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Tuesday, 22 October 2019

मुख्य मंत्री आवास योजना के तहत दो वर्षों में चौंतड़ा ब्लॉक में 63 मकान स्वीकृत

मुख्य मंत्री आवास योजना के तहत बीपीएल परिवार को मकान बनाने को मिलते हैं 1.30 लाख रूपये
आपदा ग्रस्त परिवार को पुन: मकान निर्माण को मिलते हैं दो लाख, रिपेयर को मिलते हैं 25 हजार रूपये
चौंतड़ा विकास खंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत कथौण के गांव कथौण की मंजु देवी पत्नी विनोद कुमार, ग्राम पंचायत तकलेहड़ के गांव मचकेहड़ की रविता देवी पत्नी अनिल कुमार, ग्राम पंचायत तुलाह के कोठी गांव की तंबो देवी पत्नि मंगलदास, ग्राम पंचायत भड़ोल के डिब्बडिआऊं गांव के जोगिन्द्र सिंह, ग्राम पंचायत मैन भरोला के गांव आडू की सरोजा कुमारी जैसे कई ऐसे परिवार हैं जिनके लिए सरकार की मुख्य मंत्री आवास योजना अपना आशियाना बनाने में सहारा बनकर आई है। बीपीएल परिवार में शामिल इन सभी परिवारों को सरकार की ओर से मुख्य मंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए सरकार ने एक लाख 30 हजार रूपये की आर्थिक मदद की है। 
चौंतड़ा विकास खंड की बात करें तो गत दो वर्षों के दौरान मुख्य मंत्री आवास योजना के तहत कुल 63 परिवारों को मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिनमें से वर्ष 2017-18 में 28 जबकि बर्ष 2018-19 में 35 मकान शामिल हैं। 
किन्हे मिलता है इस योजना का लाभ
मुख्य मंत्री आवास योजना का प्रमुख उदद्ेश्य निर्धन परिवारों को गृह निर्माण हेतु तथा प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त मकानों के पुन: निर्माण हेतु सहायता प्रदान करना है। प्राकृतिक आपदा के कारण क्षतिग्रस्त मकान के पुन: निर्माण हेतु दी जाने वाले सहायता राशि के लिए बीपीएल श्रेणी की शर्त लागू नहीं होगी। नए निर्मित मकान का क्षेत्रफल कम से कम 25 वर्ग मीटर होना चाहिए। इस योजना के तहत मकान केवल महिलाओं के नाम पर ही स्वीकृत किए जाने का प्रावधान है। परिवार में महिला न होने की स्थिति में ही मकान पुरूष के नाम स्वीकृत होगा। मकान का निर्माण लाभार्थी द्वारा स्वयं किया जाएगा।
कैसे होता है पात्रों का चयन
इस योजना के तहत ग्राम सभा लाभार्थियों की सूची तैयार करती है तथा बीपीएल सूची में कल्याण व स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रमाणित शारीरिक व मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों वाला परिवार, सशस्त्र कार्रवाई में मारे गए सेना, अर्धसैनिक बलों व पुलिस बल कर्मियों की विधवाओं, कुष्ठ या कैंसर रोग से पीडि़त सदस्य वाला परिवार, एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति, एकल नारी इत्यादि को प्राथमिकता प्रदान करने का प्रावधान है। लाभार्थी को योजना के तहत धनराशि का आवंटन सीधे आरटीजीएस के माध्यम से बैंक खाते में तीन किस्तों में किया जाता है। जिनमें पहली किस्त  65 हजार, दूसरी किस्त 35 हजार जबकि तीसरी किस्त 30 हजार रूपये की मिलती है।
आपदा ग्रस्त परिवारों के लिए किया गया है विशेष प्रावधान
मुख्य मंत्री आवास योजना के अंतर्गत कुल आबंटित धनराशि में से पांच प्रतिशत राशि आपदा ग्रस्त परिवारों के लिए सुरक्षित रखने का प्रावधान किया गया है। जिसमें बर्फ, बारिश, बाढ़, बादल फटने, आसमानी बिजली गिरने, आग व भूकंप इत्यादि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों को शामिल किया गया है। प्राकृतिक आपदा से प्रभावित परिवार का बीपीएल सूची में शामिल होना अनिवार्य नहीं है। साथ ही यदि आपदा ग्रस्त परिवार ने पहले ही केंद्र या राज्य सरकार की आवसीय योजनाओं का लाभ प्राप्त किया हो तो भी वह पुन: आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है। आपदा प्रभावित परिवार को 2 लाख रूपये की राशि को दो किस्तों क्रमश: एक लाख 20 हजार तथा 80 हजार की दर से प्रदान करने का प्रावधान है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी चौंतड़ा राजेश्वर भाटिया का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में मुख्य मंत्री आवास योजना के अंतर्गत 35 गरीब परिवारों को मकान बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिनमें से 25 गैर योजना तथा 10 योजना मद में शामिल हैं। उन्होने बताया कि इस योजना के अंतर्गत मकान बनाने को सरकार एक लाख 30 हजार रूपये तक की आर्थिक मदद करती है। इसके अलावा मकान की रिपेयर करने को 25 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने का भी प्रावधान है। इस योजना के तहत सरकार ने आपदा प्रभावित मकानों के पुन: निर्माण के लिए विशेष व्यवस्था का भी प्रावधान किया है।






Wednesday, 16 October 2019

जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की खेती को सरकार दे रही बढ़ावा

राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना के अंतर्गत सरकार प्रति हैक्टेयर दे रही है वित्तीय सहायता
राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना के अंतर्गत जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार आर्थिक मदद प्रदान कर रही है। देश भर में 140 औषधीय पौधों की प्रजातियों की खेती को प्राथमिकता दी जा रही है।
जिनमें से वर्तमान में सरकार चयनित 7 औषधीय पौधों अतीस, कुटकी, कुठ, सुगन्धबाला, अश्वगंधा, सर्पगंधा तथा तुलसी की खेती को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत सरकार की ओर से औषधीय पौधों की खेती के लिए वित्तीय सहायता का लाभ ऐसे किसान सामूहिक तौर पर उठा सकते हैं जिनके पास 2 हैक्टेयर भूमि उपलब्ध हो। 15 किलीमीटर के दायरे में रहने वाले तीन गांव के किसान भी एक समूह या क्लस्टर बनाकर औषधीय खेती के लिए सरकारी अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा रैहन रखी हुई भूमि पर भी औषधीय खेती की जा सकती है।
क्या है आर्थिक मदद का पैमाना
औषधीय पौधों की खेती को सरकार प्रति हैक्टेयर की दर से वित्तीय मदद प्रदान कर रही है। अतीस की खेती को प्रति हैक्टेयर 1,20,785 रूपये की दर से 20 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर कुल 24.157 लाख रूपये की मदद ली जा सकती है जबकि कुटकी की खेती को प्रति हैक्टेयर 1,23,530 रूपये की दर से 26.5 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर कुल 32.735 लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता सरकार प्रदान कर रही है। कुठ की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार प्रति हैक्टेयर 96080 रूपये की दर से 18 हैक्टेयर तक 17.294 लाख रूपये जबकि सुगन्धबाला की औषधीय खेती को प्रति हैक्टेयर 43,925 की दर से 20 हैक्टेयर क्षेत्रफल को 8.785 लाख रूपये तक की आर्थिक मदद सरकार की ओर से दी जा रही है। इतना ही नहीं जहां अश्वगंधा की खेती को प्रति हैक्टेयर 10,977 रूपये की दर से 2 हैक्टेयर तक 21 हजार 9सौ रूपये तो वहीं सर्पगंधा की खेती को 45 हजार 742 रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से 7 हैक्टेयर क्षेत्रफल तक 3.202 लाख रूपये तक की वित्तीय मदद सरकार कर रही है। इसके अतिरिक्त तुलसी की खेती को सरकार 13, 171 रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से 7 हैक्टेयर तक 92 हजार रूपये तक की आर्थिक मदद मिल रही है।
आवेदन करने को क्या हैं औपचारिकताएं
औषधीय व जड़ी-बूटियों की खेती प्रारंभ करने के लिए किसान को आवश्यक दस्तावेजों के साथ जिला आयुर्वेदिक अधिकारी को आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र में वित्तीय सहायता प्राप्ति के लिए खेती को उपलब्ध भूमि व किस प्रजाति की औषधीय खेती की जानी है, क्लस्टर में शामिल होने वाले प्रत्येक किसान की भूमि की स्थिति खसरा नम्बर सहित संबंधित जानकारी पटवारी से सत्यापित होनी चाहिए। औषधीय खेती को उपलब्ध खाली भूमि का राजस्व पत्र, पते व विवरण सहित क्लस्टर में शामिल किसानों का संयुक्त आवेदन, स्टांप पेपर पर यह हल्फनामा देना होगा कि सरकार या अन्य किसी एजैंसी से कोई अनुदान नहीं लिया है। साथ ही किसान को इस बात का भी शपथ पत्र देना होगा कि वह औषधीय पौधों की खेती को अनुमोदित भूमि का प्रयोग करेगा। इसके अलावा संबंधित पंचायत का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी देना होगा। प्राप्त आवेदन पत्रों की उचित सत्यापन करने के उपरान्त मामले को स्वीकृति हेतु राज्य औषधीय पादप बोर्ड को भेजा जाएगा।
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने जिला के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी या राज्य औषधीय पादप बोर्ड शिमला के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र जोगिन्दर नगर या अनुसंधान संस्थान आईएसएम जोगिन्दर नगर जिला मंडी के कार्यालयों से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा वैबसाइट www.ayurveda.hp.gov.in से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत, जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन का कहना है कि सरकार राज्य औषधीय पादप बोर्ड के माध्यम से औषधीय पौधों व जड़ी बूटियों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान में चयनित सात औषधीय पौधों अतीस, कुटकी, कुठ, सुगन्धबाला, अश्वगंधा, सर्पगंधा तथा तुलसी पर प्रति हैक्टेयर की दर से वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। उन्होने किसानों से व्यक्तिगत या सामूहिक तौर पर अनुकूल जलवायु के तहत औषधीय खेती अपनाने का आहवान किया है ताकि अतिरिक्त आय का एक नया साधन सृजित कर उनकी आर्थिकी को मजबूती प्रदान की जा सके।