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Monday, 1 May 2023

जयसिंहपुर के आलमपुर से पिंडी रूप में आए हैं गरोडू स्थित बाबा बालक रूपी

मंडी व कांगड़ा जनपद के लोगों की है कुलज, प्रतिवर्ष हजारों लोग पहुंचते हैं दर्शनार्थ

मंडी जिला के जोगिन्दर नगर के गरोडू स्थित बाबा बालक रूपी कांगड़ा जिला के जयसिंहपुर क्षेत्र के आलमपुर के गांव जांगल के समीप से पिंडी रूप में यहां आए हैं। बाबा बालक रूपी गरोडू मंडी व कांगड़ा जनपद के लोगों की कुलज भी है तथा प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु बाबा जी के दर्शनार्थ यहां पहुंचते हैं। बाबा बालक रूपी के इस पवित्र दरबार में जहां लोग अपने बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए पहुंचते हैं तो वहीं घर में हुए मुंडन संस्कार के बाद बच्चों के बाल भी चढ़ाते हैं। इस मंदिर का इतिहास मंडी रियासत काल से ही जुड़ा हुआ है।
स्थानीय जानकार बताते हैं कि काफी समय पूर्व इस क्षेत्र के कस गांव की एक महिला बाबा बालक रूपी की सेवा के लिए जयसिंहपुर क्षेत्र के आलमपुर के समीप जांगल गांव में स्थित मंदिर में जाया करती थी। महिला के वृद्ध होने के चलते उसने बाबा बालक रूपी से क्षमा मांगते हुए कहा कि बुढ़ापे के कारण अब वह सेवा करने के लिए यहां नहीं आ सकती है। कहते हैं कि स्वप्र में बाबा बालक रूपी ने महिला से कहा कि वह एक पत्थर पिंडी से स्पर्श कर ले जाए तथा इसकी पूजा करे। बाबा ने महिला से कहा कि वह इस स्पर्श किये हुए पत्थर को रास्ते में कहीं भी धरती पर न रखे अन्यथा उसी स्थान पर स्थापित हो जाएगा। स्वप्न अनुसार उस महिला ने एक पत्थर को बाबा बालक रूपी की पिंडी से स्पर्श कर उसे लेकर अपने घर कस की ओर चल पड़ी। कहते हैं कि जब वह गरोडू स्थित वर्तमान बाबा बालकरूपी मंदिर वाले स्थान पर पहुंची तो वह शौचालय के लिए रूकी। इस बीच उस महिला ने स्पर्श किये हुए पत्थर को एक चट्टान पर रख दिया। उस समय इस स्थान पर घना जंगल हुआ करता था। जैसे ही वह महिला शौचालय करने के बाद उस पत्थर को उठाने लगी तो वह इसे उठाने में असमर्थ रही तथा इसी स्थान पर स्थापित हो गया। वह चट्टान आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है।

कहते हैं कि इसी बीच बाबा बालक रूपी ने तत्कालीन मंडी रियासत के राजा को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा कि राजन मैं आपकी रियासत में पहुंच चुका हूं तथा मेरा वहां एक मंदिर बनवाओ। तब राजा ने यहां पर एक छोटा सा मंदिर बनवाया तथा मंडी रियासत के साथ-साथ कांगड़ा जनपद के लोगों के कुल देवता (कुलज) के रूप में प्रसिद्ध हुए। कहते हैं कि रियासत काल में ही लोगों की सुविधा के लिए तत्कालीन राजा ने गरोडू स्थित बाबा के मंदिर से एक पत्थर स्पर्श कर उसे मंडी में भूतनाथ गली में भी स्थापित कर वहां मंदिर का निर्माण करवाया है। लोग कुलज के रूप में इन्हे वहां भी पूजते हैं तथा कई लोग अभी भी गरोडू में आना पसंद करते हैं।

स्थापना के समय से ही सरकारी नियंत्रण में रहा है यह मंदिर
इस मंदिर की अहम बात यह है कि अपनी स्थापना के समय से ही सरकारी नियंत्रण में रहा है। रियासत काल में यह मंदिर राजा के अधीन रहा जबकि स्वतंत्रता के बाद सीधे सरकारी नियंत्रण में आ गया। वर्तमान में एसडीएम जोगिन्दर नगर इस मंदिर कमेटी के अध्यक्ष हैं।
आषाढ़ महीने में होते हैं शनिवार के मेले, शिवरात्रि पर शिव महापुराण कथा होती है आयोजित
बाबा बालक रूपी मंदिर में आषाढ़ व मार्गशीर्ष माह में शनिवार मेलों का आयोजन होता है। शिवरात्रि पर्व के अवसर पर महाशिवपुराण कथा भी आयोजित की जाती है। महाशिवपुराण कथा का आयोजन पिछले लगभग 25 वर्षों से निरन्तरता में किया जा रहा है। इसके अलावा शिवरात्रि पर्व के मौके पर झांकी भी निकाली जाती है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं एसडीएम जोगिन्दर नगर कृष्ण कुमार शर्मा का कहना है कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई तरह की सुविधाएं जुटाई गई हैं। मंदिर में लंगर या भंडारा लगाने के लिए एक बड़े हॉल का निर्माण किया गया है। साथ ही श्रद्धालुओं के ठहरने को चार कमरे भी निर्मित किये गए हैं। जिनमें शौचालय एवं किचन की सुविधा उपलब्ध है। मुंडन संस्कार के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर जहां तीन नए शौचालय निर्मित किये हैं तो वहीं गिजर के साथ बाथरूम की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पार्किंग स्थल को भी बेहतर बनाया गया है तथा मेला आयोजन के लिए मेला ग्राउंड का भी निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण भी किया गया है।

कैसे पहुंचे बाबा बालकरूपी मंदिर:
बाबा बालक रूपी मंदिर जोगिन्दर नगर बस स्टैंड से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जोगिन्दर नगर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु बस व रेल के माध्यम से आ सकते हैं। जोगिन्दर नगर सीधे रेल नेटवर्क के साथ जुड़ा हुआ है तथा वाया पठानकोट, पालमपुर  बैजनाथ होकर यहां पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा पठानकोट, कांगड़ा, धर्मशाला, बैजनाथ, मंडी इत्यादि स्थानों से भी सीधे सडक़ मार्ग से पहुंचा जा सकते हैं। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल कांगड़ा है।





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