सारंगी के बहाने बदलते भारतीय समाज का विश्लेषण
पिछले दिनों प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की कैबिनेट में ओडीसा राज्य से आने वाले प्रताप चंद सारंगी का केंद्रीय मंत्री परिषद् में शामिल होना शायद देश के इतिहास में एक बड़ी घटना कही जा सकती है। जिस तरह से अचानक सारंगी का नाम केंद्रीय मंत्री परिषद् में शामिल हुआ, इस वाकया ने पूरे देश में न केवल एक नई बहस को ही जन्म नहीं दिया है बल्कि देश के 135 करोड़ लोगों को एक संदेश भी दिया है। वास्तव में किसी ऊंचे पद को पाने की लालसा या फिर मन पसंद कार्य के लिए लोग न जाने क्या-क्या नहीं करते हैं। ऊपर से लेकर नीचे तक साम, दाम, दंड, भेद का जहां तक इस्तेमाल हो सके करते हैं। बस केवल निजी स्वार्थ एवं इच्छा पूर्ति के लिए।
लेकिन सारंगी का मंत्री परिषद् में शामिल होना देश के उन करोड़ों लोगों के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर रहा है जो लोग पूरी मेहनत, ईमानदारी, लगन व कर्तव्य निष्ठा के साथ से न केवल अपने कत्र्तव्यों का बेहतरीन निर्वहन कर रहे हैं बल्कि अपनी गोटियां फिट करने के बजाए अपनी कार्य क्षमता के बेहतर इस्तेमाल को तरजीह देते हैं। ये वो लोग होते हैं जिन्हे न तो किसी पद की लालसा होती है न ही पद को पाने के लिए जोड़-तोड़ करने के लिए पसीना बहाने की जरूरत। ऐसे लोगों का बस एक की मकसद होता है नि:स्वार्थ भाव से देश व समाज की सेवा करना। दूसरी तरफ चालाक व मौकापरस्त लोग इच्छा पूर्ति के लिए न जाने क्या-क्या नहीं करते हैं। इस पर चर्चा करने की शायद आवश्यकता नहीं है।
लेकिन सांरगी का मंत्री परिषद् में शामिल होना उन करोड़ों लोगों को एक सकारात्मकता का संदेश दे रहा है जो पूरी ईमानदारी व कर्तव्य निष्ठा के साथ देश के निर्माण में जुटे हुए हैं। वास्तव में आज हमें इसी तरह के मॉडल पर कार्य करने की आवश्यकता है। लेकिन ऐसा नहीं है यह मॉडल नया है बल्कि आज भी हमारे समाज में ऐसे कई लोग व विचार कार्य कर रहे हैं जो बिना किसी निजी स्वार्थ के वर्षों से अपना जीवन देश के लिए समर्पित किए हुए हैं। वास्तव में आज उन लोगों एवं विचार की भी ये एक बहुत बड़ी जीत है जो हमेशा देश व राष्ट्र निर्माण के लिए अपने-अपने दायित्वों का कार्य क्षेत्र में रहकर बेहतरीन निष्पादन कर रहे हैं। सचमुच यह घटना आने वाले समय में एक बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव लाने तथा लोगों की सोच को परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभाने वाली है। यह विषय आज देश के समाजशास्त्रीयों एवं राजनैतिक वैज्ञानिकों को भी नए शोध करने को प्रेरित कर रहा है कि आखिर किस तरह हमारे समाज में एक छोटे से व्यक्ति को समाज की मुख्यधारा से न केवल जोड़ा जा सकता है बल्कि देश के उत्थान व कल्याण में वह एक बहुत बड़ी भूमिका में खड़ा हो सकता है। कुल मिलाकर यह घटना आज पूरे समाज में न केवल चर्चा का विषय बनी हुई है बल्कि एक कौतुहल भी पैदा कर रही है।
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