73 वर्ष की आयु में भी खेती बाड़ी से कमा रहे हैं आजीविका ,जोगिन्दर नगर बाजार में आकर बेचते हैं उत्पाद
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (श्रीमद् भगवद्गीता)
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Friday, 17 November 2023
मझारनु के डुमणु राम के लिए कृषि व बागवानी बना है रोजगार का जरिया
जोगिंदर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत नेर घरवासड़ा के गांव मझारनु निवासी 73 वर्षीय डुमणु राम के लिए कृषि व बागवानी रोजगार का जरिया बना हुआ है। डुमणु राम प्रतिदिन अपने खेतों व पुश्तैनी जमीन से तैयार विभिन्न तरह के कृषि व बागवानी उत्पादों को प्रतिदिन जोगिंदर नगर बाजार में लाकर बेचते हैं, इससे उन्हें प्रतिदिन आजीविका चलाने योग्य आय अर्जित हो जाती है।
जब इस संबंध में डुमणु राम से बातचीत की तो उनका कहना है कि जीवन के शुरूआती दौर से ही वे देश व प्रदेश के बाहर विभिन्न स्थानों पर रेहड़ी-फड़ी लगाकर फल इत्यादि बेचकर अपनी आजीविका कमाते आ रहे थे। इस बीच उम्र बढ़ने के साथ-साथ पारिवारिक दायित्वों को निभाने के चलते वे वापिस घर आए तथा पुश्तैनी जमीन में कृषि व बागवानी करना शुरू कर दिया। जंगली जानवरों के आतंक के चलते शुरूआती दौर में उन्हे कृषि व बागवानी घाटे का सौदा साबित होने लगी। फिर वर्ष 2018-19 में कृषि विभाग के माध्यम से मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना की जानकारी मिली तथा लगभग पांच-छह बीघा जमीन में सोलर युक्त बाड़बंदी को लगाया। बाड़बंदी होने से उन्हे जंगली जानवरों से काफी राहत मिली, लेकिन पिछले दो वर्षों से उनकी सोलर युक्त बाड़बंदी ठीक से काम नहीं कर रही है। ऐसे में वर्तमान में भले ही सोलर युक्त बाड़बंदी का उन्हे बेहतर लाभ नहीं मिल रहा है, बावजूद इसके वे लगातार कृषि व बागवानी कर रहे हैं।
डुमणु राम का कहना है कि वर्तमान में उन्होंने अमरूद, प्लम, जापानी फल, अनार, आड़ू, नाख, नाशपती, गलगल, नींबू, जामुन इत्यादि फलदार पौधों को लगाया है। इसके साथ-साथ वे साग, घीया, कद्दू, करेले इत्यादि सब्जियों का भी उत्पादन करते हैं। उनका कहना है कि जब-जब ये फल व सब्जियां पककर तैयार होती हैं तो वे इन्हें जोगिंदर नगर बाजार में आकर स्वयं बेचते हैं। जिससे उन्हे रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने योग्य आय हो जाती है। साथ ही लोगों को भी प्राकृतिक तौर पर शुद्ध व कम दाम में गुणवत्ता युक्त फल व सब्जियां मिल जाती हैं। इस तरह डुमणु राम के लिए आज भी कृषि व बागवानी आय का एक महत्वपूर्ण जरिया बना हुआ है।
डुमणु राम का कहना है कि आज के दौर में जहां अधिकतर किसान बंदरों एवं अन्य जंगली जानवरों के आतंक का बहाना बनाकर कृषि व बागवानी को छोड़ रहे हैं तो वहीं आजीविका कमाने के लिए औद्योगिक कस्बों व शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं जो अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कृषि व बागवानी से दूर होते किसानों विशेषकर युवाओं से आह्वान किया है कि वे न केवल अपने खेतों से जुड़ें बल्कि कृषि व बागवानी के माध्यम से भी आजीविका कमाने के भरपूर अवसर मौजूद हैं। आजीविका कमाने के लिए 73 वर्ष की आयु में भी मेहनत कर रहे डुमणु राम का कहना है कि व्यक्ति को निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए। इससे न केवल आजीविका चलाने में ही मदद मिलती है बल्कि शारीरिक व मानसिक तौर पर भी व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
विषयवाद विशेषज्ञ (एसएमएस) कृषि पधर पूर्ण चंद ठाकुर का कहना है कि मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत लगाई गई सोलर युक्त बाड़बंदी में यदि किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो वे सीधे कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। उनका कहना है कि किसानों की ऐसी समस्याओं को न केवल प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा बल्कि बाड़बंदी करने वाली कंपनी के माध्यम से होने वाली तकनीकी खामियों को दुरुस्त करने का भी प्रयास किया जाएगा ताकि किसानों को सोलर युक्त बाड़बंदी का लंबे समय तक लाभ मिल सके। DOP 20/10/2023
Sunday, 23 January 2022
सोलरयुक्त बाड़बंदी से बरनाऊ चौंतड़ा निवासी पूर्ण चंद ने लिखी सफलता की कहानी
मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना से कृषि बना फायदा का सौदा, जंगली जानवरों से सुरक्षित हो रही फसलें
हिमाचल प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना किसानों के लिये वरदान से कम साबित नहीं हो रही है। इसी योजना के माध्यम से की जा रही बाड़बंदी से न केवल किसानों की फसलें बंदरों व अन्य जंगली जानवरों से बच पा रही हैं बल्कि खेती-बाड़ी फायदे का सौदा भी साबित हो रही है। इसी योजना से जुडक़र जोगिन्दर नगर उपमंडल के विकास खंड चौंतड़ा के अंतर्गत ग्राम पंचायत भडयाड़ा के बरनाऊ गांव निवासी पूर्ण चंद न केवल अपनी फसलों को बचाने में कामयाब हो पाये हैं बल्कि खेती-बाड़ी फायदे का सौदा भी साबित हो रही है।
इस इस बारे ग्राम पंचायत भडयाड़ा के बरनाऊ गांव निवासी 65 वर्षीय पूर्ण चंद से बातचीत की तो उन्होने बताया कि मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत सोलरयुक्त बाड़बंदी कर न केवल अपनी बेकार पड़ी पुश्तैनी जमीन को उपजाऊ बना दिया है बल्कि फसलों को भी बंदरों, जंगली एवं आवारा जानवरों से भी सुरक्षित कर लिया है। मार्च 2020 में 70:30 अनुपात में कृषि विभाग के माध्यम से लगभग पांच बीघा जमीन में साढ़े तीन लाख रूपये की लागत से कम्पोजिट बाडबंदी की है। जिस पर सरकार ने लगभग 2 लाख 42 हजार रूपये का उपदान प्रदान किया है। पंजाब बिजली बोर्ड से वर्ष 2014 में सेवा निवृति के बाद पूर्ण चंद ने अपनी पुश्तैनी जमीन में खेती-बाड़ी को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया। लेकिन बंदरों एवं अन्य जंगली जानवरों के कारण उनके लिये कृषि घाटे का सौदा साबित होने लगी। उनका कहना है कि उनके पास लगभग 11-12 बीघा जमीन है लेकिन बाडबंदी से पहले जहां महज सात से आठ क्विंटल गेंहू की पैदावार हो पाती थी तो वहीं अब बाड़बंदी के बाद 23 से 24 क्विंटल गेहूं तैयार हो रही है। इसी तरह जहां मक्की की पैदावार महज 40 से 50 किलोग्राम थी तो वहीं अब 7 से 8 क्विंटल जबकि धान की पैदावार में भी काफी वृद्धि हुई है। इसके अलावा वे मौसमी सब्जियों का भी उत्पादन कर रहे हैं जिसमें आलू, लहुसन, धनिया, मिर्च, हल्दी, टमाटर, गोभी, मटर, अदरक के साथ-साथ सोयाबीन की भी पैदावार कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके परिवार में 12 लोग हैं जिनके वर्ष भर की खाने की जरूरतों को वे अपने इन्हीं खेतों से ही पूरा कर लेते हैं जबकि अतिरिक्त पैदावार होने पर वे बेच भी रहे हैं। पूर्ण चंद कहते हैं कि उन्होने सेब के भी 100 पौधे लगाए हैं तथा पहली फसल में 50 पौधों से प्रति पौधा 20 से 25 किलोग्राम की पैदावार प्राप्त हुई है। अपने खेतों में वे स्वयं की तैयार प्राकृतिक खाद का ही इस्तेमाल कर रहे हैं, इसके लिये उन्होने कृषि विभाग के सहयोग से दो वर्मी कम्पोस्ट पिट तैयार किये हैं। जिन पर सरकार ने 12 हजार रूपये का उपदान प्रदान किया है। सिंचाई के लिये उन्होने सरकार के सहयोग से टयूबवैल स्थापित किया है जिस पर सरकार ने लगभग एक लाख 10 हजार रूपये का उपदान दिया है। टयूब वैल को चलाने के लिये उन्होने सोलर पंपिंग सिस्टम भी स्थापित किया है लेकिन यहां की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यह कामयाब नहीं हो पाया है। खेतों में सिंचाई सुविधा के लिये 6 हजार क्यूसेक क्षमता का एक पानी का टैंक भी निर्मित किया है जिस पर सरकार की ओर से 70 हजार रूपये की आर्थिक मदद मिली है। उन्होने बताया कि आने वाले समय में सब्जियों एवं सेब की फसल को खराब मौसम के साथ-साथ कीट पतंगों एवं पक्षियों से बचाने के लिये हेलनेट सुविधा के लिये भी आवेदन किया है। पूर्ण चंद का कहना है कि सोलरयुक्त बाड़बंदी से अब न केवल उनकी फसलें बंदरों एवं अन्य आवारा व जंगली जानवरों से सुरक्षित हुई है बल्कि कृषि अब फायदे का सौदा साबित हो रहा है। उन्होने प्रदेश के किसानों विशेषकर शिक्षित व बेरोजगार युवाओं से सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाकर कृषि व्यवसाय को अपनाने का भी आहवान किया है।क्या कहते हैं अधिकारी:
जब इस बारे विषयवाद विशेषज्ञ कृषि चौंतड़ा ब्लॉक जय सिंह से बातचीत की तो उनका कहना है कि मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ उठाकर किसान पूर्ण चंद एक सफल किसान बनने की ओर अग्रसर हैं। उन्होने बताया कि गत चार वर्षों के दौरान इस योजना के माध्यम से अब तक चौंतड़ा ब्लॉक में 49 किसानों की लगभग 19 हजार 538 वर्ग मीटर जमीन को सोलरयुक्त बाड़बंदी के तहत लाया गया है। जिस पर सरकार ने लगभग एक करोड़ 63 लाख रूपये बतौर उपदान मुहैया करवाए हैं।उन्होने बताया कि इस योजना के माध्यम से व्यक्तिगत तौर पर सोलरयुक्त बाड़बंदी के लिए सरकार 80 प्रतिशत जबकि सामूहिक तौर पर 85 प्रतिशत तक उपदान मुहैया करवा रही है। इसके साथ-साथ कम्पोजिट बाड़बंदी के लिए 70 प्रतिशत तथा कांटेदार तार लगाने को 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा किसानों से सरकार की इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया है ताकि उनकी फसलों को बंदरों, जंगली जानवरों एव आवारा पशुओं से बचाया जा सके।Saturday, 8 August 2020
सोलरयुक्त बाड़बंदी से खलेही चौंतड़ा निवासी अनिल कुमार ने लिखी सफलता की कहानी
मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना से कृषि बना फायदे का सौदा, 45 हजार की हुई आय
हिमाचल प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना आज कई किसानों की आर्थिकी को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है। इसी योजना के माध्यम से की जा रही बाड़बंदी से न केवल किसानों की फसलें बंदरों व अन्य जंगली जानवरों से बच पा रही हैं बल्कि खेती-बाड़ी फायदे का सौदा भी साबित हो रही है। इस योजना से जुडक़र जोगिन्दर नगर उपमंडल के विकास खंड चौंतड़ा के खलेही गांव निवासी अनिल कुमार ने भी मात्र एक वर्ष के प्रयास में ही सफलता की कहानी लिख डाली है। साथ ही अनिल कुमार भडयाड़ा पंचायत के उप-प्रधान भी हैं।चौंतड़ा विकास खंड की ग्राम पंचायत भडयाड़ा के खलेही गांव निवासी 54 वर्षीय अनिल कुमार ने मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत सोलरयुक्त बाड़बंदी कर न केवल अपनी बंजर पड़ी जमीन को उपजाऊ बनाया बल्कि फसलों को भी बंदरों, जंगली एवं आवारा जानवरों से भी सुरक्षित किया। इसी योजना का नतीजा है कि अनिल कुमार ने महज एक वर्ष में ही बंजर पड़ी जमीन से न केवल साढ़े दस क्विंटल हरा मटर तैयार किया बल्कि एक क्विंटल धनिया का भी उत्पादन किया। साथ ही पारंपरिक फसल गेंहू की पैदावार में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इसी बाड़बंदी का नतीजा है कि अनिल कुमार ने लगभग 45 हजार रूपये की आय उस जमीन से हासिल कर ली है जिसमें कुछ समय पहले महज आधा क्विंटल गेंहू की पैदावार होती थी।
जब इस बारे किसान अनिल कुमार से बातचीत की तो उनका कहना है कि जुलाई 2018 में कृषि विभाग के माध्यम से मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत लगभग सात बीघा जमीन की सोलरयुक्त बाड़बंदी की। जिसमें जहां सरकार ने 2,18,800 रूपये का उपदान दिया जबकि उनकी निजी भागीदारी महज 54,700 रूपये की रही है। बाड़बंदी के उपरान्त उन्होने कृषि विभाग के माध्यम से ही प्राकृतिक खेती बारे कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही उन्हे हरियाणा के गुरूकुलम में भी प्राकृतिक खेती को जानने का अवसर भी मिला। उन्होने बताया कि प्रशिक्षण उपरान्त गेंहूं के साथ-साथ मटर व धनिया की बिजाई की। फसलों पर कीटनाशकों का नहीं बल्कि स्वयं तैयार किया गया जीवा अमृत व घन जीवाअमृत के साथ-साथ खट्टी लस्सी का भी छिडक़ाव किया। प्राकृतिक तौर पर जहां लगभग साढ़े दस क्विंटल हरा मटर व एक क्विंटल धनिया की पैदावार हुई बल्कि साढ़े चार क्विंटल से अधिक गेंहू की भी उपज हुई है।उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती से जुडऩे के लिए उन्होने एक पहाड़ी गाय को भी पाल रखा है जिसके गोबर व गोमूत्र से प्राकृतिक खाद व कीटनाशक तैयार किया जाता है। खेतों की सिंचाई के लिए वर्षा जल संग्रहण टैंक का भी निर्माण किया है। जब उपज की मार्केटिंग बारे जानना चाहा तो उन्होने बताया कि उनकी उपज को खेत में ही अच्छे दाम प्राप्त हो गए हैं। उन्होने अब अदरक की बिजाई कर दी। इसके अलावा उन्होने नींबू के लगभग डेढ़ सौ पौधों को भी रोपा है। साथ ही वे नकदी फसलों पर बड़े स्तर पर कार्य योजना बना रहे हैं।
अनिल कुमार का कहना है कि सोलरयुक्त बाड़बंदी से अब न केवल उनकी फसलें बंदरों एवं अन्य आवारा व जंगली जानवरों से सुरक्षित हुई है बल्कि कृषि अब फायदे का सौदा साबित हो रहा है। उन्होने प्रदेश के शिक्षित व बेरोजगार युवाओं से सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर कृषि व्यवसाय को अपनाने का आहवान किया है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
जब इस बारे विषयवाद विशेषज्ञ कृषि चौंतड़ा सोनल गुप्ता से बातचीत की तो उनका कहना है कि मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ उठाकर किसान अनिल कुमार एक सफल किसान बनने की ओर अग्रसर हैं। उन्होने बताया कि इस योजना के माध्यम से अब तक चौंतड़ा ब्लॉक में 49 किसानों की लगभग 6.16 हैक्टेयर जमीन को सोलरयुक्त बाड़बंदी के तहत लाया गया है। जिस पर सरकार ने 98.87 लाख रूपये बतौर उपदान मुहैया करवाए हैं।
उन्होने बताया कि इस योजना के माध्यम से व्यक्तिगत तौर पर सोलरयुक्त बाड़बंदी के लिए सरकार 80 प्रतिशत जबकि सामूहिक तौर पर 85 प्रतिशत तक उपदान मुहैया करवा रही है। इसके साथ-साथ कम्पोजिट बाड़बंदी के लिए 70 प्रतिशत तथा कांटेदार तार लगाने को 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा किसानों से सरकार की इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया है ताकि उनकी फसलों को बंदरों, जंगली जानवरों एव आवारा पशुओं से बचाया जा सके।
इसके अलावा चौंतड़ा ब्लॉक में वर्ष 2018-19 से लेकर अब तक 1305 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है। धान, मक्का, कोदरा व सोयाबीन की प्राकृतिक खेती कर किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा पा रहे हैं।
Thursday, 18 July 2019
मझारनू के डुमणू राम के लिए सोलरयुक्त बाड़बंदी बनी वरदान
जंगली जानवरों के आतंक से मिली निजात, कृषि उपज में भी हो रही बढ़ौतरी
जिला मंडी में सोलरयुक्त बाडबंदी पर चालू वित्तीय वर्ष में व्यय होंगे 4.16 करोड़ रूपये
जोगिन्दर नगर उप-मंडल की ग्राम पंचायत नेर घरवासड़ा के गांव मझारनू निवासी 67 वर्षाीय डुमणू राम के लिए प्रदेश सरकार की सोलरयुक्त बाड़बंदी किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई है। डुमणू राम ने अपनी कृषि योग्य लगभग तीन बीघा भूमि में सोलरयुक्त बाड़बंदी को लगाया है। जिसके कारण हमेशा जंगली सुअरों व बंदरों के कारण नष्ट होने वाली खेती को अब न केवल सहारा मिला है बल्कि जंगली जानवरों की पहरेदारी से भी छुटकारा हो गया है।
इस संबंध में जब बीपीएल परिवार में शामिल कृषक डुमणू राम से बातचीत की तो कहना है कि उन्हे कृषि विभाग के माध्यम से सरकार की सोलरयुक्त बाडबंदी का पता चला। बाडबंदी लगाने के लिए उन्होने अपनी ओर से लगभग 64 हजार रूपये खर्च किए हैं जबकि सरकार ने लगभग अढ़ाई लाख रूपये बतौर उपदान उपलब्ध करवाए हैं। विभाग के माध्यम से सोलरयुक्त बैटरी के संचालन बारे भी जानकारी उपलब्ध करवाई गई है तथा वे अब स्वयं ही इसकी देखभाल कर रहे हैं।
दो लडक़े व दो लड़कियों के पिता डुमणू राम का कहना है कि खेती-बाड़ी ही उनका प्रमुख पेशा रहा है तथा वे जीवन भर खेती बाड़ी व बागवानी से जुड़े रहे हैं। समय के बदलाव बारे कहते हैं कि अब जहां खेतीबाड़ी की नई-नई तकनीकें सामने आई हैं तो वहीं नकदी फसलों के कारण आमदन में भी बढ़ौतरी हुई है। उनका कहना है कि पारंपरिक खेती बाजरा, मक्की, गेहूं के साथ-साथ वे अब मौसमी सब्जियों का भी उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही बागवानी के क्षेत्र में भी आगे बढ़ते हुए जहां लगभग 250 अमरूद के तो वहीं अनार, आम, जामुन व आडू के फलदार पौधे भी लगाए हैं। इसके अलावा नींबू व गल-गल के फलदार पौधे भी तैयार किए हैं।
डुमणू राम का कहना है कि जंगली सुअरों व बंदरों के कारण उनकी फसल तथा फलदार पौधों को नुकसान हो रहा था, लेकिन अब बाड़बंदी हो जाने से उन्हे न केवल राहत मिली है बल्कि फसल भी बच रही है। उनका कहना है कि गांव में पानी, बिजली इत्यादि की कोई कमी नहीं लेकिन जंगली जानवरों के कारण फसलों को अक्सर नुकसान होता था, लेकिन सरकार की मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के अंतर्गत सोलरयुक्त बाड़बंदी हो जाने के कारण उनकी यह समस्या भी हल हो गई है। डुमणू राम न केवल प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार का धन्यवाद व्यक्त करते हैं बल्कि किसान हित में चलाई जा रही योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन पर जोर देते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान लाभान्वित हो सकें।
कैसे करें आवेदन
मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान को निर्धारित प्रपत्र के साथ जमीन की नकल व तमीमा लगाकर अपने नजदीकी कृषि विकास अधिकारी या विषयवाद विशेषज्ञ के कार्यालय में आवेदन करना होता है। इसके बाद सोलरयुक्त बाडबंदी लगाने के लिए अधिकृत कंपनी एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा संबंधित किसान की जमीन का दौरा कर प्राक्कलन तैयार किया जाता है। तदोपरान्त तैयार प्राक्कलन को स्वीकृति हेतु उपनिदेशक कृषि को भेजा जाता है। स्वीकृति मिलने के बाद प्राधिकृत कंपनी द्वारा सोलरयुक्त बाडबंदी की जाती है तथा कंपनी और किसान के मध्य एक समझौता भी किया जाता है। इस योजना के तहत व्यक्तिगत तौर पर बाडबंदी को 80 प्रतिशत जबकि सामूहिक तौर पर 85 प्रतिशत तक अनुदान मुहैया करवाया जाता है। इस योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग के कृषि विकास अधिकारी, कृषि प्रसार अधिकारी, विषयवाद विशेषज्ञ या उपनिदेशक कृषि के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस बारे उपनिदेशक कृषि मंडी डॉ. जीत सिंह ठाकुर का कहना है कि जिला में वर्ष 2018-19 में सोलरयुक्त बाड़बंदी को 4.55 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया था जिसके तहत पूरे जिला में 189 किसानों की बाडबंदी को स्वीकृति प्रदान की गई है, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में सरकार ने सोलरयुक्त बाडबंदी के लिए 4.16 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है और अब तक 35 किसानों को सोलरयुक्त बाड़बंदी लगाने को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। उन्होने बताया कि सरकार मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत तौर पर 80 प्रतिशत जबकि सामूहिक तौर पर सोलरयुक्त बाड़बंदी को 85 प्रतिशत तक का अनुदान मुहैया करवा रही है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा किसानों से इस योजना का लाभ उठाने का आहवान किया है।
Tuesday, 24 April 2018
लोअर देहलां के पवन कुमार के लिए मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना बनी वरदान
एक हैक्टेयर में सोलरयुक्त बाडबंदी कर फसलों को किया सुरक्षित, उपज में हुई बढ़ौतरी
हिमाचल प्रदेश के किसान आए दिन बंदरों व अन्य जंगली जानवरों के कारण फसलों को हो रहे नुकसान के चलते जहां मजबूरीवश खेती को छोडने के लिए विवश हो रहे हैं तो वहीं खेती-बाड़ी लगातार घाटे का सौदा बनती जा रही है। इस समस्या को प्रदेश सरकार ने भी गंभीरता से लिया है तथा किसानों की फसलों को बचाने के लिए मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना को शुरू किया है। इस योजना के माध्यम से किसानों को अपने खेतों की सोलरयुक्त बाडबंदी के लिए प्रदेश सरकार 80 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध करवा रही है। प्रदेश सरकार ने बजट 2018-19 के लिए तीन या इससे अधिक किसानों द्वारा संयुक्तरूप से बाडबंदी करवाने पर 85 प्रतिशत तक का अनुदान देने का प्रावधान किया है।
जिला ऊना के सांसद आदर्श गांव लोअर देहलां निवासी 62 वर्षीय पवन कुमार ऐरी के लिए मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई है। बाडबंदी के कारण जहां जंगली जानवरों द्वारा फसलों को होने वाला नुकसान कम हुआ है तो वहीं फसल के उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज हुई है।
इस बारे जब पवन कुमार ऐरी से बातचीत की तो उनका कहना है कि उन्होने लगभग एक हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि में सोलरयुक्त बाडबंदी कर रखी है जिससे न केवल विभिन्न तरह के जंगली जानवरों जैसे नील गाय, सांबर, जंगली सुअर इत्यादि से उनकी फसल सुरक्षित हुई है बल्कि वह अब घर में चैन की नींद सो पाते हैं। उनका कहना है कि उनके द्वारा खेतों में की गई सोलरयुक्त बाडबंदी का असर आसपास के खेतों पर भी पडा है तथा जंगली जानवरों के नुकसान में कमी आई है। उन्होने बताया कि पहले जहां उनके इस एक हैक्टेयर रकबे में लगभग 22 से 25 क्विंटल गेंहू की पैदावार हो पाती थी जो अब बढक़र 35 से 40 क्विटल तक पहुंच गई है।
पवन कुमार का कहना है कि सोलरयुक्त बाडबंदी से पूर्व जहां जंगली जानवर उनकी फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते थे तो वहीं खेतों की रखवाली के लिए उन्हे दिन-रात पहरा देना पड़ता था। लेकिन उन्हे जैसे ही प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना बारे पता चला तो उन्होने कृषि विभाग के अधिकारियों के सहयोग से यह बाडबंदी करवाई। उन्होने बताया कि सोलयुक्त बाड को छूने पर जहां 12 वोल्ट करंट का झटका लगता है तो वहीं इसका रखरखाव भी ज्यादा मुश्किल नहीं है। उनका कहना है कि यदि सरकार बाडबंदी करते वक्त निचले हिस्से को पक्का करने या पोलीशीट लगाने का भी प्रावधान कर दे तो घास व झाडियां इत्यादि उगने से अक्सर बाड़ में करंट अवरूद्ध होने की संभावना बनी रहती है से भी छुटकारा मिलेगा।
उनका कहना है कि मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना बंदरों व अन्य जंगली जानवरों से परेशान किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है तथा लोगों से इन योजना का भरपूर लाभ उठाने का आहवान किया है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
उपनिदेशक कृषि विभाग ऊना यशपाल चौधरी का कहना है कि मुख्य मंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत सरकार सोलरयुक्त बाडबंदी के लिए 80 प्रतिशत तक का अनुदान उपलब्ध करवा रही है। उन्होने बताया कि जिला ऊना में इस योजना के तहत वर्ष 2017-18 के दौरान 42 किसानों को लाभान्वित कर 1.14 करोड रूपये की राशि व्यय की गई है तथा 18 हजार 400 मीटर लंबी परिधि की 9 कतारों वाली तारें लगाई गई हैं। उन्होने बताया कि एक बैटरी से लगभग 15 सौ मीटर सोलरयुक्त बाडबंदी की जा सकती है, ऐसे में किसानों से सामूहिक तौर पर इस योजना का लाभ उठाने का आहवान किया है ताकि बाडबंदी की लागत कम हो सके। साथ ही जिला के ज्यादा से ज्यादा किसानों से इस योजना का लाभ उठाने का भी आग्रह किया है ताकि उनकी फसलों को बंदरों, अवारा पशुओं एवं अन्य जंगली जानवरों से सुरक्षित रखा जा सके।
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