह पीड़ा शब्दों से ज्यादा भावनाओं के माध्यम से व्यक्त की जाने लगे तो इसी से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वास्तव में पीड़ा का दर्द गिनता भयंकर व अंर्तमन तक उसे चोटिल कर रहा होता है। 

यहां में एक ऐसी सच्ची व हृदय विदारक घटना को आप सभी से साझा करना चाह रहा हूं, हुआ यूं कि पिछले दिनों प्रदेश के मुख्य मंत्री अपने दौरे पर थे। इस दौरान कई लोगों ने अपनी पीड़ा व दुख को मुख्य मंत्री के समक्ष न केवल रखा बल्कि आर्थिक मदद की भी गुहार लगाई। सीएम साहब ने भी आर्थिक मदद को न केवल तेजी से हाथ आगे बढ़ाए बल्कि समयबद्ध आर्थिक मदद भी पीडि़त परिवार तक पहुंच गई। एक जन संपर्क कर्मी के नाते इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो तो लाभार्थी के घर हम पहुंच गये। घर पहुंचकर जब पीडि़त परिवार से बातचीत की तो उन्होने न केवल अपनी पीड़ा को व्यक्त किया बल्कि नितदिन मिलने वाली सामाजिक पीड़ा से भी अवगत करवाया। सच में जो बातें इस पीडि़त परिवार ने बताई उसने न केवल मुझे अंदर तक झकझोर दिया बल्कि नोट पैड पर चलती कलम को विराम देना ही उचित समझा।

        जिस सामाजिक पीड़ा का जिक्र उस परिवार ने किया सचमुच ऐसी घटनाएं इंसान प्रतिदिन अपने आसपास न केवल सदियों से झेलता आ रहा है बल्कि जब तक यह सृष्टि रहेगी यह बदसूरत जारी भी रहेगी। हम कैसे निर्दयी एवं स्व केन्द्रित इंसान होते हैं जो केवल निजी स्वार्थ के आगे हम न तो सोच पाते हैं बल्कि हमें पीडित परिवार की न केवल पीड़ा हमें असहज बनाती है बल्कि उलटे पीडि़त परिवार का दर्द बढ़ाने का काम गाहे बगाहे जरूर करते हैं। आखिर जिंदगी की सच्चाई भी तो यही है इसे जितनी जल्दी समझ लिया जाए उतना बेहतर है। 

        ऐसे में मैंने न केवल पीडि़त परिवार का हौंसला बढ़ाया बल्कि तय लक्ष्य के प्रति अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करने का भी काम किया। यही कहा कि हमारा समाज चढ़ते सूरज को ही नमस्कार करता है। इस पीडि़त परिवार में भी आगे बढऩे का पूरा जज्बा है बस समाज की इस दी हुई पीड़ा को दरकिनार कर स्वयं को संगठित व मजबूत कर अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ते चले जाएं। इस बीच जीवन की दी हुई यह पीड़ा न केवल कम होगी बल्कि जिंदगी होने का भी एहसास होगा। (इसमें संबंधित परिवार की जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है जैसा कि वे चाहते हैं)

        सच कहूं जब कोई व्यक्ति  दु:ख के समय में होता है तो उसकी मदद को भी सैंकड़ों नहीं बल्कि हजारों इंसान अपने हाथ जरूर बढ़ाते हैं, लेकिन इस बीच जो दर्द समाज का ही नहीं बल्कि अपनों का दिया हुआ होता है उसका अंदाजा तो केवल एक पीडि़त पक्ष ही लगा सकता है। भले ही मदद के तौर पर हम पीडि़त व्यक्ति को पूरा ढ़ांढस बढ़ाने का भी काम कर लें लेकिन पल-पल पीड़ा को सहता पीडि़त इंसान ही उस दर्द को न केवल झेलता है बल्कि उससे मुकाबला भी करता है। 

        सचमुच इस सांसारिक यात्रा में इंसान को जीवन की दी हुई पीड़ा से कहीं ज्यादा वह सामाजिक पीड़ा होती है जो पल-पल व्यक्ति को खंडित करती रहती है। इसलिए किसी भी व्यक्ति के प्रति हमें कुछ भी कहने व सुनने से पहले वास्तिकता को पहचानने का प्रयास करना चाहिए। हो सकता है आप द्वारा कहे शब्द पीडि़त पक्ष को न केवल एक नई जिंदगी जीने की उमंग जगा जाए या फिर किसी इंसान की जिंदगी को ही जहन्नुम बना दे। आओ हम सब मानवता के कल्याण के लिए एक इंसान होने का फर्ज निभाएं क्योंकि यह मनुष्य जीवन दोबारा नहीं मिलेगा।