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Thursday, 30 January 2020

अपने खेतों में सर्पगंधा की खेती अपनाएं, 18 माह में ही करें चोखी कमाई


तीन वर्ष में प्रति एकड़ अढ़ाई लाख रूपये तक की हो सकती है आय, सरकार दे रही है वित्तीय मदद
हिमाचल प्रदेश के भौगोलिक दृष्टि से निचले क्षेत्रों में रहने वाले किसान अपने खेतों में बेशकीमती सर्पगंधा की खेती अपनाकर महज 18 माह में ही प्रति एकड़ अढ़ाई लाख रूपये तक की आय अर्जित कर सकते हैं। जलवायु की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश के समुद्रतल से 1800 मीटर से कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सर्पगंधा की औषधीय खेती को किसानों द्वारा आसानी से किया जा सकता है। खास बात यह है कि सर्पगंधा के पौधों की नर्सरी प्रदेश में ही तैयार की गई है तथा किसान सर्पगंधा की खेती से जुडऩे के लिए प्रदेश में ही सर्पगंधा के पौधे भी प्राप्त कर सकते हैं।
जड़ के रूप में प्रदेश की जलवायु के आधार पर यह पौधा निचले हिमाचल प्रदेश में आसानी से उगाया जा सकता है। एक से सवा एक किलोग्राम बीज प्रति एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त होता है। इसकी रोपाई छायादार क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल व खुली धूप वाले क्षेत्रों के लिए जुलाई-अक्तूबर माह के दौरान की जा सकती है। इस पौधे को 40-40 सेंटीमीटर की दूरी पर प्रत्यारोपित किया जा सकता है। सर्पगंधा की फसल बीज के माध्यम से 3 से 4 वर्ष और कलम के माध्यम से 2 से 3 वर्ष में तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ इसकी उपज 300 किलोग्राम तक रहती है तथा नौ सौ रूपये प्रति किलोग्राम की दर से 2 लाख 70 हजार रूपये तक की आय अर्जित की जा सकती है।
क्या है सर्पगंधा औषधि
सर्पगंधा एक अत्यंत उपयोगी पौधा है जो 75 सेंटीमीटर से लेकर एक मीटर तक की ऊंचाई तक बढ़ता है। इसकी जड़ें 0.5 सेंटीमीटर से 2.5 सेंटीमीटर व्यास तक जबकि इसकी गहराई 40 से 60 सेंटीमीटर तक जमीन में जाती है। सर्पगंधा पर अप्रैल से नवम्बर माह तक लाल सफेद फूल गुच्छों में लगते हैं। इसके अलावा इसकी जड़ों में भी अनेक एल्कलाइड्स पाए जाते हैं जिनका उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता है।
सर्पगंधा की खेती व फसल प्रबंधन
सर्पगंधा की खेती के लिए मई माह के दौरान खेत की गहरी जुताई कर लें तथा खेत को कुछ समय के लिए खाली छोड़ दें। इसके बाद पहली वर्षा होने पर खेत की जुताई करें तथा नाप की क्यारियां व पानी देने के लिए नालियां बना लें। सर्पगंधा को बीज, जड़ या कटिंग के माध्यम से उगाया जा सकता है। साथ ही करीब 25 टन कम्पोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है तथा वर्षा के दौरान कम पानी एवं गर्मियों में 30 दिन के अंतर से पानी लगाना चाहिए।
सर्पगंधा की फसल 18 माह में तैयार हो जाती है। इसकी जड़ों को सावधानी पूर्वक खोदकर निकालें तथा बड़ी व मोटी जड़ों को अलग और पतली जड़ों को अलग-अलग कर लें। इसके उपरान्त 12 से 15 सेंटीमीटर के टुकड़े काटकर सुखा लें और इन्हे पॉलिथीन की थैलियों में सुरक्षित रख लें। सर्पगंधा की बढ़ती मांग को देखते हुए नेशनल मेडिसनल प्लांट बोर्ड की ओर से इसके कृषिकरण पर बल दिया जा रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन का कहना है कि सरकार राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) के अंतर्गत राज्य औषधीय पादप बोर्ड के माध्यम से सर्पगंधा की खेती को प्रति हैक्टेयर 49 हजार 724 रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है जो अधिकत्तम 20 हैक्टेयर के हिसाब से लगभग 9.94 लाख रूपये तक हो सकती है। उन्होने जलवायु की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों के किसानों से व्यक्तिगत या सामूहिक तौर पर सर्पगंधा की औषधीय खेती अपनाने का आह्वान किया है ताकि उनकी आय का एक अतिरिक्त साधन सृजित किया जा सके। उन्होने कहा कि सर्पगंधा के पौधों की नर्सरी प्रदेश में ही तैयार की गई है तथा किसान सर्पगंधा की खेती से जुडऩे के लिए प्रदेश में ही सर्पगंधा के पौधे प्राप्त कर सकते हैं।
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जिला के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी या राज्य औषधीय पादप बोर्ड शिमला के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र जोगिन्दर नगर या आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (आईएसएम) जोगिन्दर नगर जिला मंडी के कार्यालयों से भी संपर्क किया जा सकता है।
इसके अलावा वैबसाइट www.ayurveda.hp.gov.in से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।




Tuesday, 28 January 2020

जोगिन्दर नगर में गृह अनुदान योजना के तहत 50 लाख व्यय कर 38 परिवार हुए लाभान्वित

गृह अनुदान योजना के तहत मकान बनाने को सरकार देती है 1.30 लाख रूपये

जिला मंडी के जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र के गांव गरोडू के जोगिन्द्र सिंह, ग्राम पंचायत तलकेहड़ के सतैण गांव निवासी गिल्ली देवी, ग्राम पंचायत सगनेहड़ के गांव त्रामट निवासी संतोष कुमार, इसी गांव के ही रोशन लाल, ग्राम पंचायत कोलंग के सपड़ोह निवासी दुनी चंद, ऊटपर पंचायत निवासी थोगली राम, दलेड़ पंचायत के धधौन निवासी काचरा, गौरा निवासी जय राम सभी अनुसूचित जाति परिवार जबकि अनुसूचित जनजाति परिवार से संबंधित ग्राम पंचायत बदेहड़ के गांव बदेहड़ निवासी रोशन लाल सुपुत्र जोंडा राम जैसे कई नाम हैं जिनके लिए सरकार की गृह अनुदान योजना इस मंहगाई भरे दौर में मकान बनाने में किसी लाटरी से कम साबित नहीं हो रही है। 
प्रदेश में अनुसूचित जाति, अन्य पिछडा वर्ग व अल्पसंख्यक मामलों के विभाग के माध्यम से चलाई जा रही गृह अनुदान योजना के तहत न केवल प्रदेश के गरीब, जरुरतमंद व मकान विहीन लोग लाभान्वित हो रहे हैं, बल्कि स्वयं का मकान पाकर समाज में अपनी मान मर्यादा व प्रतिष्ठा को भी स्थापित कर पा रहे हैं। जोगिन्दर नगर तहसील में ही ऐसे तीन दर्जन से अधिक जरुरत मंद परिवारों के लिए यह योजना किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रही है।
जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र की जोगिन्दर नगर व लडभड़ोल तहसीलों में गृह अनुदान योजना के तहत गत तीन वर्षों के दौरान लगभग 50 लाख रूपये का अनुदान प्रदान कर 38 परिवारों को लाभान्वित किया गया है। जिनमें वर्ष 2017-18 के दौरान कुल नौ परिवार जिसमें अनुसूचित जाति के आठ तथा अन्य पिछड़ा वर्ग का एक, वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 16 परिवार जिसमें एससी के 12, एसटी का एक तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के तीन परिवार शामिल हैं को लाभान्वित किया जा चुका है। इसी तरह चालू वित्तीय वर्ष के दौरान कुल 13 परिवारों को मकान बनाने की स्वीकृति प्राप्त हुई है जिनमें अनुसूचित जाति के 12 तथा अन्य पिछड़ा वर्ग का एक परिवार शामिल है। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति के एक परिवार को मकान की मरम्मत को भी सरकार ने 25 हजार रूपये की धनराशि प्रदान करने को स्वीकृति प्रदान की है।
किन्हे मिलती है सहायता:
गृह अनुदान योजना के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति तथा अन्य पिछडा वर्ग परिवारों के सदस्य, जिनकी वार्षिक आय समस्त साधनों से 35 हजार रुपये से अधिक न हो, जिनके नाम राजस्व रिकार्ड में मकान बनाने हेतु भूमि उपलब्ध हो तथा जिनके पास अपना मकान न हो तो सरकार ऐसे जरुरतमंद लोगों को मकान बनाने हेतू दो किस्तों में कुल एक लाख 30 हजार रुपये की अनुदान राशि मुहैया करवाती है। प्रदेश सरकार ने मंत्रीमंडल की बैठक में मकान बनाने की राशि को बढ़ाकर डेढ़ लाख जबकि रिपेयर को 25 हजार से बढ़ाकर 35 हजार रूपये करने का निर्णय लिया है।
कैसे करें आवेदन:
इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्ति निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पत्र के साथ वार्षिक आय का प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, हिमाचली प्रमाण पत्र जो कार्यकारी दण्डाधिकारी से जारी किया गया हो तथा जिस भूमि पर मकान बनाना प्रस्तावित है की जमाबंदी नकल व ततीमा भी प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इसके अलावा मकान बनाने को ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव की कापी भी साथ संलग्न करना जरूरी है। इस योजना के अंतर्गत अब सामान्य परिवारों के दिव्यांगजन, विधवा, परित्यक्ता व 45 वर्ष आयु वर्ग से अधिक उम्र की एकल नारी को भी शामिल किया गया है।
किसे सम्पर्क करें:
इस योजना का लाभ प्राप्त करने तथा अधिक जानकारी हासिल करने के लिए पात्र व्यक्ति या परिवार अपने क्षेत्र के तहसील कल्याण अधिकारी या जिला कल्याण अधिकारी के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस संबंध में तहसील कल्याण अधिकारी, जोगिन्दर नगर व लडभड़ोल चंदन वीर सिंह का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए गृह अनुदान योजना के अंतर्गत जोगिन्दर नगर तहसील क्षेत्र को कुल आठ मकान स्वीकृत किये हैं जिनमें से सात अनुसूचित जाति जबकि एक अन्य पिछड़ा वर्ग परिवार के लिए है। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति परिवार के एक व्यक्ति के मकान रिपेयर हेतु भी 25 हजार रूपये की राशि स्वीकृत की है। इसी तरह लडभड़ोल तहसील के तहत एससी परिवारों के लिए कुल पांच मकान बनाने को स्वीकृति प्राप्त हुई है।