स्टील ट्रस तकनीक से बन रहा है 160 मीटर लंबा डबल लेन पुल, एक साथ गुजर सकेंगे दो बड़े वाहन
पुल निर्माण पर 20 करोड़ रुपये की धनराशि हो रही है व्यय, जून 2024 तक पूरा होगा काम
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (श्रीमद् भगवद्गीता)
स्टील ट्रस तकनीक से बन रहा है 160 मीटर लंबा डबल लेन पुल, एक साथ गुजर सकेंगे दो बड़े वाहन
पुल निर्माण पर 20 करोड़ रुपये की धनराशि हो रही है व्यय, जून 2024 तक पूरा होगा काम
जोगिन्दर नगर-सरकाघाट-घुमारवीं सडक़ पर आठ करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रहा है पुल
73 वर्ष की आयु में भी खेती बाड़ी से कमा रहे हैं आजीविका ,जोगिन्दर नगर बाजार में आकर बेचते हैं उत्पाद
प्रतिमाह औसतन कमा रहे 25 हजार, पशुपालन विभाग की हिम कुक्कुट योजना बनी मददगार
जोगिन्दर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत चौंतड़ा के गांव लोअर चौंतड़ा निवासी 37 वर्षीय राजेश कुमार के लिए मुर्गी पालन स्वरोजगार का मजबूत आधार बना है। मुर्गी पालन से वे न केवल अपनी आजीविका को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं बल्कि प्रतिमाह औसतन 25-30 हजार रूपये की आय भी अर्जित कर पा रहे हैं। वर्तमान में राजेश कुमार के लिए पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग की हिम कुक्कुट योजना की 3 हजार ब्रायलर चूजा योजना न केवल मददगार साबित हो रही है बल्कि मुर्गी पालन आज उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
10 वर्षों तक दिल्ली में किया ड्राइविंग का काम, अब मुर्गी पालन बना है रोजगार का जरिया
आत्मविश्वास से लबरेज 12वीं कक्षा तक शिक्षित राजेश कुमार का कहना है कि लगभग 10 वर्षों तक दिल्ली में रोजी रोटी जुटाने को ड्राइविंग का काम किया। फिर वर्ष 2014 में वापिस घर आए तथा स्वरोजगार को रोजगार का माध्यम बनाने की दिशा में प्रयास करते हुए 50 मुर्गियों से मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू किया। इस बीच वर्ष 2015 में कुक्कुट पालन केंद्र चौंतड़ा से 15 दिन, वर्ष 2017 व 2018 में केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ) चंडीगढ़ से एक सप्ताह का मुर्गी पालन में प्रशिक्षण हासिल किया। दिसम्बर 2022 में केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ) चंडीगढ़ से ही एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में भी भाग लिया। मार्च 2023 में पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग ने 3 हजार ब्रायलर चूजा योजना स्वीकृत की। इस योजना के अंतर्गत पहले बैच में एक हजार ब्रायलर चूजा तैयार कर वे बाजार में बेच चुके हैं तथा इससे उन्हें औसतन 40 से 50 हजार रुपये की आमदन प्राप्त हुई है। साथ ही अब दूसरे बैच के एक हजार चूजों को वे पाल रहे हैं। इस तरह 50 मुर्गियों के पालन से शुरू हुआ उनका यह कार्य अब एक हजार चूजों के पालन पोषण तक पहुंच गया है।
उन्होने बताया कि सरकार ने विभाग के माध्यम से जहां उपदान दरों पर मुर्गियों के लिए शेड बनाकर दिया है तो वहीं मुर्गियों की फीड तथा दवाईयां भी उपलब्ध करवाई हैं। राजेश कुमार कहते हैं कि कोविड-19 के कठिन दौर में जब लाखों लोग बेरोजगार होकर घर बैठ गए थे तो उन्होने मुर्गी पालन से ही न केवल अच्छी खासी आमदनी प्राप्त की बल्कि मुर्गी पालन परिवार की आजीविका को चलाने में मददगार साबित हुआ। लेकिन अब विभाग की मदद से वे इस व्यवसाय को बेहतर तरीके से कर पा रहे हैं तथा उनके आत्मबल को भी मजबूती मिली है।
दूध गंगा योजना के तहत डेयरी पालन में भी कर चुके हैं कार्य, तीन लाख का लिया है ऋण
राजेश कुमार कहते हैं कि परिवार की आजीविका को चलाए रखने के लिए वर्ष 2018 में मुर्गी पालन के साथ-साथ डेयरी पालन का कार्य भी शुरू किया। दूध गंगा योजना के तहत बैंक से तीन लाख रुपये का ऋण लेकर 11 गायों को पालकर दूध उत्पादन शुरू किया। जिससे भी उन्हे अच्छी आमदनी हासिल हुई, लेकिन वर्ष 2021 में लंपी वायरस रोग के चलते उनकी कुछ गायें मौत का शिकार हो गई। वर्तमान में उनके पास दो गाय हैं तथा दूध बेचकर भी वे अतिरिक्त आमदनी जुटा रहे हैं। इसके अतिरिक्त वे अपनी पुश्तैनी जमीन में विभिन्न तरह की पारंपरिक व नकदी फसलें भी तैयार कर रहे हैं।
युवा स्वरोजगार के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं अच्छी कमाईउन्होंने प्रदेश के युवाओं से आह्वान किया है कि वे यदि स्वरोजगार को अपनाते हैं तो इसके माध्यम से भी जीवन में आगे बढ़ने की अनेकों संभावनाएं मौजूद हैं। उनका कहना है कि स्वरोजगार अपनाने से पहले युवा अपनी कार्य क्षमता व प्राथमिकताओं को तय करते हुए ऐसा स्वरोजगार अपनाएं जिसमें वे बेहतर कर सकते हैं। उनका कहना है कि युवाओं का यह छोटा सा कदम न केवल उन्हे रोजगार के द्वार खोलेगा बल्कि घर बैठे ही वे अच्छी आमदनी भी अर्जित कर सकते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
पशु चिकित्सा अधिकारी एवं प्रभारी पशु चिकित्सालय चौंतड़ा डॉ. मुनीश चंद्र का कहना है कि लोअर चौंतड़ा निवासी राजेश कुमार मुर्गी पालन से अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ बना रहे हैं। विभाग ने हिम कुक्कुट योजना के अंतर्गत तीन हजार ब्रायलर चूजा इकाई स्वीकृत की है। जिसके तहत तीन हजार चूजे लाभार्थी को तीन किस्तों में प्रदान किये जा रहे हैं।
हिम कुक्कुट योजना के अंतर्गत 60 प्रतिशत सरकारी अनुदान लाभार्थी को कुक्कुट बाड़ा, आहार, बर्तन व चूजों की कीमत पर दिया जाता है जबकि 40 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं वहन करना होता है। इसके अलावा फीड व दवाईयां भी उपलब्ध करवाई जाती है तथा बिजली का बिल भी विभाग द्वारा वहन किया जाता है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से सरकार की स्वरोजगार योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया है। DOP 02/11/2023