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Friday, 18 February 2022

द्वापर काल से जोड़ा जाता है श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर नेर का इतिहास

जोगिन्दर नगर उपमंडल के अंतर्गत ग्राम पंचायत नेर घरवासड़ा के गांव नेर में भगवान श्री लक्ष्मी नारायण का प्राचीन मंदिर स्थापित है। इस मंदिर के इतिहास को द्वापर काल में भगवान श्री विष्णु की तपस्या से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि गांव नेर में द्वापर काल में भगवान श्री विष्णु ने कई वर्षों तक तपस्या की थी तथा इसी काल में उनका यह मंदिर यहां स्थापित हुआ माना जाता है।

इस ऐतिहासिक श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर की निर्माण शैली को देखें तो यह मंडी शहर में स्थापित अन्य मंदिरों जैसी ही है। ऐसे में माना जाता है कि यह मंदिर भी लगभग 300 या 400 वर्ष पुराना होगा। इस मंदिर से जुड़ी ऐतिहासिक बातों पर गौर करें तो कहा जाता है कि नेर गांव में द्वापर काल में भगवान श्री विष्णु ने कई वर्षों तक तपस्या की थी तथा इसी दौरान यहां पर उनका यह मंदिर स्थापित हुआ होगा। यह भी कहा जाता है कि इसी स्थान की शक्तियों द्वारा इस महाकलियुग को समाप्त किया जाएगा तथा यह स्थान बद्रीनाथ धाम के समकक्ष भी माना जाता है। इस प्राचीन मंदिर को भगवान श्री विष्णु जी के सभी मंदिरों में शक्तिशाली माना है तथा आने वाले समय में इस कलियुग में कल्याण एवं उद्धार करेगा। साथ ही कहा जाता है कि जो श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान से प्रार्थना करेगा तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होगी।

इस मंदिर से जुड़ी एक घटना का वृतांत यह बताता है कि 16 मार्च, 2004 को भगवान श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना की गई। उसी रात्रि करीब 11 बजे मंदिर की घंटियां बजीं और मूर्ति अपने स्थान से तकरीबन 4 से 5 इंच आगे सरक गई। लेकिन दूसरे दिन दोपहर यह मूर्ति फिर अपने स्थान पर आ गई। फिलवक्त इस ऐतिहासिक एवं प्राचीन मंदिर से जुड़ा कोई तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन मंदिर की निर्माण शैली को देखते हुए निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि यह मंदिर 300 या 400 वर्ष पुराना जरूर होगा। वर्तमान में इस मंदिर के रखरखाव के लिये स्थानीय ग्रामीणों ने श्री लक्ष्मी नारायण सेवा समिति पंजीकृत करवा रखी है जो इसका संचालन कर रही है। 

यह प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिर जोगिन्दर नगर से लगभग 5 या 6 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत नेर घरवासड़ा के गांव नेर में स्थित है जो गांव मझारनु से लगभग एक या डेढ़ किलोमीटर दूर है। यह मंदिर पक्की सडक़ से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर को वाया बस्सी पॉवर हाऊस होते हुए भी सडक़ मार्ग से पहुंचा जा सकता है। 

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