Himdhaara Search This Blog

Tuesday, 6 August 2019

अथराह (व्यूहं) गांव के धर्म सिंह मुर्गी पालन से प्रतिमाह कमा रहे 25 हजार


पशु पालन विभाग की 5 हजार ब्रायलर चूजा योजना बनी मददगार

जोगिन्दर नगर उप-मंडल की ग्राम पंचायत व्यूंह के गांव अथराह निवासी धर्म सिंह मुर्गी पालन से जुडक़र प्रतिमाह औसतन 25 हजार रूपये घर बैठे कमा रहे हैं। धर्म सिंह के लिए पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग की 5 हजार ब्रायलर चूजा योजना न केवल मददगार साबित हुई है बल्कि मुर्गी पालन आज उनके लिए आर्थिकी का एक प्रमुख स्त्रोत बन गया है। साथ ही एक स्थानीय व्यक्ति को भी 6 हजार रूपये प्रतिमाह पर रोजगार भी प्रदान किया है।

लोक निर्माण विभाग से वर्ष 2012 में चुतुर्थ श्रेणी पद से सेवानिवृत 69 वर्षीय धर्म सिंह के लिए सेवानिवृति उपरान्त बिना सरकारी पेंशन परिवार का खर्चा वहन करना न केवल मुश्किल होने लगा बल्कि दिनोंदिन आर्थिक तंगी बढ़ती गई। लेकिन ऐसे में पारंपरिक खेती बाडी न केवल एक बोझ बन रही थी बल्कि पर्याप्त पानी न होने के साथ-साथ जंगली व आवारा जानवरों के चलते खेती घाटे का सौदा साबित हो रही थी। ऐसे में वर्ष 2016 में उन्हे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपली के गांव कुराटी में आयोजित किसान जागरूकता शिविर में शामिल होने का मौका मिला तथा इस दौरान उन्हे न केवल मुर्गीपालन बारे जानकारी हासिल हुई बल्कि पशु पालन विभाग की विभिन्न योजनाओं को भी जानने का सुअवसर मिला। इस दौरान उन्होने मुर्गी पालन को अपनाने का निर्णय लिया।

धर्म सिंह का कहना है कि उन्हे विभाग द्वारा सुंदरनगर स्थित मुर्गीपालन प्रशिक्षण संस्थान में वैज्ञानिक मुर्गीपालन बारे एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण उपरान्त सिंतबर, 2016 में 200 चूजों की क्षमतायुक्त मुर्गी बाड़े का निर्माण किया तथा पहली खेप विभाग के माध्यम से सुंदरनगर हैचरी से प्राप्त हुई। इस बीच उनके 35 चूजों की विभिन्न कारणों से मौत हो गई। लेकिन हिम्मत न हारते हुए वर्ष 2017 में मुर्गी बाड़े का विस्तार करते हुए 2 हजार चूजे पालने का निर्णय लिया। इसके बाद पशु पालन विभाग द्वारा उन्हे पांच हजार ब्रायलर चूजा योजना के तहत एक हजार चूजों की खेप व पक्षी आहार प्राप्त हुआ। इन चूजों की वैज्ञानिक तरीके से बेहतर देखभाल करते हुए चैबरो मुर्गों का 17 क्विटंल ब्रायलर मांस प्राप्त हुआ जिसे बेचकर लगभग डेढ़ लाख रूपये की आय हुई। इसी तरह वर्ष 2018 में 21 क्विंटल ब्रायलर मांस बेचकर लगभग दो लाख तथा मार्च 2019 में पांच हजार चूजा ब्रायलर स्कीम की आखिरी खेप से 20 क्विंटल मांस को 115 रूपये प्रति किलो की दर से बेचकर लगभग दो लाख 30 हजार रूपये की आमदन हुई है। उनका कहना है कि ब्रायलर चूजा पालन के तहत उन्होने मात्र 15 महीनों में ही लगभग चार लाख रूपये व औसतन 25 हजार रूपये प्रतिमाह आय अर्जित की है।
धर्म सिंह ने बताया कि पांच हजार ब्रायलर चूजा योजना के पूर्ण होने के बाद उन्होने नालागढ़ से उन्नत नस्ल के दो सौ सफेद चूजों को खरीदा है जिनकी समूह सक्रियता व वजन वहन क्षमता काफी बेहतरीन है। उनका कहना है कि वे कडक़नाथ नामक भारतीय जंगली मुर्गे को भी पालना चाहते हैं जिसकी मार्केट में काफी मांग रहती है, लेकिन अब तक उन्हे इस नस्ल के मुर्गे उपलब्ध नहीं हो सके हैं। धर्म सिंह मुर्गी पालन युक्त मिश्रित खेती की ओर बढ़ते हुए मछली पालन इकाई भी स्थापित की है जिसमें ट्राउट मछली के बीज डाले हैं। इसके अतिरिक्त उनके पास दो दुधारू जर्सी गाय भी हैं तथा पारंपरिक खेती-बाड़ी के साथ-साथ मौसमी सब्जियों का उत्पादन भी कर रहे हैं।
इस तरह धर्म सिंह मुर्गीपालन से न केवल अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बने हैं। उनका कहना है कि वैज्ञानिक तरीके से पूरी मेहनत व लग्न के साथ इस कार्य को किया जाए तो घर बैठे ही रोजगार का यह एक बेहतरीन साधन हो सकता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जोगिन्दर नगर डॉ. अनीश कुमार का कहना है कि धर्म सिंह एक प्रगतिशील किसान हैं तथा मुर्गी पालन से घर बैठे अच्छी कमाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार पांच हजार ब्रायलर कुक्कुट इकाई स्थापना के तहत स्वरोजगार शुरू करने को पांच हजार चूजे प्रति लाभार्थी को पांच किश्तों में प्रदान किये जाते हैं। जिस पर 60 प्रतिशत सरकारी अनुदान लाभार्थी को कुक्कुट बाड़ा, आहार, वर्तन व चूजों की कीमत पर दिया जाता है जबकि 40 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं वहन करना होता है। इसके अलावा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए बैकयॉर्ड पोल्ट्री स्कीम के अंतर्गत स्वरोजगार शुरू करने को एक दिन की आयु के चूजे को प्रति लाभार्थी 21 रूपये की दर से वितरित किया जाता है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाते हुए घर पर ही रोजगार के साधन सृजित करने का आहवान् किया है। 

No comments:

Post a Comment