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Saturday, 18 November 2023

दो विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ेगा ब्यास नदी पर बन रहा कोठी पत्तन पुल, आवागमन होगा सुगम

स्टील ट्रस तकनीक से बन रहा है 160 मीटर लंबा डबल लेन पुल, एक साथ गुजर सकेंगे दो बड़े वाहन

पुल निर्माण पर 20 करोड़ रुपये की धनराशि हो रही है व्यय, जून 2024 तक पूरा होगा काम

मंडी जिला के जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कोठी पत्तन (लडभड़ोल) तथा धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत सिद्धपुर के समीप निर्माणाधीन ब्यास नदी के ऊपर कोठी पत्तन पुल का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस पुल के निर्मित हो जाने से न केवल जोगिन्दर नगर व धर्मपुर विधानसभा क्षेत्रों के हजारों लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा सुनिश्चित होगी बल्कि दोनों विधानसभा क्षेत्रों के कई गांवों के बीच दूरी का फासला भी कम हो जाएगा। ब्यास नदी पर लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हो रहे इस महत्वपूर्ण पुल का कार्य प्रगति पर है तथा जून, 2024 तक यह पुल वाहनों के आवागमन के लिए पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा।
ब्यास नदी पर कोठी पत्तन (लडभड़ोल) में निर्मित किये जा रहे इस पुल के पूरी तरह बनकर तैयार हो जाने से जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र के लडभड़ोल क्षेत्र सहित धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को चंडीगढ़, दिल्ली सहित सरकाघाट, हमीरपुर, धर्मपुर, बैजनाथ, पालमपुर, धर्मशाला सहित प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के बीच आने जाने का फासला कम हो जाएगा। इससे न केवल यहां के लोगों के धन की बचत होगी बल्कि आवागमन में समय भी कम हो जाएगा।

स्टील ट्रस तकनीक से बन रहा है 160 मीटर लंबा डबल लेन पुल, एक साथ गुजर सकेंगे दो बड़े वाहन
स्टील ट्रस तकनीक के आधार पर निर्मित हो रहा डबल लेन कोठी पतन पुल की कुल लंबाई 160 मीटर होगी। इस पुल पर एक समय पर दो बड़े वाहन आसानी से आ जा सकेंगे।
वर्तमान में नाव ही है आवागमन का एकमात्र सहारा, बरसात में तय करना पड़ता है लंबा सफर 
वर्तमान समय में ब्यास नदी के दोनों ओर धर्मपुर व जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्रों में बसे हजारों लोगों को आवागमन के लिए कोठी पत्तन में नाव का ही एकमात्र सहारा है। बरसात के दौरान ब्यास नदी में जलस्तर बढ़ने से नाव का संपर्क भी टूट जाता है। ऐसे में ब्यास नदी के दोनों ओर के इन हजारों लोगों को आने जाने में बड़ी असुविधा होती है तथा 15-20 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ता है। लेकिन अब इस पुल के निर्मित हो जाने पर जहां देश व प्रदेश के बड़े शहरों के बीच लगभग तीन से चार घंटे का सफर कम होगा तो वहीं लडभड़ोल व धर्मपुर क्षेत्र के लोगों को आवागमन के लिए तय होने वाला लंबा सफर अब महज कुछ ही मिनटों का रह जाएगा।
इसके अतिरिक्त जोगिन्दर नगर के लडभड़ोल व धर्मपुर क्षेत्रों के मध्य लोगों की काफी रिश्तेदारी भी है। ऐसे में दोनों ओर के लोगों को विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों में भाग लेने में भी सुविधा होगी तथा आवागमन सुगम होने से सामाजिक रिश्ते ओर भी मजबूत होंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस बात की पुष्टि करते हुए अधिशाषी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग धर्मपुर *विवेक शर्मा* ने बताया कि ब्यास नदी पर कोठी पत्तन में निर्मित हो रहे 160 मीटर लंबे (स्टील ट्रस) पुल का निर्माण कार्य जारी है तथा जून, 2024 तक इसे पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होने बताया कि इस डबल लेन पुल के निर्माण कार्य पर लगभग 20 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय हो रही है। DOP 18/11/2023











Friday, 17 November 2023

मार्च, 2024 तक पूरा होगा मच्छयाल पुल का निर्माण कार्य,आवागमन होगा सुगम

 जोगिन्दर नगर-सरकाघाट-घुमारवीं सडक़ पर आठ करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रहा है पुल

बो स्ट्रिंग आर्क शैली में बन रहा अपनी तरह का एक अनूठा पुल, मच्छयाल में पर्यटन गतिविधियों को मिलेगा बल
मंडी जिला के जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत प्रमुख धार्मिक स्थान मच्छयाल में राणा खड्ड पर निर्मित हो रहा पुल का निर्माण कार्य आगामी मार्च 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर जोगिन्दर नगर-सरकाघाट-घुमारवीं सडक़ पर वाहनों का आवागमन बेहतर व सुगम होगा। बो स्ट्रिंग आर्क शैली में बन रहा यह पुल अपनी तरह का एक अलग पुल है तथा इसका कार्य पूर्ण होने पर प्रमुख धार्मिक स्थल मच्छयाल में धार्मिक पर्यटन गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
राणा खड्ड पर निर्मित हो रहे इस पुल पर लगभग आठ करोड़ रूपये की धनराशि व्यय की जा रही है। वर्तमान में इस पुल का लगभग 75 से 80 फीसदी तक का कार्य पूरा कर लिया गया है। शेष बचे कार्य को भी जल्द पूरा कर इसे मार्च, 2024 तक लोगों को समर्पित करने का लक्ष्य रखा गया है।  
मच्छयाल में राणा खड्ड पर बन रहा यह 40 मीटर स्पैन बो स्ट्रिंग आर्क पुल डबललेन है। इस पुल के बन जाने से इस मार्ग पर भारी व माल वाहक वाहनों की आवाजाही भी आसानी से शुरू होने पर जोगिन्दर नगर-सरकाघाट-घुमारवीं सडक़ के दोनों और की लाखों आबादी लाभान्वित होगी।
मच्छयाल जोगिन्दर नगर क्षेत्र का एक प्रमुख धार्मिक व पर्यटक स्थल भी हैं। यहां प्रतिवर्ष लाखों लोग बाबा मछिंद्रनाथ के दर्शनार्थ यहां पहुंचते हैं। मच्छयाल पर्यटक स्थल की महत्ता इसी से पता चलती है कि यहां पर दो बार हिंदी फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। इस पवित्र धार्मिक स्थान को देखने व जानने के लिए प्रतिवर्ष कई विदेशी सैलानी भी यहां पहुंचते हैं। पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर मच्छयाल आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों को भी लाभ मिलेगा तथा इस क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
इसके अतिरिक्त मच्छयाल में ही राणा खड्ड पर शनि देव मंदिर तथा मछिंद्रनाथ मंदिर को जोडऩे के लिए 50 लाख रूपये की लागत से एक फुट ब्रिज का भी निर्माण किया जा रहा है। लगभग साढ़े 27 मीटर लंबे इस पुल के बन जाने से भी मच्छयाल आने वाले श्रद्धालुओं को ओर अधिक सुविधा मिलेगी।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस बात की पुष्टि करते हुए अधिशाषी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग जोगिन्दर नगर जे.पी. नायक ने बताया कि जोगिन्दर नगर-सरकाघाट-घुमारवीं मुख्य सडक़ पर मच्छयाल स्थित राणा खड्ड पर निर्मित हो रहे 40 मीटर लंबे बो स्ट्रिंग आर्क डबललेन स्पैन पुल का वर्तमान में लगभग 80 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। इस पुल के निर्माण कार्य को मार्च, 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होने बताया कि इस डबल लेन पुल के दोनों ओर पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ भी निर्मित हो रहा है। इस पुल के निर्माण कार्य पर लगभग आठ करोड़ रूपये की धनराशि व्यय हो रही है जिसमें वाहनों की आवाजाही को सुचारू बनाए रखने के लिए निर्मित अस्थाई वैली ब्रिज भी शामिल है। इसके अलावा मच्छयाल धार्मिक स्थान में ही लगभग 50 लाख रूपये की लागत से फुट ब्रिज का भी निर्माण किया जा रहा है जिसे भी जल्द लोगों को समर्पित किया जाएगा। DOP 15/11/2023








मझारनु के डुमणु राम के लिए कृषि व बागवानी बना है रोजगार का जरिया

 73 वर्ष की आयु में भी खेती बाड़ी से कमा रहे हैं आजीविका ,जोगिन्दर नगर बाजार में आकर बेचते हैं उत्पाद

जोगिंदर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत नेर घरवासड़ा के गांव मझारनु निवासी 73 वर्षीय डुमणु राम के लिए कृषि व बागवानी रोजगार का जरिया बना हुआ है। डुमणु राम प्रतिदिन अपने खेतों व पुश्तैनी जमीन से तैयार विभिन्न तरह के कृषि व बागवानी उत्पादों को प्रतिदिन जोगिंदर नगर बाजार में लाकर बेचते हैं, इससे उन्हें प्रतिदिन आजीविका चलाने योग्य आय अर्जित हो जाती है।
जब इस संबंध में डुमणु राम से बातचीत की तो उनका कहना है कि जीवन के शुरूआती दौर से ही वे देश व प्रदेश के बाहर विभिन्न स्थानों पर रेहड़ी-फड़ी लगाकर फल इत्यादि बेचकर अपनी आजीविका कमाते आ रहे थे। इस बीच उम्र बढ़ने के साथ-साथ पारिवारिक दायित्वों को निभाने के चलते वे वापिस घर आए तथा पुश्तैनी जमीन में कृषि व बागवानी करना शुरू कर दिया। जंगली जानवरों के आतंक के चलते शुरूआती दौर में उन्हे कृषि व बागवानी घाटे का सौदा साबित होने लगी। फिर वर्ष 2018-19 में कृषि विभाग के माध्यम से मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना की जानकारी मिली तथा लगभग पांच-छह बीघा जमीन में सोलर युक्त बाड़बंदी को लगाया। बाड़बंदी होने से उन्हे जंगली जानवरों से काफी राहत मिली, लेकिन पिछले दो वर्षों से उनकी सोलर युक्त बाड़बंदी ठीक से काम नहीं कर रही है। ऐसे में वर्तमान में भले ही सोलर युक्त बाड़बंदी का उन्हे बेहतर लाभ नहीं मिल रहा है, बावजूद इसके वे लगातार कृषि व बागवानी कर रहे हैं।
डुमणु राम का कहना है कि वर्तमान में उन्होंने अमरूद, प्लम, जापानी फल, अनार, आड़ू, नाख, नाशपती, गलगल, नींबू, जामुन इत्यादि फलदार पौधों को लगाया है। इसके साथ-साथ वे साग, घीया, कद्दू, करेले इत्यादि सब्जियों का भी उत्पादन करते हैं। उनका कहना है कि जब-जब ये फल व सब्जियां पककर तैयार होती हैं तो वे इन्हें जोगिंदर नगर बाजार में आकर स्वयं बेचते हैं। जिससे उन्हे रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने योग्य आय हो जाती है। साथ ही लोगों को भी प्राकृतिक तौर पर शुद्ध व कम दाम में गुणवत्ता युक्त फल व सब्जियां मिल जाती हैं। इस तरह डुमणु राम के लिए आज भी कृषि व बागवानी आय का एक महत्वपूर्ण जरिया बना हुआ है।
डुमणु राम का कहना है कि आज के दौर में जहां अधिकतर किसान बंदरों एवं अन्य जंगली जानवरों के आतंक का बहाना बनाकर कृषि व बागवानी को छोड़ रहे हैं तो वहीं आजीविका कमाने के लिए औद्योगिक कस्बों व शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं जो अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कृषि व बागवानी से दूर होते किसानों विशेषकर युवाओं से आह्वान किया है कि वे न केवल अपने खेतों से जुड़ें बल्कि कृषि व बागवानी के माध्यम से भी आजीविका कमाने के भरपूर अवसर मौजूद हैं। आजीविका कमाने के लिए 73 वर्ष की आयु में भी मेहनत कर रहे डुमणु राम का कहना है कि व्यक्ति को निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए। इससे न केवल आजीविका चलाने में ही मदद मिलती है बल्कि शारीरिक व मानसिक तौर पर भी व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
विषयवाद विशेषज्ञ (एसएमएस) कृषि पधर पूर्ण चंद ठाकुर का कहना है कि मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत लगाई गई सोलर युक्त बाड़बंदी में यदि किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो वे सीधे कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। उनका कहना है कि किसानों की ऐसी समस्याओं को न केवल प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा बल्कि बाड़बंदी करने वाली कंपनी के माध्यम से होने वाली तकनीकी खामियों को दुरुस्त करने का भी प्रयास किया जाएगा ताकि किसानों को सोलर युक्त बाड़बंदी का लंबे समय तक लाभ मिल सके।  DOP 20/10/2023




Friday, 3 November 2023

लोअर चौंतड़ा गांव के राजेश कुमार ने मुर्गी पालन को बनाया स्वरोजगार का आधार

  प्रतिमाह औसतन कमा रहे 25 हजार, पशुपालन विभाग की हिम कुक्कुट योजना बनी मददगार 

जोगिन्दर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत चौंतड़ा के गांव लोअर चौंतड़ा निवासी 37 वर्षीय राजेश कुमार के लिए मुर्गी पालन स्वरोजगार का मजबूत आधार बना है। मुर्गी पालन से वे न केवल अपनी आजीविका को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं बल्कि प्रतिमाह औसतन 25-30 हजार रूपये की आय भी अर्जित कर पा रहे हैं। वर्तमान में राजेश कुमार के लिए पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग की हिम कुक्कुट योजना की 3 हजार ब्रायलर चूजा योजना न केवल मददगार साबित हो रही है बल्कि मुर्गी पालन आज उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।

10 वर्षों तक दिल्ली में किया ड्राइविंग का काम, अब मुर्गी पालन बना है रोजगार का जरिया 

आत्मविश्वास से लबरेज 12वीं कक्षा तक शिक्षित राजेश कुमार का कहना है कि लगभग 10 वर्षों तक दिल्ली में रोजी रोटी जुटाने को ड्राइविंग का काम किया। फिर वर्ष 2014 में वापिस घर आए तथा स्वरोजगार को रोजगार का माध्यम बनाने की दिशा में प्रयास करते हुए 50 मुर्गियों से मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू किया। इस बीच वर्ष 2015 में कुक्कुट पालन केंद्र चौंतड़ा से 15 दिन, वर्ष 2017 व 2018 में केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ) चंडीगढ़ से एक सप्ताह का मुर्गी पालन में प्रशिक्षण हासिल किया। दिसम्बर 2022 में केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ) चंडीगढ़ से ही एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में भी भाग लिया। मार्च 2023 में पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग ने 3 हजार ब्रायलर चूजा योजना स्वीकृत की। इस योजना के अंतर्गत पहले बैच में एक हजार ब्रायलर चूजा तैयार कर वे बाजार में बेच चुके हैं तथा इससे उन्हें औसतन 40 से 50 हजार रुपये की आमदन प्राप्त हुई है। साथ ही अब दूसरे बैच के एक हजार चूजों को वे पाल रहे हैं। इस तरह 50 मुर्गियों के पालन से शुरू हुआ उनका यह कार्य अब एक हजार चूजों के पालन पोषण तक पहुंच गया है।

उन्होने बताया कि सरकार ने विभाग के माध्यम से जहां उपदान दरों पर मुर्गियों के लिए शेड बनाकर दिया है तो वहीं मुर्गियों की फीड तथा दवाईयां भी उपलब्ध करवाई हैं। राजेश कुमार कहते हैं कि कोविड-19 के कठिन दौर में जब लाखों लोग बेरोजगार होकर घर बैठ गए थे तो उन्होने मुर्गी पालन से ही न केवल अच्छी खासी आमदनी प्राप्त की बल्कि मुर्गी पालन परिवार की आजीविका को चलाने में मददगार साबित हुआ। लेकिन अब विभाग की मदद से वे इस व्यवसाय को बेहतर तरीके से कर पा रहे हैं तथा उनके आत्मबल को भी मजबूती मिली है।

दूध गंगा योजना के तहत डेयरी पालन में भी कर चुके हैं कार्य, तीन लाख का लिया है ऋण 

राजेश कुमार कहते हैं कि परिवार की आजीविका को चलाए रखने के लिए वर्ष 2018 में मुर्गी पालन के साथ-साथ डेयरी पालन का कार्य भी शुरू किया। दूध गंगा योजना के तहत बैंक से तीन लाख रुपये का ऋण लेकर 11 गायों को पालकर दूध उत्पादन शुरू किया। जिससे भी उन्हे अच्छी आमदनी हासिल हुई, लेकिन वर्ष 2021 में लंपी वायरस रोग के चलते उनकी कुछ गायें मौत का शिकार हो गई। वर्तमान में उनके पास दो गाय हैं तथा दूध बेचकर भी वे अतिरिक्त आमदनी जुटा रहे हैं। इसके अतिरिक्त वे अपनी पुश्तैनी जमीन में विभिन्न तरह की पारंपरिक व नकदी फसलें भी तैयार कर रहे हैं। 

युवा स्वरोजगार के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं अच्छी कमाई 

उन्होंने प्रदेश के युवाओं से आह्वान किया है कि वे यदि स्वरोजगार को अपनाते हैं तो इसके माध्यम से भी जीवन में आगे बढ़ने की अनेकों संभावनाएं मौजूद हैं। उनका कहना है कि स्वरोजगार अपनाने से पहले युवा अपनी कार्य क्षमता व प्राथमिकताओं को तय करते हुए ऐसा स्वरोजगार अपनाएं जिसमें वे बेहतर कर सकते हैं। उनका कहना है कि युवाओं का यह छोटा सा कदम न केवल उन्हे रोजगार के द्वार खोलेगा बल्कि घर बैठे ही वे अच्छी आमदनी भी अर्जित कर सकते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी 

पशु चिकित्सा अधिकारी एवं प्रभारी पशु चिकित्सालय चौंतड़ा डॉ. मुनीश चंद्र का कहना है कि लोअर चौंतड़ा निवासी राजेश कुमार मुर्गी पालन से अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ बना रहे हैं। विभाग ने हिम कुक्कुट योजना के अंतर्गत तीन हजार ब्रायलर चूजा इकाई स्वीकृत की है। जिसके तहत तीन हजार चूजे लाभार्थी को तीन किस्तों में प्रदान किये जा रहे हैं।

हिम कुक्कुट योजना के अंतर्गत 60 प्रतिशत सरकारी अनुदान लाभार्थी को कुक्कुट बाड़ा, आहार, बर्तन व चूजों की कीमत पर दिया जाता है जबकि 40 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं वहन करना होता है। इसके अलावा फीड व दवाईयां भी उपलब्ध करवाई जाती है तथा बिजली का बिल भी विभाग द्वारा वहन किया जाता है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से सरकार की स्वरोजगार योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया है। DOP 02/11/2023