हमारे समाज में नशे के फैलते जहर से न केवल हमारा पारिवारिक व समाजिक ढ़ांचा प्रभावित हो रहा है बल्कि इसकी चपेट में आकर हमारी नौजवान पीढी आए दिन तबाह हो रही है। आज हमारे समाज में न जाने ऐसे कितने परिवार हैं जहां इस नशीले जहर ने किसी का भाई, किसी का बेटा तो किसी का पति असमय की जीवन के गर्त में धकेल दिया। यही नहीं ऐसे न जाने कितने परिवार होगें जिनके लिए मादक द्रव्यों एवं पदार्थों का यह काला कारोबार जीते जी मौत का कुंआ साबित हो रहा है। कितने ऐसे परिवार हैं जिनके लिए नशे का यह जहर परिवार की आर्थिकी को तबाह कर कंगाली के स्तर पर ले गया है।
लेकिन अब प्रश्न यह खडा हो रहा है कि आखिर नशीले पदार्थों का यह जहरीला कारोबार करने वाले कौन हैं? क्या हमारा समाज ऐसे लोगों के आगे बौना साबित हो रहा है? या फिर नशे का काला कारोबार करने वालों के खिलाफ हमारा समाज लडने की पहल ही नहीं कर पा रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं हम हर समस्या के समाधान की तरह नशे की इस सामाजिक बुराई को लेकर भी हल केवल सरकारी चौखट में ही ढूूंढ रहे हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है कि नशे की इस बुराई को लेकर समाज के हर वर्ग, हर व्यक्ति यहां तक की हर परिवार को पहल करनी होगी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी इस सामाजिक व्यवस्था में ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका हम मुकाबला नहीं कर सकते हैं। लेकिन जरूरत है नशे व नशीले पदार्थों के विरूद्ध एक सकारात्मक पहल करने की। जरूरत है ऐसे लोगों को बेनकाब करने की जो इस काले कारोबार में सैंकडों नहीं बल्कि हजारों युवाओं की हंसती खेलती जिंदगी को तबाह कर रहे हैं।
हम यहां यह क्यों भूल रहे हैं कि नशे का यह जहरीला कारोबार करने वाले कोई ओर नहीं बल्कि हमारे ही समाज के वे चंद लोग हैं जो कुछ रूपयों की खातिर हंसते खेलते परिवारों में नशे का यह जहरीला दंश देकर तबाही का मंजर लिख रहे हैं। लेकिन हैरत कि हम ऐसे लोगों के विरूद्ध लडने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। जिसका नतीजा यह है कि आए दिन अफीम, चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर, भुक्की इत्यादि जैसे घातक मादक द्रव्यों एवं पदार्थों का काला कारोबार करने वाले हमारे पडोस में आकर दस्तक देकर नितदिन एक नई जिंदगी को तबाह कर रहे हैं। हमें केवल व्यवस्था को कोसते रहना या फिर समस्या के कारणों के लिए दूसरों के ऊपर दोषारोपण करने के बजाए इसे समाज से उखाड फैंकने के लिए मिलकर प्रयास करने होगें। हमें इस सामाजिक समस्या के समाधान के लिए स्वयं से पहल करते हुए अपने परिवार व आसपास के समाज में जागरूकता फैलाकर जहां नशे के इस जहर से लोगों विशेषकर युवाओं को बचाना होगा तो वहीं नशीले पदार्थों के काले कारनामें वालों का पर्दाफाश भी करना होगा।
हमारे समाज के लिए यह एक सुखद पहल ही कही जाएगी कि इस नशे के जहरीले दंश से समाज को बचाने के लिए हमारी सरकार स्वयं आगे आई है। हिमाचल सरकार लोगों को नशे के विरूद्ध जन जागरूकता लाने के लिए 22 अगस्त से 5 सितंबर तक समाज से भांग व अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए एक व्यापक अभियान लेकर आई है। इस अभियान का उदेश्य भी जहां नशीले पदार्थों के सेवन के प्रति समाज में जन जागरूकता फैलाना है तो वहीं नशे के अवैध कारोबार में शामिल लोगों के लिए एक चेतावनी भी कही जा सकती है ताकि वह किसी के हंसते खेलते परिवार में यह जहरीला दंश देने से पहले सौ बार सोचे। जिस तरह से प्रदेश सरकार ने इस गंभीर समस्या के निपटारे के लिए विभिन्न कानूनी पहेलुओं पर भी गंभीरता से मंथन किया है यह आने वाले समय में नशे के जहरीले कारोबारियों के लिए सुधरने व इस काले कारोबार को छोडने का एक मौका भी कह सकते है।
इस अभियान के माध्यम से जहां समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपने आसपास उगी भांग व अफीम के पौधों को नष्ट करने के लिए आगे आए तो वहीं इन नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों को लेकर अपने परिवार व आसपास के समाज में चर्चा करे। इस पुनीत कार्य में शिक्षण संस्थाओं के अतिरिक्त ग्रामीण स्तर पर महिला व युवक मंडल, स्वयं सहायता समूह, ग्राम पंचायतें, गैर सरकारी व स्वयं सेवी संस्थाएं लोगों को इस अभियान के साथ जोडने तथा इस अभियान का संदेश घर-घर तक पहुंचाने में अहम योगदान दे सकते हैं। साथ ही हमारे समाज में विभिन्न सामाजिक समारोहों में परोसे जाने वाले विभिन्न नशीले पेय पदार्थों मसलन शराब इत्यादि के इस्तेमाल को भी प्रतिबंधित करना होगा ताकि नशे के विरूद्ध हमारी इस जंग का हमारे आसपास एक सकारात्मक संदेश जाए। यहां हमें यह नहीं भूलना चाहिए हमारे देश में प्रतिवर्ष कुल सडक़ दुर्घटनाओं का दस प्रतिशत का कारण मादक द्रव्य व नशीले पदार्थों का सेवन कर वाहन चलाना है।
लेकिन अब प्रश्न यह उठ रहा है कि एक पखवाडे तक चलने वाला यह विशेष भांग व अफीम हटाओ अभियान महज सरकार का समाज के प्रति अपने दायित्व निर्वहन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इस अभियान के साथ जुडकर सरकार को अपना साकारात्मक योगदान देना होगा। हमें यहां यह नहीं भूलना चाहिए संविधान ने जहां हमें कई अधिकार दिए हैं तो वहीं समाज के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है इसका उल्लेख भी किया है। ऐसे में अब वक्त आ गया है कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति महज व्यवस्था को कोसने के बजाए अपने संवैधानिक दायित्वों व कत्र्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का हिस्सा बन समाज से नशे के इस जहरीले दंश को उखाड फैंकने में अपना साकारात्मक योगदान दे।
(साभार: दैनिक न्याय सेतु, 22 अगस्त, 2016 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)
(साभार: दैनिक न्याय सेतु, 22 अगस्त, 2016 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)
No comments:
Post a Comment