बरसात के मौसम के दौरान मच्छरों तथा पिस्सुओं के काटने से मलेरिया, डेंगू व स्क्रब टाइफस जैसी बीमारियां होने का ज्यादा खतरा बना रहता है। ऐसे में इन बीमारियों के बचाव के लिए जरूरी है कि लोग घर के चारों ओर घास, खरपतवार इत्यादि न उगने दें, घर के अंदर कीटनाशक दवाओं का छिडकाव करें तथा गडडों इत्यादि में पानी को जमा न होने दें ताकि उसमें मच्छर न पनप सकें।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ऊना डॉ0 प्रकाश दडोच ने लोगों को परामर्श जारी करते हुए आहवान किया है कि बरसात में मलेरिया, डेंगू तथा स्क्रब टाइफस जैसी बीमारियों से बचाव के लिए लोग विशेष एहतियात बरतें तथा इन बीमारियों से जुडा कोई भी लक्षण दिखे तो तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में उपचार के लिए पहुंचें।
उन्होने बताया कि मलेरिया मादा एनाफिल्ज नामक मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर खड़े पानी में अंडे देता है तथा इस मच्छर के काटने से मलेरिया होने का खतरा बना रहता है। उन्होने बताया कि व्यक्ति को मलेरिया होने पर ठंड लगकर बुखार आता है तथा समय पर मलेरिया का इलाज न हो तो यह कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है।
सीएमओ ने बताया कि एडीज नाम मच्छर के काटने से डेंगू की बीमारी होती है। उन्होने बताया कि यह मच्छर भी साफ पानी में अंडे देता है तथा दिन के समय काटता है। डेंगू होने पर पीडित व्यक्ति को तेज बुखार, जोडों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द तथा आंतरिक्त रक्त स्त्राव होता है। डेंगू होने पर प्रभावित व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है तथा यदि समय पर डेंगू का ईलाज न किया जाए तो यह भी जानलेवा साबित हो सकता है।
उन्होने बताया कि स्क्रब टाइफस एक जीवाणु विशेष (रिकेटशिया) से संक्रमित पिस्सु (माइट) के काटने से फैलता है जो खेतों, झाडियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। शरीर को काटने पर यह जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है तथा स्क्रब टाईफस बुखार पैदा करता है जो जोडों में दर्द व कंपकपी के साथ 104 या 105 डिग्री फॉरेनहाइट तक जा सकता है। इसके अलावा शरीर में ऐंठन, अकडऩ या शरीर टूटा हुआ लगना स्क्रब टाइफस के लक्षणों में शामिल है।
स्क्रब टाइफस, डेंगू व मलेरिया के बचाव के लिए ये रखें सावधानियां
डॉ0 प्रकाश दडोच ने स्क्रब टाइफस, डेंंगू व मलेरिया से बचाव के लिए कुछ एहतियात बरतने की भी सलाह दी है। उन्होने बताया कि लोग अपने घरों के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें, घर के चारों ओर घास, खरपतवार नहीं उगने दें, घर के अंदर कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव करें, पानी को गडडों इत्यादि में जमा न होने दें ताकि उसमें मच्छर न पनप सकें। लोग अपने बदन को ढक़ कर रखें तथा सप्ताह में कम से कम एक या दो बार कूलर, एसी तथा टंकी का पानी जरूर बदलें। टूटे हुए बर्तन, पुराने टायर, टूटे हुए घड़े इत्यादि को घर में न रखें ताकि उनमें पानी न ठहर सके। इसके अतिरिक्त मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें तथा बुखार होने पर अपने रक्त की तुरन्त जांच करवाएं। उन्होने कहा कि यदि स्क्रब टाइफस, मलेरिया या डेंगू से जुडे कोई भी लक्षण व्यक्ति में दिखाई दें तो प्रभावित को तुरन्त उपचार के लिए अस्पताल लेकर जाएं।
No comments:
Post a Comment