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Saturday, 23 December 2023

मकान निर्माण को रोपा पधर के बनेहड़ निवासी तेज राम व संजय कुमार को सरकार से मिली आर्थिक मदद

पीड़ितों ने कहा..........धन्यवाद मुख्य मंत्री जी आपदा की दुखद घड़ी में आर्थिक मदद देने के लिए 

बरसाती आपदा में आशियाना खोने वालों को प्रदेश सरकार दे रही है 7-7 लाख रुपये की राहत राशि

गत 23 अगस्त की बदनसीब बरसात जोगिन्दर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत रोपा पधर के गांव बनेहड़ निवासी दो भाईयों तेज राम व संजय कुमार के लिए आफत बन कर सामने आई। इस भारी बरसात के कारण इन दोनों भाईयों को अपने आशियाने से महरूम होना पड़ा है। आलम तो यह है कि अब इन दोनों भाईयों को परिवार के अन्य सदस्यों सहित गांव के दूसरे लोगों के घरों में शरण लेनी पड़ी है। तेज राम व संजय कुमार ने कड़ी मेहनत मजदूरी कर एक-एक पाई जोडक़र खूबसूरत आशियाना बनाया ही था कि बरसात ने चंद मिनटों में सब कुछ मिट्टी कर दिया। घर के पीछे पहाड़ी से हुए भारी भूस्खलन ने इन दोनों भाइयों को उनके सपनों के आशियाने से वंचित कर दिया। सच में किसी परिवार के सिर से एक अदद छत के मिट जाने के दर्द को यूं चंद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।
जब पीड़ित परिवार के सदस्य तेज राम से बातचीत की उनका कहना है कि दिन रात कड़ी मेहनत कर उन्होने यह सुंदर आशियाना बनाया था, लेकिन प्रकृति को शायद कुछ ओर ही मंजूर था। आज इस टूटे हुए आशियाने को देखकर न केवल उनका दिल बैठ जाता है बल्कि इस पहाड़ जैसी जिंदगी में स्वयं को परिवार सहित पुन: खड़ा करना किसी चुनौती से कम नहीं लग रहा है। लेकिन आपदा की इस दुखद घड़ी में प्रदेश के मुख्य मंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उन जैसे कई आपदा पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदनशीलता का जो परिचय दिया है निश्चित तौर पर इसके लिए वे उनके सदा धन्यवादी रहेंगे।
तेज राम का कहना है कि इस प्राकृतिक आपदा से आशियाना खोने पर स्थानीय प्रशासन के माध्यम से सरकार ने पहले प्रति परिवार एक लाख 20 हजार रुपये की आर्थिक मदद पहुंचाई। इसके बाद मुख्य मंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पीड़ितों के दर्द को समझते हुए इस राशि को बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया है जो काबिले तारीफ है। उनका कहना है कि सरकार की ओर से अब उन्हें 3-3 लाख रुपये की अतिरिक्त किस्त भी उनके बैंक खाते में जमा हो चुकी है। वे इस महान व नेक कार्य के लिए मुख्य मंत्री का आभार जताते हुए कहते हैं कि आने वाले समय में फिर से वे सपनों का आशियाना बनाने में जरूर कामयाब होंगे। सरकार की यह आर्थिक मदद परिवार के सपनों के आशियाने को फिर से बसाने में मददगार साबित होगी।
सच में हिमाचल प्रदेश में तेज राम व संजय कुमार जैसे सैंकड़ों परिवार हैं जिन्होंने प्राकृतिक आपदा के चलते न केवल अपने सपनों के आशियाने को टूटते बिखरते हुए देखा है बल्कि इस अभागी बरसात ने कई परिवारों के सदस्यों को सदा के लिए जुदा भी कर दिया है। सच में यह प्राकृतिक आपदा प्रदेश वासियों को एक ऐसा जख्म दे गई है जो शायद ही कभी भर पाए।
लेकिन इस प्राकृतिक त्रासदी में प्रदेश के मुख्य मंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए न केवल उनके दुख दर्द को अपना समझा है बल्कि मरहम लगाने का भी भरपूर प्रयास किया है। इसी संवेदनशीलता के चलते जहां सरकार की ओर से बेघर हुए परिवारों को अपना आशियाना बनाने के लिए 7-7 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है तो वहीं सीमित आर्थिक संसाधनों के चलते अन्य पीड़ितों को हुए नुकसान पर भी आर्थिक सहारा देने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।  
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस बात की पुष्टि करते हुए एसडीएम जोगिन्दर नगर कृष्ण कुमार शर्मा का कहना है कि बरसाती आपदा से अपना मकान खोने वाले रोपा पधर पंचायत के बनेहड़ निवासी तेज राम व संजय कुमार को पुन: गृह निर्माण के लिए सरकार की ओर से अब तक चार लाख बीस हजार रुपये प्रति परिवार धनराशि उनके बैंक खातों में हस्तांतरित कर दी गई है। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार जल्द से जल्द घर का कार्य शुरू करें ताकि शेष राशि भी उन्हें उपलब्ध करवाई जा सके। साथ ही पंचायत के माध्यम से भी उन्हें 100-100 सीमेंट के बैग उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त उपमंडल में बरसात से प्रभावित अन्य परिवारों के मामलों में भी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है तथा आपदा राहत मैन्युअल व सरकारी दिशा निर्देशों के तहत चरणबद्ध तरीके से राहत राशि उपलब्ध करवाने के भी प्रयास जारी हैं।  DOP 25/11/2023







Wednesday, 20 December 2023

जोगिन्दर नगर के मच्छयाल में बाबा मछिन्दर नाथ ने कई वर्षों तक की थी तपस्या

 सच्चे मन से मांगी मन्नत को पूरा करते हैं मछिन्दर नाथ, माया कुंड के पानी से दूर होते हैं चर्म रोग

मंडी जिला के जोगिन्दर नगर कस्बे से जोगिन्दर नगर-सरकाघाट-घुमारवीं मुख्य सडक़ पर महज आठ किलोमीटर दूर रणा खड्ड के किनारे बाबा मछिन्दर नाथ का पवित्र स्थान मच्छयाल स्थित है। कहते हैं कि हजारों वर्ष पूर्व इस स्थान के प्राकृतिक सौंदर्य से वशीभूत होकर बाबा मछिन्दर नाथ ने कई वर्षों तक यहां तपस्या की थी। इस स्थान पर रणा खड्ड में प्राकृतिक तौर पर लगभग 300 से 400 मीटर दायरे में बने सात तटबंधों के बीच वाले क्षेत्र में स्थित मछलियों को भगवान विष्णु जी के मत्स्य अवतार को बाबा मछिन्दर नाथ के रूप में पूजा जाता है। 
जानकार कहते हैं कि मत्स्य पुराण में मछलियों को पूजा जाने का उल्लेख मिलता है तथा मत्स्य पुराण 18 पुराणों में से एक पुराण है जिसमें मत्स्य अवतार से जुड़े कई रहस्यों की जानकारी मिलती है। मच्छयाल स्थित रणा खड्ड में मछलियों को आटा खिलाने से जहां लोग कई दोषों से मुक्ति पाते हैं तो वहीं मनोकामना को पूर्ण करने की मन्नतें भी मांगते हैं। कहते हैं सच्चे मन से मांगी गई मन्नत को बाबा मछिन्दर नाथ पूर्ण करते हैं। साथ ही नि संतान श्रद्धालु जहां बच्चे होने की, तो वहीं अविवाहित लोग विवाह होने की मन्नत भी मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु ढ़ोल नगाड़ों के साथ जातर लाकर बाबा मछिन्दर नाथ के दर्शन करते हैं तथा प्रसाद चढ़ाते हैं। साथ ही मछलियों को आटा भी खिलाते हैं। मन्नतें पूरी होने की कई घटनाएं आए दिन देखने को मिलती हैं तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा मछिन्दर नाथ के दर्शनार्थ यहां पहुंचते हैं।

माया कुंड के पानी से दूर होते हैं चर्म रोग, कभी विवाह शादियों के लिए मिलते थे बर्तन
मच्छयाल स्थित बाबा मछिन्दर नाथ के परिसर में प्राकृतिक तौर पर पत्थरनुमा चट्टान में एक बड़ा प्राकृतिक सुराख है। जिसमें वर्ष भर पानी भरा रहता है जिसे माया कुंड के नाम से जाना जाता है। कहते हैं इस पानी को नियमित तौर पर लगाने से कई तरह के चर्म रोग ठीक होते हैं। यह भी कहा जाता है कि बाबा मछिन्दर नाथ इसी स्थान से विवाह-शादियों इत्यादि के आयोजन के लिए बर्तन भी उपलब्ध करवाते थे।
कहते हैं कि विवाह शादियों या अन्य धार्मिक व सामाजिक आयोजनों के लिए लोग बाबा मछिन्दर नाथ से बर्तन उपलब्ध करवाने की अरदास करते थे तो सुबह होने पर इस स्थान पर बर्तन उपलब्ध हो जाते थे। एक बार किसी व्यक्ति ने इन बर्तनों को लौटाते समय इन्हें बदल दिया। इसके बाद बर्तन उपलब्ध होने की यह परंपरा बंद हो गई।
जब राजा ने मछिन्दर नाथ के चमत्कार से प्रभावित होकर मछली को पहनाई थी सोने की नथ
जानकार बताते हैं कि एक बार राजा ने सिपाहियों को भोजन में मछली बनाने के आदेश दिये। सिपाहियों को काफी प्रयास करने के बाद जब मछली नहीं मिली तो उन्होने मच्छयाल के इस पवित्र स्थान से मछली को पकड़ा। कहते हैं कि जब मछली को फ्राई कर प्लेट में रखा तो पुन: जीवित हो गई। इस घटना को देखकर राजा भी दंग रह गए। जब उन्होंने मछली से जुड़ा वृतांत सुना तो वे इस पवित्र स्थान पर पहुंचे तथा बाबा मछिन्दर नाथ की पूजा अर्चना कर मछली को सोने की नथ पहनाई। कहते हैं कि भाग्यवान लोगों को अभी भी ऐसी मछली के दर्शन होते हैं।
बाबा मछिन्दर नाथ ने प्राकृतिक तौर पर बने सात तटबंधों से निर्मित की है अपनी सीमा
रणा खड्ड में बाबा मछिन्दर नाथ ने प्राकृतिक तौर पर सात तटबंधों के माध्यम से अपनी सीमा को निर्धारित किया है। 300-400 मीटर के दायरे में यह प्राकृतिक सीमा फैली हुई है तथा इसके भीतर मछलियों का शिकार करना पूर्ण तौर पर प्रतिबंधित है।
प्राकृतिक तौर पर चट्टान के ऊपर निर्मित है भगवान शिव की प्रतिमा
इसी स्थान पर प्राकृतिक तौर पर एक भारी भरकम चट्टान के ऊपर भगवान शिव की प्रतिमा निर्मित है। कहते हैं कि एक बार मां चतुर्भुजा ने खेल के माध्यम से इस चट्टान के गिरे होने की जानकारी दी। जब क्रेन के माध्यम से चट्टान को ऊपर उठाया गया तो उसमें भगवान शिव का प्रतीकात्मक रूप शिवलिंग प्राकृतिक तौर पर बना हुआ मिला। इसके अलावा चट्टान में अन्य मूर्तियां भी उकेरी गई हैं।
प्राकृतिक तौर पर है खूबसूरत स्थान, बैसाखी को लगता है चार दिवसीय मेला
यह स्थान प्राकृतिक तौर पर बेहद खूबसूरत है। इसकी खूबसूरती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां पर कई हिंदी फीचर फिल्मों का फिल्मांकन भी हुआ है। यहां प्रतिवर्ष 13 अप्रैल बैसाखी पर्व को चार दिवसीय मेले का आयोजन होता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस दौरान कई तरह के सांस्कृतिक एवं खेलकूद कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
वर्तमान में इस मंदिर के संचालन हेतु एसडीएम जोगिन्दर नगर की अध्यक्षता में मंदिर विकास प्रबंधन समिति गठित की गई है। जिसमें स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों सहित कई सरकारी व गैर सरकारी सदस्य शामिल हैं।

कैसे पहुंचे मच्छयाल
मच्छयाल मंडी जिला मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर है। उपमंडल मुख्यालय जोगिन्दर नगर से महज आठ किलोमीटर तथा प्रसिद्ध धाम बैजनाथ से 30 किलोमीटर दूर है। यह स्थान सडक़ मार्ग से जुड़ा हुआ है तथा मंदिर परिसर में ही वाहन को आसानी से पार्क किया जा सकता है। इसके अलावा रेल नेटवर्क के माध्यम से भी पठानकोट से जोगिन्दर नगर पहुंचा जा सकता है। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल कांगड़ा है।     DOP 12/12/2023