हिमाचल प्रदेश में 0-6 वर्ष आयु वर्ग में कन्या भ्रूण हत्याओं एवं अन्य कारणों से जहां हमारे समाज में बेटियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज हुई है तो वहीं बेटों की चाहत में बेटियों की अनदेखी ने हमारी सामाजिक व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह खडा कर दिया है। ऐसे में यदि प्रदेश की पिछली जनगणाओं के आंकडों का विशलेषण करें तो प्रदेश में कन्या शिशु लिंगानुपात में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। प्राप्त आंकडों की बात करें तो प्रदेश में जहां वर्ष 1981 में 0-6 वर्ष आयु वर्ग में प्रति हजार लडकों पर लडकियों का शिशु लिंगानुपात 971 था जो वर्ष 1991 में गिरकर 951 तथा 2001 में यही आंकडा नौ सौ के नीचे 896 तक जा पहुंचा। भले ही वर्ष 2011 की जनगणना में प्रदेश में यही लिंगानुपात 906 हो गया हो लेकिन राष्ट्रीय अनुपात 914 के मुकाबले न केवल कम है बल्कि प्रदेश के कई जिलों में प्राप्त आंकडों के कारण स्थिति को ओर भी भयावह बना दिया है।
राष्ट्रीय स्तर पर देश भर में बेटियों को बचाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को चलाया गया जिसके तहत देश भर के उन चुनिंदा जिलों को शामिल किया गया है जहां बेटियों की संख्या बेटों के मुकाबले लगातार कम होती गई है। इसी अभियान के तहत जहां प्रथम चरण में हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना को शामिल किया गया तो वही दूसरे चरण में जिला कांगडा व हमीरपुर को भी शामिल कर लिया गया है। लेकिन ऐसे में बेटियों के प्रति समाज में व्यापक जन जागरूकता लाने तथा कन्या भ्रूण हत्याओं को रोकने के लिए हिमाचल सरकार ने स्वयं पहल करते हुए मुस्कान योजना को प्रारंभ किया। मुस्कान योजना को पहले चरण में प्रदेश के सात जिलों चंबा, किन्नौर, लाहुल व स्पिति, कुल्लू, शिमला, सिरमौर तथा सोलन में आरंभ किया गया तो वहीं अब इस योजना को प्रदेश के शेष बचे जिलों में भी प्रारंभ कर दिया गया जिसमें कन्या शिशु लिंगानुपात की दृष्टि प्रदेश के अति संवेदनशील जिला ऊना भी शामिल है।
ऐसे में वर्ष 2011 के आंकडों की बात करें तो जिला ऊना में जहां कन्या शिशु लिंगानुपात 870 दर्ज किया गया है जो राष्ट्रीय औसत के मुकाबले काफी कम आंका गया था। लेकिन जिला में चले बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जहां स्वास्थ्य विभाग के आंकडों के मुताबिक शिश ुलिंगानुपात में वृद्धि दर्ज हुई है तो वहीं प्रशासन द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों से बेटियों के प्रति व्यापक जागरूकता भी आई है। लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद जिला ऊना प्रदेश का एक सीमावर्ती जिला होने के कारण जहां पडोसी राज्यों में कन्या भ्रूण हत्याओं की घटनाओं के कारण शिशु लिंगानुपात को प्रभावित किया है तो वहीं कानूनी शिकंजा भी ऐसे कुकृत्य करने वालों को आसानी से अपनी पकड़ में नहीं ले पाता है।
ऐसे में प्रदेश सरकार की मुस्कान योजना जहां जिला में कन्या शिशु लिंगानुपात में व्यापक सुधार लाने तथा कन्या भ्रूण हत्याओं को रोकने में कारगर साबित होगी। इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में गर्भावस्था के दस सप्ताह के दौरान पंजीकरण करवाना अनिवार्य बनाया गया है तो वहीं आंगनवाडी कार्यकत्र्ताओं के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को नजदीकी स्वास्थ्य या उप स्वास्थ्य केन्द्र में भी पंजीकृत करवाया जाएगा। सबसे अहम पहेलु तो यह है कि आंगनवाडी कार्यकत्र्ताओं के सहयोग से गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को लगातार ट्रैक किया जाएगा। इसके अलावा जिन परिवारों में पहले से ही एक या दो लडकियां हैं उन परिवारों को महिला की गर्भावस्था की स्थिति के दौरान अति संवेदनशील श्रेणी में रखा जाएगा तथा आंगनवाडी वर्कर्ज के माध्यम से लगातार निगरानी रखी जाएगी। इसी योजना के अंतर्गत पंचायतों के पिछले पांच वर्षों के जन्म पर शिशु लिंगानुपात के आंकडे भी एकत्रित किए जाएंगें तथा जिन पंचायतों में कन्या शिशु लिंगानुपात की दर में लगातार कमी पाई जाती है तो ऐसी पंचायतों को रेड अलर्ट पर रखा जाएगा।
मुस्कान योजना के तहत बेटियों के प्रति व्यापक जन जागरूकता लाने के लिए कम कन्या लिंगानुपात वाली पंचायतों को चिन्हित कर जहां नवविवाहित जोडों को परामर्श के माध्यम से जागरूक किया जाएगा तो वहीं व्यापक जन जागरूकता लाने के लिए जगह-जगह जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जाएंगे। साथ ही जिला में गुडडा-गुडडी बोर्ड के माध्यम से प्रमुख जगहों पर नवजात कन्याओं व बेटियों की संख्या को भी प्रदर्शित किया जाएगा। जबकि पंचायत में पैदा होने वाली नवजात कन्याओं के अभिभावकों को मुख्य मंत्री द्वारा हस्ताक्षरित बधाई पत्र भी दिया जाएगा। इसके अलावा नवजात कन्याओं के नाम पर विभिन्न तरह की बचत योजनाओं में खाते खोलने जैसे सुकन्या समृद्धि योजना खाता, आरडी या एफडी इत्यादि बारे प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही प्रत्येक पंचायत में वर्ष में कम से कम तीन बार बालिका दिवस आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसी पीएनडीटी) अधिनियम, घरेलु हिंसा अधिनियम, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो) एक्ट, दहेज निरोधक कानून सहित अन्य महिला अधिकारों व कानूनों तथा कल्याण के लिए चल रही विभिन्न योजनाओं बारे भी व्यापक जन जागरूकता लाई जाएगी।
इस तरह जिला ऊना में गत दो वर्षों से चल रहे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के साथ-साथ अब प्रदेश सरकार की मुस्कान योजना भी लिंगानुपात में सुधार लाने, नवजात कन्याओं को बचाने तथा बेटियों के प्रति व्यापक जन जागरूकता लाने में कारगर साबित होगी। ऐसे में जिला प्रशासन व यहां के लोगों की व्यापक जन सहभागिता से वह दिन दूर नहीं होगा जब जिला ऊना प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के उन चुनिंदा जिलों में शुमार होगा जहां बेटियों की संख्या बेटों के मुकाबले कमतर नहीं रहेगी।
(साभार: दैनिक न्याय सेतु, 27 दिसम्बर, 2016 एवं दैनिक आपका फैसला, 9 जनवरी, 2017 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)
(साभार: दैनिक न्याय सेतु, 27 दिसम्बर, 2016 एवं दैनिक आपका फैसला, 9 जनवरी, 2017 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)