Himdhaara Search This Blog

Saturday, 17 March 2018

बजट से कृषि व बागवानी के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल

भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है तथा आज भी जहां देश की 70 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में वास करती है तो वहीं कृषि व बागवानी ग्रामीणों के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते हैं। हिमाचल प्रदेश में भी लगभग 90 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है तथा कृषि के साथ-साथ बागवानी हमारी अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए गत 9 मार्च को प्रदेश विधानसभा में प्रदेश के नव निवार्चित मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर ने भी अपने पहले आम बजट में कृषि व बागवानी के साथ-साथ ग्रामीण विकास से जुडी विभिन्न योजनाओं को विशेष प्राथमिकता प्रदान की है। प्रदेश के एक साधारण व किसान परिवार से संबंध रखने वाले प्रदेश के युवा व यशस्वी मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर ने ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए कई अहम योजनाओं के साथ-साथ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 
हिमाचल प्रदेश को जैविक राज्य बनाने तथा जीरो बजट प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए जहां सरकार जैविक फसलों को बढ़ावा देने के लिए कृषकों के साथ-साथ कृषि, बागवानी तथा पशुपालन विभाग के विस्तार अधिकारियों को नई प्रणाली में प्रशिक्षित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों को प्रारंभ किया जाएगा तो वहीं विश्वविद्यालयों द्वारा इसके लिए पैकेजिज ऑफ प्रैक्टिसिस तैयार किए जाएंगे। खेती में कीटनाशकों के प्रयोग को हतोत्साहित करने के साथ-साथ विभागों को कीटनाशक दवाईयों को दिए जाने वाले बजट को जैविक कीटनाशकों के लिए उपयोग किया जाएगा। प्रदेश में देसी नस्ल की गाय के संरक्षण व संवर्धन के लिए एक नीति के तहत कार्य तथा प्रदेश में जैविक उत्पादों के विपणन तथा प्रमाणीकरण को प्रोत्साहित करने व जैविक कीटनाशक संयत्र स्थापित करने को सरकार 50 प्रतिशत निवेश बतौर उपदान उपलब्ध करवाएगी। इस दिशा में किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान नामक योजना को शुरू किया जाएगा।
कृषि क्षेत्र में विभिन्न विस्तार कार्यों पर बल देते हुए जहां खरीफ व रबी की बिजाई से पहले पूरे राज्य के सभी खंडों तथा उसके उपरान्त उपयुक्त समय पर कृषक मेले आयोजित करने का भी ऐलान किया है। जिनके माध्यम से बैंकों व संबंधित विभागों को एक मंच पर लाकर जहां किसानों को कृषि की तकनीकों बारे जानकारी दी जाएगी तो वहीं ऋण संबंधी जानकारी भी उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि किसानों को अनावश्यक परेशानियों से मुक्त किया जा सके। प्रदेश में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए जहां वाईएस परमार किसान स्वरोजगार योजना के तहत 23 करोड रूपये का प्रावधान किया है तो वहीं क्षतिग्रस्त पॉलीशीटस को बदलने के लिए मिलने वाली अनुदान राशि को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने का भी प्रावधान किया है। आज के दौर में मजदूरों की कमी तथा खेती बाडी में आधुनिक तकनीकों के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए सरकार ने किसानों को कम कीमत पर कृषक ट्रैक्टर, पॉवर वीडर, पॉवर टिलर इत्यादि उपकरण खरीदने के लिए प्रदेश में कृषि उपकरण सुविधा केंद्र स्थापित करने का प्रावधान किया है। इन केंद्रों के माध्यम से जहां प्रदेश के किसानों के साथ-साथ युवा उद्यमियों को 25 लाख रूपये तक की मशीनरी पर 40 प्रतिशत उपदान का प्रावधान किया है। इससे जहां किसानों को कम दाम पर कृषि उपकरण उपलब्ध हो सकेंगे तो वहीं बेरोजगार युवाओं को उद्यम स्थापित कर स्वरोजगार को भी बल मिलेगा। 
प्रदेश में बागवानी का ग्रामीण व प्रदेश अर्थव्यवस्था में अहम रोल है। ऐसे में ओलावृष्टि के कारण बागवानी को बचाने के लिए 30 वर्ग मीटर क्षेत्र में संरक्षित खेती के लिए सरकार एंटी हेलनेट प्रदान करने का प्रावधान किया है। इसके अलावा बागवानों को एंटी हेलनेट गन लगाने के लिए बागवानी सुरक्षा योजना के तहत 60 प्रतिशत उपदान मुहैया करवाने का भी बजट में प्रावधान किया है। साथ ही बागवानी विकास योजना के माध्यम से बागवानों व सब्जी उत्पादकों को 50 प्रतिशत उपदान पर प्लास्टिक क्रेट भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। प्रदेश में किसानों की आय को दुगना करने तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना के माध्यम से एकीकृत शीत भंडारण, खाद्यान्न प्रसंस्करण तथा समूह अधोसंरचना के विकास पर जोर दिया जाएगा। जिसके माध्यम से 5 करोड रूपये तक के खाद्यान्न प्रसंस्करण तथा 10 करोड रूपये के शीत भंडारण के लिए मशीनरी व प्लांट पर 50 प्रतिशत उपदान प्रदान करेगी। 
प्रदेश में बंदरों, जंगली जानवरों तथा बेसहारा पशुओं के कारण कृषकों को काफी नुकसान उठाना पडता है जिससे निपटने के लिए सरकार मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत सौरयुक्त बाड बंदी के लिए 80 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध करवा रही है जिसे सामूहिक तौर पर लगाने के लिए अब सरकार किसानों को 85 प्रतिशत तक का अनुदान उपलब्ध करवाएगी। प्रदेश में किसानों की आय को बढ़ाने के लिए जहां प्रदेश में फल व सब्जी उत्पादन के तहत अतिरिक्त खेती को लाया जाएगा तो वहीं वर्तमान में प्रदेश के पांच जिलों में चल रही जाईका परियोजना को बढ़ाकर पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। संरक्षित फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में हिमाचल पुष्प क्रांति नामक योजना को प्रांरभ किया जाएगा।
पशुधन का भी हमारी आर्थिकी में अहम योगदान है। ऐसे में अच्छी नस्ल की देसी गाय पालने पर जहां किसानों को सरकार सहायता राशि प्रदान करेगी तो वहीं कृषक बकरी पालन योजना के माध्यम से 11 बकरियों की एक ईकाई की स्थापना पर सरकार 60 प्रतिशत तक का उपदान उपलब्ध करवाएगी। इसके अलावा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए मुख्य मंत्री मधु विकास योजना के अंतर्गत 80 प्रतिशत तक उपदान मुहैया करवाया जाएगा।
इस तरह कह सकते हैं कि जयराम सरकार का पहला बजट जहां कृषि व बागवानी पर आधारित है तो वहीं ग्रामीण विकास को भी बढ़ावा देने के लिए सरकार अनेक योजनाएं लेकर आई है। इस बजट के माध्यम से किसानों के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी तथा ग्रामीण स्तर पर कृषि, बागवानी, पशुपालन, मौनपालन को बढावा मिलने के साथ-साथ स्वरोजगार गतिविधियों को भी बल मिलेगा।


 (साभार: दैनिक न्याय सेतु एवं दैनिक आपका फैसला 15 मार्च, 2018 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)