Himdhaara Search This Blog

Saturday, 8 August 2020

सोलरयुक्त बाड़बंदी से खलेही चौंतड़ा निवासी अनिल कुमार ने लिखी सफलता की कहानी

मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना से कृषि बना फायदे का सौदा, 45 हजार की हुई आय
हिमाचल प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना आज कई किसानों की आर्थिकी को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है। इसी योजना के माध्यम से की जा रही बाड़बंदी से न केवल किसानों की फसलें बंदरों व अन्य जंगली जानवरों से बच पा रही हैं बल्कि खेती-बाड़ी फायदे का सौदा भी साबित हो रही है। इस योजना से जुडक़र जोगिन्दर नगर उपमंडल के विकास खंड चौंतड़ा के खलेही गांव निवासी अनिल कुमार ने भी मात्र एक वर्ष के प्रयास में ही सफलता की कहानी लिख डाली है। साथ ही अनिल कुमार भडयाड़ा पंचायत के उप-प्रधान भी हैं।
चौंतड़ा विकास खंड की ग्राम पंचायत भडयाड़ा के खलेही गांव निवासी 54 वर्षीय अनिल कुमार ने मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत सोलरयुक्त बाड़बंदी कर न केवल अपनी बंजर पड़ी जमीन को उपजाऊ बनाया बल्कि फसलों को भी बंदरों, जंगली एवं आवारा जानवरों से भी सुरक्षित किया। इसी योजना का नतीजा है कि अनिल कुमार ने महज एक वर्ष में ही बंजर पड़ी जमीन से न केवल साढ़े दस क्विंटल हरा मटर तैयार किया बल्कि एक क्विंटल धनिया का भी उत्पादन किया। साथ ही पारंपरिक फसल गेंहू की पैदावार में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इसी बाड़बंदी का नतीजा है कि अनिल कुमार ने लगभग 45 हजार रूपये की आय उस जमीन से हासिल कर ली है जिसमें कुछ समय पहले महज आधा क्विंटल गेंहू की पैदावार होती थी।
जब इस बारे किसान अनिल कुमार से बातचीत की तो उनका कहना है कि जुलाई 2018 में कृषि विभाग के माध्यम से मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत लगभग सात बीघा जमीन की सोलरयुक्त बाड़बंदी की। जिसमें जहां सरकार ने 2,18,800 रूपये का उपदान दिया जबकि उनकी निजी भागीदारी महज 54,700 रूपये की रही है। बाड़बंदी के उपरान्त उन्होने कृषि विभाग के माध्यम से ही प्राकृतिक खेती बारे कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही उन्हे हरियाणा के गुरूकुलम में भी प्राकृतिक खेती को जानने का अवसर भी मिला। उन्होने बताया कि प्रशिक्षण उपरान्त गेंहूं के साथ-साथ मटर व धनिया की बिजाई की। फसलों पर कीटनाशकों का नहीं बल्कि स्वयं तैयार किया गया जीवा अमृत व घन जीवाअमृत के साथ-साथ खट्टी लस्सी का भी छिडक़ाव किया। प्राकृतिक तौर पर जहां लगभग साढ़े दस क्विंटल हरा मटर व एक क्विंटल धनिया की पैदावार हुई बल्कि साढ़े चार क्विंटल से अधिक गेंहू की भी उपज हुई है।उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती से जुडऩे के लिए उन्होने एक पहाड़ी गाय को भी पाल रखा है जिसके गोबर व गोमूत्र से प्राकृतिक खाद व कीटनाशक तैयार किया जाता है। खेतों की सिंचाई के लिए वर्षा जल संग्रहण टैंक का भी निर्माण किया है। जब उपज की मार्केटिंग बारे जानना चाहा तो उन्होने बताया कि उनकी उपज को खेत में ही अच्छे दाम प्राप्त हो गए हैं। उन्होने अब अदरक की बिजाई कर दी। इसके अलावा उन्होने नींबू के लगभग डेढ़ सौ पौधों को भी रोपा है। साथ ही वे नकदी फसलों पर बड़े स्तर पर कार्य योजना बना रहे हैं।
अनिल कुमार का कहना है कि सोलरयुक्त बाड़बंदी से अब न केवल उनकी फसलें बंदरों एवं अन्य आवारा व जंगली जानवरों से सुरक्षित हुई है बल्कि कृषि अब फायदे का सौदा साबित हो रहा है। उन्होने प्रदेश के शिक्षित व बेरोजगार युवाओं से सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर कृषि व्यवसाय को अपनाने का आहवान किया है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
जब इस बारे विषयवाद विशेषज्ञ कृषि चौंतड़ा सोनल गुप्ता से बातचीत की तो उनका कहना है कि मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ उठाकर किसान अनिल कुमार एक सफल किसान बनने की ओर अग्रसर हैं। उन्होने बताया कि इस योजना के माध्यम से अब तक चौंतड़ा ब्लॉक में 49 किसानों की लगभग 6.16 हैक्टेयर जमीन को सोलरयुक्त बाड़बंदी के तहत लाया गया है। जिस पर सरकार ने 98.87 लाख रूपये बतौर उपदान मुहैया करवाए हैं।
उन्होने बताया कि इस योजना के माध्यम से व्यक्तिगत तौर पर सोलरयुक्त बाड़बंदी के लिए सरकार 80 प्रतिशत जबकि सामूहिक तौर पर 85 प्रतिशत तक उपदान मुहैया करवा रही है। इसके साथ-साथ कम्पोजिट बाड़बंदी के लिए 70 प्रतिशत तथा कांटेदार तार लगाने को 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा किसानों से सरकार की इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया है ताकि उनकी फसलों को बंदरों, जंगली जानवरों एव आवारा पशुओं से बचाया जा सके।
इसके अलावा चौंतड़ा ब्लॉक में वर्ष 2018-19 से लेकर अब तक 1305 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है। धान, मक्का, कोदरा व सोयाबीन की प्राकृतिक खेती कर किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा पा रहे हैं।