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Friday, 16 October 2020

अब गवेधुक की रोटी खाकर ही दूर हो जाएगा मोटापा, मंहगे चिकित्सा उपचार से मिलेगी मुक्ति

 भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर में औषधीय पौधे गवेधुक पर गुपचुप कर लिया शोध
मोटापे की समस्या से परेशान लोगों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। अब मोटापा कम करने को मंहगी दवाओं के साथ-साथ जटिल चिकित्सीय उपचार से जल्द छुटकारा मिलने वाला है। भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर के द्रव्य गुण एवं औषधीय पौध उत्कृष्ठता केंद्र ने एक ऐसे पौधे पर पिछले तीन वर्षों में गुपचुप सफलतापूर्वक शोध कर लिया है, जिसके आटे की रोटी खाकर न केवल मोटापे की समस्या से निजात पाई जा सकती है बल्कि शरीर में वसा की मात्रा को भी कम किया जा सकेगा। संस्थान के अन्वेषकों ने प्राचीन औषधीय पौधे गवेधुक पर शोध करने में यह बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है तथा निश्चित तौर पर भविष्य में इसके नतीजे मोटापे की समस्या से परेशान लोगों को बड़ी राहत प्रदान करने वाले साबित होंगे।
भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान के द्रव्य गुण एवं औषधीय पौध उत्कृष्ठता केंद्र के प्रधान अन्वेषक डॉ. पंकज पालसरा की अगुवाई में पिछले तीन वर्षों से प्राचीन औषधीय पौधे गवेधुक पर जोगिन्दर नगर में शोध कार्य किया गया है। पांच हजार वर्ष पुराने आयुर्वेद की चरक संहिता में इस पौधे का उल्लेख किया गया है। संस्थान में इस पौधे पर पिछले तीन वर्षों से लगातार कार्य करते हुए संस्थान के अन्वेषकों ने प्राकृतिक तौर पर इसकी फसल तैयार कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। इस शोध के कारण अब न केवल गवेधुक की खेती को किसान बड़े स्तर पर कर सकेगा बल्कि किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त साधन भी साबित हो सकता है। वास्तव में गवेधुक पौधे से चावल के आकार का दाना प्राप्त होता है जिसके आटे से रोटी बनाकर खाने से मोटापा जैसी गंभीर बीमारी से निजात पाई जा सकती है।
संस्थान ने गवेधुक से बनने वाली रोटी के लिए विशेष विधि भी तैयार की है जिसको अपनाकर न केवल प्रभावित व्यक्ति को मोटापे की समस्या से मुक्ति मिलेगी बल्कि भूख भी कम होगी। साथ ही संस्थान ने गवेधुक के कृषिकरण की तकनीक को भी विकसित कर लिया है। हर्बल गार्डन में पिछले तीन वर्षों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि औषधीय पौधा गवेधुक अब न केवल मोटापे की समस्या से लोगों को राहत प्रदान करेगा बल्कि मोटापा कम करने वाली दवाओं से होने वाले साइड इफेक्ट व जटिल चिकित्सीय उपचार से भी मुक्ति प्रदान करेगा।
गवेधुक की खेती 1500 मीटर की ऊंचाई पर मध्य हिमालयी क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है। गवेधुक मक्की की तरह एक वार्षिक फसल है जो 6 महीने में पककर तैयार हो जाती है। चावल के दाने के आकार वाले गवेधुक की रोटी बनाकर खाने से मोटापे जैसी समस्या से छुटकारा पाया जा सकेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी:
संस्थान में हुए इस शोध कार्य का खुलासा करते हुए राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन ने बताया कि औषधीय पौधे गवेधुक की कृषिकरण तकनीक विकसित करने में संस्थान ने कामयाबी हासिल कर ली है। उन्होने बताया कि दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान 1962 में स्थापित इस संस्थान का प्रमुख उद्देश्य भी हिमालयी क्षेत्र की प्राचीन वनौषधियों पर आयुर्वेद की दृष्टि से शोध कर उनका संरक्षण व संवर्धन करना है। उन्होने बताया कि चंबा जिला से संबंध रखने वाले जाने माने आयुर्वेदाचार्य डॉ. अनिरूद्ध शर्मा संस्थान के पहले प्रभारी रहे हैं जिनकी नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से हुई थी।
उन्होने कहा कि औषधीय पौधे गवेधुक की खेती से जुडऩे एवं अन्य तकनीकी जानकारी हासिल करने के लिए किसान नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर के कार्यालय से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।





Thursday, 8 October 2020

प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत चौंतड़ा ब्लॉक में 1683 महिलाएं लाभान्वित

योजना के तहत पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को मिलते हैं 6 हजार रूपये

पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को आर्थिकी के कारण दिक्कतों का सामना न करना पड़े इस दृष्टिकोण से गर्भवती महिलाओं की सहायता करने को सरकार ने प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना की शुरूआत की है। इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिला को पहले बच्चे के जन्म पर विभिन्न चरणों में औसतन 6 हजार रूपये प्रदान किये जाते हैं। जिसमें एक हजार रूपये की पहली किश्त गर्भवती महिला के पंजीकृत होने, दूसरी किश्त दो हजार रूपये पहला चेकअप करवाने पर, तीसरी किश्त एक हजार रूपये सरकारी अस्तपाल में प्रसव करवाने पर तथा चौथी किश्त दो हजार रूपये बच्चे के पहले चरण के टीकाकरण व जन्म पंजीकरण करवाने पर दी जाती है। इस योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है।

इसी योजना के अंतर्गत जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र के चौंतड़ा ब्लॉक में अब तक 1683 पात्र महिलाओं को लाभान्वित कर 72.23 लाख रूपये की राशि आवंटित की जा चुकी है। इस बारे बाल विकास परियोजना अधिकारी चौंतड़ा पूर्ण चंद से बातचीत की तो उन्होने बताया कि प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के तहत चौंतड़ा विकास खंड में अबतक 1683 पात्र गर्भवती व धात्री माताओं को लाभान्वित किया जा चुका है। उन्होने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में अबतक 226 पात्र महिलाओं को लाभान्वित कर 12.45 लाख रूपये की आर्थिक मदद सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में डाली जा चुकी है। इसी तरह गत वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 541 पात्र महिलाओं को लाभान्वित कर लगभग 23 लाख रूपये की आर्थिक मदद की जा चुकी है। उन्होने बताया कि यह योजना एक जनवरी, 2018 से शुरू हुई है तथा एक जनवरी 2016 से पात्र महिला लाभार्थियों को इस योजना का लाभ दिया गया है।

योजना को क्या है पात्रता की शर्तें

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य गर्भवती व धात्री माताओं में स्वस्थ रहने के आचरण में सुधार लाना व मजदूरी की क्षति का नकद प्रोत्साहन राशि के रूप में आंशिक क्षतिपूर्ति प्रदान करना है। सरकारी क्षेत्र में रोजगार पाने वाली गर्भवती व धात्री माताओं को छोडक़र अन्य सभी महिलाओं को पहले बच्चे के जन्म पर 6 हजार रूपये का आर्थिक लाभ प्रदान किया जाता है। जिसका भुगतान सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में किया जाता है।

कैसे करें आवेदन

योजना का लाभ प्राप्त करने को पात्र महिलाएं अपने आंगनबाडी कार्यकत्र्ता से संपर्क कर सकती हैं। गर्भधारण का पंजीकरण करवाने पर पात्र लाभार्थी को पहली किश्त के तौर पर एक हजार रूपये मिलेंगे इसके लिए उन्हे निर्धारित प्रपत्र एक-क को भरा जाएगा। प्रथम प्रसव पूर्व स्वास्थ्य जांच करवाने पर लाभार्थी को प्रपत्र एक-ख भरने पर दो हजार रूपये प्राप्त होंगे जबकि सरकारी अस्तपाल में प्रसव करवाने पर एक हजार रूपये तथा बच्चे के जन्म पंजीकरण करवाने एवं प्रथम टीकाकरण चक्र पूर्ण अगली किश्त के लिए प्रपत्र एक-ग भरने पर दो हजार रूपये मिलेंगे।

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता या आंगनबाडी पर्यवेक्षक या बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं।