Thursday, 5 January 2023

सद्भाव का प्रतीक है जोगिन्दर नगर का ऐतिहासिक गुरुद्वारा

 शानन पन बिजली परियोजना के जनक कर्नल बी.सी. बैटी ने वर्ष 1927 में रखी थी नींव

जोगिन्दर नगर स्थित गुरुद्वारे की नींव शानन (ऊहल चरण-एक) पन बिजली परियोजना के जनक अंग्रेज चीफ इंजीनियर कर्नल बी.सी. बैटी ने रखी थी। शानन पन बिजली परियोजना के निर्माण में विभिन्न धर्मों से जुड़े कर्मी कार्यरत रहे। कहा जाता है कि सभी धर्मों के प्रति आदर सद्भाव व्यक्त करने के लिये शानन पन बिजली परियोजना की आवासीय कॉलोनी में मंदिर, गुरूद्वारे, मस्जिद, चर्च इत्यादि स्थल भी बनाए गए। लेकिन इस आवासीय कॉलोनी में गुरूद्वारे के लिये अपर्याप्त जगह होने के चलते वर्तमान स्थल पर स्थापित गुरूद्वारे वाले स्थान पर ही कर्नल बी.सी. बैटी ने गुरू नानक जी के प्रकटोत्सव पर 9 नवम्बर, 1927 को इसकी नींव रखी थी। 
कहा जाता है कि कर्नल बी.सी. बैटी की सिख धर्म के प्रति भी गहरी आस्था थी तथा वे नियमित तौर पर सुबह-शाम गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया करते थे। यह भी कहा जाता है कि शानन परियोजना से जुड़े किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को प्रारंभ करने से पहले वे गुरूद्वारे में माथा टेकते व प्रसाद बांटते थे। जोगिन्दर नगर स्थित यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है।

जोगिन्दर नगर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव बाबा जगजीत सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गुरुद्वारे के बेहतर संचालन के लिये वर्ष 2001 में प्रबंधन कमेटी का गठन किया गया है। बाबा जगजीत सिंह बताते हैं कि पुराने गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार कर इसे बड़ा बनाया गया है। जोगिन्दर नगर के लोगों के आपसी सहयोग से लगातार गुरूद्वारे के विभिन्न निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होने बताया कि प्रति वर्ष इस गुरूद्वारे में गुरू नानक जी, गुरू गोबिंद सिंह जी, गुरू अजुऱ्न देव जी का शहीदी दिवस के साथ-साथ बैसाखी का भी पर्व मनाया जाता है। इसके अलावा प्रतिवर्ष 20 जुलाई को प्रकाश उत्सव भी बड़े हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया जाता है।

जोगिन्दर नगर को बसाने में कर्नल बैटी की रही है अहम भूमिका

जोगिन्दर नगर से पहले सकरोहटी नामक गांव जो बाद में जोगिन्दर नगर बना को प्रदेश व देश भर में ख्याति प्रदान करने तथा इस क्षेत्र को आगे ले जाने में कर्नल बी.सी. बैटी की अहम भूमिका रही है। कहा जाता है कि कर्नल बी.सी. बैटी ने वर्ष 1922 के आसपास तत्कालीन सकरोहटी गांव में बरोट की ऊंची पहाड़ी से पन बिजली परियोजना निर्मित करने की परिकल्पना की थी। बाद में वर्ष 1925 में मंडी रियासत के तत्कालीन राजा जोगिन्द्रसेन व भारत सरकार के मध्य पन बिजली परियोजना निर्माण को लेकर एक समझौता हुआ तथा बाद में सकरोहटी गांव का नामकरण भी राजा जोगिन्द्रसेन के नाम पर बदलकर जोगिन्दर नगर हुआ। इसके बाद कर्नल बी.सी. बैटी ने शानन पनबिजली परियोजना निर्माण के लिये पठानकोट से जोगिन्दर नगर (शानन) तक नैरो गेज रेलवे लाइन का निर्माण किया जिसे अब कांगड़ा घाटी रेलवे लाइन से जाना जाता है। साथ ही ब्रिटेन से आयातित मशीनरी को बरोट तक ले जाने के लिये हालीजे ट्राली का भी निर्माण करवाया जो पूरी दुनिया भर में एक अनूठी परिवहन सुविधा है। शानन के बाद ऊहल चरण दो (बस्सी) पन बिजली परियोजना के निर्माण के चलते जोगिन्दर नगर एक कस्बे के तौर पर ऊभर कर सामने आया। इसके बाद ऊहल चरण तीन चुल्ला परियोजना भी निर्मित की जा रही है जो अभी निर्माणाधीन है। 
ऐसे में जोगिन्दर नगर पन बिजली परियोजनाओं के चलते पूरे देश भर में बिजली उत्पादक शहर के तौर पर भी जाना जाने लगा। यही नहीं जोगिन्दर नगर कस्बा जब रेलवे लाइन से जुड़ा तो यह क्षेत्र व्यापारिक दृष्टि से भी एक अहम स्थान बन कर ऊभरा तथा बड़े पैमाने पर यहां से व्यापारिक गतिविधियां संचालित हुआ करती थीं।


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