जिला ऊना में ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के नक्शे में हरोली हलके ने गत तीन वर्षों के दौरान जहां विकास की नई ऊंचाईयों को छूआ है तो वहीं जिस रचनात्मकता के साथ हलके के विकास को पंख लगे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप हरोली हलका पूरे प्रदेश भर में एक आदर्श विधानसभा क्षेत्र के तौर पर ऊभर कर सामने आया है। आज इस हलके में औद्योगिक विकास से लेकर शिक्षा के क्षेत्र तक, किसानों के खेत से लेकर प्रशासनिक ढांचे के विकास में हलके ने अभूतपूर्व तरक्की कर विकास की नई ऊंचाईयों को छुआ है।
हिमाचल प्रदेश सरकार में काबीना मंत्री एवं स्थानीय विधायक मुकेश अग्रिहोत्री की नई सोच व रचनात्मकता के साथ विकास को एक नई दिशा देकर आज हरोली हलके के प्राचीन तालाबों (टोबों) को विकास के नवीनतम मॉडल के साथ न केवल सहेजा जा रहा है बल्कि एक नई दिशा देकर इन्हे खूबसूरत सैरगाह के साथ-साथ पर्यटक केन्द्रों के तौर पर भी विकसित किया जा रहा है। आज हलके में कांगड के तालाब से लेकर पूबोवाल, ललडी, सलोह, गोंदपुर बुल्ला, गोंदपुर जयचंद, हीरां थडा, पंजाबर, दुलैहड के प्राचीन तालाबों (टोबों) को बेहद खूबसूरती के साथ विकसित किया गया है। इन तालाबों के जीर्णोद्धार के कार्य कर जहां तालाब के चारों ओर स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए खूबसूरत ट्रैक का निर्माण किया गया है तो वहीं बैठने के लिए लॉन, बैंच व रात्रि के समय सोलर लाईटों का भी प्रबंध किया गया है। साथ ही इन तालाबों में स्थानीय पंचायत की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मछली पालन को भी प्रोत्साहित किया गया है। इससे न केवल स्थानीय पंचायत को आय के नए स्त्रोत के तौर इन तालाबों का महत्व बढा है बल्कि यह गांव की आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बिन्दु बनकर भी उभर कर सामने आए हैं।
जीर्णोद्धार से पहले तालाब का दृश्य |
आज हरोली हलके का शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जहां पर प्राचीन तालाब (टोबे) न हो। भले ही वक्त के बदलाव के साथ इन तालाबों का महत्व कम हुआ हो लेकिन पर्यावरण की दृष्टि से ये तालाब आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने वह पहले हुआ करते थे। बदलते वक्त की इस तेज रफतार भरी जिन्दगी में इन प्राचीन तालाबों के रखरखाव, उत्थान व जीर्णोद्धार के लिए भले ही श्रमदान कर अब आधुनिक समाज के लोग आगे आने से कतराते रहे हों, लेकिन उद्योग मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने हरोली हलके की इस प्राचीन विरासत को सहेजने में न केवल प्राथमिकता के साथ कार्य किया है बल्कि टौबों के जीर्णोद्धार कार्यों में निजी तौर पर दिलचस्पी लेकर पर्यावरण के प्रति इनके महत्व को भी बखूवी पहचाना है। मुकेश अग्रिहोत्री की इसी दूरदर्शी सोच का ही नतीजा है कि जहां हरोली हलके की प्राचीन तालाबों (टोबों) को न केवल एक नया जीवन मिला है बल्कि विकास के आईने में रचनात्मकता का भाव भी साफ झलकता है। हलके के प्रति इसी दूरदर्शी सोच का नतीजा है कि आज हरोली के कई तालाबों का जीर्णोंद्धार संभव हुआ है बल्कि इस प्राचीन विरासत को नए अंदाज में सहेजकर खूबसूरत भी बनाया गया है।
जीर्णोंद्धार के बाद तालाब का दृश्य |
वक्त के साथ नई पीढ़ी के लिए इन प्राचीन धरोहरों को सहेजना व संवारना इतना महत्वपूर्ण न रह गया हो, लेकिन हम यह क्यों भूल रहे हैं इन तालाबों के कारण न केवल स्थानीय लोगों के साथ-साथ मवेशियों एवं जंगली जानवरों को पानी की समस्या से निजात मिलती है बल्कि पर्यावरण को संरक्षित करने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इन्ही तालाबों का नजीता रहा है कि जहां भू-जल का स्तर बेहतर बना रहता है तो वहीं खेतीबाडी से लेकर पशुपालन में इनकी अहम भूमिका रहती है। आज पूरी दुनिया सहित भारत के कई हिस्सों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है, लोग एक-एक पानी की बूंद को तरस रहे है, ऐसे में अपनी प्राचीन विरासत टोबों को सहेजकर न केवल आने वाली पीढिय़ों को इन तालाबों के जीर्णोद्धार के माध्यम से युवा पीढ़ी को जागरूक किया है, बल्कि पर्यावरण व वन्य जीवों को बचाने में भी अपना अहम योगदान दिया है।
एक खूबसूरत तालाब का दृश्य |
इस तरह मुकेश अग्रिहोत्री ने विकास के आईने में हरोली हलके की प्राचीन धरोहर तालाबों का जीर्णोद्धार कर न केवल बुजुर्गों की अनमोल विरासत को सहेजा है बल्कि हरोली हलके के यह प्राचीन तालाब फिल्मी दुनिया के लोगों के लिए पसंदीदा स्थल के तौर पर भी उभरे हैं जिससे इस हलके को पर्यटन के क्षेत्र में भी एक नई उडान मिली है।
इस बारे उद्योग मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री का इन तालाबों को नया स्वरूप देने के पीछे कहना है कि पर्यावरण की दृष्टि से जहां इन प्राचीन तालाबों की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है तो वहीं हलके की जनता को आधुनिक शहरों की भीडभाड व प्रदूषण भरी जिन्दगी से दूर गांव में ही वह तमाम सुविधाएं मुहैया करवा दी जाएं जिनके लिए लोग अकसर शहरों की ओर रूख करते हैं।