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Tuesday, 10 September 2019

राष्ट्रीय महाशीर मत्स्य फार्म मच्छयाल जोगिन्दर नगर


गोल्डन महाशीर मछली प्रजनन केंद्र के तौर पर कर रहा कार्य, 2016 से हो रहा सफल प्रजनन
वर्ष 2012 से मंडी जिला के जोगिन्दर नगर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बडौन (मच्छयाल) में राष्ट्रीय महाशीर मत्स्य प्रजनन फार्म कार्य कर रहा है, जो सरकारी क्षेत्र में देश का पहला महाशीर मछली प्रजनन फॉर्म है। यह मत्स्य फार्म वर्ष 2012 से गोल्डन महाशीर मत्स्य प्रजनन एवं उत्पादन केंद्र के तौर पर कार्य कर रहा है। लगभग अढ़ाई हैक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस मछली फार्म में मत्स्य विभाग द्वारा राणा खड्ड, लूणी खड्ड, कांडापत्तन, सोन खड्ड, ब्यास नदी तथा अन्य प्राकृतिक जल स्त्रोतों से सुनहरी महाशीर मछली का लगभग 2184 बीज इक्टठा किया गया। इसके उपरान्त इन्हे फार्म में पालकर इन्हे परिपक्व नर व मादा के तौर पर तैयार कर फार्म में ही प्रजनन करवाया जा रहा है। वर्ष 2012 में उत्तराखंड सरकार के मत्स्य विभाग की ओर से 4155 गोल्डन महाशीर मछली को फार्म में रखने का कार्य मिला थी जिसे भी सफलतापूर्वक किया गया है।
21 जुलाई, 2016 को पहली बार फार्म में सफल प्रजनन होने के बाद 29 जुलाई, 2016 को इसका विधिवत उद्घाटन किया गया। वर्ष 2016 के बाद इस फार्म में गोल्डन महाशीर मछली का सफल प्रजनन किया जा रहा है। आंकड़ों में बात करें तो वर्ष 2016-17 के दौरान 19,800 अंडों का प्रजनन, वर्ष 2017-18 के दौरान 20,965, वर्ष 2018-19 में 28,670 जबकि चालू वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक 10,500 अंडों का सफल प्रजनन कर लिया है तथा सितम्बर माह तक यह गिनती जारी रहेगी। इस केंद्र का प्रमुख उद्देश्य सुनहरी महाशीर मछली का प्रजनन कर इन्हे प्रदेश के प्राकृतिक जलस्त्रोतों में छोडऩा है ताकि इन प्राकृतिक जल स्त्रोतों से तैयार होने वाली गोल्डन महाशीर मछली को बढ़ावा देने के साथ-साथ इसका सीधा लाभ स्थानीय मछुआरों को हो सके।

विलुप्तप्राय: प्रजाति में शामिल है महाशीर मछली
वास्तव में महाशीर मछली आज के दौर में दुनिया की विलुप्तप्राय: प्रजाति में शामिल हो चुकी है। नदियों व अन्य विभिन्न प्राकृतिक जल स्त्रोतों मेें बांध इत्यादि बन जाने के कारण जहां महाशीर मछली का प्रजनन चक्र प्रभावित हुआ है तो वहीं अवैज्ञानिक तरीके से अत्यधिक शिकार के कारण भी यह प्रजाति लगातार विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। प्रजननकाल के दौरान महाशीर मछली झुंड में नदी की ऊपरी धाराओं की ओर प्रवास करती है, लेकिन इस दौरान इनको हानि पहुंचने की अधिक संभावनाएं बनी रहती है जब अनैतिक मछुआरे इनका शिकार करने से नहीं चूकते हैं।

क्रीड़ा मछलियों में एंगलर की पसंद है गोल्डन महाशीर, प्रतिवर्ष अढ़ाई हजार एंगलर पहुंचते हैं हिमाचल
महाशीर मछली को विश्व प्रसिद्ध क्रीड़ा मछली के तौर पर जाना जाता है जिनमें गोल्डन महाशीर सबसे अधिक पसंद की जाती है। एंगलर गोल्डन महाशीर को क्रीड़ा मछलियों में सबसे बेहतर मानते हंै तथा भारतीय व विदेशी एंगलर के लिए यह मनोरंजन का एक बेहतरीन स्त्रोत भी है। एंगलर भी गोल्डन महाशीर मछली की दृष्टि से हिमालय क्षेत्र को सबसे बेहतरीन मानते हैं तथा प्रतिवर्ष लगभग अढ़ाई हजार एंगलर प्रदेश में आते हैं। ऐसे में इस फार्म के माध्यम से प्रदेश में गोल्डन महाशीर मछली के उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा देकर जहां सीधे स्थानीय मछुआरों को लाभान्वित करना है तो वहीं एंगलर के शौकीन लोगों के आकर्षित होने से प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को भी बल मिलेगा।

क्या कहते हैं अधिकारी
निदेशक मात्स्यिकी विभाग हिमाचल प्रदेश एसपी मैहता का कहना है कि जोगिन्दर नगर के मच्छयाल में स्थापित गोल्डन महाशीर मछली प्रजनन फार्म सरकारी क्षेत्र में कार्यरत देश का पहला प्रजनन फार्म है। जिसका प्रमुख लक्ष्य विलुप्तप्राय: गोल्डन महाशीर मछली का बीज तैयार कर प्रदेश के प्राकृतिक जल स्त्रोतों में इसको बढ़ावा देना है। इससे न केवल स्थानीय मछुआरों की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी बल्कि एंगलर के शौकीन लोगों को भी आकर्षित करने को बल मिलेगा। उनका कहना है कि महाशीर मछली का विकास धीमी गति से होता है तथा 10 डिग्री या इससे कम तापमान होने पर ये खाना छोड़ देती है जिसके कारण फार्म में नवम्बर से फरवरी माह के दौरान आहार न लेने के कारण मछलियों का विकास प्रभावित हो रहा है।
एसपी मैहता का कहना है कि प्रदेश में महाशीर मछली का शिकार करने के लिए प्रतिवर्ष लगभग अढ़ाई हजार एंगलर पहुंचते हैं, जिनकी सुविधा के लिए जहां प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर एंगलर साईट्स चिन्हित की गई है तो वहीं एंगलर हट्स का भी निर्माण किया गया है। मच्छयाल महाशीर फॉर्म में भी एंगलर हट लगभग बनकर तैयार हो चुकी है।
 इसके अतिरिक्त मछलियों के संरक्षण को बल देते हुए प्रदेश में मछली के प्रजनन काल 16 जून से 15 अगस्त के दौरान शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध रहता है तथा इसे गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखते हुए उल्लंघना होने पर संबंधित व्यक्ति को तीन वर्ष तक के कैद की सजा का प्रावधान है।





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