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Wednesday, 11 January 2023

जोगिन्दर नगर प्रशासन गरीब परिवार की बेटी की शादी में बन रहा मददगार

 टेंट हाउस का सामान दिया जा रहा मुफ्त, अब तक लगभग 10 बेटियों की शादी में हो चुकी है मदद

जोगिन्दर नगर प्रशासन ने गरीब बेटियों की शादी में मदद करने का एक अनूठा प्रयास शुरू किया है। जिसके माध्यम से एसडीएम कार्यालय जोगिन्दर नगर गरीब व जरूरतमंद परिवार की बेटी की शादी में टेंट हाउस का सामना फ्री में उपलब्ध करवा रहा है। गत वर्ष जून माह में जोगिन्दर नगर प्रशासन द्वारा शुरू की गई इस अनूठी पहल से अब तक लगभग 10 गरीब व जरूरतमंद बेटियों की शादी में मदद की जा चुकी है। प्रशासन की इस मदद से जहां गरीब परिवार को टेंट हाउस का सामान बिल्कुल फ्री दिया जाता है तो वहीं लाभान्वित परिवार का औसतन 25 से 30 हजार रुपये का टेंट का खर्चा भी बचता है। जोगिन्दर नगर प्रशासन की इस अनूठी पहल की जहां पूरे क्षेत्र में चर्चा है तो वहीं लाभान्वित परिवार प्रशासन का धन्यवाद व्यक्त कर रहे हैं।
एसडीएम जोगिन्दर नगर डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा के प्रयासों से जोगिन्दर नगर उपमंडल में शुरू हुई इस अनूठी पहल के तहत गरीब बेटी की शादी में टेंट हाउस का सामान बिल्कुल मुफ्त दिया जाता है। जिसमें 200 कुर्सियां, 30 बिस्तरे, आठ-आठ कनातें व पर्दे तथा एक स्टेज चेयर शामिल है। इस सामान को एसडीएम कार्यालय से घर तक सुरक्षित लाने व ले जाने का प्रबंध लाभार्थी परिवार को स्वयं वहन करना पड़ता है। साथ ही सामान की गारंटी भी देनी होती है ताकि किसी प्रकार की टूट-फूट न हो। गारंटी को सामान वापिस करने के बाद लौटा दिया जाता है। प्रशासन की इस मदद से लाभान्वित परिवार की औसतन 25 से 30 हजार रुपये की बचत होती है। इससे परिवार को बेटी की शादी में टेंट हाउस के सामान पर व्यय होने वाला खर्च बचता है, जिससे शादी के दूसरे अन्य खर्चों को वहन किया जा सकता है। यह सुविधा पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दी जाती है।
इस संबंध में जब एक लाभार्थी परिवार के सदस्य वीरेंद्र सिंह गांव व डाकघर चलहारग से बातचीत की तो उन्होने बताया कि बहन की शादी के लिए जोगिन्दर नगर प्रशासन ने टेंट हाउस का सामान फ्री में उपलब्ध करवाया है। इससे बहन की शादी में होने वाले खर्च में उन्हे आर्थिक तौर पर कुछ राहत मिली है। साथ ही उपमंडल के जरूरतमंद परिवारों से बेटी या बहन की शादी में जोगिन्दर नगर प्रशासन की इस अनूठी पहल का लाभ उठाने का भी आह्वान किया है।
वैसे तो प्रदेश सरकार ने भी बेटियों को लाभान्वित करने के लिए अनेकों योजनाओं को शुरू किया है, बावजूद इसके जरूरतमंद परिवार बेटी की शादी में आर्थिक मदद के लिए स्थानीय प्रशासन से सहायता की मांग करते रहते हैं। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद कन्याओं की शादी में मदद हो सके इसके लिए जोगिन्दर नगर प्रशासन ने टेंट हाउस का सामान उपलब्ध करवाने की यह अनूठी पहल की है।
कैसे ले सकते हैं टेंट हाउस सुविधा का लाभ:
जोगिन्दर नगर प्रशासन की इस अनूठी पहल का लाभ लेने के लिये लोग सादे कागज पर एसडीएम जोगिन्दर नगर को अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति की पड़ताल करने के उपरान्त एसडीएम कार्यालय ऐसे जरूरतमंद परिवारों को टेंट हाउस का सामान फ्री में उपलब्ध करवाता है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
एसडीएम जोगिन्दर नगर डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा का कहना है कि जरूरतमंद बेटियों की शादी में मदद करने के लिए प्रशासन फ्री में टैंट हाउस का सामान उपलब्ध करवाता है। अब तक जोगिन्दर नगर उपमंडल में ऐसी 10 कन्याओं की शादी में मदद की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद लोग प्रशासन की इस पहल का लाभ उठाने के लिए सादे कागज पर आवेदन कर सकते हैं। साथ ही पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों से भी ऐसे जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए ग्रामीण स्तर पर लोगों को जागरूक करने का भी आह्वान किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद बेटियों की शादी में मदद की जा सके।  











Thursday, 5 January 2023

सद्भाव का प्रतीक है जोगिन्दर नगर का ऐतिहासिक गुरुद्वारा

 शानन पन बिजली परियोजना के जनक कर्नल बी.सी. बैटी ने वर्ष 1927 में रखी थी नींव

जोगिन्दर नगर स्थित गुरुद्वारे की नींव शानन (ऊहल चरण-एक) पन बिजली परियोजना के जनक अंग्रेज चीफ इंजीनियर कर्नल बी.सी. बैटी ने रखी थी। शानन पन बिजली परियोजना के निर्माण में विभिन्न धर्मों से जुड़े कर्मी कार्यरत रहे। कहा जाता है कि सभी धर्मों के प्रति आदर सद्भाव व्यक्त करने के लिये शानन पन बिजली परियोजना की आवासीय कॉलोनी में मंदिर, गुरूद्वारे, मस्जिद, चर्च इत्यादि स्थल भी बनाए गए। लेकिन इस आवासीय कॉलोनी में गुरूद्वारे के लिये अपर्याप्त जगह होने के चलते वर्तमान स्थल पर स्थापित गुरूद्वारे वाले स्थान पर ही कर्नल बी.सी. बैटी ने गुरू नानक जी के प्रकटोत्सव पर 9 नवम्बर, 1927 को इसकी नींव रखी थी। 
कहा जाता है कि कर्नल बी.सी. बैटी की सिख धर्म के प्रति भी गहरी आस्था थी तथा वे नियमित तौर पर सुबह-शाम गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया करते थे। यह भी कहा जाता है कि शानन परियोजना से जुड़े किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को प्रारंभ करने से पहले वे गुरूद्वारे में माथा टेकते व प्रसाद बांटते थे। जोगिन्दर नगर स्थित यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है।

जोगिन्दर नगर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव बाबा जगजीत सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गुरुद्वारे के बेहतर संचालन के लिये वर्ष 2001 में प्रबंधन कमेटी का गठन किया गया है। बाबा जगजीत सिंह बताते हैं कि पुराने गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार कर इसे बड़ा बनाया गया है। जोगिन्दर नगर के लोगों के आपसी सहयोग से लगातार गुरूद्वारे के विभिन्न निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होने बताया कि प्रति वर्ष इस गुरूद्वारे में गुरू नानक जी, गुरू गोबिंद सिंह जी, गुरू अजुऱ्न देव जी का शहीदी दिवस के साथ-साथ बैसाखी का भी पर्व मनाया जाता है। इसके अलावा प्रतिवर्ष 20 जुलाई को प्रकाश उत्सव भी बड़े हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया जाता है।

जोगिन्दर नगर को बसाने में कर्नल बैटी की रही है अहम भूमिका

जोगिन्दर नगर से पहले सकरोहटी नामक गांव जो बाद में जोगिन्दर नगर बना को प्रदेश व देश भर में ख्याति प्रदान करने तथा इस क्षेत्र को आगे ले जाने में कर्नल बी.सी. बैटी की अहम भूमिका रही है। कहा जाता है कि कर्नल बी.सी. बैटी ने वर्ष 1922 के आसपास तत्कालीन सकरोहटी गांव में बरोट की ऊंची पहाड़ी से पन बिजली परियोजना निर्मित करने की परिकल्पना की थी। बाद में वर्ष 1925 में मंडी रियासत के तत्कालीन राजा जोगिन्द्रसेन व भारत सरकार के मध्य पन बिजली परियोजना निर्माण को लेकर एक समझौता हुआ तथा बाद में सकरोहटी गांव का नामकरण भी राजा जोगिन्द्रसेन के नाम पर बदलकर जोगिन्दर नगर हुआ। इसके बाद कर्नल बी.सी. बैटी ने शानन पनबिजली परियोजना निर्माण के लिये पठानकोट से जोगिन्दर नगर (शानन) तक नैरो गेज रेलवे लाइन का निर्माण किया जिसे अब कांगड़ा घाटी रेलवे लाइन से जाना जाता है। साथ ही ब्रिटेन से आयातित मशीनरी को बरोट तक ले जाने के लिये हालीजे ट्राली का भी निर्माण करवाया जो पूरी दुनिया भर में एक अनूठी परिवहन सुविधा है। शानन के बाद ऊहल चरण दो (बस्सी) पन बिजली परियोजना के निर्माण के चलते जोगिन्दर नगर एक कस्बे के तौर पर ऊभर कर सामने आया। इसके बाद ऊहल चरण तीन चुल्ला परियोजना भी निर्मित की जा रही है जो अभी निर्माणाधीन है। 
ऐसे में जोगिन्दर नगर पन बिजली परियोजनाओं के चलते पूरे देश भर में बिजली उत्पादक शहर के तौर पर भी जाना जाने लगा। यही नहीं जोगिन्दर नगर कस्बा जब रेलवे लाइन से जुड़ा तो यह क्षेत्र व्यापारिक दृष्टि से भी एक अहम स्थान बन कर ऊभरा तथा बड़े पैमाने पर यहां से व्यापारिक गतिविधियां संचालित हुआ करती थीं।


Wednesday, 4 January 2023

स्वयं सहायता समूह संगठन की महिलाएं आंवला बर्फी व ढींगरी मशरूम का कर रही उत्पादन

 चौंतड़ा ब्लॉक में ग्राम संगठन समूह बनाकर महिलाओं ने बढ़ाए स्वरोजगार की ओर कदम

मंडी जिला के चौंतड़ा ब्लॉक में ग्रामीण महिलाओं ने ग्राम स्वयं सहायता समूह संगठन गठित कर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाए हैं। ग्रामीण महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आंवला बर्फी, ढ़ींगरी मशरूम, विभिन्न तरह के अचार, बैग इत्यादि का उत्पादन कर आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में आगे बढऩे का प्रयास कर रही हैं। वर्तमान में चौंतड़ा ब्लॉक में लगभग 45 स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं 6 ग्राम संगठन समूह बनाकर विभिन्न गतिविधियों से जुडक़र परिवार की आर्थिकी को सुदृढ़ करने का प्रयास कर रही हैं।
इन्ही ग्राम संगठन समूहों से जुड़ी महिलाएं आंवला बर्फी के साथ-साथ ढींगरी मशरूम का भी उत्पादन कर रही हैं। प्राकृतिक फल एवं विटामिन सी की प्रचुर मात्रा वाले आंवला से महिलाएं आंवला बर्फी का निर्माण कर रही हैं। यह आंवला बर्फी न केवल सेहत के लिए अच्छी है बल्कि आंवला रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का भी काम करता है। ऐसे में आंवला से तैयार हो रही यह बर्फी सेहतमंद तो है ही साथ ही खाने में भी बेहद स्वादिष्ट है।
जब इस बारे अन्नपूर्णा ग्राम संगठन समूह की सदस्य लीला देवी से बातचीत की उनका कहना है कि आंवला बर्फी परंपरागत मिठाई का एक बेहतरीन विकल्प है। पूरी तरह से प्राकृतिक फल आंवला से बनने वाली यह बर्फी एकदम प्राकृतिक एवं सेहतमंद है। इसके सेवन से शरीर में जहां विटामिन सी की कमी को दूर किया जा सकता है तो वहीं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में मदद मिलती है। आंवला बर्फी को तिल के तेल तथा देसी घी में दो तरह से तैयार किया जा रहा है तथा इसमें किसी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है। आंवला बर्फी को कई वर्षों तक बिना फ्रीज किये स्टोर किया जा सकता है तथा यह खराब नहीं होती है।
इसी तरह यही महिलाएं ढींगरी मशरूम का भी उत्पादन कर रही हैं। इसके लिए इन्होने अन्नपूर्णा आश्रम लदरूहीं में एक कमरा ले रखा है जहां पर ढींगरी मशरूम तैयार की जा रही है। ओम नमो शिवाय ग्राम संगठन समूह तलकेहड़ की सदस्य रजनी देवी का कहना है कि वर्तमान में 30 किलोग्राम ढ़ींगरी मशरूम के 150 बैग लगाए हैं तथा अब तक वे 20 किलोग्राम से अधिक ढींगरी मशरूम बेच चुकी हैं। वर्तमान यह ढींगरी मशरूम बाजार में 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है। ढींगरी मशरूम उत्पादन से ग्राम संगठन समूह की लगभग 10 से 15 महिलाएं जुड़ी हुई हैं तथा आगामी दो से तीन माह तक ढींगरी मशरूम का यह उत्पादन जारी रहेगा।
इसी ग्राम संगठन समूह से जुड़ी गीतांजलि कबाड़ वस्तुओं से सजावटी सामान को तैयार कर रही है। इसके अलावा इन्ही ग्राम संगठन समूह की महिलाओं ने दीपावली के अवसर पर गोबर के दीपक, कैंडल, तोरण इत्यादि भी तैयार किये थे। साथ ही कुछ महिलाएं बैग निर्माण, गर्म स्वेटर इत्यादि बनाने का भी कार्य कर रही हैं। ऐसे में हमारी ग्रामीण परिवेश की ये महिलाएं स्वरोजगार गतिविधियों से जुडक़र महिला सशक्तीकरण की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं।

तैयार उत्पाद को बेचने के लिये मार्केटिंग की है दरकार, बड़े स्तर पर निर्मित करेंगे उत्पाद

ग्राम संगठन समूह की महिलाओं का कहना है कि यदि उन्हे आंवला बर्फी, ढींगरी मशरूम, अचार इत्यादि को बेचने के लिए विपणन की अच्छी सुविधा मिले तो वे बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन कर सकती हैं। इससे न केवल उनके इन उत्पादों को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी बल्कि संगठन से जुड़ी महिलाओं की आमदनी में भी वृद्धि होगी।  

क्या कहते हैं अधिकारी:

एसडीएम जोगिन्दर नगर डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा का कहना है कि जोगिन्दर नगर उपमंडल में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं आर्थिकोपार्जन के लिए बेहतरीन गतिविधियां चला रही हैं। ऐसे में इन स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को एक बेहतरीन मंच मिले इस दिशा में जोगिन्दर नगर प्रशासन द्वारा आने वाले समय में हरसंभव मदद करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही इन्हे बेहतर प्रशिक्षण प्रदान कर उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने की दिशा में कार्य किया जाएगा ताकि हमारी ये ग्रामीण महिलाएं आर्थिक व सामाजिक तौर ज्यादा सशक्त हो सकें।














Tuesday, 3 January 2023

संगम स्वयं सहायता समूह संगठन बाग की महिलाएं स्वरोजगार से सुदृढ़ कर रही आर्थिकी

 सिलाई, कढ़ाई, आचार, चटनी, बैग इत्यादि निर्मित कर प्रतिमाह कमा रही 5-6 हजार रुपये

ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं विभिन्न स्वरोजगार गतिविधियों से जुडक़र न केवल आर्थिक तौर पर सशक्त हो रही हैं बल्कि समाज में दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करने का कार्य कर रही हैं। ऐसा ही एक स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा गठित संगम संगठन बाग तहसील लडभड़ोल उपमंडल जोगिन्दर नगर जिला मंडी है। इस संगठन के साथ जुड़े 9 स्वयं सहायता समूहों की लगभग 125 महिलाएं आर्थिकोपार्जन के लिए सिलाई, कढ़ाई, आचार, चटनी, बैग इत्यादि का निर्माण कर न केवल प्रतिमाह 5 से 6 हजार रूपये की आमदनी अर्जित कर पा रही हैं बल्कि समाज में स्वयं को स्थापित भी किया है।
जब इस बारे संगम स्वयं सहायता समूह संगठन बाग की प्रधान राज कुमारी से बातचीत की उनका कहना है कि संगम संगठन के अंतर्गत 9 स्वयं सहायता समूहों की लगभग 125 महिलाएं जुड़ी हुई हैं जो आर्थिकोपार्जन की विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रतिमाह 5-6 हजार रुपये की आमदनी अर्जित कर रही हैं। उनका कहना है कि महिलाएं गर्म स्वेटर, कोटी, जुराबें, परांदे इत्यादि बनाने के साथ-साथ विभिन्न तरह के अचार जैसे सूखे सेब, गल-गल, आंवला, आम इत्यादि तैयार कर रही हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न तरह के सजावटी सामान को भी तैयार किया जा रहा है।
राज कुमारी कहती है कि वर्तमान में खंड विकास कार्यालय परिसर चौंतड़ा में एक दुकान के माध्यम से संगठन की महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को बेचने का कार्य किया जा रहा है। गत दो से तीन माह के दौरान ही लगभग 50 हजार रुपये से अधिक की आमदनी अर्जित कर ली है। इसके अलावा महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को स्थानीय दुकानदार घरों से ही खरीदकर ले जा रहे हैं। जिससे तैयार माल को बेचने में उन्हे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही है।
संगम संगठन से जुड़ी लगभग 10 महिलाओं को मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना के माध्यम से प्रशिक्षित भी किया गया है तथा प्रशिक्षण प्राप्त करने पर प्रति महिला 9-9 हजार रुपये की राशि सरकार ने कौशल विकास भत्ता योजना के माध्यम से बतौर प्रोत्साहन राशि मुहैया करवाई है। जबकि बतौर प्रशिक्षक राजकुमारी को 22 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई है। इसके अलावा स्वयं सहायता समूहों को स्वरोजगार गतिविधियां शुरू करने के लिए खंड विकास कार्यालय के माध्यम से 15-15 हजार रुपये का रिवोल्विंग फंड भी प्राप्त हुआ है। साथ ही कच्चा माल खरीदने एवं संगठन की अन्य गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये 3 लाख रुपये का ऋण भी संगठन की महिलाओं ने लिया है।

क्या कहते हैं अधिकारी:

एसडीएम जोगिन्दर नगर डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा का कहना है कि जोगिन्दर नगर उपमंडल में कुछ स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं आर्थिकोपार्जन के लिए बेहतरीन गतिविधियां चला रही हैं। ऐसे में इन स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को एक बेहतरीन मंच मिले इस दिशा में जोगिन्दर नगर प्रशासन द्वारा आने वाले समय में हर संभव मदद करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं द्वारा स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से स्वरोजगार की दृष्टि विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जुडऩे पर सराहना की तथा कहा कि जोगिन्दर नगर प्रशासन इन्हे प्रशिक्षित करने की दिशा में मदद करेगा ताकि वे बेहतर कार्य कर सकें।