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Friday, 10 September 2021

लोक निर्माण विभाग के माध्यम से जोगिन्दर नगर में व्यय हो रहे 141 करोड़ रूपये

पीएमजीएसवाई के तहत 50 करोड़ तो नाबार्ड के माध्यम से खर्च हो रहे 37 करोड़

    जोगिन्दर नगर विधान सभा क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग के माध्यम से लगभग 141 करोड़ रूपये की धनराशि विभिन्न सडक़ों, पुलों एवं अन्य विकास कार्यों पर खर्च की जा रही है। जिनमें प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत 50 करोड़ जबकि नाबार्ड के माध्यम से लगभग 37 करोड़ रूपये की धनराशि शामिल है।

    जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो वर्तमान सरकार के साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान लोक निर्माण विभाग के माध्यम से लगभग 141 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जा रही है। जिनमें प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत कुल आठ सडक़ निर्माण कार्यों पर लगभग 50 करोड़, नाबार्ड के माध्यम से विभिन्न सडक़ परियोजनाओं पर लगभग 37 करोड़, पुलों के निर्माण पर लगभग 28 करोड़ तथा विभिन्न भवनों के निर्माण पर लगभग 18 करोड़ रूपये की धनराशि शामिल है।
    अकेले प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत जोगिन्दर नगर विस क्षेत्र में आठ सडक़ परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। जिनमें लगभग साढ़े 6 करोड़ रूपये की लागत वाली गलू-भटवाड़ सडक़, पांच करोड़ रूपये की लागत वाली भराडू-बनारू डोम सडक़, लगभग अढ़ाई करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रही कस-पथोलू सडक़, सवा चार करोड़ रूपये की लागत से बन रही गुम्म्मा-खारसा सडक़, पौने पांच करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रही द्रुब्बल-बनवार सडक़, लगभग अढ़ाई करोड़ रूपये की लागत से अपग्रेड हो रही चक्का-झमेहड़, लगभग 13 करोड़ रूपये की लागत से अपग्रेड हो रही ढेलू-भटेहड़ तथा तीन करोड़ रूपये की लागत से अपग्रेड हो रही आहजू-सूजा सडक़ का निर्माण कार्य शामिल है।
    इसी तरह नाबार्ड के माध्यम से लगभग 37 करोड़ रूपये की सडक़ों एवं पुलों का निर्माण कार्य भी विभिन्न चरणों में प्रगति पर हैं। जिनमें लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रही ऊपरला भडयाड़ा से निचला भडयाड़ा सडक़, लगभग तीन करोड़ रूपये की लागत से बन रही द्रमण-कून-का-टार सडक़, लगभग पौने पांच करोड़ रूपये की लागत से बन रही बयूंह-कुंड सडक़ तथा लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपये की लागत से निर्मित हो रही कडकूही-जलह-चघेड़ सडक़ शामिल है। इसके अलावा लगभग पांच करोड़ रूपये की लागत से सपडू-लंगा तथा 13 करोड़ रूपये की लागत से सुदृढ़ होने वाली बगोड़ा-बगला-हरड-रोपड़ी-मोरडुघ सडक़ की टैंडर प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया गया है तथा जल्द ही इनका कार्य भी शुरू होने जा रहा है।
    इसके अतिरिक्त सांढापत्तन में ब्यास नदी पर लगभग 23 करोड़ जबकि जोगिन्दर नगर-सरकाघाट-घुमारवीं सडक़ पर मच्छयाल में रणा खड्ड पर लगभग साढ़े पांच करोड़ रूपये की लागत से पुलों का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
    अधिशाषी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग जोगिन्दर नगर संजीव सूद ने बताया कि जोगिन्दर नगर क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग के माध्यम से 141 करोड़ रूपये की राशि व्यय हो रही है जिसमें से वर्तमान में लगभग 115 करोड़ रूपये के विभिन्न विकास कार्य प्रगति पर हैं। जिनमें सडक़ों पर पीएमजीएसवाई के तहत 50 करोड़ व नाबार्ड के माध्यम से 19 करोड़, 2 पुलों के निर्माण पर 28 करोड़ जबकि 9 भवनों के निर्माण पर लगभग 18 करोड़ रूपये की धनराशि शामिल है।
क्या कहते हैं विधायक:
    जोगिन्दर नगर के विधायक प्रकाश राणा का कहना है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान लोक निर्माण विभाग के माध्यम से जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र को लगभग 73 करोड़ रूपये की नई विकास परियोजनाओं को स्वीकृति प्राप्त हुई है। जिनमें पीएमजीएसवाई के तहत 23 करोड़, नाबार्ड के अंतर्गत 37 करोड़ तथा पुलों व अन्य विकास कार्यों के लिए 13 करोड़ रूपये की धनराशि शामिल है।






Tuesday, 7 September 2021

जीवन की पीड़ा से ज्यादा दुखदायी होती है,समाज की दी हुई पीड़ा

    (सच्ची घटना पर आधारित सामाजिक प्रेरक प्रसंग)

        जीवन कई खटटे मीठे अनुभवों की खान होती है। ऐसे अनुभव न केवल हमें जीवन के वास्तविक रंगों से रू-ब-रू करवाते हैं बल्कि समाज और आसपास के परिवेश को भी देखने, समझने व जानने का मौका मिलता है। हमारा समाज जहां नेक दिल व दूसरों के प्रति समर्पित रहने वाले लोगों से भरा पड़ा है तो उसी समाज में कुछ ऐसे परजीवी भी होते हैं जो दूसरों के हक हकूकों को छीनकर स्वयं को सिकन्दर साबित करने का असफल प्रयास करते रहते हैं। 

लेकिन यदि नियति पर जाएं तो हमेशा सच्चा व नेक दिल इंसान ही जीवन में न केवल मोक्ष को प्राप्त करता है बल्कि जीवन भी उसी व्यक्ति का सफल होता है। यहां सफलता महज ऊंचा रूतबा, पद, प्रतिष्ठा या फिर आर्थिक व भौतिक सुख सुविधाओं से नहीं बल्कि व्यक्ति की अंतरआत्मा व ईश्वर के प्रति श्रद्धाभाव से जुड़ा हुआ है। लेकिन अब आपको यह लग रहा होगा कि आखिर मैं यहां क्या कहना चाह रहा हूं। वास्तव में आप सभी के साथ समाज की उस पीड़ा को साझा करना चाहता हूं जो व्यक्ति जीवन की पीड़ा से न केवल ग्रसित होता है बल्कि लड़ भी रहा होता है। जिसकी गहराई का अंदाजा न कोई इंसान लगा सकता है न ही एक सामान्य इंसान उसे महसूस कर पाता है। लेकिन जब वह पीड़ा शब्दों से ज्यादा भावनाओं के माध्यम से व्यक्त की जाने लगे तो इसी से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वास्तव में पीड़ा का दर्द गिनता भयंकर व अंर्तमन तक उसे चोटिल कर रहा होता है। 

यहां में एक ऐसी सच्ची व हृदय विदारक घटना को आप सभी से साझा करना चाह रहा हूं, हुआ यूं कि पिछले दिनों प्रदेश के मुख्य मंत्री अपने दौरे पर थे। इस दौरान कई लोगों ने अपनी पीड़ा व दुख को मुख्य मंत्री के समक्ष न केवल रखा बल्कि आर्थिक मदद की भी गुहार लगाई। सीएम साहब ने भी आर्थिक मदद को न केवल तेजी से हाथ आगे बढ़ाए बल्कि समयबद्ध आर्थिक मदद भी पीडि़त परिवार तक पहुंच गई। एक जन संपर्क कर्मी के नाते इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो तो लाभार्थी के घर हम पहुंच गये। घर पहुंचकर जब पीडि़त परिवार से बातचीत की तो उन्होने न केवल अपनी पीड़ा को व्यक्त किया बल्कि नितदिन मिलने वाली सामाजिक पीड़ा से भी अवगत करवाया। सच में जो बातें इस पीडि़त परिवार ने बताई उसने न केवल मुझे अंदर तक झकझोर दिया बल्कि नोट पैड पर चलती कलम को विराम देना ही उचित समझा।

        जिस सामाजिक पीड़ा का जिक्र उस परिवार ने किया सचमुच ऐसी घटनाएं इंसान प्रतिदिन अपने आसपास न केवल सदियों से झेलता आ रहा है बल्कि जब तक यह सृष्टि रहेगी यह बदसूरत जारी भी रहेगी। हम कैसे निर्दयी एवं स्व केन्द्रित इंसान होते हैं जो केवल निजी स्वार्थ के आगे हम न तो सोच पाते हैं बल्कि हमें पीडित परिवार की न केवल पीड़ा हमें असहज बनाती है बल्कि उलटे पीडि़त परिवार का दर्द बढ़ाने का काम गाहे बगाहे जरूर करते हैं। आखिर जिंदगी की सच्चाई भी तो यही है इसे जितनी जल्दी समझ लिया जाए उतना बेहतर है। 

        ऐसे में मैंने न केवल पीडि़त परिवार का हौंसला बढ़ाया बल्कि तय लक्ष्य के प्रति अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करने का भी काम किया। यही कहा कि हमारा समाज चढ़ते सूरज को ही नमस्कार करता है। इस पीडि़त परिवार में भी आगे बढऩे का पूरा जज्बा है बस समाज की इस दी हुई पीड़ा को दरकिनार कर स्वयं को संगठित व मजबूत कर अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ते चले जाएं। इस बीच जीवन की दी हुई यह पीड़ा न केवल कम होगी बल्कि जिंदगी होने का भी एहसास होगा। (इसमें संबंधित परिवार की जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है जैसा कि वे चाहते हैं)

        सच कहूं जब कोई व्यक्ति  दु:ख के समय में होता है तो उसकी मदद को भी सैंकड़ों नहीं बल्कि हजारों इंसान अपने हाथ जरूर बढ़ाते हैं, लेकिन इस बीच जो दर्द समाज का ही नहीं बल्कि अपनों का दिया हुआ होता है उसका अंदाजा तो केवल एक पीडि़त पक्ष ही लगा सकता है। भले ही मदद के तौर पर हम पीडि़त व्यक्ति को पूरा ढ़ांढस बढ़ाने का भी काम कर लें लेकिन पल-पल पीड़ा को सहता पीडि़त इंसान ही उस दर्द को न केवल झेलता है बल्कि उससे मुकाबला भी करता है। 

        सचमुच इस सांसारिक यात्रा में इंसान को जीवन की दी हुई पीड़ा से कहीं ज्यादा वह सामाजिक पीड़ा होती है जो पल-पल व्यक्ति को खंडित करती रहती है। इसलिए किसी भी व्यक्ति के प्रति हमें कुछ भी कहने व सुनने से पहले वास्तिकता को पहचानने का प्रयास करना चाहिए। हो सकता है आप द्वारा कहे शब्द पीडि़त पक्ष को न केवल एक नई जिंदगी जीने की उमंग जगा जाए या फिर किसी इंसान की जिंदगी को ही जहन्नुम बना दे। आओ हम सब मानवता के कल्याण के लिए एक इंसान होने का फर्ज निभाएं क्योंकि यह मनुष्य जीवन दोबारा नहीं मिलेगा।

Friday, 20 August 2021

बीपीएल परिवार की बेटी की शादी में सरकार की शगुन योजना बनेगी सहारा

 चौंतड़ा विकास खंड में शगुन योजना के तहत 10 पात्र परिवारों की बेटियों ने किया आवेदन

हिमाचल प्रदेश की जय राम ठाकुर सरकार ने प्रदेश के गरीब परिवारों की बेटियों की शादी की चिंता करते हुए एक नई योजना शगुन की शुरूआत की है। इस योजना के माध्यम से बीपीएल परिवार की बेटी की शादी होने पर प्रदेश सरकार उन्हे 31 हजार रूपये की आर्थिक मदद प्रदान करेगी। इस योजना को पूरे प्रदेश में एक अप्रैल, 2021 से लागू कर दिया गया है। 

इस योजना की शुरूआत करने का प्रमुख उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवार के ऐसे माता-पिता, संरक्षक या स्वयं लडक़ी यदि उसके माता-पिता जीवित न हो या लापता हैं की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। साथ ही बेटी की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए तथा वह हिमाचल प्रदेश की स्थाई निवासी हो। 

इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र परिवार निर्धारित प्रपत्र पर अपने नजदीकी बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ), प्रभारी नारी सेवा सदन या अधीक्षक बालिका आश्रम के माध्यम से अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं। तमाम औपचारिकताओं की जांच-पड़ताल के बाद सक्षम अधिकारी द्वारा संबंधित लाभान्वित परिवार को योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।

शगुन योजना का लाभ प्राप्त करने को ये हैं शर्तें व नियम

शगुन योजना के तहत आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए आवेदक व लडक़ी का हिमाचली प्रमाणपत्र, माता-पिता व अभिभावक का बीपीएल प्रमाणपत्र यदि लडक़ी के माता-पिता जीवित न हो तो स्वयं लडक़ी का बीपीएल प्रमाणपत्र, लडक़ी की जन्म तिथि का प्रमाणपत्र जो सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया हो, शादी की प्रस्तावित तिथि, उस व्यक्ति का नाम जिससे लडक़ी की शादी हो रही है इस संबंध में प्रमाणपत्र संबंधित ग्राम पंचायत, नगर पालिका या निगम द्वारा जारी किया गया हो, उस व्यक्ति की जन्म तिथि जिससे लडक़ी की शादी हो रही है तथा इस बारे प्रमाण पत्र सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया हो इत्यादि दस्तावेजों के साथ निर्धारित प्रपत्र पर अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। 

साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि आवेदक केवल प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री कन्यादान योजना या फिर शगुन योजना के तहत केवल एक योजना का ही लाभ मिलेगा। इसके अलावा यदि शगुन योजना के अंतर्गत जारी राशि के वितरण तिथि से तीन महीन की अवधि के भीतर माता-पिता, अभिभावक या लडक़ी द्वारा उपयोग निर्धारित प्रयोजन के लिए नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में स्वीकृत राशि को बाल विकास परियोजना अधिकारी के पास वापिस जमा करवाना अनिवार्य है। 

क्या कहते हैं अधिकारी:

बाल विकास परियोजना अधिकारी चौंतड़ा बी.आर. वर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने शगुन योजना को एक अप्रैल 2021 से लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। इस योजना के तहत चौंतड़ा 

ब्लॉक में अब तक कुल 10 पात्र परिवारों ने अपना आवेदन प्रस्तुत किया है। जिसे आगामी एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु जिला कार्यक्रम अधिकारी को भेज दिया गया है। इन मामलों के अनुमोदित एवं बजट उपलब्ध होते ही धनराशि को संबंधित परिवारों को उपलब्ध करवा दिया जाएगा। साथ ही कहा कि शगुन योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिये बाल विकास परियोजना अधिकारी, वृत पर्यवेक्षक कार्यालय या फिर अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र से संपर्क स्थापित किया जा सकता है। 







Monday, 16 August 2021

सीएम स्टार्टअप के तहत चंबा के रियाज मोहम्मद ने बनाई हर्बल वाईन (साईंस)

क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र-एक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर में स्थापित इंक्यूबेशन केंद्र के सहयोग से पूरा किया शोध

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला निवासी रियाज मोहम्मद ने मुख्य मंत्री स्टार्टअप स्कीम का लाभ उठाते हुए जड़ी बूटियों एवं औषधीय पौधों से एक हर्बल वाईन तैयार करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। रियाज मोहम्मद जल्द ही अपने इस तैयार उत्पाद को मार्किट में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में यह हर्बल वाईन एक इम्युनिटी बूस्टर का भी काम करेगी।

भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर में राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र-एक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर में आयुर्वेद एवं औषधीय जड़ी बूटियों पर आधारित नवोन्वेषी विचार एवं शोध के लिए सीएम स्टार्टअप स्कीम के तहत स्थापित इंक्यूबेशन केंद्र स्थापित किया है। इसी केंद्र के सहयोग से चंबा के रियाज मोहम्मद ने कड़ी मेहनत व शोध तथा सीएम स्टार्टअप स्कीम की आर्थिक मदद से हर्बल वाईन (साईंस) को तैयार करने में यह बड़ी कामयाबी हासिल की है। जल्द ही यह हर्बल वाईन लोगों को मार्किट में उपलब्ध हो जाएगी। पूरी तरह से प्राकृतिक एवं औषधीय पौधों व जड़ी बूटियों से तैयार यह हर्बल वाईन (साईंस) न केवल लोगों को एक वाईन का स्वाद देगी बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का भी काम करेगी। बड़ी बात तो यह है कि इस हर्बल वाईन का विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों में वैज्ञानिक विश्लेषण भी पूरा कर लिया गया है तथा शेष अन्य औपचारिकताओं के पूर्ण होते ही अब यह लोगों को उपलब्ध होने वाली है।

जब इस बारे इंक्युबेटर रियाज मोहम्मद से बातचीत की तो उन्होने बताया कि राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र-एक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर के निदेशक डॉ. अरूण चंदन के मार्गदर्शन एवं मुख्य मंत्री स्टार्टअप स्कीम की आर्थिक मदद से वे अपने इस हर्बल प्रोडक्ट को तैयार करने में कामयाब हो पाए हैं। उन्होने बताया कि आयुर्वेद में आसव आरिष्ट तथा सूरा पर आधारित उत्पाद का जिक्र है, जो न केवल लीवर को मजबूत बनाते हैं बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इसके अलावा पश्चिमी देशों के शोध में सूरा यानि की वाईन को हर्ट के लिए भी बेहतर बताया गया है। आयुर्वेद में आसव आरिष्ट तथा क्षेत्रीय स्तर पर ग्रामीणों द्वारा तैयार की जाने वाली सूरा या ध्रुब्बली के गहन अध्ययन के बाद इस हर्बल वाईन को तैयार किया गया है। इस हर्बल वाईन का नाम साईंस यानि की अंग्रेजी में Psycience रखा है। जिसका मतलब है मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक मिश्रण, जो व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने का काम करेगी। साथ ही बताया कि इस हर्बल वाईन में अनाज व फलों के एक्सट्रैक्ट के साथ-साथ विभिन्न जड़ी बूटियों के मिश्रण को इसमें शामिल किया गया है।
सलूणी चंबा के रहने वाले हैं रियाज मोहम्मद, माइक्रोबायोलॉजी में है स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त
जिला चंबा के सलूणी निवासी 31 वर्षीय रियाज मोहम्मद की प्रारंभिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय चंबा से हुई है। इन्होने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से माइक्रोबायोलॉजी में बीएससी व एमएससी ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की है। इन्होने लगभग 9 माह तक चंबा मेडिकल कॉलेज में भी पढ़ाया है। रियाज मोहम्मद ने बताया कि जड़ी बूटियों पर आधारित पारिवारिक कारोबार के चलते इन्होने आयुर्वेद एवं जड़ी-बूटियों पर आधारित शोध कार्य का निर्णय लिया है जिसमें सीएम स्टार्टअप स्कीम के सहयोग से वे कामयाब हो पाए हैं।
मुख्य मंत्री स्टार्टअप स्कीम नवोन्वेषी विचार को बतौर उद्यम स्थापित करने में है मददगार
रियाज मोहम्मद का कहना है कि प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री स्टार्टअप स्कीम उनके जैसे नवोन्वेषी विचार एवं शोध कार्य के माध्यम से उद्यम स्थापित करने वाले युवाओं के लिए मददगार साबित हो रही है। इस योजना के माध्यम से न केवल उन्हे आर्थिक तौर पर सरकार सहायता दे रही है बल्कि उनके नवोन्वेषी विचार से तैयार उत्पाद को एक मुकाम भी प्रदान कर रही है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा युवाओं से सरकार की इस योजना का लाभ उठाने का भी आहवान किया है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
आयुर्वेद एवं औषधीय जड़ी बूटियों पर सीएम स्टार्टअप स्कीम के तहत जोगिन्दर नगर में स्थापित इंक्यूबेशन केंद्र में हुए इस शोध कार्य की पुष्टि करते हुए राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन ने बताया कि संस्थान के इन्क्यूबेटर रियाज मोहम्मद ने हर्बल वाईन तैयार करने में कामयाबी हासिल कर ली है। इनका कहना है कि रियाज मोहम्मद द्वारा तैयार स्टार्टअप हर्बल वाईन प्रोडक्ट पर पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ एवं अन्य शोध संस्थानों में वैज्ञानिक विश्लेषण भी पूरा कर लिया गया है तथा जल्द ही यह प्रोडक्ट मार्किट में लोगों को उपलब्ध हो जाएगा।










Thursday, 15 July 2021

कोरोना काल में जोल के राजेश कुमार ने टमाटर की खेती से मजबूत की आर्थिकी

 सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत टमाटर बेचकर कमाए 50 हजार, बेरोजगारों के लिये बने प्रेरणास्रोत

वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच जहां कई लोग नौकरियां छूट जाने के कारण बेरोजगार हो गए तो वहीं कईयों के सामने आजीविका का भी संकट खड़ा हो गया है। लेकिन ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी सामने आए जिन्होने स्वरोजगार के माध्यम से जीवन को एक नई दिशा देने का न केवल प्रयास किया बल्कि उसमें वे कामयाब भी हुए हैं। कोरोना संकट के बीच जोगिन्दर नगर उपमंडल के अंतर्गत ग्राम पंचायत मतेहड़ के गांव जोल निवासी 43 वर्षीय राजेश कुमार ने खेती-बाड़ी को आजीविका का न केवल जरिया बनाया बल्कि अच्छी खासी आमदन भी अर्जित की है। राजेश कुमार ने टमाटर बेचकर अब तक लगभग 50 हजार रूपये घर बैठे कमा लिये हैं।

इस बारे प्रगतिशील किसान राजेश कुमार से बातचीत की तो उन्होने बताया कि उन्होने अपनी तीन बीघा जमीन में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत टमाटर की फसल ऊगाई है। अब तक वे लगभग 50 हजार रूपये का टमाटर बेच चुके हैं जबकि 2 बीघा में अभी भी टमाटर की फसल तैयार हो रही है। ऐसे में एक अनुमान है कि टमाटर की इस पूरी फसल से वे लगभग एक लाख रूपये तक की आमदन अर्जित करने में कामयाब हो जाएंगे। जब उनसे मार्केटिंग के बारे में जानना चाहा ने उन्होने बताया कि वे स्वयं ही आसपास के गांवों में लोगों के घर-द्वार पहुंचकर टमाटर को बेचते हैं तथा उन्हे अच्छे दाम प्राप्त हो रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि उनके द्वारा तैयार टमाटर पूरी तरह से प्राकृतिक है तथा इसमें किसी प्रकार की रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं हुआ है।

आईटीआई एवं स्नातक स्तर तक की शिक्षा प्राप्त राजेश कुमार स्वरोजगार के माध्यम से ही जीवन में आगे बढ़ने को प्रयासरत हैं। पिछले दो वर्षों से वे आत्मा परियोजना के माध्यम से सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के साथ जुड़े हैं तथा सब्जी उत्पादन की ओर कदम बढ़ाए हैं। पहले ही प्रयास में वे टमाटर की बंपर पैदावार कर वे इसमें न केवल कामयाब हुए हैं बल्कि उन्हे हौसला भी मिला है। उनका कहना है कि आने वाले समय में वे बागवानी के साथ भी जुड़ेगें ताकि उनके इन प्रयासों को बल मिल सके। उन्होने बताया कि सिंचाई सुविधा के लिए भू-संरक्षण विभाग के माध्यम से उन्होने टयूब वैल लगाया है जिस पर सरकार ने लगभग 1.10 लाख रूपये का उपदान दिया है। आत्मा परियोजना के माध्यम से उन्हे बीजा अमृत, जीवामृत एवं घन जीवामृत तैयार करने को प्लास्टिक ड्रम्स तथा फलदार पौधे मुहैया करवाए गए हैं।

राजेश कुमार का बेरोजगार युवाओं से आहवान है कि वे यदि खेती-बाड़ी व बागवानी को आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके से अपनाते हैं तो न केवल घर बैठे उनके लिये आमदनी का एक जरिया बन सकता है बल्कि नौकरी की तलाश में इधर-उधर भी नहीं भटकना पड़ेगा। उनका कहना है कि हमारे गांव में प्रत्येक व्यक्ति के पास थोड़ी या ज्यादा जमीन अवश्य उपलब्ध है। जिसका वे सही तरीके से सदुपयोग कर न केवल घर बैठे स्वरोजगार हासिल कर सकते हैं बल्कि उन्हे आत्म संतुष्टि का भी अहसास होगा।

क्या कहते हैं अधिकारी:

जब इस बारे कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा परियोजना) के खंड तकनीकी प्रबंधक (बी.टी.एम.)चौंतड़ा सुनील कुमार से बातचीत की तो इनका कहना है कि वर्ष 2018 में राजेश कुमार सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के साथ जुड़े हैं। वर्ष 2019 में इन्होने प्रदर्शनी के तौर पर टमाटर की बिजाई की थी जिससे उन्हे लगभग 22 हजार रूपये की आमदन हुई। वर्तमान में उन्होने तीन बीघा जमीन में टमाटर की खेती की है तथा अनुमान है कि वे लगभग एक लाख रूपये से अधिक आय अर्जित कर लेंगे। उन्होने बताया कि चौंतड़ा ब्लॉक में 2243 किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ने का प्रयास हुआ है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा किसानों खासकर बेरोजगार युवाओं से सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के साथ जुडऩे का आहवान किया है।

किसानों को घन जीवामृत, जीवामृत एवं बीजामृत उपलब्ध करवाने के लिए संसाधन भंडार स्थापित किये हैं जिनके माध्यम से किसान 5 रूपये किलो देसी गाय का गोबर, दो रूपये प्रति लीटर जीवामृत तथा गोमूत्र आठ रूपये प्रति लीटर की दर से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा देसी गाय खरीदने, गाय का शैड बनाने एवं प्लास्टिक का ड्रम खरीदने के लिए भी सरकार सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए किसानों को उपदान मुहैया करवा रही है।  







Friday, 18 June 2021

अनुवर्ती कार्यक्रम के तहत चार वर्षों में जोगिन्दर नगर में 229 महिलाएं लाभान्वित

अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग परिवारों से संबंधित महिलाओं को स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बनाने को लेकर प्रदेश सरकार ने अनुवर्ती कार्यक्रम योजना की शुरूआत की है। इस योजना के माध्यम से महिलाओं को सिलाई मशीनों का वितरण किया जाता है। इसी के तहत जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र में भी गत चार वर्षों के दौरान 229 महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है। 

इस संबंध में जानकारी देते हुए तहसील कल्याण अधिकारी जोगिन्दर नगर व लडभड़ोल चंदन वीर सिंह ने बताया कि अनुवर्ती कार्यक्रम योजना के माध्यम से जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र में गत चार वर्षों के दौरान 229 महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित कर लाभान्वित किया किया जा चुका है। जिनमें जोगिन्दर नगर तहसील के अंतर्गत 197 जबकि लडभड़ोल तहसील के तहत 32 महिलाएं शामिल हैं। उन्होने बताया कि तहसील जोगिन्दर नगर के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में 37, 2018-19 में 58, वर्ष 2019-20 में 78 तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 में 24 महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। इसी तरह लडभड़ोल तहसील के तहत वित्तीय वर्ष 2018-19 में सात, 2019-20 में 12 तथा वर्ष 2020-21 में 13 महिलाओं को लाभान्वित किया गया है। 

किन्हे मिलती है सहायता:

अनुवर्ती कार्यक्रम योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग परिवारों से संबंधित ऐसी महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित की जाती हैं जिनके परिवार की वार्षिक आय 35 हजार रूपये से कम हो, हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हो तथा किसी भी दर्जी से सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया हो। 

कैसे करें आवेदन:

योजना का लाभ हासिल करने के लिए पात्र महिलाएं आवश्यक दस्तावेजों जिनमें आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, हिमाचली प्रमाणपत्र तथा किसी भी दर्जी से सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र शामिल है सहित अपने नजदीकी तहसील कल्याण अधिकारी कार्यालय में अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकती हैं। 








Friday, 11 June 2021

कोरोना ने छीनी फाइव स्टार होटल की नौकरी, घर आकर शुरू कर दिया स्वरोजगार

जोगिन्दर नगर के कुठेहड़ा निवासी लवली ने बेकरी का काम शुरू कर हौंसलों को दी नई उड़ान

12वीं तक की शिक्षा हासिल कर ली, घर की आर्थिक सेहत ऐसी नहीं कि आगे पढ़ा जा सके। दिलो दिमाग पर परिवार की आर्थिकी को मजबूत बनाने का एक दबाव। ऐसी परिस्थिति में आगे की पढ़ाई का सपना त्याग कर रोजगार की तलाश में घर छोड़ना ही बेहतर समझा। इन विकट परिस्थितियों में 17 वर्ष की आयु में नौकरी की तलाश में घर छोड़ दिया और पहुंच गए शिमला। वर्ष 2012 में शिमला की एक कैंटीन के मैस से रोजगार का सफर शुरू करते हुए जिंदगी के अनेक उतार-चढ़ाव अनुभव लेते हुए वर्ष 2018 में देश की नामी फाइव स्टार होटल कंपनी ऑबराय होटल से जुडक़र आगरा पहुंच गए। लेकिन यहां भी मानो कोरोना महामारी की नजर उनकी नौकरी को लग गई तथा वर्ष 2020 में लगे लॉकडाउन के कारण जून में उनकी यह नौकरी भी जाती रही।
यह कहानी है जोगिन्दर नगर की ग्राम पंचायत कुठेहड़ा के गांव रोपी पंजालतर के 26 वर्षीय लवली की। लवली ने अपनी इस छोटी सी जिंदगी में जीवन का एक ऐसा सफर तय कर लिया है कि वे अब रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकने के बजाए स्वरोजगार से केवल अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने में जुट गए हैं बल्कि दूसरों को रोजगार प्रदान करने की स्थिति में भी पहुंच रहे हैं।
हंसमुख आत्मविश्वास से लबरेज 26 वर्षीय लवली से बातचीत की तो उन्होने बताया कि जून, 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते फाइव स्टार होटल ओबेरॉय आगरा की नौकरी चली गई। ऐसे में मजबूरी में घर वापिस आना पड़ा। प्रतिमाह 22 से 25 हजार रूपये कमाने वाला व्यक्ति अब बेरोजगार हो गया। लेकिन ऐसे में थोड़ी हिम्मत जुटाकर एवं अपने अनुभव को आगे रखकर स्थानीय स्तर पर ही स्वरोजगार शुरू करने का निर्णय लिया। अगस्त, 2020 को जोगिन्दर नगर कस्बे के नजदीक मच्छयाल नामक स्थान पर बेकरी उत्पाद तैयार करने का फैसला कर लिया। यहां के मौसम एवं परिस्थितियों के तहत प्राकृतिक तौर पर उन्हे बेकरी का काम करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस बीच मशीनों के माध्यम से इसे आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया तथा धीरे-धीरे जरूरत के अनुसार मशीनरी का विस्तार करते रहे। वर्तमान में केक, पेस्ट्री, पिज़्ज़ा, बिस्कुट, स्वीस रोल इत्यादि बेकरी उत्पाद तैयार कर लोगों की मांग पर उपलब्ध करवाते हैं।
उनका कहना है कि फाइव स्टार होटल की तर्ज पर यहां के लोगों को उच्च गुणवत्ता युक्त बेकरी उत्पाद उपलब्ध करवाना उनका मूल उद्देश्य है ताकि स्वाद के साथ-साथ लोगों की सेहत भी बनी रहे। उनका कहना है कि आज वे इतना कमा ले रहे हैं कि उन्हे फाइव स्टार होटल की नौकरी जाने का रंज नहीं है। इस बीच अपनी बेकरी में एक अन्य व्यक्ति को भी अपनी सहायता के लिए रोजगार पर रख लिया है।
अब तक का कैसा रहा है 26 वर्षीय लवली का संघर्ष
जब उनके अब तक के जीवन में हुए संघर्ष बारे जानना चाहा तो उन्होने बताया कि वर्ष 2012 में शिमला स्थित आईजीएमसी कॉलेज कैंटीन से उनका रोजगार का सफर शुरू हुआ। जीवन में कुछ बेहतर करने की चाहत में वे चंडीगढ़ पहुंच गए तथा वहां पर एक वर्ष तक गोल्डन टयूलिप में काम किया। इसके बाद बेकरी प्रोडक्ट्स को ही अपनी विशेषज्ञता बनाते हुए वे राजस्थान के उदयपुर पहुंच गये तथा यहां पर एक-एक वर्ष के लिए प्रसिद्ध होटल कंपनी ललित लीला में काम किया। इसके बाद वे 6 माह के लिए बंगलुरू चले गए तथा वहां के प्रसिद्ध होटल मेरियॉट में काम किया। बाद में दो बार के असफल प्रयास के वाबजूद तीसरे प्रयास में उनका चयन देश की नामी फाइव स्टार होटल कंपनी ओबेरॉय में हो गया तथा वर्ष 2018 में वे आगरा पहुंच गये।
क्या है प्रदेश के युवाओं को संदेश:
लवली का प्रदेश के युवाओं को यही संदेश है कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है तथा काम करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। लग्र, विश्वास हिम्मत के साथ आगे बढ़ा जाए तो जीवन में कुछ भी पाना नामुमकिन नहीं है। उनका कहना है कि नौकरी के बजाए वे स्वरोजगार के माध्यम से केवल अच्छा कमा सकते हैं बल्कि इससे उन्हे आत्म संतुष्टि भी मिलती है। साथ ही आगे बढ़ने के लिए उनके पास असीमित अवसर मौजूद होते हैं। बस सही समय पर सही लक्ष्य को केन्द्रित करते हुए पूरे समर्पण मेहनत के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।