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Wednesday, 12 December 2018

प्रदेश में सांस्कृतिक पर्यटन को मिलेगा बल, सांस्कृतिक धरोहर का होगा संरक्षण

सांस्कृतिक मार्गदर्शक के तौर पर स्थानीय युवाओं को मिलेंगे स्वरोजगार के अवसर (आज पुरानी राहों से योजना)
प्रदेश की जय राम ठाकुर सरकार ने अपने पहले बजटीय भाषण में प्रदेश के अंदर सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने तथा सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को बल देने के दृष्टिगत एक नई योजना आज पुरानी राहों से शुरू करने का ऐलान किया था। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, ऐतिहासिक घटनाओं तथा विलुप्त व अनछुई सांस्कृतिक धरोहरों व विरासतों को जहां सांस्कृतिक एवं हेरिटेज गाईड के माध्यम से लोगों को जागरूक बनाना है तो वहीं प्रदेश में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को भी बल दिया जाना है। 
प्रदेश सरकार ने भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से आज पुरानी राहों से नामक योजना को अधिसूचित कर दिया है। इस योजना के माध्यम से हिमाचल प्रदेश की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर के अनछुए पहलुओं का संरक्षण व संवर्धन करना है तो वहीं जन मानस विशेषकर युवाओं व पर्यटकों को परिचित व जागृत करना भी है। इस योजना के राज्य स्तर पर क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक सचिव (भाषा, कला एवं संस्कृति) की अध्यक्षता में सांस्कृतिक परिधि समिति गठित की है तो वहीं जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में यह समिति कार्य करेगी तथा जहां राज्य स्तरीय समिति में निदेशक भाषा, कला एवं संस्कृति सदस्य सचिव होंगे तो वहीं जिला स्तरीय समिति के सदस्य सचिव जिला भाषा अधिकारी को बनाया गया है। इसके अलावा 5 से 6 अन्य सदस्यों को भी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है। 
क्या है इस योजना का प्रमुख उद्ेश्य:
इस योजना का प्रमुख उदेश्य जहां प्रत्येक जिला में लुप्त सांस्कृतिक विरासत को पुर्नजीवित करना है तो वहीं महान व्यक्तित्व, स्मारक, जनश्रुति व पौराणिक गाथा, ललित कला हस्तशिल्प, पुरातत्व दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थानों का इतिहास, नक्शे सहित संकेतक पटिटका इत्यादि लगाना है। इसके साथ ही पर्यटन व होम स्टे योजना को प्रोन्नत करना, स्थानीय युवकों को सांस्कृतिक मार्गदर्शक का प्रशिक्षण दिलवाकर स्वरोजगार के साथ जोडऩा तथा आगंतुकों को संबंधित स्थान से जुडी विशेष वस्तुओं, कलाकृतियों, स्मारकों इत्यादि के मिनिएचराईज्ड सॉवनियर उपलब्ध करवाना भी है। 
इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए राज्य व जिला स्तर पर गठित समितियां प्राप्त सुझावों के आधार पर अपने-अपने क्षेत्रों में सांस्कृतिक परिधि का चुना करेंगीं तथा चयनित परिधियों से संबंधित तमाम जानकारी जन मानस को विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके लिए जहां समिति प्रदेश के कॉलेजों में इतिहास के छात्रों से लुप्त हो रही सांस्कृतिक विरासतों व धरोहरों के प्रस्ताव आमंत्रित करेगी तो वहीं सांस्कृतिक मार्गदर्शकों का चयन कर उन्हे प्रशिक्षित करवाएगी। इसके अलावा चयनित परिधि स्थलों को विकसित करने की दिशा में कार्य किया जाएगा। 
सांस्कृतिक मार्गदर्शक के तौर पर स्थानीय युवाओं को मिलेंगे स्वरोजगार के अवसर 
पर्यटकों, आगन्तुकों की सुविधा व स्थलीय यात्रा को लेकर सांस्कृतिक मार्गदर्शक नियुक्त किए जाएंगे तथा इनके माध्यम से सांस्कृतिक परिधि नक्शे उपलब्ध करवाए जाएंगे। सांस्कृतिक मार्गदर्शक नियुक्ति हेतु न्यूनतम शिक्षा 12वीं पास होगी तथा उसे प्रदेश की संस्कृति, इतिहास, पर्यटन स्थलों, भौगोलिक स्थिति तथा लोक गाथाओं का ज्ञान होना जरूरी है। चयनित मार्गदर्शकों को हिमकॉन, हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम एवं इनटैच के माध्यम से प्रशिक्षण व प्रमाणिकरण किया जाएगा। 
प्रशिक्षित सांस्कृतिक मार्गदर्शक पर्यटकों व आगन्तुकों को सांस्कृतिक परिधि का भ्रमण, संबंधित इतिहास व गाथाओं इत्यादि से परिचित करवाएंगे और अपनी आजीविका कमाएंगे।
ऐसे मेें कह सकते हैं कि सरकार द्वारा शुरू की गई यह योजना जहां प्रदेश में सांस्कृतिक पर्यटन एवं सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को बल देगी तो वहीं ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
(साभार: हिमाचल दस्तक, दिव्य हिमाचल, दैनिक सवेरा टाईम्स, अजीत समाचार, पंजाब केसरी, 26 नवम्बर, 2018 में प्रकाशित)