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Saturday, 21 May 2016

श्री देई जी साहिबा मंदिर पांवटा साहिब

सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा स्थापित ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी पांवटा साहिब जहां बीते समय की कई महान घटनाओं को संजोए हुए है तो वहीं सर्वधर्म समभाव की एक मिशाल भी है। इस पवित्र धार्मिक नगरी में जहां विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं तो वहीं अपनी कई ऐतिहासिक यादों को भी संजोए हुए है। इन ऐतिहासिक यादों में से एक है-यमुना नदी के तट पर बना श्री देई जी साहिबा रघुनाथ मंदिर। यह ऐतिहासिक व प्राचीन मंदिर लगभग 125 वर्षों का इतिहास संजोए हुए है। 
श्री देई जी साहिबा मंदिर
जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 21 फरवरी 1889 ई0 को सिरमौर रियासत काल में रानी साहिबा कांगडा श्री देई जी साहिबा ने अपने भाई महाराजा शमशेर प्रकाश बहादुर जी0सी0एस0आई0 की मदद से अपने पति व लम्बागांव (कांगडा) के राजा प्रताप चन्द बहादुर की याद में करवाया था। यह रघुनाथ मंदिर महाराजा सिरमौर श्री शमशेर प्रकाश बहादुर द्वारा उनकी बहन के अनुरोध पर बनवाया था। राजकुमारी सिरमौर  जिसे प्यार व आदर से देई जी साहिबा पुकारा जाता था की शादी लम्बागांव (कांगडा) के राजा प्रताप चन्द बहादुर से हुई थी, परन्तु दुर्भाग्यवश देई जी साहिबा छोटी आयु में ही विधवा हो गई तथा वापिस सिरमौर आ गई थी। महाराजा सिरमौर ने इस मंदिर के साथ सराय का निर्माण भी करवाया था तथा मंदिर की व्यवस्था चलाने हेतू इसके साथ लगते तीन गांव जिनकी कुल भूमि 2400 बिघा थी मंदिर को दान स्वरुप दे दी थी। रियासत काल में बने इस मंदिर में भगवान श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण जी की मूर्तियां स्थापित है।
मंदिर की दिवारों पर कांगड़ा पेंटिग
 रघुनाथ मंदिर के साथ ही बजरंगबली श्री हनुमान जी तथा शिवजी के छोटे मंदिर भी स्थापित किए गए हैं। इस श्री देई जी साहिबा मंदिर की दिवारों पर कांगड़ा पेंटिग भी बनाई गई है, जो अब काफी पुरानी हो चुकी है। यही नहीं इस मंदिर के साथ ही एक यज्ञशाला भी बनवाई गई है जहां समय-समय पर यज्ञ भी किए जाते रहे हैं। साथ ही यमुना नदी के तट पर पुजारीघाट भी है। इस पुजारीघाट में एक प्राकृतिक जल स्त्रोत {चस्मां} भी है, जहां पर मंदिर के पुजारी रियासत काल से ही पूजा अर्चना से पहले स्नान करते रहे हैं।
सन 1989-90 में इस मंदिर का रखरखाव सरकार ने अपने अधीन ले लिया, जिसके अन्र्तगत एक न्यास गठित किया गया है। इस न्यास के आयुक्त, उपायुक्त सिरमौर, सह आयुक्त, एस0डी0एम0 पांवटा व मंदिर अधिकारी तहसीलदार पांवटा साहिब स्थाई नियुक्त किए गए हैं। इस न्यास में कुछ सरकारी व गैर सरकारी सदस्य भी 5-5 साल के लिए नियुक्त किए जाते रहे हैं। 
यमुना नदी व आसपास का विहंगम दृष्य
यह मन्दिर हिमाचल व उतराखण्ड को जोड़ने वाले यमुना पुल के साथ ही है। इस मंदिर के प्रांगण से जहां यमुना नदी व आसपास का विहंगम दृष्य देखा जा सकता है तो वहीं यहां आकर शहर की भागदौड़ भरी जिन्दगी से एक शान्ति का अनुभव भी होता है। इस मंदिर में पूजा पाठ के अलावा समय-2 पर धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ व भण्डारे आदि का आयोजन भी होता रहता है। इस तरह गुरु की नगरी पांवटा साहिब में यह मंदिर भी धार्मिक व ऐतिहासिक दृष्टि से अपना विषेश स्थान रखता है। 


(साभार: दिव्य हिमाचल 29 जून, 2013 को आस्था अंक में प्रकाशित)

 

Monday, 2 May 2016

मुख्य मंत्री राज्य स्वास्थ्य देखभाल योजना के तहत गंभीर बीमारी में पौने दो लाख तक का ईलाज फ्री

हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) की तर्ज पर राज्य स्वास्थ्य बीमा योजना बनाने वाला देश का एक अग्रणी राज्य बना है। इस योजना के तहत ऐसी 9 विभिन्न श्रेणीयों को शामिल किया गया है, जिन्हे स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने के लिए आरएसबीवाई के तहत नहीं लाया गया है। इस योजना के तहत आरएसबीवाई की तर्ज पर ही पात्र परिवार के पांच व्यक्तियों जिसमें परिवार का मुखिया, उसकी पत्नी तथा उन पर आश्रित तीन सदस्य शामिल है को इस योजना के तहत चिन्हित अस्पातलों व स्वास्थ्य संस्थानों में सामान्य बीमारी में भर्ती होने पर प्रति परिवार को प्रतिवर्ष अधिकत्तम तीस हजार रूपये जबकि गंभीर बीमारी में एक लाख पचहत्तर हजार रूपये तक का नि:शुल्क (कैशलेस) ईलाज की सुविधा मिलेगी। यह योजना शतप्रतिशत राज्य सरकार द्वारा पोषित है।
मुख्य मंत्री राज्य स्वास्थ्य देखभाल योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्ति को मात्र तीस रूपये शुल्क अदा कर स्मार्ट कार्ड मुहैया करवाया जाएगा। जिसके तहत लाभान्वित होने वाले परिवार को इस स्मार्ट कार्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चिन्हित किसी भी अस्पताल में ईलाज करवाने पर मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधा का नि:शुल्क लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त यदि पात्र परिवार के स्मार्ट कार्ड में किसी भी सदस्य का नाम हटाना या जोडना है तो लाभार्थी बीमा कम्पनी द्वारा स्थापित जिला कियोस्क जो कि प्रत्येक जिले के क्षेत्रीय अस्पताल में स्थापित है में जाकर परिवर्तन करा सकता है। इसके अतिक्ति राज्य स्तर पर आईजीएमसी शिमला और आरपी मेडिकल कॉलेज एंव अस्पताल टांडा कांगडा में भी यह सुविधा उपलब्ध है। 
किन्हे मिलेगा इस योजना का लाभ:
इस योजना का लाभ प्रदेश सरकार द्वारा चिन्हित 9 विभिन्न वर्गों जिसमें 80 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक, एकल महिलाएं, विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों, बोर्डो इत्यादि में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी व अंशकालिक कर्मचारी, आंगनवाडी वर्कर व हैल्पर, मिड-डे-मील वर्कर, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, निगमों, बोर्डों इत्यादि में अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारी एवं 70 प्रतिशत से अधिक असक्षमता वाले व्यक्ति पात्र हैं। इस योजना के तहत प्रदेश के लगभग दो लाख परिवार लाभान्वित होंगें।
किन अस्पतालों में मिलेगी यह सुविधा:
इस योजना के तहत सामान्य बीमारी होने पर प्रदेश के 174 अस्पतालों को चिन्हित किया गया है, जिसमें जिला ऊना में यह सुविधा क्षेत्रीय अस्पताल ऊना, सिविल अस्पताल चिंतपूर्णी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अंब, हरोली, दौलतपुर, गगरेट, बंगाणा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अम्लैहड, थानाकलां, जिला आयुर्वेदिक अस्पताल ऊना, आयुर्वेदिक अस्पताल ईसपुर, नंदा अस्पताल एवं चौहान आई अस्पताल ऊना में उपलब्ध है। जबकि किसी भी गंभीर बीमारी के दौरान यह सुविधा आईजीएमसी शिमला, आरपी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा कांगडा तथा पीजीआई चंडीगढ़ शामिल है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
जिला स्वास्थ्य अधिकारी ऊना डॉ0 निखिल शर्मा का कहना है कि इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए जिला के पात्र व्यक्ति निर्धारित प्रपत्र पर मांगी संपूर्ण जानकारी के साथ-साथ अपनी पहचान का प्रमाण पत्र जिसमें आधार कार्ड, वोटर कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, अक्षमता प्रमाण पत्र, एकल महिला प्रमाण पत्र, दसवीं पास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, राशन कार्ड इत्यादि शामिल है कि प्रति सलंग्ति कर तथा सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी, पार्ट टाईम वर्कर व अनुबंध कर्मचारी, आंगनवाडी कार्यकत्र्ता व हेल्पर, मिड डे मील वर्कर अपने फॉर्म को सबंधित विभाग से सत्यापित करवाकर प्रस्तुत कर सकते हैं। इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पात्र व्यक्ति जिला प्रोजैक्ट कॉर्डिनेटर दीपक चब्बा के मोबाइल नम्बर-9882487364 पर संपर्क कर सकते हैं।