गत दिनों हिमाचल प्रदेश के नवनिवार्चित मुख्य मंत्री श्री जय राम ठाकुर ने सरकारी नौकरी के चाहवान युवाओं से सरकारी कार्य संस्कृति के प्रति अपनी सोच को बदलने तथा कर्मचारियों से प्रदेश के विकास व आम जनमानस के उत्थान व कल्याण के प्रति डटकर कार्य करने का आहवान किया है। उनके इस कथन का उदेश्य यही कहा जा सकता है कि सरकारी कार्यालयों को वर्तमान समय की चुनौतियों को देखते हुए जहां अपनी कार्य संस्कृति में व्यापक बदलाव लाना होगा तो वहीं प्रात: 10 से 5 बजे की कार्य संस्कृति को त्याग कर 24 घंटे सातों दिन काम करने को प्राथमिकता देनी होगी। ऐसे में भले ही बदलते दौर के साथ-साथ रोजगार व स्वरोजगार के क्षेत्रों का दायरा बढ़ा है लेकिन विश्व की खुली अर्थव्यवस्था एवं रोजगार की अपार संभावनाओं के बीच भी युवाओं में सरकारी नौकरी हासिल करना अभी भी पहली प्राथमिकता में शुमार रहता है। लेकिन तेजी से बदलती दुनिया व प्रतिस्पर्धा के इस युग में सरकारी नौकरी के चाहवान युवाओं के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों को भी अपने दृष्टिकोण में व्यापक बदलाव लाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
रोजगार की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश की बात करें तो सरकारी नौकरी रोजगार का सबसे बड़ा जरिया माना जाता है। ऐसे में कोई दोराय नहीं है कि आज हिमाचल प्रदेश में जनसंख्या के आधार पर सरकारी कर्मचारियों का अनुपात देश के अन्य राज्यों के मुकाबले भी कहीं अधिक है। लेकिन अब प्रश्न यह उठ रहा है कि प्रतिभावान, उच्च शिक्षित एवं विभिन्न कौशलों व व्यवसायों में पारंगत युवा सरकारी नौकरियों के प्रति इतने लालायित क्यों रहते हैं? क्या सरकारी नौकरी निजि व कारपोरेट सैक्टर के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित व फायदेमंद रहती है? या फिर ऐसा तो नहीं कि सरकारी नौकरी में न तो कार्य करने का झंझट, न ही जनता व कार्य के प्रति कोई जबावदेही?
ऐसे में वास्तविकता के धरातल पर देखें तो सरकारी नौकरी मिलने पर न केवल व्यक्ति व उसके परिवार का भविष्य सुरक्षित हो जाता है बल्कि आर्थिक लाभ व पदोन्नति भी समय-समय पर मिलने सुनिश्चित ही होते हैं। जहां तक नीजि व कॉरपोरेट सैक्टर की बात है तो देश व दुनिया में न केवल कर्मचारियों में एक प्रतिस्पर्धा की भावना रहती है बल्कि उनके पदोन्नति, वेतन, भत्ते व अन्य तमाम सुविधाएं उनके द्वारा अर्जित लक्ष्यों व लाभों पर ही निर्भर रहते हैं। साथ ही वर्तमान जरूरतों के आधार पर व्यावसायिक दक्षता पर ज्यादा जोर रहता है। लेकिन इसके उल्ट सरकारी क्षेत्र में न तो समय-समय पर आपको व्यावसायिक दक्षता को अपग्रेड करने का दबाव व बाध्यता रहती है न ही योग्यता, क्षमता व तय लक्ष्यों की पूर्ति न होने पर भी नौकरी के लिए कोई संकट रहता है।
लेकिन इन्ही प्रश्नों व जज्बातों के बीच प्रदेश के युवा व नवनिर्वाचित मुख्य मंत्री ने सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों से न केवल प्रदेश व लोगों के विकास के लिए अधिक समय कार्य करने पर जोर दिया है बल्कि सरकारी नौकरियों की आस लगाए बैठे युवाओं के लिए भी यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि सरकारी नौकरी में आने से पहले उन्हे अपने मन से सरकारी कार्य संस्कृति के प्रति सोच बदलनी होगी। ऐसे में प्रदेश के मुखिया का सरकारी नौकरी के प्रति इस तरह का नजरिया न केवल सरकारी कार्यालयों की कार्य संस्कृति को ज्यादा चुस्त, दुरूस्त व दक्ष बनाएगा बल्कि प्रदेश में सरकारी कार्यालयों के प्रति समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा जो न केवल प्रदेश की जनता के हित में होगा बल्कि इससे सरकार की योजनाओं व कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन को भी बल मिलेगा।
ऐसे में हिमाचल प्रदेश में सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो आज प्रदेश में लगभग तीन लाख के आसपास अधिकारी व कर्मचारी हैं जिन पर प्रदेश के बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा उनके वेतन, भत्तों सहित अन्य सुविधाओं पर खर्च होता है। लेकिन ऐसे में अब प्रश्न यह उठ रहा है कि क्या प्रदेश के विकास में सरकारी कर्मचारियों का कोई योगदान नहीं रहता है? परन्तु ऐसा नहीं है बल्कि प्रदेश में समय-समय पर सत्तासीन रही लोकप्रिय सरकारों ने आज हिमाचल प्रदेश को विकास की बुलंदियों तक पहुंचाया है तो इसमें भी प्रदेश के कर्मचारियों का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है। वास्तव में प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं व नीतियों को सबसे निचले स्तर व पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाने में सरकारी विभागों व कर्मचारियों की एक बहुत बड़ी भूमिका रहती है। जिसे प्रदेश के कर्मचारियों ने हिमाचल के गठन से लेकर अब तक इसे बखूवी निभाया भी है।
लेकिन बदलते वक्त के साथ-साथ 21वीं सदी की नवीन चुनौतियों एवं जनआंकाक्षाओं की समयबद्ध पूर्ति करने का न केवल सरकारों पर दबाव बढ़ा है बल्कि बेहतर, उच्च गुणवत्तायुक्त, समयबद्ध तथा त्वरित सुविधाएं व सेवाओं की मांग भी तेजी से बढ़ी है। ऐसे में प्रदेश के कर्मचारियों को न केवल समय की बदलती जरूरतों व अपेक्षाओं के आधार पर अपनी कार्य संस्कृति में ज्यादा निखार लाना होगा बल्कि कार्यकुशलता में ज्यादा दक्षता हासिल करने के लिए अपने व्यावसायिक कौशलों एवं व्यवहारिक कार्य संस्कृति को भी ज्यादा मजबूती प्रदान करने की जरूरत है। साथ ही प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी के कौशलों एवं व्यावसायिक दक्षता में भी वृद्धि हो इस पर भी व्यक्ति विशेष को ध्यान देने की जरूरत महसूस हो रही है। इसके अतिरिक्त जहां बेहतर कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने पर बल देना होगा तो वहीं सरकारी कार्यालयों में टीम वर्क के साथ-साथ सकारात्मक उर्जा से ओत-प्रोत प्रतिस्पर्धा की भावना को भी विकसित करना होगा।
ऐसे में नि:संदेह प्रदेश के मुखिया द्वारा सरकारी कार्य संस्कृति को बेहतर बनाने के लिए कर्मचारियों एवं सरकारी सेवा में आने की चाह रखने वाले युवाओं से किया गया आहवान न केवल कर्मचारियों व अधिकारियों में कार्यालयों की कार्यसंस्कृति को बेहतर बनाने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धात्मक माहौल को विकसित करेगा बल्कि इससे सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं व नितियां आम जन तक आसानी से पहुंचे इसे भी बल मिलेगा।
(साभार: दैनिक आपका फैसला 6 जनवरी, 2018 एवं दैनिक न्याय सेतु 11 जनवरी, 2018 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)
(साभार: दैनिक आपका फैसला 6 जनवरी, 2018 एवं दैनिक न्याय सेतु 11 जनवरी, 2018 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)