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Friday, 28 July 2023

बाबा बालक नाथ जी का मूल स्थान है बनाड़, ऊंची पहाड़ी पर स्थित है मंदिर

 मंदिर परिसर में मिलता है अलौकिक शांति का अनुभव, आसपास का वातावरण है बेहद शांत व खूबसूरत

मंडी जिला के जोगिन्दर नगर उपमंडल के तहत गांव बनाड़ में ऊंची पहाड़ी पर बाबा बालक नाथ जी का प्राचीन मंदिर स्थापित है। कहते हैं कि यह स्थान बाबा बालक नाथ जी का मूल स्थान है तथा बाबा बालक नाथ जी साक्षात यहां विराजमान रहते हैं। बाबा बालक नाथ जी के साथ ही ऊंची चट्टान पर गुरु गोरखनाथ जी की प्रतिमा भी स्थापित है। कहते हैं कि यह प्रतिमा भी साक्षात चट्टान के नीचे से ही निकली है। गुरू गोरख नाथ जी की प्रतिमा से कुछ ही दूरी पर पवन पुत्र हनुमान जी का भी स्थान है।
बाबा बालक नाथ जी के मंदिर तक पहुंचने के लिए सडक़ से लगभग 20 से 25 मिनट का पैदल सफर तय कर आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्की सीढिय़ां निर्मित की गई हैं तथा थोड़े-थोड़े अंतराल पर श्रद्वालुओं के बैठने को बैंच तथा पेयजल के लिए नलके लगाए गए हैं। पेयजल के लिए एक ऊंची पहाड़ी से प्राकृतिक स्त्रोत से पानी लाया गया है जो 24 घंटे उपलब्ध रहता है। रास्ते में चील, देवदार व बान के घने पेड़ों की ठंडक सफर को ओर आसान बना देती है। मंदिर परिसर में पहुंचने पर जहां अलौकिक शांति का अनुभव होता है तो वहीं आसपास का खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य मन को बेहद सुकून प्रदान करता है। ऊंची पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यहां से दूर-दूर तक प्रकृति का विहंगम नजारा देखते ही बनता है। इस स्थान की औसतन ऊंचाई लगभग साढ़े चार से पांच हजार फीट है।

जब बाबा से महिला ने मांगी थी संतान की मन्नत, खुदाई पर निकली थी सुनहरी थाल व अन्य सामान

मंदिर के पुजारी महन्त राम बताते हैं कि आज से लगभग 120 या 150 वर्ष पूर्व उनकी दादी ने बाबा से यह कहते हुए मन्नत मांगी थी, कि यदि तू सच्चा है तो मेरी ओर संतानें होनी चाहिए। उस महिला के पास केवल दो ही संतान थी लेकिन बाबा की कृपा से उसके यहां 4 या 5 बच्चे ओर हुए। कहते हैं कि उसके बाद इस प्राचीन मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ने लगी। बाबा ने गुर के माध्यम से मंदिर वाले स्थान में खुदाई करने को कहा। खुदाई करने पर यहां सुनहरी थाल सहित अन्य धातुएं तथा अन्य मूर्तियां व सामान निकला। बाबा के आदेशों के तहत सुनहरी थाल व अन्य धातुओं को वापिस उसी स्थान पर दबा दिया गया।
महन्त राम बताते हैं कि गुर के माध्यम से ही बाबा बालक नाथ जी ने मूल स्थान से ऊंची चट्टान पर गुरु गोरखनाथ जी की प्रतिमा होने की बात कही। बाबा जी के आदेशों के तहत चट्टान को तोड़ा गया तो चट्टान के भीतर गुरु गोरखनाथ जी की प्रतिमा मिली। आज भी यह प्रतिमा उसी स्थान पर चट्टान के भीतर स्थापित है। कहते हैं कि बनाड़ गांव स्थित ऊंची चोटी पर बाबा बालक नाथ जी का यह मूल स्थान हैं। कहते हैं कि पुरातन समय में बाबा जी की ठीक से पूजा अर्चना न होने के कारण वे यहां से शाहतलाई चले गए थे। महन्त राम बताते हैं कि यहां समय-समय पर कई तरह के चमत्कार होते रहे हैं।

मांहूनाग देवता भी बाबा के साथ रहते हैं विराजमान, बाबा के पानी में नहाने से दूर होते हैं कई रोग

महन्त राम बताते हैं कि बाबा बालक नाथ जी के साथ मांहूनाग देवता भी विराजमान हैं। यहां पर भाद्रपद की 20 तारीख को पवित्र स्नान होता है। बाबा जी के पवित्र पानी में नहाने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। उन्होने बताया कि बहुत समय पहले किसी गांव के एक व्यक्ति को कुष्ठ रोग हो गया था। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए उसने अनेकों प्रयास किये, लेकिन जब उस व्यक्ति ने बाबा जी के पानी में स्नान किया तो उसे इस बीमारी से धीरे-धीरे छुटकारा मिल गया। बाबा बालक नाथ व देवता मांहूनाग का एक मंदिर गांव बनाड में भी स्थित है। इसी मंदिर के साथ बाबा बालक नाथ जी का यह पवित्र पानी है जिससे श्रद्धालु स्नान करते हैं।

कैसे पहुंचे मंदिर:
जोगिन्दर नगर-मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर जोगिन्दर नगर कस्बे के समीप अप्रोचरोड के पास जिमजिमा-बनाड-गलू पटट सपंर्क सडक़ पर लगभग 4 किलोमीटर की दूरी तय कर गांव बनाड पहुंचते हैं। बनाड़ में ही बाबा बालकनाथ व माहूंनाग देवता का मंदिर है तथा इसी स्थान पर बाबा बालक नाथ जी का पवित्र पानी भी है। बनाड़ से ही बाबा बालक नाथ जी के मूल स्थान तक लगभग 20 से 25 मिनट का पैदल सफर कर ऊंची पहाड़ी तक पहुंचा जा सकता है।


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