हिमाचल प्रदेश जहां प्राकृतिक सौंदर्य के चलते विश्व विख्यात है तो वहीं विभिन्न धार्मिक स्थानों के कारण भी प्रदेश की राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक पहचान है। प्रदेश में स्थित विभिन्न पवित्र धार्मिक स्थानों के चलते जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शनार्थ यहां पहुंचते हैं तो वहीं प्रदेश की शुद्ध, शांत व साफ-सुथरी आवोहवा का आनन्द भी उठाते हैं। प्रदेश में स्थित विभिन्न पवित्र धार्मिक स्थानों में से एक है जिला ऊना के उपमंडल अंब में बाबा बडभाग सिंह जी का पवित्र स्थान मैडी। उपमंडल अंब के मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के मध्य में स्थित मैडी एक अत्यंत सुंदर, शांत व रमणीय स्थान है।
इस पवित्र स्थान के बारे में कई किंवदन्तियां व कथाएं प्रचलित हैं जिसमें एक कथा के अनुसार लगभग 300 वर्ष पूर्व पंजाब के कस्बा करतारपुर से बाबा राम सिंह के सुपुत्र बड़भाग सिंह अहमदशाह अब्दाली के हमले से तंग आकर शिवालिक पहाडियों की ओर चल पड़े। जब वह नैहरी गांव के साथ लगते क्षेत्र दर्शनी खड्ड के समीप पहुंचे तो उनका सामना अफगानी सैनिकों के साथ हुआ। यह भी कहा जाता है कि उन्होने अपने ओजस्वी तेज से अफगानी फौज को वहां से खदेड दिया। कहते हैं कि उस समय मैड़ी एक निर्जन स्थान था और दूर-दूर तक कोई बस्ती नहीं थी। यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में यदि कोई गलती से प्रवेश कर जाता था तो उसे भूत प्रेत आत्माएं या तो बीमार कर देतीं थीं या फिर पागल कर देती थीं। बाबा बडभाग सिंह जी ने इस जगह पर घोर तपस्या की तथा कहते हैं कि ऐसी प्रेत आत्माओं ने बाबा जी को खूब तंग किया लेकिन वह अपने प्रयास में कामयाब नहीं हो सकीं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार वर्ष 1761 में पंजाब के कस्बा करतारपुर जो जिला जालंधर में पडता है, सिख गुरू अर्जुन देव जी के वंशज बाबा राम सिंह सोढ़ी और उनकी धर्मपत्नी माता राजकौर के घर में बड़भाग सिंह का जन्म हुआ था। उन दिनों अ$फगानों के साथ सिख जत्थेदारों की खूनी भिड़ंतें होती रहती थीं। बाबा बड़भाग सिंह बाल्याकाल से ही आध्यात्म को समर्पित होकर पीडित मानवता की सेवा को अपना लक्ष्य मानने लगे थे। कहते हैं कि वह एक दिन घूमते हुए मैडी गांव स्थित दर्शनी खड्ड जिसे अब चरण गंगा के नाम से भी जाना जाता है, पहुंचे और यहां के पवित्र जल में स्नान करने के बाद मैडी़ स्थित एक बेरी के वृक्ष के नीचे ध्यानमग्र हो गए। मैडी का यह क्षेत्र एक दम वीरान था और दूर-दूर तक कोई बस्ती नहीं थी। कहते यह भी हैं कि यह क्षेत्र वीर नाहर सिंह नामक एक पिशाच के प्रभाव में था। नाहर सिंह द्वारा परेशान किए जाने के बावजूद बाबा बडभाग सिंह जी ने इस जगह पर घोर तपस्या की तथा एक दिन दोनों के आमने सामने हुआ तो बाबा बडभाग सिंह ने दिव्य शक्ति से नाहर सिंह को काबू करके बेरी के वृक्ष के नीचे एक पिंजरे में कैद कर लिया। कहते हैं कि बाबा बडभाग सिंह ने उसे इस शर्त पर आजाद किया कि वीर नाहर सिंह अब वह इसी स्थान पर मानसिक रूप से बीमार और बुरी आत्माओं के शिकंजे में जकडे लोगों को स्वस्थ करेंगें और साथ ही नि:संतान लोगों को फलने का आर्शीवाद भी देगेें। बेरी का पेड़ आज भी यहां मौजूद है और डेरा बाबा बड़भाग सिंह नामक धार्मिक स्थल के साथ सटा है। प्रतिवर्ष इस डेरा में लाखों श्रद्धालु आकर बाबा जी की आर्शीवाद प्राप्त करते हैं।
इस वर्ष का डेरा बाबा बडभाग सिंह होली मेला का आयोजन 16 से 26 मार्च तक किया जा रहा है। 23 मार्च को झंडे की रस्म होगी जबकि 25 व 26 मार्च की मध्यरात्रि को पंजा साहिब का पवित्र प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा।
इस तरह हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना की शिवालिक पहाडियों में स्थापित इस पवित्र धार्मिक स्थान पर जहां लाखों भक्त प्रतिवर्ष बाबा जी का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं तो वहीं बाबा जी बुरी आत्माओं व मानसिक बीमारी से पीडित लोगों को स्वस्थ जीवन जीने तथा नि:संतान परिवारों को फलने फूलने का आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं।
(साभार: दिव्य हिमाचल, 19 मार्च, 2016 को आस्था अंक तथा गिरिराज 11 मई, 2016 के अंक में प्रकाशित)
(साभार: दिव्य हिमाचल, 19 मार्च, 2016 को आस्था अंक तथा गिरिराज 11 मई, 2016 के अंक में प्रकाशित)
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