खबरदार! हम मौत व तबाही के आगोश में हैं। आप सोच रहे हैं कि आज मैं यह क्या लिख रहा हूं, लेकिन हिमाचल के संदर्भ में यह सच है। आज ही के दिन यानि कि 4 अप्रैल, 1905 को हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत कांगड़ा घाटी में भूकंप ने तबाही का मंजर लिख दिया था, हजारों लोग असमय ही मौत की नींद सो गए थे जबकि हजारों लोग जख्मी हो गए थे। भले की वक्त के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा द्वारा दिए गए ये जख्म काफी हद तक भर दिए हों, लेकिन जिस तेजी के साथ हिमाचल प्रदेश में निर्माण हुआ है, आने वाले समय में इसे किसी भयानक खतरे से कम नहीं आंका जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश जहां अपनी प्राकृतिक सुंदरता, स्वच्छ व शंात वातावरण के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन दूसरी तरफ हर वक्त भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा हमेशा तबाही का कब मंजर लिख दे, उसका डर भी बना रहता है। यदि आज के संदर्भ में कहूं तो महज 6 तीव्रता वाला भूकंप तबाही के लिए काफी है। लेकिन ऐसे में प्रश्न यह उठ रहा है कि तो क्या हम यहां से भाग खड़े हों या फिर इस भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तैयार रहें।
यहां हमें यह नहीं भूलना चाहिए भूकंप जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा को रोकना हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन भूकंप के प्रति जागरूकता तथा प्रदेश की अतिसंवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए भूकंप रोधी निर्माण हमें इस तबाही से काफी हद तक बचा सकता है। तो आओ भूकंप को लेकर न केवल स्वयं बल्कि
परिवार व समाज के दूसरे लोगों को भी जागरूक करने का प्रण लें ताकि कल यदि 1905 वाला मंजर प्रकृति दोहराती है तो कम से कम जानी माल का नुकसान हो, इस दिशा में तो हम प्रयास कर ही सकते हैं। यहां मुझे एक पंक्ति याद आ रही है कि इतिहास हमेशा स्वयं को दोहराता है। इसलिए भूकंप को लेकर स्वयं भी सतर्क व जागरूक रहें व दूसरों को जागरूक करें।
(फोटोग्राफ को इंटरनेट से लिया गया है।)
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हिमाचल प्रदेश जहां अपनी प्राकृतिक सुंदरता, स्वच्छ व शंात वातावरण के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन दूसरी तरफ हर वक्त भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा हमेशा तबाही का कब मंजर लिख दे, उसका डर भी बना रहता है। यदि आज के संदर्भ में कहूं तो महज 6 तीव्रता वाला भूकंप तबाही के लिए काफी है। लेकिन ऐसे में प्रश्न यह उठ रहा है कि तो क्या हम यहां से भाग खड़े हों या फिर इस भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तैयार रहें।
यहां हमें यह नहीं भूलना चाहिए भूकंप जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा को रोकना हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन भूकंप के प्रति जागरूकता तथा प्रदेश की अतिसंवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए भूकंप रोधी निर्माण हमें इस तबाही से काफी हद तक बचा सकता है। तो आओ भूकंप को लेकर न केवल स्वयं बल्कि
परिवार व समाज के दूसरे लोगों को भी जागरूक करने का प्रण लें ताकि कल यदि 1905 वाला मंजर प्रकृति दोहराती है तो कम से कम जानी माल का नुकसान हो, इस दिशा में तो हम प्रयास कर ही सकते हैं। यहां मुझे एक पंक्ति याद आ रही है कि इतिहास हमेशा स्वयं को दोहराता है। इसलिए भूकंप को लेकर स्वयं भी सतर्क व जागरूक रहें व दूसरों को जागरूक करें।
(फोटोग्राफ को इंटरनेट से लिया गया है।)
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