Wednesday, 4 March 2020

मशरूम खेती से जुडक़र छत्र गांव के कशमीर सिंह आगे बढ़ा रहे हैं आजीविका

हिमाचल खुम्ब विकास योजना के तहत प्रदेश सरकार आर्थिक तौर पर कर रही है किसानों की मदद
जोगिन्दर नगर उप-मंडल के अंतर्गत ग्राम पंचायत मसौली के तहत गांव छत्र के 65 वर्षीय किसान कशमीर सिंह मशरूम की खेती से जुडक़र अपनी आजीविका को आगे बढ़ाने में कार्यरत हैं। बीपीएल परिवार में शामिल कशमीर सिंह दिहाड़ी मजदूरी करने के साथ-साथ पारंपरिक खेती-बाड़ी के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मशरूम की खेती से जुडक़र वे अपनी आजीविका को आगे बढ़ावा देने में प्रयासरत हैं।
जब इस संबंध में किसान कशमीर सिंह से बातचीत की तो उनका कहना है कि पारंपरिक खेती-बाड़ी के साथ-साथ वे मेलों इत्यादि में घर में ही तैयार की जाने वाली आइसक्रीम को बेचकर अपनी आजीविका को चलाने का प्रयास करते हैं। लेकिन वर्ष 1990-91 के दौरान उन्होने मशरूम उत्पादन से जुडक़र आजीविका को बढ़ावा देने का प्रयास किया तथा इस दिशा में कुछ हद तक वे कामयाब भी हुए हैं। उनका कहना है कि घर के ही एक कमरे में वे मौसमी तौर पर मशरूम का उत्पादन करते हैं। मौसमी मशरूम का उत्पादन तीन से चार माह तक ही चलता है इस दौरान वे लगभग 18 से 20 हजार रूपये तक की अतिरिक्त आमदनी कमा लेते हैं।
बुढ़ापे की दहलीज पर खड़े कशमीर सिंह का कहना है कि मंहगाई भरे इस दौर में 6 सदस्यों वाले परिवार का भरण पोषण करना किसी चुनौती से कम नहीं है, बावजूद इसके उन्होने सोलन से एक सप्ताह का मशरूम खेती को लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा घर के एक कमरे में ही इसका उत्पादन शुरू कर दिया। उन्होने बताया कि वर्तमान में उन्होने 75 बैग मशरूम के लाए हैं जिनमें से प्रत्येक बैग से औसतन तीन से पांच किलोग्राम तक का उत्पादन हो जाता है। मार्केटिंग पर जानना चाहा तो वे कहते हैं कि वे स्वयं ही थैला भरकर मशरूम के पैकेट को जोगिन्दर नगर शहर व आसपास के गांवों में बेचते हैं तथा 100 से 125 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से दाम प्राप्त हो जाते हैं। उनका कहना है कि वे इस इकाई को बड़ी इकाई में परिवर्तित करना चाहते हैं लेकिन जमीन के साथ-साथ आर्थिक संसाधनों की कमी आड़े आ रही है।
जब सरकार की अन्य योजनाओं बारे जानना चाहा तो उनका कहना है कि उन्हे सरकार की ओर से प्रतिमाह सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी प्राप्त हो रही है। इसके अलावा मकान बनाने के लिए मामला संबंधित विभाग को भी प्रस्तुत किया है ताकि बढ़ते परिवार की जरूरतों को भी पूरा किया जा सके।
क्या कहते हैं अधिकारी
उद्यान विकास अधिकारी चौंतड़ा नवीन कुमार का कहना है कि हिमाचल खुम्ब विकास योजना के तहत सरकार जहां बड़ा मशरूम घर बनाने को 50 हजार रूपये तो वहीं छोटा मशरूम शैड बनाने को 25 हजार रूपये तक की आर्थिक मदद प्रदान कर रही है। साथ ही मशरूम प्रोडक्शन युनिट स्थापना को कुल लागत का 40 प्रतिशत यानि की आठ लाख रूपये तक की भी आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसके अलावा पांच दिन तक के प्रशिक्षण हेतु एक हजार रूपये प्रतिदिन प्रति किसान तथा देश के अंदर एक्सपोजर विजिट पर जाने वाले किसानों का सारा खर्चा भी सरकार वहन करती है। साथ ही खाद तथा स्पॉन बनाने की इकाई स्थापना को लेकर भी सरकार कुल लागत का 40 प्रतिशत प्रदान कर रही है। उन्होने किसानों विशेषकर शिक्षित बेरोजगार युवाओं से सरकार की हिमाचल खुम्ब विकास योजना का लाभ उठाकर स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बनने का आहवान किया है।




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