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Monday, 28 August 2017

हिमाचल प्रदेश के 18.6 लाख बच्चों को लगेगा खसरा-रूबैला का टीका

हिमाचल प्रदेश में 30 अगस्त से शुरू हो रहा खसरा-रूबैला टीकाकरण अभियान
हिमाचल प्रदेश में बच्चों को खसरा जैसी जानलेवा बीमारी से पूरी तरह बचाव के लिए 30 अगस्त से खसरा-रूबैला विशेष टीकाकरण अभियान की शुरूआत होने जा रही है। इस अभियान के माध्यम से प्रदेश के सभी 9 माह से 15 वर्ष तक आयु वाले लगभग 18.6 लाख बच्चों का खसरा-रूबैला का टीकाकरण किया जाएगा। पूरे प्रदेश में इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने लगभग 2760 टीमों का गठन किया है। इस अभियान के तहत पूरे देश में दो वर्षों के भीतर लगभग 41 करोड बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत सरकार के संयुक्त प्रयासों से देश में पहले चरण में पांच राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों जिसमें कर्नाटक, तमिलनाडू, पुडूच्चेरी, गोवा तथा लक्षद्वीप शामिल के लगभग 3.33 करोड बच्चों को खसरा-रूबैला का यह टीका सफलतापूर्वक लगाया जा चुका है। जबकि दूसरे चरण में देश के आठ राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों जिनमें आंध्रप्रदेश, चंडीगढ़, हिमाचल, केरल, तेलंगाना, उत्तराखंड, दादरा एवं नगर हवेली तथा दमण व द्वीव शामिल है के लगभग 3.40 करोड बच्चों को खसरा-रूबैला का यह टीका लगाया जा रहा है।
भारत में पूरे विश्व के मुकाबले लगभग 37 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु खसरा की बीमारी के कारण हो जाती है। भले ही भारत सरकार ने खसरा से होने वाली मृत्यु के आंकडे को वर्ष 2000 के आंकडे एक लाख बच्चों के मुकाबले वर्ष 2015 में 49 हजार तक ला दिया हो, लेकिन देश में खसरे के कारण बच्चों की होने वाली मृत्यु का यह आंकडा अभी भी बहुत बडा है। इसी तरह रूबैला के कारण देश में प्रतिवर्ष लगभग 40 हजार बच्चे जन्मजात बहरेपन व अंधेपन का शिकार हो रहे हैं। 
इस अभियान को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिनिधि डॉ0 निधि दंवर का कहना है कि भारत सरकार द्वारा पोलियो मुक्ति के बाद बच्चों को खसरा-रूबैला से बचाव के लिए यह विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से सरकार ने देश को वर्ष 2020 तक खसरा से मुक्ति तथा रूबैला से होने वाली बच्चों में जन्मजात विकृतियों को नियंत्रित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होने बताया कि नियमित टीकाकरण के अंतर्गत खसरा वैक्सीन का 9 माह तथा डेढ़ वर्ष की आयु पर टीका लगाया जाता है। लेकिन इस विशेष अभियान के दौरान 9 माह से 15 वर्ष तक आयु वाले सभी बच्चों को खसरा-रूबैला का टीका एक अतिरिक्त खुराक के तौर पर लगाया जाएगा तथा भविष्य में खसरा-रूबैला का टीका नियमित टीकाकरण में शामिल हो जाएगा।
डॉ0 निधि का कहना है कि खसरा एक अत्यन्त संक्रामक रोग है जिसके कारण भारत बर्ष में प्रतिवर्ष 50 हजार से ज्यादा बच्चों की मृत्यु हो जाती है। उन्होने बताया कि यदि गर्भवती माता गर्भावस्था के दौरान रूबैला से संक्रमित होती है तो गर्भस्थ शिशु में कई जन्मजात बीमारियां होने का खतरा पैदा हो जाता है, जिनमें बहरापन, अंधापन, मंदबुद्धि तथा ह्रदय रोग इत्यादि शामिल है। इसके अलावा गर्भ में बच्चे की मृत्यु तक हो जाती है। जबकि खसरे का टीका न लगने के कारण बच्चे न्युमोनिया, डायरिया सहित अन्य बीमारियों के जल्द शिकार हो सकते हैं। खसरा-रूबैला वैक्सीन के टीकाकरण से इन बीमारियों से बचा जा सकता है तथा भारत में खसरा पर नियंत्रण करने के लिए रूबैला वैक्सीन पहली बार खसरा-रूबैला के नाम से संयुक्त रूप से आरम्भ की जा रही है। उन्होने बताया कि यह टीका पूरी तरह से सुरक्षित है तथा इसे स्वास्थ्य विभाग की प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी द्वारा ही बच्चों को लगाया जाएगा।
ऐसे में यदि जिला ऊना की बात करें तो जिला में लगभग एक लाख 28 हजार बच्चों को खसरा-रूबैला का टीका लगाया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने जिला में 940 स्कूलों को चिन्हित कर लिया गया है। जिनमें 761 सरकारी, 157 निजी, आठ विशेष स्कूल, सात क्रैच व प्ले स्कूल तथा एक मदरसा शामिल है। इसके अतिरिक्त 1344 आंगनवाडी केन्द्रों को भी शामिल किया गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ऊना डॉ0 प्रकाश दडोच का कहना है कि विभाग ने अभियान के दृष्टिगत 190 टीमों का गठन कर लिया है तथा एक टीम द्वारा एक दिन में कम से कम दो सौ बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। टीकाकरण के दौरान बच्चों को कम से कम आधे घंटे तक विशेष निगरानी में रखा जाएगा तथा कोई भी समस्या होने पर संबंधित बच्चे को तुरन्त प्राथमिक उपचार मुहैया करवाया जाएगा। इस दौरान किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सभी टीमों को आवश्यक दवाईयों के साथ-साथ अन्य जरूरी सामान व जानकारी मुहैया करवाई गई है। इसके अलावा जिला के सभी प्राथमिक, सामुदायिक, सिविल तथा जोनल अस्पताल में भी खसरा-रूबैला टीकाकरण को लेकर भी सभी आवश्यक प्रबंध कर लिए गए हैं। खसरा-रूबैला अभियान को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग ने एक हेल्पलाइन नम्बर भी जारी किया गया है जिसका नम्बर 92184-30213 है, जिस पर इस अभियान से जुडी कोई भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 
इस तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन व भारत सरकार के संयुक्त प्रयासों से देश को 2020 तक खसरा-रूबैला से पूर्णत मुक्ति के लिए समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपनी साकारात्मक भूमिका निभाए। साथ ही इस अभियान के दौरान 9 माह से 15 वर्ष तक आयु वाले सभी बच्चों के अभिभावकों से भी आहवान है कि वह बच्चों को खसरा-रूबैला का टीका अवश्य लगावाएं ताकि हमारे बच्चे खसरे जैसी जानलेवा बीमारी से मुक्त हो सकें।

(साभार: दैनिक न्याय सेतु, 28 अगस्त, 2017 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)

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