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Wednesday, 13 July 2016

बुढ़ापे में देवराज व बलदेव चंद के लिए वृद्धावस्था पैंशन बनी एकमात्र सहारा

चालू वित वर्ष के दौरान जिला में सामाजिक सुरक्षा पैंशन के तहत 22062 लोगों पर व्यय होंगें 20 करोड रूपये
जिला ऊना के गगरेट विकास खंड की दूरदराज ग्राम पंचायत नंगल जरियालां के वार्ड नम्बर तीन के मुहल्ला छैवालिया के बीपीएल परिवार में शामिल निवासी देवराज व उनकी धर्मपत्नी भगवती देवी के लिए जीवन के आखिरी पडाव में सरकार की सामाजिक सुरक्षा पैंशन जीने का एकमात्र सहारा बनी है। नाई की दुकान चलाकर गुजर बसर करने वाले देवराज की कुछ वर्ष पहले आंखों की रोशनी चली गई जिसके कारण वह अपना काम करने से भी वंचित हो गए। परिवार में कोई दूसरा सदस्य न होने के कारण देवराज की मुश्किलें बढ़ती गई तथा इस मंहगाई के जमाने में गुजर बसर करना मुश्किल होता चला गया। परन्तु ऐसे में सरकार की सामाजिक सुरक्षा पैंशन इस वृद्ध दंपति के लिए जीने का एकमात्र सहारा बन कर आई है। आज देवराज व उनकी धर्मपत्नी को सरकार की ओर से मिलने वाली इस सामाजिक सुरक्षा पैंशन के कारण न केवल उनका चूल्हा जलता है बल्कि  जिंदगी की अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए भी वह इसी पैंशन पर निर्भर हैं।  
कमोवेश यही कहानी इसी जिला के हरोली विकास खंड के गांव नथूरे ग्राम पंचायत हीरां थडा के 82 वर्षीय बलदेव चंद की है। 4 बेटियों व एक बेटे के पिता बलदेव चंद ने ताउम्र मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण किया तथा बच्चों को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार पढ़ाई-लिखाई करवाकर उनकी शादी कर उनके परिवारों को बसाया। आज उनके सभी बच्चे अपने-अपने परिवारों के साथ खुशी-खुशी रह रहे हैं, लेकिन जीवन के इस अंतिम पडाव में बलदेव चंद व उनकी पत्नी के लिए जिंदगी उम्र बढऩे के साथ-साथ पहाड सी चुनौती बनती गई। बढ़ती उम्र के साथ-साथ जहां वह काम करने में असमर्थ होते चले गए तो वहीं आय का कोई दूसरा साधन न होने के कारण इस बुजुर्ग दंपति की मुश्किलें भी लगातार बढ़ती चली गई। लेकिन ऐसे में इस बुजुर्ग दंपति के लिए भी सरकार की सामाजिक सुरक्षा पैंशन सहारा बनकर आई। आज बलदेव चंद को प्रतिमाह सरकार की ओर से 12 सौ रूपये की दर से सामाजिक सुरक्षा पैंशन मिल रही है।
इस बारे देवराज व बलदेव चंद का कहना है कि सरकार द्वारा गरीब व जरूरतमंदों विशेषकर 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए बिना किसी आय सीमा के आरंभ की गई यह सामाजिक सुरक्षा पैंशन वास्तव में ही सहारा बन कर आई है। इस बारे उनकी सरकार से मांग है कि वृद्धावस्था के कारण बुजुर्ग लोगों की विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पैंशन का भुगतान समय पर उनके घरद्वार पर ही हो जाना चाहिए ताकि उन्हे पैंशन की धनराशि लेने के लिए इधर-उधर न जाना पडे। ऐसे में देवराज व बलदेव चंद की तरह जिला ऊना में सैंकडों गरीब, जरूरतमंद व्यक्ति एवं परिवार हैं जिनके जीवन में सरकार की यह सामाजिक सुरक्षा पैंशन जिंदगी के इस आखिरी पडाव में आर्थिक सहारा बनकर खडी हुई है। 
जिला ऊना में वर्ष 2015-16 के दौरान विभिन्न सामाजिक सुरक्षा पैंशन के तहत 20683 लोगों को लाभान्वित कर लगभग साढे 15 करोड रूपये की आर्थिक सहायता मुहैया करवाई गई है। जिसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पैंशन के 5543, वृद्धावस्था के 6673, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पैंशन के 1929, विद्यवा पैंशन के 3860, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अपंग पैंशन के 51, अपंग राहत भत्ता के 2582 तथा कुष्ठ रोगी राहत भत्ता के 45 मामले शामिल हैं।
जिला कल्याण अधिकारी ऊना असीम सूद ने बताया कि जिला में चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने 2594 नए पैंशन के मामलों को स्वीकृति प्रदान कर कुल 22062 लोगों को सामाजिक सुरक्षा पैंशन पर लगभग 20 करोड रूपये की धनराशि व्यय की जाएगी। उन्होने बताया कि वर्तमान सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पैंशन को साढ़े चार सौ से बढ़ाकर 650 सौ रूपये प्रतिमाह जबकि 80 वर्ष या इससे अधिक उम्र तथा 70 प्रतिशत से अधिक अक्षमता वालों के लिए यह राशि आठ सौ रूपये से बढाकर 12 सौ रूपये प्रतिमाह कर दी है।
इस तरह जिला ऊना में हजारों गरीब व जरूरतमंद लोगों के लिए सरकार की सामाजिक सुरक्षा पैंशन जीवन के आखिरी पडाव में आर्थिक सुरक्षा के तौर पर सहारा बनकर आई है।








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