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Wednesday, 22 February 2017

जिला ऊना में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के आ रहे सकारात्मक परिणाम

राष्ट्रीय स्तर पर कन्याओं को बचाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को चलाया गया जिसके तहत देश भर के उन चुनिंदा जिलों को शामिल किया गया है जहां बेटियों की संख्या बेटों के मुकाबले लगातार कम हुई है। इसी अभियान के तहत प्रथम चरण में हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना को शामिल किया गया है, जहां वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर 0-6 वर्ष आयु वर्ग में कन्या शिशु लिंगानुपात प्रति हजार लडकों पर  870 दर्ज किया गया है। जिला ऊना का शिशु लिंगानुपात न केवल राष्ट्रीय औसत 914 से कम आंका गया है बल्कि हिमाचल प्रदेश के औसत शिशु लिंगानुपात 906 सहित अन्य जिलों के मुकाबले भी काफी कम रहा है। लेकिन गत दो वर्षों के दौरान जिला में चले बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अब कई सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं। ऐसे में यदि स्वास्थ्य विभाग के प्रारंभिक आंकडों की बात करें तो जिला ऊना में कन्या शिशु लिंगानुपात की दर 900 से ऊपर का आंकडा पार कर गई है। यह आंकडा न केवल एक सुखद एहसास दे रहा है बल्कि बेटियों के प्रति लोगों में व्यापक जन जागरूकता लाने में भी कामयाब हुआ है।
जिला प्रशासन द्वारा बेटियों के प्रति जागरूकता लाने के लिए जहां पंचायत व उप-मंडल स्तर पर विशेष कार्यबल गठित किए गए हैं तो वहीं पंचायतों व ग्राम सभाओं के माध्यम से जन साधारण को भी जोडा गया। इस अभियान के तहत जहां जिला के तमाम शिक्षण संस्थानों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के माध्यम से बडे पैमाने पर घर-घर पहुंचाया गया है तो वहीं कन्या भ्रूण हत्याओं पर भी विभिन्न स्तरों पर पैनी नजर रखी गई। इतना ही नहीं जिला प्रशासन ने बेटी बचाओ का संदेश लोगों तक पहुंचाने तथा बेटियों के प्रति व्याप्त रूढिवादी नजरिये में बदलाव लाने के दृष्टिगत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से जिला का नाम रोशन करने वाली पांच बेटियों के चित्रों को प्रदर्शित करते हुए लगभग 25 बडे-बडे होर्डिंगस विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित किए गए हैं। इन होर्डिंगस में आईपीएस, जज तथा आर्मी ऑफिसर बन जिला का नाम चमकाने वाली पांच बेटियों की तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं। इसके अलावा जिला प्रशासन द्वारा बेटी बचाओ पर एक कॉलर टयून भी बनाई गई है जो लोगों के मोबाइल फोन में लगातार बज रही है। यह कॉलर टयून जिला ऊना सहित पूरे प्रदेश भर में न केवल लोकप्रिय हुई है बल्कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश आम जनमानस तक आसानी से पहुंचे इस लक्ष्य में भी सफल हो पा रही है। 
जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रदेश व जिला का नाम रोशन करने वाली बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक लाख रूपये का ईनाम देने की योजना भी बनाई है ताकि न केवल प्रतिभावान बेटियों को प्रोत्साहित किया जा सके बल्कि लोगों के नजरिए में बेटियों के प्रति व्याप्त मानसिकता में भी बदलाव लाया जा सके। इसके अलावा बेटियों के महत्व को पर्यावरण से जोडते हुए एक वन बेटियों के नाम के तहत जहां बेटियों को समर्पित विशेष आरक्षित वनक्षेत्र में पौधारोपण किया गया तो वहीं इन्हे बचाने के लिए समाज की व्यापक सहभागिता भी सुनिश्चित बनाई गई। 
जिला में बेटी बचाओ अभियान के ओर भी सकारात्मक व बेहतर परिणाम आए इसके लिए जिला प्रशासन ने कारगर योजना भी बनाई है। इस बारे उपायुक्त विकास लाबरू का कहना है कि जिला में कन्या भ्रूण हत्या की प्रवृति पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए कन्या शिशुलिंगानुपात की दृष्टि से चिन्हित 75 ऐसी अति संवेदनशील ग्राम पंचायतों में चार स्तर में विशेष मुहिम चलाई जाएगी। जिसके तहत पहले स्तर में बाल विकास परियोजना अधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग की आशा वर्कर्ज के माध्यम से गर्भवती महिलाओं का दोहरा पंजीकरण किया जाएगा तथा पंजीकरण के बाद लगातार ट्रैक किया जाएगा कि उस परिवार में बच्चे ने जन्म लिया है या फिर गर्भवती महिला की लिंग जांच करवाकर गर्भपात तो नहीं करवाया गया है। इसके साथ ही रैड जोन में उन परिवारों को चिन्हित किया जाएगा जहां पहले ही 2 या उससे अधिक बेटियां हैं। इसके बाद येलो जोन में एक बेटी वाले परिवार को चिन्हित करके उपायुक्त स्वयं ऐसे परिवारों से रू-ब-रू होकर समाज में बेटियों का महत्व भी बताएंगे और साथ ही कन्या भ्रूण हत्या जैसे सामाजिक बुराई से दूर रहने के लिए भी प्रेरित करेंगे। चौथे स्तर के तहत जिन पंचायतों में शिशु लिंगानुपात कम हो रहा है वहां सीडीपीओ और संबंधित सुपरवाइजर द्वारा कारणों का आकलन किया जाएगा और ठोस रणनीति तैयार की जाएगी।
ऐसे में जिला प्रशासन व यहां के लोगों की व्यापक जन सहभागिता से वह दिन दूर नहीं होगा जब ऊना जिला प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के उन चुनिंदा जिलों में शुमार होगा जहां बेटियों की संख्या बेटों के मुकाबले कमतर नहीं रहेगी।


(साभार: दैनिक न्याय सेतु, 22 फरवरी, 2017 एवं दैनिक आपका फैसला, 23 फरवरी, 2017 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)

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