ऊहल चरण दो के तहत स्थापित है 66 मैगावॉट का प्रोजैक्ट, 1965 में पंजाब के सीएम राम किशन ने रखी थी आधारशिला
मंडी जिला के जोगिन्दर नगर कस्बे से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर बस्सी नामक स्थान पर स्थापित है 66 मैगावॉट की पन विद्युत परियोजना। वर्ष 1970 से बिजली उत्पादन की शुरूआत करते हुए इस परियोजना ने अपनी स्थापना के 50 वर्षों को पूर्ण कर लिया है।
ऊहल चरण दो के तहत स्थापित इस पन बिजली परियोजना से प्रतिवर्ष प्रदेश सरकार को औसतन 90 से 100 करोड़ रूपये की आय प्राप्त हो रही है। वर्तमान में इस परियोजना में साढ़े 16 मैगावॉट की क्षमता वाले चार टरबाईन कार्य कर रहे हैं। जिनसे प्रतिदिन 15 लाख 84 हजार युनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है।वर्ष 1965 को पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री कामरेड राम किशन ने रखी थी आधारशिला
ऊहल नदी पनविद्युत परियोजना के अंतर्गत चरण दो के तहत बस्सी पन विद्युत परियोजना की आधारशिला 17 मई, 1965 को पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री कामरेड राम किशन ने रखी थी। इस परियोजना की 15 मैगावॉट की पहली टरबाईन ने 13 अप्रैल, 1970 को विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया था। दूसरी टरबाईन 24 दिसम्बर, 1970 तथा तीसरी टरबाईन ने 15 जुलाई 1971 को बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। पहले इस परियोजना की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 45 मैगावॉट थी जिसे 10 जुलाई 1981 को बढ़ाकर 60 मैगावॉट कर दिया गया। इसके बाद इसमें व्यापक सुधार लाते हुए वर्ष 2010 व 2012 के बीच इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर प्रति टरबाईन 16.5 मैगावॉट की दर से 66 मैगावॉट कर दिया गया है। वर्तमान में इस परियोजना से 66 मैगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इस परियोजना के निर्माण पर आरंभिक तौर पर लगभग साढ़े 17 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई है।प्रतिवर्ष 302 मिलियन युनिट बिजली उत्पादन का रहता है लक्ष्य
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के अंतर्गत कार्यरत बस्सी पन बिजली परियोजना के तहत प्रतिवर्ष औसतन 302 मिलियन युनिट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रहता है। परियोजना शुरू होने से लेकर अबतक सबसे अधिक बिजली उत्पादन वर्ष 1998-99 में 332 मिलियन युनिट रहा है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह उत्पादन 331 मिलियन युनिट प्रति वर्ष दर्ज हुआ है।
वर्तमान में इस परियोजना के संचालन के लिए यहां पर लगभग 150 विभिन्न श्रेणीयों के कर्मी तैनात हैं। जिनमें तकनीकी, गैर तकनीकी, अनुबंध, आउटसोर्स एवं सुरक्षा कर्मी शामिल हैं। यदि स्वीकृत पदों के आधार पर बात करें तो इस परियोजना में विभिन्न श्रेणीयों के लगभग 90 पद रिक्त चल रहे हैं।क्या कहते हैं अधिकारी:
स्थानिक अभियन्ता बस्सी पन विद्युत परियोजना ईं. सूरज सिंह ठाकुर का कहना है कि ऊहल पनबिजली परियोजना के अंतर्गत चरण-दो के तहत स्थापित बस्सी पॉवर हाउस ने उत्पादन शुरू करने के अपने 50 वर्ष के सफर को पूर्ण कर लिया है जो पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्णिम हिमाचल के लिए ये गौरवशाली पल हैं। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा मिलने से एक वर्ष पहले 13 अप्रैल, 1970 को इस परियोजना की 15 मैगावॉट की पहली टरबाईन ने विद्युत उत्पादन प्रारंभ कर दिया था जबकि 15 जुलाई 1971 तक 45 मैगावॉट की तीन टरबाईनों ने बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। उन्होने बताया कि इस परियोजना से वर्तमान में प्रतिदिन 15 लाख 84 हजार युनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जबकि प्रतिवर्ष औसतन 90 से 100 करोड़ रूपये के बीच बिजली उत्पादन हो रहा है।
ऊहल नदी के तहत स्थापित होनी है तीन बिजली परियोजनाएं
जोगिन्दर नगर की खूबसूरत बरोट घाटी से बहने वाली ऊहल नदी पर तत्कालीन पंजाब सरकार में अंग्रेज चीफ इंजीनियर कर्नल बीसी बैटी ने वर्ष 1922 में ऊहल नदी पर आधारित पन बिजली परियोजनाओं की परिकल्पना की थी। वर्ष 1925 में तत्कालीन मंडी रियासत के राजा जोगिन्द्रसेन व भारत सरकार के मध्य हुए समझौते के तहत पहले चरण में शानन पन बिजली परियोजना निर्मित हुई। जिसमें वर्ष 1932 से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया था। वर्तमान में शानन पन बिजली परियोजना से 110 मैगावॉट बिजली उत्पादन हो रहा है जो पंजाब राज्य के अधीन है। इसके बाद दूसरे चरण में बस्सी पन बिजली परियोजना की परिकल्पना की थी जिसमें भी वर्ष 1970 से बिजली उत्पादन की शुरूआत करते हुए वर्तमान में 66 मैगावॉट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। इसके बाद ऊहल चरण तीन के तहत जोगिन्दर नगर के लडभड़ोल क्षेत्र के तहत चुल्ला नामक गांव में 100 मैगावॉट बिजली उत्पादन प्रस्तावित है जो अभी निर्माणाधीन है।
ऐसे में ऊहल नदी पर आधारित इन तीनों पन बिजली परियोजनाओं के शुरू हो जाने से 276 मैगावॉट बिजली का उत्पादन होगा जो आने वाले समय में प्रदेश की आर्थिकी को बल प्रदान करने में अहम कड़ी साबित होंगे।
No comments:
Post a Comment