मंदिर परिसर में मिलता है अलौकिक शांति का अनुभव, आसपास का वातावरण है बेहद शांत व खूबसूरत
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (श्रीमद् भगवद्गीता)
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Friday, 28 July 2023
बाबा बालक नाथ जी का मूल स्थान है बनाड़, ऊंची पहाड़ी पर स्थित है मंदिर
Sunday, 25 June 2023
ऊना के विपन धीमान ई-रिक्शा बनाकर बने उद्यमी, पंडोगा में स्थापित किया प्लांट
सीएम स्टार्टअप योजना के तहत आईआईटी मंडी में एक वर्ष तक प्रोजेक्ट पर किया शोध कार्य
कभी बचपन से भारतीय सेना ज्वाईन कर देश सेवा का सपना पाले ऊना के 38 वर्षीय विपन धीमान आज ई-रिक्शा बनाकर उद्यमी बन गए हैं। विपन धीमान ने प्रदेश सरकार की विभिन्न स्वावलंबी योजनाओं का लाभ उठाते हुए ऊना के औद्योगिक क्षेत्र पंडोगा में ई-रिक्शा प्लांट स्थापित किया है। मुख्य मंत्री स्टार्टअप योजना के तहत इंक्युबेशन केंद्र आईआईटी मंडी में ई-रिक्शा पर एक वर्ष तक शोध कार्य करते हुए वे न केवल ई-रिक्शा का सफलतापूर्वक उत्पादन कर रहे हैं बल्कि अब 6 अन्य युवाओं को रोजगार भी प्रदान किया है।
वर्तमान में विपन धीमान के ई-रिक्शा के हिमाचल, चंडीगढ तथा पंजाब में कुल 5 डीलर भी कार्य कर रहे हैं जिनके माध्यम से लोग ई-रिक्शा को खरीद सकते हैं। अब तक 15 ई-रिक्शा का निर्माण कर लगभग 35 लाख रूपये राशि जुटा चुके हैं। उनके द्वारा तैयार ये ई-रिक्शा न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि ऊना सहित अन्य स्थानों पर धड़ल्ले से यात्रियों को लाने व ले जाने का कार्य भी सफलता पूर्वक कर रहे हैं।
बचपन में पाला सेना में शामिल होने का सपना, एक अच्छे खिलाडी भी हैं विपन धीमान
जब विपन धीमान से उनके द्वारा तैयार इलेक्ट्रिक वाहन (ई-रिक्शा) निर्माण की कहानी पर बातचीत की तो वे कहते हैं कि बचपन से ही भारतीय सेना में भर्ती होने का सपना पाला हुआ था तथा शारीरिक तौर पर स्वयं को तैयार भी करते रहे।
स्कूली शिक्षा के दौरान उन्होंने एनसीसी भी ज्वाईन कर ली थी। लेकिन इस बीच शारीरिक समस्या के चलते सेना में भर्ती होने से रह गए तथा कॉलेज में स्नातक की पढाई शुरू कर दी। साथ ही एनसीसी में प्रमुखता से भाग लेते हुए एनसीसी-सी सर्टिफिकेट भी हासिल किया। साथ ही बॉक्सिंग व शूटिंग खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे तथा प्रदेश स्तर पर गोल्ड व सिल्वर मेडल भी जीते। स्नातक स्तर की परीक्षा में कम अंकों के चलते वे एनसीसी सी सर्टिफिकेट के बावजूद सेना में एक बार फिर भर्ती होने से वंचित रहना पड़ा।ग्रेजुएशन के बाद संभाला पिता का ऑटो स्पेयर पार्टस बिजनेस, ऑटो सेक्टर में काम करने का बढ़ा जज्बा
भावुक होते हुए विपन धीमान कहते हैं कि कॉलेज शिक्षा पूरी होते ही पिता नौकरी के लिए विदेश चले गए। उन्हें पारिवारिक स्पेयर पार्टस के बिजनेस को संभालना पड़ा। इस दौरान ऑटो सेक्टर में कुछ हटकर करने का जज्बा पैदा हुआ। वर्ष 2010 में रोपड़ स्थित रियात-बाहरा पॉलीटेक्निक संस्थान में ऑटो मोबाइल पाठयक्रम में प्रवेश ले लिया। वर्ष 2013 में डिप्लोमा पाठयक्रम के अंतिम समेस्टर में एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया जिसे राज्य स्तर पर सर्वश्रेष्ठ आंका गया। इसके बाद चंडीगढ से डिजाइन कैड में मास्टर डिप्लोमा भी हासिल किया। उन्होंने महिंद्रा ऑटो कंपनी में एक साल तक कार्य किया तथा वर्ष 2015 में वे दुबई चले गए। दुबई में भी ऑटो मोबाइल सेक्टर कंपनी में काम करते हुए इसकी बारीकियों को समझा। वर्ष 2017 में स्वदेश लौटे तथा पारिवारिक बिजनेस को पुन: संभालना शुरू किया।जब दिल्ली में किया ई-रिक्शा में सफर, कमियों को पहचान ई-रिक्शा निर्मित करने को बढ़ाए कदम
विपन धीमान कहते हैं कि वर्ष 2017 में बिजनेस के संबंध में दिल्ली गए तो उन्हें ई-रिक्शा में सफर करने का मौका मिला। इस दौरान ई-रिक्शा निर्माण की खामियों को पहचाना तथा एक अच्छा मॉडल तैयार करने की ठानी। इंटरनेट के माध्यम से ई-रिक्शा बनाने के सभी पैरामीटर को जाना व समझा तथा वर्ष 2018 में ई-रिक्शा का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया। लगभग एक माह तक शोध करने के बाद अपने स्तर पर ही लगभग 15 लाख रूपये व्यय कर ई-रिक्शा निर्मित करने का निर्णय लिया। इस बीच प्रदेश सरकार की ओर से उद्योग विभाग के तहत आर्थिक सहायता की जानकारी मिली। उद्योग विभाग के माध्यम से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) सरकार को प्रस्तुत करके उन्हें सीएम स्र्टाटअप स्कीम के तहत स्वीकृति मिली। स्कीम के तहत 10 लाख रूपये तथा इंक्युबेशन केन्द्र के माध्यम से 15 लाख रूपये स्वीकृत हुए। वर्ष 2019 में इंक्युबेशन केंद्र आईआईटी मंडी ने ई-रिक्शा प्रोजेक्ट पर कार्य करने की स्वीकृति प्रदान की और 1.50 लाख रूपये की राशि भी उपलब्ध करवाई।हिम स्टार्टअप के तहत स्वीकृत हुए 50 लाख रूपये, जनवरी 2023 से शुरू किया उत्पादन
आईआईटी मंडी ने ई-रिक्शा प्रोजेक्ट का प्रमाणीकरण कर उन्हें हिम स्र्टाटअप स्कीम के तहत 50 लाख रूपये, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की निधि ट्रिप्पल एस (एनआईडीएचआई सीड स्पोर्ट प्रोग्राम) स्कीम के तहत 20 लाख रूपये की आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत हुई। अप्रैल, 2022 में ऊना के पंडोगा में ई-रिक्शा मैन्युफैक्चरिंग इकाई स्थापित की तथा जनवरी 2023 से ई-रिक्शा का उत्पादन शुरू कर दिया है। उन्होंने अब तक 15 ई-रिक्शा तैयार कर लगभग 35 लाख रूपये की राशि जुटा ली है।क्या कहते हैं अधिकारी:
संयुक्त निदेशक उद्योग विभाग अंशुल धीमान का कहना है कि सीएम स्टार्टअप स्कीम के तहत विपन धीमान के ई-व्हीकल प्रोजेक्ट को स्वीकार करते हुए आईआईटी मंडी के माध्यम से शोध कार्य किया गया। पंडोगा औद्योगिक क्षेत्र में 2 हजार वर्ग मीटर का प्लाट आवंटित कर एक करोड रूपये का निवेश कर प्रोडक्शन इकाई स्थापित की है। जनवरी 2023 से ई-व्हीकल (ई-रिक्शा) का व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू कर दिया है। उन्होंने प्रदेश के ऐसे युवाओं से आगे आने का आहवान किया है जो इन्नोवेटिव आईडिया के तहत उद्यम स्थापित कर आगे बढना चाहते हैं, प्रदेश सरकार हैं उनकी पूरी मदद करेगी।
Tuesday, 20 June 2023
कांगड़ा घाटी रेलवे लाइन का अंतिम स्टेशन जोगिन्दर नगर
164 किलोमीटर लंबी कांगड़ा घाटी रेलवे लाइन (पठानकोट-जोगिन्दर नगर) का अंतिम रेलवे स्टेशन मंडी जिला का जोगिन्दर नगर कस्बा है। ब्रिटीश इंजीनियर कर्नल बी.सी. बैटी तथा उनकी टीम ने जोगिन्दर नगर स्थित शानन पॉवर हाउस निर्माण के लिए मशीनरी को यहां तक पहुंचाने की दृष्टि से इस रेलवे लाइन का निर्माण किया था। वर्ष 1925 में तत्कालीन पंजाब सरकार ने शानन पनविद्युत परियोजना निर्माण को देखते हुए पठानकोट से जोगिन्दर नगर तक 2 फीट 6 इंच नैरो गेज लाइन बनाने का प्रस्ताव रखा। 164 किलोमीटर लंबी यह रेलवे लाइन उत्तर पश्चिम रेलवे के लाहौर मंडल का हिस्सा थी। इस रेलवे लाइन पर एक अप्रैल, 1929 से यात्री यातायात आरंभ किया गया। इस रेलवे लाइन के निर्माण की वास्तविक लागत 296 लाख रूपये थी।
Tuesday, 13 June 2023
नागचला में सच्चे मन से मांगी मन्नत होती है पूरी, 20 भाद्रपद को आयोजित होता है मेला
मंदिर परिसर में मिलता है अलौकिक शांति का अनुभव, आसपास का वातावरण है बेहद खूबसूरत
मंडी जिला के जोगिंदर नगर उपमंडल के तहत गांव हराबाग में नाग देवता का प्रसिद्ध मंदिर नागचला स्थित है। कहते हैं कि यहां पर सच्चे मन से मांगी गई मन्नत को नाग देवता पूरी करते हैं। इस स्थान पर प्रति वर्ष 20 भाद्रपद को एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
नागचला में प्राकृतिक तौर पर दिव्य पानी बहता है। कहते हैं कि यह पानी छोटा भंगाल घाटी की प्रसिद्ध डहनसर झील से चलकर यहां निकला है। इस पवित्र पानी से स्नान आदि करने के बाद सच्चे मन से मांगी गई मन्नत को नागचला देवता पूरी करते हैं। श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर मंदिर में स्नान आदि कर देवता के दर्शन करते हैं। साथ ही श्रद्धालु नागचला के पानी को बोतल में भरकर घर भी ले जाते हैं। प्रतिवर्ष 20 भाद्रपद को लगने वाले विशेष मेले में श्रद्धालुओं की संख्या देखने योग्य होती है। इस दिन जहां श्रद्धालु मंदिर में नाग देवता के दर्शन करते हैं तो वहीं नागचला के इस दिव्य पानी से स्नान भी करते हैं। दिव्य स्नान के लिए मंदिर परिसर में पुरूषों व महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नानागार की व्यवस्था रहती है।इसी तरह एक महिला की कहानी भी बताई जाती है। उस महिला ने भी मांगी गई मन्नत पूरी होने पर नागचला देवता को काजल लगाने का वायदा किया था। कहते हैं कि वह महिला वायदे अनुसार नागदेवता के असली रूप को देखकर घबरा गई तथा नाग देवता को काजल लगाने में असफल रहीं। ऐसे में नाग देवता महिला से नाराज हुए तथा उसके साथ भी अनिष्ट हुआ।
अर्जुन सिंह बताते हैं कि आज भी लोग सच्चे मन से नागचला देवता से मन्नतें मांगते हैं तथा नागचला देवता उन्हे पूरा भी करते हैं। नागचला देवता के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है तथा प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु नागचला के दर्शनार्थ मंदिर परिसर में पहुंचते हैं।
मंदिर परिसर में होता है अलौकिक शांति का अनुभव, आसपास का वातावरण है बेहद खूबसूरत
नागचला मंदिर परिसर में पहुंचने पर अलौकिक शांति का अनुभव होता है। मंदिर परिसर के आसपास का दृश्य प्राकृतिक तौर पर बेहद खूबसूरत है। मंदिर परिसर के आसपास घने पेड़ों की मौजूदगी यहां की खूबसूरती ज्यादा आकर्षक एवं आंखों को सुकून प्रदान करने वाला दृश्य बनाती है।कैसे पहुंचे मंदिर:
जोगिन्दर नगर-मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर जोगिन्दर नगर कस्बे से मंडी की ओर महज 3 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत हारगुणैन के गांव हराबाग में यह पवित्र स्थान मौजूद है। मुख्य सडक़ से मंदिर की दूरी लगभग आधा किलोमीटर है तथा मंदिर परिसर पक्की सडक़ से जुड़ा हुआ है। श्रद्धालु वाहन के माध्यम से भी आसानी से मंदिर परिसर में पहुंचकर नागचला देवता के दर्शन कर सकते हैं।Tuesday, 6 June 2023
जोगिन्दर नगर के लांगणा गांव में स्थापित है पंचमुखी महादेव की भव्य मूर्ति
Wednesday, 17 May 2023
मौसम की देवी के रूप में पूजी जाती है रोपड़ी गांव स्थित मां सुरगणी
ऊंची चोटी पर स्थित है मां सुरगणी का भव्य मंदिर, आसपास प्रकृति का दिखता है विहंगम नजारा
Tuesday, 9 May 2023
पांडवों ने वनवास काल के दौरान निर्मित किया था मां चतुर्भुजा का मंदिर
संतान प्राप्ति को निसंतान महिलाएं करती हैं मौन जागरण, आंखों की रोशनी को लोग मांगते हैं मन्नत
मंडी जिला के जोगिन्दर नगर उपमंडल मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर सिकंदर धार की उंची चोटी पर मां चतुर्भुजा का पवित्र स्थान मौजूद है। इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है तथा प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु मां के दर्शनार्थ इस पवित्र स्थान पर पहुंचते हैं। निसंतान दंपति मां के दरबार में हाजरी लगाकर नवरात्रों में संतान प्राप्ति को निसंतान स्त्रियां मौन जागरण करती हैं। साथ ही जिन भक्तों की आंखों की रोशनी चली जाती है वे मां से आंखों की रोशनी की मन्नत मांगते हुए मां को चांदी की आंखें चढ़ाते हैं। इस तरह मां चतुर्भुजा के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है तथा मां भी अपने भक्तों को निराश नहीं करती है।
Monday, 1 May 2023
जयसिंहपुर के आलमपुर से पिंडी रूप में आए हैं गरोडू स्थित बाबा बालक रूपी
मंडी व कांगड़ा जनपद के लोगों की है कुलज, प्रतिवर्ष हजारों लोग पहुंचते हैं दर्शनार्थ
मंडी जिला के जोगिन्दर नगर के गरोडू स्थित बाबा बालक रूपी कांगड़ा जिला के जयसिंहपुर क्षेत्र के आलमपुर के गांव जांगल के समीप से पिंडी रूप में यहां आए हैं। बाबा बालक रूपी गरोडू मंडी व कांगड़ा जनपद के लोगों की कुलज भी है तथा प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु बाबा जी के दर्शनार्थ यहां पहुंचते हैं। बाबा बालक रूपी के इस पवित्र दरबार में जहां लोग अपने बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए पहुंचते हैं तो वहीं घर में हुए मुंडन संस्कार के बाद बच्चों के बाल भी चढ़ाते हैं। इस मंदिर का इतिहास मंडी रियासत काल से ही जुड़ा हुआ है।स्थानीय जानकार बताते हैं कि काफी समय पूर्व इस क्षेत्र के कस गांव की एक महिला बाबा बालक रूपी की सेवा के लिए जयसिंहपुर क्षेत्र के आलमपुर के समीप जांगल गांव में स्थित मंदिर में जाया करती थी। महिला के वृद्ध होने के चलते उसने बाबा बालक रूपी से क्षमा मांगते हुए कहा कि बुढ़ापे के कारण अब वह सेवा करने के लिए यहां नहीं आ सकती है। कहते हैं कि स्वप्र में बाबा बालक रूपी ने महिला से कहा कि वह एक पत्थर पिंडी से स्पर्श कर ले जाए तथा इसकी पूजा करे। बाबा ने महिला से कहा कि वह इस स्पर्श किये हुए पत्थर को रास्ते में कहीं भी धरती पर न रखे अन्यथा उसी स्थान पर स्थापित हो जाएगा। स्वप्न अनुसार उस महिला ने एक पत्थर को बाबा बालक रूपी की पिंडी से स्पर्श कर उसे लेकर अपने घर कस की ओर चल पड़ी। कहते हैं कि जब वह गरोडू स्थित वर्तमान बाबा बालकरूपी मंदिर वाले स्थान पर पहुंची तो वह शौचालय के लिए रूकी। इस बीच उस महिला ने स्पर्श किये हुए पत्थर को एक चट्टान पर रख दिया। उस समय इस स्थान पर घना जंगल हुआ करता था। जैसे ही वह महिला शौचालय करने के बाद उस पत्थर को उठाने लगी तो वह इसे उठाने में असमर्थ रही तथा इसी स्थान पर स्थापित हो गया। वह चट्टान आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है।
कहते हैं कि इसी बीच बाबा बालक रूपी ने तत्कालीन मंडी रियासत के राजा को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा कि राजन मैं आपकी रियासत में पहुंच चुका हूं तथा मेरा वहां एक मंदिर बनवाओ। तब राजा ने यहां पर एक छोटा सा मंदिर बनवाया तथा मंडी रियासत के साथ-साथ कांगड़ा जनपद के लोगों के कुल देवता (कुलज) के रूप में प्रसिद्ध हुए। कहते हैं कि रियासत काल में ही लोगों की सुविधा के लिए तत्कालीन राजा ने गरोडू स्थित बाबा के मंदिर से एक पत्थर स्पर्श कर उसे मंडी में भूतनाथ गली में भी स्थापित कर वहां मंदिर का निर्माण करवाया है। लोग कुलज के रूप में इन्हे वहां भी पूजते हैं तथा कई लोग अभी भी गरोडू में आना पसंद करते हैं।
आषाढ़ महीने में होते हैं शनिवार के मेले, शिवरात्रि पर शिव महापुराण कथा होती है आयोजित
बाबा बालक रूपी मंदिर में आषाढ़ व मार्गशीर्ष माह में शनिवार मेलों का आयोजन होता है। शिवरात्रि पर्व के अवसर पर महाशिवपुराण कथा भी आयोजित की जाती है। महाशिवपुराण कथा का आयोजन पिछले लगभग 25 वर्षों से निरन्तरता में किया जा रहा है। इसके अलावा शिवरात्रि पर्व के मौके पर झांकी भी निकाली जाती है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं एसडीएम जोगिन्दर नगर कृष्ण कुमार शर्मा का कहना है कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई तरह की सुविधाएं जुटाई गई हैं। मंदिर में लंगर या भंडारा लगाने के लिए एक बड़े हॉल का निर्माण किया गया है। साथ ही श्रद्धालुओं के ठहरने को चार कमरे भी निर्मित किये गए हैं। जिनमें शौचालय एवं किचन की सुविधा उपलब्ध है। मुंडन संस्कार के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर जहां तीन नए शौचालय निर्मित किये हैं तो वहीं गिजर के साथ बाथरूम की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पार्किंग स्थल को भी बेहतर बनाया गया है तथा मेला आयोजन के लिए मेला ग्राउंड का भी निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण भी किया गया है।
कैसे पहुंचे बाबा बालकरूपी मंदिर:
बाबा बालक रूपी मंदिर जोगिन्दर नगर बस स्टैंड से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जोगिन्दर नगर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु बस व रेल के माध्यम से आ सकते हैं। जोगिन्दर नगर सीधे रेल नेटवर्क के साथ जुड़ा हुआ है तथा वाया पठानकोट, पालमपुर बैजनाथ होकर यहां पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा पठानकोट, कांगड़ा, धर्मशाला, बैजनाथ, मंडी इत्यादि स्थानों से भी सीधे सडक़ मार्ग से पहुंचा जा सकते हैं। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल कांगड़ा है।