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Friday, 3 November 2023

लोअर चौंतड़ा गांव के राजेश कुमार ने मुर्गी पालन को बनाया स्वरोजगार का आधार

  प्रतिमाह औसतन कमा रहे 25 हजार, पशुपालन विभाग की हिम कुक्कुट योजना बनी मददगार 

जोगिन्दर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत चौंतड़ा के गांव लोअर चौंतड़ा निवासी 37 वर्षीय राजेश कुमार के लिए मुर्गी पालन स्वरोजगार का मजबूत आधार बना है। मुर्गी पालन से वे न केवल अपनी आजीविका को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं बल्कि प्रतिमाह औसतन 25-30 हजार रूपये की आय भी अर्जित कर पा रहे हैं। वर्तमान में राजेश कुमार के लिए पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग की हिम कुक्कुट योजना की 3 हजार ब्रायलर चूजा योजना न केवल मददगार साबित हो रही है बल्कि मुर्गी पालन आज उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।

10 वर्षों तक दिल्ली में किया ड्राइविंग का काम, अब मुर्गी पालन बना है रोजगार का जरिया 

आत्मविश्वास से लबरेज 12वीं कक्षा तक शिक्षित राजेश कुमार का कहना है कि लगभग 10 वर्षों तक दिल्ली में रोजी रोटी जुटाने को ड्राइविंग का काम किया। फिर वर्ष 2014 में वापिस घर आए तथा स्वरोजगार को रोजगार का माध्यम बनाने की दिशा में प्रयास करते हुए 50 मुर्गियों से मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू किया। इस बीच वर्ष 2015 में कुक्कुट पालन केंद्र चौंतड़ा से 15 दिन, वर्ष 2017 व 2018 में केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ) चंडीगढ़ से एक सप्ताह का मुर्गी पालन में प्रशिक्षण हासिल किया। दिसम्बर 2022 में केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ) चंडीगढ़ से ही एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में भी भाग लिया। मार्च 2023 में पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग ने 3 हजार ब्रायलर चूजा योजना स्वीकृत की। इस योजना के अंतर्गत पहले बैच में एक हजार ब्रायलर चूजा तैयार कर वे बाजार में बेच चुके हैं तथा इससे उन्हें औसतन 40 से 50 हजार रुपये की आमदन प्राप्त हुई है। साथ ही अब दूसरे बैच के एक हजार चूजों को वे पाल रहे हैं। इस तरह 50 मुर्गियों के पालन से शुरू हुआ उनका यह कार्य अब एक हजार चूजों के पालन पोषण तक पहुंच गया है।

उन्होने बताया कि सरकार ने विभाग के माध्यम से जहां उपदान दरों पर मुर्गियों के लिए शेड बनाकर दिया है तो वहीं मुर्गियों की फीड तथा दवाईयां भी उपलब्ध करवाई हैं। राजेश कुमार कहते हैं कि कोविड-19 के कठिन दौर में जब लाखों लोग बेरोजगार होकर घर बैठ गए थे तो उन्होने मुर्गी पालन से ही न केवल अच्छी खासी आमदनी प्राप्त की बल्कि मुर्गी पालन परिवार की आजीविका को चलाने में मददगार साबित हुआ। लेकिन अब विभाग की मदद से वे इस व्यवसाय को बेहतर तरीके से कर पा रहे हैं तथा उनके आत्मबल को भी मजबूती मिली है।

दूध गंगा योजना के तहत डेयरी पालन में भी कर चुके हैं कार्य, तीन लाख का लिया है ऋण 

राजेश कुमार कहते हैं कि परिवार की आजीविका को चलाए रखने के लिए वर्ष 2018 में मुर्गी पालन के साथ-साथ डेयरी पालन का कार्य भी शुरू किया। दूध गंगा योजना के तहत बैंक से तीन लाख रुपये का ऋण लेकर 11 गायों को पालकर दूध उत्पादन शुरू किया। जिससे भी उन्हे अच्छी आमदनी हासिल हुई, लेकिन वर्ष 2021 में लंपी वायरस रोग के चलते उनकी कुछ गायें मौत का शिकार हो गई। वर्तमान में उनके पास दो गाय हैं तथा दूध बेचकर भी वे अतिरिक्त आमदनी जुटा रहे हैं। इसके अतिरिक्त वे अपनी पुश्तैनी जमीन में विभिन्न तरह की पारंपरिक व नकदी फसलें भी तैयार कर रहे हैं। 

युवा स्वरोजगार के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं अच्छी कमाई 

उन्होंने प्रदेश के युवाओं से आह्वान किया है कि वे यदि स्वरोजगार को अपनाते हैं तो इसके माध्यम से भी जीवन में आगे बढ़ने की अनेकों संभावनाएं मौजूद हैं। उनका कहना है कि स्वरोजगार अपनाने से पहले युवा अपनी कार्य क्षमता व प्राथमिकताओं को तय करते हुए ऐसा स्वरोजगार अपनाएं जिसमें वे बेहतर कर सकते हैं। उनका कहना है कि युवाओं का यह छोटा सा कदम न केवल उन्हे रोजगार के द्वार खोलेगा बल्कि घर बैठे ही वे अच्छी आमदनी भी अर्जित कर सकते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी 

पशु चिकित्सा अधिकारी एवं प्रभारी पशु चिकित्सालय चौंतड़ा डॉ. मुनीश चंद्र का कहना है कि लोअर चौंतड़ा निवासी राजेश कुमार मुर्गी पालन से अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ बना रहे हैं। विभाग ने हिम कुक्कुट योजना के अंतर्गत तीन हजार ब्रायलर चूजा इकाई स्वीकृत की है। जिसके तहत तीन हजार चूजे लाभार्थी को तीन किस्तों में प्रदान किये जा रहे हैं।

हिम कुक्कुट योजना के अंतर्गत 60 प्रतिशत सरकारी अनुदान लाभार्थी को कुक्कुट बाड़ा, आहार, बर्तन व चूजों की कीमत पर दिया जाता है जबकि 40 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं वहन करना होता है। इसके अलावा फीड व दवाईयां भी उपलब्ध करवाई जाती है तथा बिजली का बिल भी विभाग द्वारा वहन किया जाता है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से सरकार की स्वरोजगार योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया है। DOP 02/11/2023












Thursday, 26 September 2019

हराबाग के विनोद कुमार मुर्गीपालन को बतौर उद्यम चाहते हैं अपनाना

पशु पालन विभाग की 200 चूजा बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम बनी है मददगार
जोगिन्दर नगर उप-मंडल के गांव हराबाग निवासी 38 वर्षीय विनोद कुमार मुर्गीपालन को बतौर उद्यम अपनाना चाहते हैं। विनोद कुमार ने आज से लगभग आठ-दस वर्ष पूर्व मुर्गीपालन को व्यवसाय को तौर अपनाया तथा निजी प्रयासों से सुंदरनगर हैचरी से चूजे लेकर पालना शुरू किया तथा लगभग तीन वर्षों तक इस व्यवसाय से जुड़े रहे, परन्तु किन्ही परिस्थितियों के कारण उन्हे कुछ समय के लिए इस व्यवसाय को बंद करना पड़ा। लेकिन पशुपालन विभाग के माध्यम से वर्ष 2015 में चौंतड़ा से छह दिन का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर फिर से इस व्यवसाय से जुड़ गए तथा अब वे मुर्गीपालन को एक उद्यम के तौर पर अपनाने को तैयार हैं।
जब इस बारे विनोद कुमार से बातचीत की तो कहना है कि प्रशिक्षण हासिल करने के बाद घर के एक कमरे को मुर्गीबाड़े में परिवर्तित करने के बाद उन्हे पशु पालन विभाग के माध्यम से वर्ष 2015 में एक दिन के 50 चूजे प्राप्त हुए। इन चूजों की बेहतर देखभाल के साथ-साथ इनकी फीड का भी इंतजाम किया। ऐसे में खर्चा जेब पर भारी न पड़े इसके लिए उन्होने स्वयं की तैयार फीड के साथ-साथ चूजों को गर्म रखने के लिएख्बिजली का खर्चा कम करने एवं बिजली चली जाने की स्थिति में मिटटी से तैयार ऊर्जा का अतिरिक्त सोर्स भी तैयार किया। इसके अलावा खर्चा कम करने के लिए वे मुर्गीयों को अपने आंगनबाड़ी में भी चराने लगे। इस तरह प्रति चूजा केवल एक रूपया खर्च किया। उन्होने बताया कि जैसे चूजे एक किलोग्राम के हुए तो उन्हे एक सौ रूपये प्रति पक्षी की दर से बेच दिया, जिससे उन्हे लगभग साढ़े तीन हजार रूपये की आय हुई। इसके बाद उन्होने चूजों के लिए एक नया शैड का निर्माण कर दो सौ चूजे पालने का निर्णय लिया। उन्हे पशु पालन विभाग के माध्यम से 200 चूजा बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम के तहत दो सौ चूजों की एक युनिट स्वीकृत हुई है। जिसका वह पालन कर रहे हैं तथा नियमित तौर इन्हे बेचकर उन्हे अच्छी खासी आय भी हो रही है।
दसवीं तक शिक्षा प्राप्त विनोद कुमार का कहना है कि वे भविष्य में मुर्गीपालन को एक उद्यम के तौर पर अपनाना चाहते हैं। उन्होने कहा कि ज्यादा संख्या में मुर्गीपालन के लिए वे एक नया शैड़ का निर्माण करने जा रहे हैं। ब्रायलर के साथ-साथ वे कडक़नाथ प्रजाति के मुर्गे भी पालना चाहते हैं जिसकी न केवल मार्केट में अच्छी मांग है बल्कि दाम भी बेहतर मिलते हैं। इसके अलावा मुर्गी के अंडे बेचकर भी अच्छी कमाई की जा सकती है। विनोद कुमार कहते हैं कि बेरोजगार युवा मुर्गीपालन के माध्यम से स्वरोजगार अपनाकर न केवल अपने पांव में खड़े हो सकते हैं बल्कि घर बैठे आर्थिकी को बल प्रदान कर सकते हैं। 
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जोगिन्दर नगर डॉ. अनीश कुमार का कहना है कि विनोद कुमार मुर्गीपालन में बेहतर कार्य कर रहा है तथा विभाग के माध्यम से बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम की दो सौ चूजों की एक युनिट भी प्रदान की है। विनोद कुमार के आत्मविश्वास को देखते हुए उनमें इस व्यवसाय में बेहतर कार्य करने की संभावनाएं हैं तथा विभाग द्वारा हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी। 
डॉ. अनीश कुमार का कहना है कि स्वरोजगार शुरू करने के लिए विभाग के माध्यम से बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम के तहत एक दिन के चूजे प्रति लाभार्थी 21 रूपये की दर से वितरित किए जाते हैं। इसके अलावा एनएलएम योजना के तहत चार सप्ताह पालने उपरान्त 40 चूजे प्रति लाभार्थी 75 प्रतिशत अनुदान पर तथा कुक्कट बाड़ा निर्माण हेतु 1125 रूपये प्रति कुक्कट पालन प्रदान किए जाते हैं। उन्होने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से कुक्कट पालन से जुडक़र घर में ही स्वरोजगार के माध्यम से अपनी आर्थिकी को बल प्रदान करने का आहवान किया है।

Tuesday, 6 August 2019

अथराह (व्यूहं) गांव के धर्म सिंह मुर्गी पालन से प्रतिमाह कमा रहे 25 हजार


पशु पालन विभाग की 5 हजार ब्रायलर चूजा योजना बनी मददगार

जोगिन्दर नगर उप-मंडल की ग्राम पंचायत व्यूंह के गांव अथराह निवासी धर्म सिंह मुर्गी पालन से जुडक़र प्रतिमाह औसतन 25 हजार रूपये घर बैठे कमा रहे हैं। धर्म सिंह के लिए पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग की 5 हजार ब्रायलर चूजा योजना न केवल मददगार साबित हुई है बल्कि मुर्गी पालन आज उनके लिए आर्थिकी का एक प्रमुख स्त्रोत बन गया है। साथ ही एक स्थानीय व्यक्ति को भी 6 हजार रूपये प्रतिमाह पर रोजगार भी प्रदान किया है।

लोक निर्माण विभाग से वर्ष 2012 में चुतुर्थ श्रेणी पद से सेवानिवृत 69 वर्षीय धर्म सिंह के लिए सेवानिवृति उपरान्त बिना सरकारी पेंशन परिवार का खर्चा वहन करना न केवल मुश्किल होने लगा बल्कि दिनोंदिन आर्थिक तंगी बढ़ती गई। लेकिन ऐसे में पारंपरिक खेती बाडी न केवल एक बोझ बन रही थी बल्कि पर्याप्त पानी न होने के साथ-साथ जंगली व आवारा जानवरों के चलते खेती घाटे का सौदा साबित हो रही थी। ऐसे में वर्ष 2016 में उन्हे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपली के गांव कुराटी में आयोजित किसान जागरूकता शिविर में शामिल होने का मौका मिला तथा इस दौरान उन्हे न केवल मुर्गीपालन बारे जानकारी हासिल हुई बल्कि पशु पालन विभाग की विभिन्न योजनाओं को भी जानने का सुअवसर मिला। इस दौरान उन्होने मुर्गी पालन को अपनाने का निर्णय लिया।

धर्म सिंह का कहना है कि उन्हे विभाग द्वारा सुंदरनगर स्थित मुर्गीपालन प्रशिक्षण संस्थान में वैज्ञानिक मुर्गीपालन बारे एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण उपरान्त सिंतबर, 2016 में 200 चूजों की क्षमतायुक्त मुर्गी बाड़े का निर्माण किया तथा पहली खेप विभाग के माध्यम से सुंदरनगर हैचरी से प्राप्त हुई। इस बीच उनके 35 चूजों की विभिन्न कारणों से मौत हो गई। लेकिन हिम्मत न हारते हुए वर्ष 2017 में मुर्गी बाड़े का विस्तार करते हुए 2 हजार चूजे पालने का निर्णय लिया। इसके बाद पशु पालन विभाग द्वारा उन्हे पांच हजार ब्रायलर चूजा योजना के तहत एक हजार चूजों की खेप व पक्षी आहार प्राप्त हुआ। इन चूजों की वैज्ञानिक तरीके से बेहतर देखभाल करते हुए चैबरो मुर्गों का 17 क्विटंल ब्रायलर मांस प्राप्त हुआ जिसे बेचकर लगभग डेढ़ लाख रूपये की आय हुई। इसी तरह वर्ष 2018 में 21 क्विंटल ब्रायलर मांस बेचकर लगभग दो लाख तथा मार्च 2019 में पांच हजार चूजा ब्रायलर स्कीम की आखिरी खेप से 20 क्विंटल मांस को 115 रूपये प्रति किलो की दर से बेचकर लगभग दो लाख 30 हजार रूपये की आमदन हुई है। उनका कहना है कि ब्रायलर चूजा पालन के तहत उन्होने मात्र 15 महीनों में ही लगभग चार लाख रूपये व औसतन 25 हजार रूपये प्रतिमाह आय अर्जित की है।
धर्म सिंह ने बताया कि पांच हजार ब्रायलर चूजा योजना के पूर्ण होने के बाद उन्होने नालागढ़ से उन्नत नस्ल के दो सौ सफेद चूजों को खरीदा है जिनकी समूह सक्रियता व वजन वहन क्षमता काफी बेहतरीन है। उनका कहना है कि वे कडक़नाथ नामक भारतीय जंगली मुर्गे को भी पालना चाहते हैं जिसकी मार्केट में काफी मांग रहती है, लेकिन अब तक उन्हे इस नस्ल के मुर्गे उपलब्ध नहीं हो सके हैं। धर्म सिंह मुर्गी पालन युक्त मिश्रित खेती की ओर बढ़ते हुए मछली पालन इकाई भी स्थापित की है जिसमें ट्राउट मछली के बीज डाले हैं। इसके अतिरिक्त उनके पास दो दुधारू जर्सी गाय भी हैं तथा पारंपरिक खेती-बाड़ी के साथ-साथ मौसमी सब्जियों का उत्पादन भी कर रहे हैं।
इस तरह धर्म सिंह मुर्गीपालन से न केवल अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बने हैं। उनका कहना है कि वैज्ञानिक तरीके से पूरी मेहनत व लग्न के साथ इस कार्य को किया जाए तो घर बैठे ही रोजगार का यह एक बेहतरीन साधन हो सकता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जोगिन्दर नगर डॉ. अनीश कुमार का कहना है कि धर्म सिंह एक प्रगतिशील किसान हैं तथा मुर्गी पालन से घर बैठे अच्छी कमाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार पांच हजार ब्रायलर कुक्कुट इकाई स्थापना के तहत स्वरोजगार शुरू करने को पांच हजार चूजे प्रति लाभार्थी को पांच किश्तों में प्रदान किये जाते हैं। जिस पर 60 प्रतिशत सरकारी अनुदान लाभार्थी को कुक्कुट बाड़ा, आहार, वर्तन व चूजों की कीमत पर दिया जाता है जबकि 40 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं वहन करना होता है। इसके अलावा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए बैकयॉर्ड पोल्ट्री स्कीम के अंतर्गत स्वरोजगार शुरू करने को एक दिन की आयु के चूजे को प्रति लाभार्थी 21 रूपये की दर से वितरित किया जाता है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाते हुए घर पर ही रोजगार के साधन सृजित करने का आहवान् किया है।