चौंतड़ा ब्लॉक में ग्राम संगठन समूह बनाकर महिलाओं ने बढ़ाए स्वरोजगार की ओर कदम
मंडी जिला के चौंतड़ा ब्लॉक में ग्रामीण महिलाओं ने ग्राम स्वयं सहायता समूह संगठन गठित कर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाए हैं। ग्रामीण महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आंवला बर्फी, ढ़ींगरी मशरूम, विभिन्न तरह के अचार, बैग इत्यादि का उत्पादन कर आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में आगे बढऩे का प्रयास कर रही हैं। वर्तमान में चौंतड़ा ब्लॉक में लगभग 45 स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं 6 ग्राम संगठन समूह बनाकर विभिन्न गतिविधियों से जुडक़र परिवार की आर्थिकी को सुदृढ़ करने का प्रयास कर रही हैं।
इन्ही ग्राम संगठन समूहों से जुड़ी महिलाएं आंवला बर्फी के साथ-साथ ढींगरी मशरूम का भी उत्पादन कर रही हैं। प्राकृतिक फल एवं विटामिन सी की प्रचुर मात्रा वाले आंवला से महिलाएं आंवला बर्फी का निर्माण कर रही हैं। यह आंवला बर्फी न केवल सेहत के लिए अच्छी है बल्कि आंवला रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का भी काम करता है। ऐसे में आंवला से तैयार हो रही यह बर्फी सेहतमंद तो है ही साथ ही खाने में भी बेहद स्वादिष्ट है।
जब इस बारे अन्नपूर्णा ग्राम संगठन समूह की सदस्य लीला देवी से बातचीत की उनका कहना है कि आंवला बर्फी परंपरागत मिठाई का एक बेहतरीन विकल्प है। पूरी तरह से प्राकृतिक फल आंवला से बनने वाली यह बर्फी एकदम प्राकृतिक एवं सेहतमंद है। इसके सेवन से शरीर में जहां विटामिन सी की कमी को दूर किया जा सकता है तो वहीं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में मदद मिलती है। आंवला बर्फी को तिल के तेल तथा देसी घी में दो तरह से तैयार किया जा रहा है तथा इसमें किसी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है। आंवला बर्फी को कई वर्षों तक बिना फ्रीज किये स्टोर किया जा सकता है तथा यह खराब नहीं होती है।
इसी तरह यही महिलाएं ढींगरी मशरूम का भी उत्पादन कर रही हैं। इसके लिए इन्होने अन्नपूर्णा आश्रम लदरूहीं में एक कमरा ले रखा है जहां पर ढींगरी मशरूम तैयार की जा रही है। ओम नमो शिवाय ग्राम संगठन समूह तलकेहड़ की सदस्य रजनी देवी का कहना है कि वर्तमान में 30 किलोग्राम ढ़ींगरी मशरूम के 150 बैग लगाए हैं तथा अब तक वे 20 किलोग्राम से अधिक ढींगरी मशरूम बेच चुकी हैं। वर्तमान यह ढींगरी मशरूम बाजार में 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है। ढींगरी मशरूम उत्पादन से ग्राम संगठन समूह की लगभग 10 से 15 महिलाएं जुड़ी हुई हैं तथा आगामी दो से तीन माह तक ढींगरी मशरूम का यह उत्पादन जारी रहेगा।
इसी ग्राम संगठन समूह से जुड़ी गीतांजलि कबाड़ वस्तुओं से सजावटी सामान को तैयार कर रही है। इसके अलावा इन्ही ग्राम संगठन समूह की महिलाओं ने दीपावली के अवसर पर गोबर के दीपक, कैंडल, तोरण इत्यादि भी तैयार किये थे। साथ ही कुछ महिलाएं बैग निर्माण, गर्म स्वेटर इत्यादि बनाने का भी कार्य कर रही हैं। ऐसे में हमारी ग्रामीण परिवेश की ये महिलाएं स्वरोजगार गतिविधियों से जुडक़र महिला सशक्तीकरण की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं।
तैयार उत्पाद को बेचने के लिये मार्केटिंग की है दरकार, बड़े स्तर पर निर्मित करेंगे उत्पाद
ग्राम संगठन समूह की महिलाओं का कहना है कि यदि उन्हे आंवला बर्फी, ढींगरी मशरूम, अचार इत्यादि को बेचने के लिए विपणन की अच्छी सुविधा मिले तो वे बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन कर सकती हैं। इससे न केवल उनके इन उत्पादों को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी बल्कि संगठन से जुड़ी महिलाओं की आमदनी में भी वृद्धि होगी।
क्या कहते हैं अधिकारी:
एसडीएम जोगिन्दर नगर डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा का कहना है कि जोगिन्दर नगर उपमंडल में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं आर्थिकोपार्जन के लिए बेहतरीन गतिविधियां चला रही हैं। ऐसे में इन स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को एक बेहतरीन मंच मिले इस दिशा में जोगिन्दर नगर प्रशासन द्वारा आने वाले समय में हरसंभव मदद करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही इन्हे बेहतर प्रशिक्षण प्रदान कर उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने की दिशा में कार्य किया जाएगा ताकि हमारी ये ग्रामीण महिलाएं आर्थिक व सामाजिक तौर ज्यादा सशक्त हो सकें।
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