Thursday, 17 December 2020

नई पंचायत गठन से अब भगेहड़ वासियों के विकास कार्यों को मिलेगी गति

मटरू व लडभड़ोल में आयोजित जन मंच में रखा था मामला, जय राम सरकार ने नई पंचायत का दिया तोहफा

जिला मंडी के उप मंडल जोगिन्दर नगर के अंतर्गत तहसील लडभड़ोल के दूर दराज क्षेत्र भगेहड़ को प्रदेश सरकार ने नई ग्राम पंचायत का तोहफा दिया है। अब इस क्षेत्र को अपनी पंचायत मिल जाने से जहां वर्षों से विकास की दृष्टि से पिछड़े इस क्षेत्र में विकास की गति तेज होगी तो वहीं अब क्षेत्र वासियों को पंचायत से जुड़े विभिन्न कार्यों के लिए लंबा सफर भी तय नहीं करना पड़ेगा। भौगोलिक दृष्टि से अति दुर्गम यह क्षेत्र न केवल विभिन्न विकास कार्यों से कोसों दूर रहा है बल्कि छोटे-छोटे विकास कार्य करवाने को भी यहां के लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। लेकिन यहां के लिए अलग पंचायत बने इस मामले को क्षेत्रवासियों ने जोगिन्दर नगर विस क्षेत्र के तहत मटरू व लडभड़ोल में आयोजित जन मंच में प्रदेश सरकार के समक्ष रखा, जिसका नतीजा है कि अब यहां के लोगों को जयराम ठाकुर सरकार ने नई पंचायत का तोहफा प्रदान किया है। सरकार के इस बेहतरीन तोहफे को लेकर यहां के क्षेत्रवासी न केवल बेहद खुश हैं बल्कि मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर का आभार भी जता रहे हैं।

जब पंचायत गठन को लेकर स्थानीय निवासी कैप्टन शेष राम से बातचीत की तो उनका कहना है कि यहां के लोगों की यह लंबे समय से अहम मांग रही है। स्थानीय लोगों ने क्षेत्र से जुड़े गांवों की एक समिति गठित कर मामले को मटरू व लडभड़ोल में आयोजित जन मंच में प्रमुखता से उठाया जिसका नतीजा है कि आज इस दूर दराज क्षेत्र भगेहड़ को नई पंचायत मिली है। उनका कहना है कि इससे पहले यहां के लोगों को पंचायत से जुड़े विभिन्न कार्यों के लिए पंचायत मुख्यालय दलेड पहुंचने के लिए लगभग 14 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता था, जिसके कारण न केवल ग्राम सभा में पहुंचने में दिक्कत होती थी बल्कि विभिन्न विकास कार्यों को स्वीकृति प्रदान करवाने में भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता था।

इसी तरह स्थानीय निवासी रमेश चंद राठौर से बातचीत की तो उनका भी कहना है कि दलेड पंचायत का हिस्सा रहे यहां के गांव भगेहड़, लंगेसर, सिलह व कवार वासियों की कई वर्षों से अलग पंचायत गठन की मांग रही है, जिसे प्रदेश की जय राम ठाकुर सरकार ने पूर्ण कर यहां के लोगों को बड़ी राहत प्रदान की है। सरकार के इस अहम निर्णय से अब यहां के लोगों को विकास कार्यों के लिए न केवल सुविधा होगी बल्कि विकास की गति भी बढ़ेगी। पंचायत गठन को लेकर स्थानीय निवासी मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर के साथ-साथ स्थानीय सांसद राम स्वरूप शर्मा व विधायक प्रकाश राणा का भी विशेष तौर पर अभार जता रहे हैं जिनके प्रयासों से ही इस क्षेत्र को यह बड़ा तोहफा नसीब हुआ है। 

नव गठित भगेहड़ पंचायत में होगें पांच वार्ड व 601 मतदाता

नव गठित भगेहड़ पंचायत में पांच गांवो जिसमें भगेहड़, कसैड़ा, लंगेसर, सिलह व कवार को शामिल किया गया है। जबकि पंचायत को पंाच वार्ड जिसमें भगेहड़-एक व दो, लंगेसर, सिलह व कवार में विभाजित किया गया है। वर्तमान में इस पंचायत में कुल 601 मतदाता हैं जिनमें 303 पुरूष तथा 298 महिलाएं शामिल है। मतदाताओं की संख्या  मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद बढऩे की संभावना है। वार्ड स्तर पर मतदाताओं की संख्या को देखें तो सिलह में 177, कवार में 100, लंगेसर में 39, भगेहड़-एक में 160 तथा भगेहड़-दो में 125 मतदाता हैं। नव गठित पंचायत वासियों ने पंचायत भवन निर्माण के लिए भूमि को भी चिन्हित कर लिया है तथा उम्मीद जताई की सरकार जल्द ही इसका शिलान्यास कर निर्माण कार्य शुरू करेगी।

क्या कहते हैं विधायक :

जोगिन्दर नगर के विधायक प्रकाश राणा ने भगेहड़ वासियों को नई पंचायत गठित होने की बधाई देते हुए कहा कि इससे जहां इस दूर दराज क्षेत्र में विकास की गति तेज होगी तो वहीं सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लोगों को घर-द्वार प्राप्त होगा। उनका कहना है कि जन मंच प्रदेश सरकार का एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके माध्यम से सरकार सीधे लोगों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को न केवल सुना जाता है बल्कि प्राथमिकता के आधार पर हल भी किया जाता है। भगेहड़ पंचायत का मामला भी मटरू व लडभड़ोल जन मंच में लोगों ने प्रमुखता से उठाया था तथा इस वास्तविक मांग को देखते हुए जय राम ठाकुर सरकार ने इसे पूर्ण किया है जिसके लिए वे क्षेत्रवासियों की ओर से मुख्य मंत्री का आभार व्यक्त करते हैं। 

क्या कहते हैं सांसद :

मंडी से लोकसभा सांसद राम स्वरूप शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार ने इस बार लोगों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए नई पंचायतों का गठन किया है जिसके तहत ही जोगिन्दर नगर विस क्षेत्र में भी तीन नई पंचायतें गठित हुई हैं जिसमें भगेहड़ भी शामिल है। उन्होने भी क्षेत्रवासियों को नई पंचायत गठन की बधाई दी है तथा कहा कि इससे इस दूर दराज क्षेत्र के लोगों की दिक्कतें न केवल कम होगी बल्कि विकास की गति को भी बल मिलेगा।







Saturday, 28 November 2020

जसवाल ट्राऊट मछली फार्म शानन का दीवाना है पूरा उत्तरी भारत

 ट्राऊट मछली उत्पादन के साथ-साथ हैचरी से भी हो रही खूब कमाई

प्रदेश भर में 1166 रेसवेज के माध्यम से हो रहा है 600 मीट्रिक टन ट्राउट का उत्पादन

मंडी जिला के जोगिन्दर नगर के शानन स्थित जसवाल ट्राउट मछली फॉर्म की पहुंच न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पूरे उत्तरी भारत में है। मजेदार बात तो यह है कि इस फॉर्म की तैयार मछली के दीवाने देशी व विदेशी पर्यटकों सहित देश की जानी मानी राजनैतिक हस्तियां भी रहीं हैं। ट्राऊट मछली उत्पादन में जसवाल ट्राउट फॉर्म शानन प्रदेश में एक अहम स्थान रखता है। 

जब इस संबंध में जसवाल ट्राउट फॉर्म के संचालक दोनों भाईयों राजीव व संजीव जसवाल से बातचीत की तो उन्होने बताया कि उनका यह फॉर्म उनके परिवार के लिए स्वरोजगार का एक बड़ा माध्यम बन गया है। इस फॉर्म से न केवल उनके परिवार का भरण-पोषण हो रहा है बल्कि आज वे प्रतिवर्ष लाखों रूपये का ट्राउट मछली का कारोबार भी कर पा रहे हैं। 

उन्होने बताया कि वर्ष 2001 में मात्र कुछ दिनों के लिए कॉर्प मछली पालन से शुरू किया गया यह कार्य आज ट्राउट मछली पालन के तौर पर एक बहुत बड़े कारोबार में तबदील हो गया है। यहां की भौगोलिक परिस्थितयों को देखते हुए ट्राउट मछली उत्पादन की ओर कदम बढ़ाए जिसके न केवल बेहतर परिणाम सामने आए हैं बल्कि उनका यह स्वरोजगार का जरिया धीरे-धीरे एक बड़े कारोबार में बढ़ता गया है। ट्राउट मछली पालन को उस समय नए पंख लग गए जब उन्होने इसकी हैचरी में भी सफलता प्राप्त कर ली। वर्ष 2003 में ट्राउट हैचरी तैयार होने से उनके मछली उत्पादन के काम को ओर अधिक बल मिला तथा अब दोनों भाई मिलकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं।

उनका कहना है कि उनकी हैचरी में 98 प्रतिशत तक की सफलता मिली है जिससे उन्हे आय का अन्य बड़ा स्त्रोत मिल गया है। हैचरी को आधुनिक तकनीक प्रदान करते हुए उन्होने तुर्की से लाए गए वर्टिकल इंक्युबेटर स्थापित किये हैं जो संभवता पूरे देश में यह पहला प्रयास है। उन्होने बताया कि ट्राउट हैचरी में किये गए बेहतर प्रयासों को चलते उन्हे वर्ष 2019 में बिलासपुर में आयोजित कार्यक्रम में बेस्ट हैचरी आवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। 

दिल्ली सहित पूरे उत्तरी भारत में है जसवाल ट्राउट मछली फॉर्म की पहुंच

संजीव व राजीव जसवाल का कहना है कि उनकी ट्राउट की पहुंच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उत्तर के भारत के अनेक राज्यों जिसमें चंडीगढ़, पंजाब व उत्तराखंड तक है। वर्तमान में वे प्रतिवर्ष लाखों रूपये तक का ट्राउट का उत्पादन कर रहे हैं। इसके अलावा हैचरी से भी प्रतिवर्ष औसतन 3 से 4 लाख रूपये तक की आय भी प्राप्त हो रही है। इनका कहना है कि हैचरी से तैयार बीज जहां आसपास के किसान प्राप्त करते हैं तो वहीं उत्तराखंड राज्य में भी भेजा जाता है। उनकी ट्राउट उत्पादन का एक बड़ा भाग इसी क्षेत्र के आसपास बिक जाता है जबकि मांग होने पर इसे दूसरे राज्यों व बड़े शहरों को भी भेजा जाता है।

उत्तराखंड का मत्स्य विभाग भी कर रहा है शोध

जसवाल ट्राउट फॉर्म में उत्तराखंड राज्य का मत्स्य विभाग ठंडेप पानी पर ट्राउट मछली पर विशेष शोध कार्य भी कर रहा है। शोध कार्य के दौरान मछलियों के लिए खुराक, ट्रिपलोयड़ के साथ-साथ बीज का भी विशेष वितरण किया जाता है।

मछली पालन के लिए सरकार से टैंक निर्माण को मिली है आर्थिक मदद

उन्होने बताया कि ट्राउट मछली पालन के लिए सरकार से टैंक निर्माण को अनुदान भी मिला है। वर्ष 2003-04 के दौरान आठ टैंक का निर्माण किया गया है जिसके लिए प्रति टैंक 20 हजार रूपये बतौर अनुदान सरकार ने उपलब्ध करवाए हैं। मछली पालन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने पर वर्ष 2014 में चौंतड़ा में आयोजित किसान मेले में उन्हे प्रगतिशील किसान अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है जिसमें उन्हे 10 हजार रूपये का नकद पुरस्कार मिला है।

ट्राउट मछली पालन में है स्वरोजगार की अपार संभावनाएं

संजीव व राजीव जसवाल का कहना है कि देश में बड़े पैमाने पर ट्राउट दूसरे देशों से यहां मंगवाई जाती है। यदि हमारे प्रदेश का शिक्षित युवा ट्राउट मछली पालन को स्वरोजगार के तौर पर अपनाता है तो इस क्षेत्र में आगे बढऩे की अपार संभावनाएं हैं। इनका कहना है कि कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के दौर में उन्हे कुछ समय के लिए जरूर दिक्कत का सामना करना पड़ा लेकिन अब पुन: धीरे-धीरे उनका यह काम आगे बढऩे लगा है। कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में रोजगार खो चुके युवा यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ट्राउट मछली पालन से जुडक़र न केवल घर बैठे स्वरोजगार के नए अवसर का सृजन कर सकते हैं बल्कि उनकी आर्थिकी को बल देने में भी यह क्षेत्र सक्षम है। 

क्या कहते हैं अधिकारी


निदेशक मात्स्यिकी विभाग हिमाचल प्रदेश एसपी मैहता का कहना है कि प्रदेश में 31 मार्च, 2020 तक ट्राउट मछली पालन से 592 मछुआरे जुड़े हुए हैं जो 1166 रेसवेज से 600 मीट्रिक टन ट्राउट का उत्पादन कर रहे हैं। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के सात जिलों चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, किन्नौर, सिरमौर तथा शिमला में ट्राउट मछली पालन किया जा रहा है। उन्होने बताया कि प्रधान मंत्री संपदा मत्स्य योजना के तहत सरकार ने प्रति इकाई अनुदान राशि को एक लाख रूपये तक बढ़ा दिया है जिससे अब किसानों को अनुदान के तौर अधिक धनराशि प्राप्त होगी। 

उन्होने बताया कि ट्राउट मछली पालन के क्षेत्र में तीन लाख रूपये तक की युनिट पर अब सामान्य परिवारों को 40 प्रतिशत की दर से 1.20 लाख जबकि महिला एवं अनुसूचित जाति व जनजाति परिवार को 60 प्रतिशत की दर  से 1.80 लाख रूपये तक का अनुदान टैंक निर्माण को प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त बीज, खुराक व परिवहन सहायता के तौर पर सामान्य परिवार को एक लाख रूपये जबकि महिला एवं एससी व एसटी परिवार को डेढ़ लाख रूपये तक का अनुदान जो अढ़ाई लाख प्रति युनिट के तहत दिया जा रहा है। साथ ही ट्राउट हैचरी निर्माण की प्रति इकाई 50 लाख रूपये की लागत के आधार पर सामान्य परिवार को 40 प्रतिशत की दर से अधिकत्तम 20 लाख जबकि महिला तथा एससी व एसटी परिवार को 60 प्रतिशत की दर से अधिकत्तम 30 लाख रूपये तक के सरकारी अनुदान का प्रावधान किया गया है जो पहले 25 लाख रूपये प्रति इकाई था। उन्होने बताया कि प्रधान मंत्री संपदा मत्स्य योजना के तहत प्रदेश से लगभग 60 करोड़ रूपये के प्रोजैक्टस को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया था जिसमें से 40 करोड़ रूपये के प्रोजैक्टस को स्वीकृति प्राप्त हो गई है। 

Wednesday, 11 November 2020

चौंतड़ा के कपिल सूद ने सॉफटवेयर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ अपनाया स्वरोजगार

गैस्ट हाऊस कम रेस्टोरेंट चलाने को मुख्य मंत्री स्वावलंबन योजना से मिली उड़ान

पेशे से सॉफटवेयर इंजीनियर, 15 वर्षों का लंबा कार्य अनुभव लेकिन बावजूद इसके घर वापिसी कर स्वरोजगार के माध्यम से आगे बढऩे की जिद्द। ऊपर से देश के बड़े-बड़े शहरों की चकाचौंध ही नहीं बल्कि लंदन व थाईलैंड इत्यादि देशों का आकर्षण भी स्वरोजगार के माध्यम से आगे बढऩे की ललक के आगे फीका। बस जुंबा पर एक ही लक्ष्य घर लौटकर कुछ ऐसा करने का जिससे वह न केवल अपने घर पर ही रहे बल्कि स्वरोजगार से जुडक़र आर्थिकी को एक नई दिशा व ऊर्जा भी मिले। आखिर 15 वर्षों की लंबी नौकरी छोडक़र स्वरोजगार को अपनाना कोई छोटी हिम्मत वाला कार्य नहीं है। लेकिन यदि आगे बढऩे के लिए हौंसले बुलंद हों तो इंसान बड़ी से बड़ी चुनौती को भी आसानी से पार पा लेता है।

इन्ही कुछ सपनों को लेकर मंडी जिला के जोगिन्दर नगर के चौगान (मचकेहड़) निवासी 41 वर्षीय कपिल सूद ने गैस्ट हाऊस कम रेस्टोरेंट खोलकर यह साबित कर दिया कि हिमाचल प्रदेश का युवा महज डिग्रीयां हासिल कर नौकरी के माध्यम से ही नहीं बल्कि स्वरोजगार अपनाकर भी आगे बढऩे में सक्षम है। लेकिन कपिल सूद के इस सपने को हकीकत बनाने में प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री स्वावलंबन योजना ने बड़ी भूृमिका अदा की है। इसी योजना का लाभ उठाकर आज कपिल सूद ने स्वरोजगार के माध्यम से आगे बढऩे को कदम बढ़ाए हैं।


जब इस बारे कपिल सूद से बातचीत की तो उनका कहना है कि मार्च 2018 में उन्होने घर वापिसी की तथा स्वरोजगार शुरू कर आगे बढऩे का निर्णय लिया। प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज कांगड़ा व मंड़ी जिला की बिलिंग व बरोट घाटी में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए विश्व प्रसिद्ध पैराग्लाईडिंग साइट्स बीड़-बिलिंग घाटी के समीप मचकेहड़ में बिलिंग विस्टा नाम से गेस्ट हाऊस कम रैस्टोरेंट खोलने का कार्य शुरू कर दिया। बीड़-बिलिंग में आने वाले देशी व विदेशी पर्यटकों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिले इस दृष्टिकोण से गैस्ट हाऊस को विकसित करने का निर्णय लिया। लेकिन कपिल सूद के इस सपने को प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री स्वावलंबन योजना ने न केवल एक नई दिशा दी बल्कि वह वे सब करने में कामयाब हो पाए जिसे वह करना चाहते थे।

उन्होने बताया कि मुख्य मत्री स्वावलंबन योजना के माध्यम से उन्हे सरकार ने 21 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत किया है। इसी आर्थिक मदद की बदौलत आज उनके गेस्ट हाऊस में सभी सुविधाओं से युक्त जहां 7 डीलक्स कमरे हैं तो वहीं 50 लोगों के लिए एक बड़ा डाइनिंग हॉल भी है। उनका कहना है कि उनके गैस्ट हाऊस से बिलिंग घाटी का आंखों को सुकून प्रदान करने वाला नयनाविभोर दृश्य पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। साथ ही यहां का स्वच्छ, साफ एवं ठंडी हवा वाला वातावरण पर्यटकों को लंबे समय तक रूकने को मजबूर कर देता है। ऐसे में पर्यटकों को गेस्ट हाऊस में अच्छी सुविधाएं मिले इसका भी खास ख्याल रखा जाता है। इसके अलावा स्थानीय लोग भी जन्मदिन एवं सेवानिवृति की पार्टियां भी यहां करना पसंद करते हैं।


कपिल सूद का कहना है कि शुरूआती दौर में यहां अच्छा काम चला लेकिन कोरोना महामारी के दौर में जरूर कुछ समय के लिए विराम लगा लेकिन अब धीरे-धीरे उनका यह काम फिर से जोर पकडऩे लगा है। उन्होने अपने गैस्ट हाऊस में तीन अन्य स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है।

उन्होने मुख्य मंत्री स्वावलंबन योजना को शुरू करने के लिए मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर का आभार जताते हुए कहा कि इस तरह की योजनाएं स्वरोजगार को गति प्रदान करने में अहम कड़ी साबित होती हैं। जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है तो यहां पर्यटन क्षेत्र में स्वरोजगार की बड़ी संभावना है जो प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को रोजगार प्रदान कर सकती हैं। पर्यटन क्षेत्र के विकास में यदि सरकार मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करे तो यह हमारे प्रदेश की तकदीर बदलने में अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होने प्रदेश के नौजवानों विशेष कर शिक्षित युवाओं से सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर स्वरोजगार के माध्यम से आगे बढऩे का आहवान् किया है।

क्या कहते हैं अधिकारी:

जब इस बारे महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र मंडी ओपी जरयाल से बातचीत की तो उनका कहना है कि मुख्य मंत्री स्वावलंबन योजना के माध्यम से अकेले जिला मंडी में ही अब तक 298 मामलों को स्वीकृति प्रदान कर बैंकों के माध्यम से 60.74 करोड़ रूपये का ऋण उपलब्ध करवाया है तथा इससे 1104 लोगों को संभावित रोजगार सुनिश्चित होगा। जबकि 128 मामलों में सरकार की ओर से 6.55 करोड़ रूपये का अनुदान लाभार्थियों को मुहैया करवा दिया गया है।

उन्होने बताया कि इस योजना के माध्यम 18-45 वर्षं के पुरूषों को सरकार 40 लाख रूपये के निवेश पर 25 प्रतिशत जबकि महिलाओं को 30 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। जबकि विधवा महिलाओं को 35 प्रतिशत की दर से यह अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा स्वीकृत ऋण पर 3 वर्ष तक ब्याज में पांच फीसदी की प्रतिपूर्ति तथा बैकों की सीजीटीएमएसई के तहत प्रोसैसिंग फीस का भुगतान भी सरकार कर रही है।






Friday, 16 October 2020

अब गवेधुक की रोटी खाकर ही दूर हो जाएगा मोटापा, मंहगे चिकित्सा उपचार से मिलेगी मुक्ति

 भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर में औषधीय पौधे गवेधुक पर गुपचुप कर लिया शोध
मोटापे की समस्या से परेशान लोगों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। अब मोटापा कम करने को मंहगी दवाओं के साथ-साथ जटिल चिकित्सीय उपचार से जल्द छुटकारा मिलने वाला है। भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर के द्रव्य गुण एवं औषधीय पौध उत्कृष्ठता केंद्र ने एक ऐसे पौधे पर पिछले तीन वर्षों में गुपचुप सफलतापूर्वक शोध कर लिया है, जिसके आटे की रोटी खाकर न केवल मोटापे की समस्या से निजात पाई जा सकती है बल्कि शरीर में वसा की मात्रा को भी कम किया जा सकेगा। संस्थान के अन्वेषकों ने प्राचीन औषधीय पौधे गवेधुक पर शोध करने में यह बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है तथा निश्चित तौर पर भविष्य में इसके नतीजे मोटापे की समस्या से परेशान लोगों को बड़ी राहत प्रदान करने वाले साबित होंगे।
भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान के द्रव्य गुण एवं औषधीय पौध उत्कृष्ठता केंद्र के प्रधान अन्वेषक डॉ. पंकज पालसरा की अगुवाई में पिछले तीन वर्षों से प्राचीन औषधीय पौधे गवेधुक पर जोगिन्दर नगर में शोध कार्य किया गया है। पांच हजार वर्ष पुराने आयुर्वेद की चरक संहिता में इस पौधे का उल्लेख किया गया है। संस्थान में इस पौधे पर पिछले तीन वर्षों से लगातार कार्य करते हुए संस्थान के अन्वेषकों ने प्राकृतिक तौर पर इसकी फसल तैयार कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। इस शोध के कारण अब न केवल गवेधुक की खेती को किसान बड़े स्तर पर कर सकेगा बल्कि किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त साधन भी साबित हो सकता है। वास्तव में गवेधुक पौधे से चावल के आकार का दाना प्राप्त होता है जिसके आटे से रोटी बनाकर खाने से मोटापा जैसी गंभीर बीमारी से निजात पाई जा सकती है।
संस्थान ने गवेधुक से बनने वाली रोटी के लिए विशेष विधि भी तैयार की है जिसको अपनाकर न केवल प्रभावित व्यक्ति को मोटापे की समस्या से मुक्ति मिलेगी बल्कि भूख भी कम होगी। साथ ही संस्थान ने गवेधुक के कृषिकरण की तकनीक को भी विकसित कर लिया है। हर्बल गार्डन में पिछले तीन वर्षों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि औषधीय पौधा गवेधुक अब न केवल मोटापे की समस्या से लोगों को राहत प्रदान करेगा बल्कि मोटापा कम करने वाली दवाओं से होने वाले साइड इफेक्ट व जटिल चिकित्सीय उपचार से भी मुक्ति प्रदान करेगा।
गवेधुक की खेती 1500 मीटर की ऊंचाई पर मध्य हिमालयी क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है। गवेधुक मक्की की तरह एक वार्षिक फसल है जो 6 महीने में पककर तैयार हो जाती है। चावल के दाने के आकार वाले गवेधुक की रोटी बनाकर खाने से मोटापे जैसी समस्या से छुटकारा पाया जा सकेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी:
संस्थान में हुए इस शोध कार्य का खुलासा करते हुए राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन ने बताया कि औषधीय पौधे गवेधुक की कृषिकरण तकनीक विकसित करने में संस्थान ने कामयाबी हासिल कर ली है। उन्होने बताया कि दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान 1962 में स्थापित इस संस्थान का प्रमुख उद्देश्य भी हिमालयी क्षेत्र की प्राचीन वनौषधियों पर आयुर्वेद की दृष्टि से शोध कर उनका संरक्षण व संवर्धन करना है। उन्होने बताया कि चंबा जिला से संबंध रखने वाले जाने माने आयुर्वेदाचार्य डॉ. अनिरूद्ध शर्मा संस्थान के पहले प्रभारी रहे हैं जिनकी नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से हुई थी।
उन्होने कहा कि औषधीय पौधे गवेधुक की खेती से जुडऩे एवं अन्य तकनीकी जानकारी हासिल करने के लिए किसान नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर के कार्यालय से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।





Thursday, 8 October 2020

प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत चौंतड़ा ब्लॉक में 1683 महिलाएं लाभान्वित

योजना के तहत पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को मिलते हैं 6 हजार रूपये

पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को आर्थिकी के कारण दिक्कतों का सामना न करना पड़े इस दृष्टिकोण से गर्भवती महिलाओं की सहायता करने को सरकार ने प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना की शुरूआत की है। इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिला को पहले बच्चे के जन्म पर विभिन्न चरणों में औसतन 6 हजार रूपये प्रदान किये जाते हैं। जिसमें एक हजार रूपये की पहली किश्त गर्भवती महिला के पंजीकृत होने, दूसरी किश्त दो हजार रूपये पहला चेकअप करवाने पर, तीसरी किश्त एक हजार रूपये सरकारी अस्तपाल में प्रसव करवाने पर तथा चौथी किश्त दो हजार रूपये बच्चे के पहले चरण के टीकाकरण व जन्म पंजीकरण करवाने पर दी जाती है। इस योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है।

इसी योजना के अंतर्गत जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र के चौंतड़ा ब्लॉक में अब तक 1683 पात्र महिलाओं को लाभान्वित कर 72.23 लाख रूपये की राशि आवंटित की जा चुकी है। इस बारे बाल विकास परियोजना अधिकारी चौंतड़ा पूर्ण चंद से बातचीत की तो उन्होने बताया कि प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के तहत चौंतड़ा विकास खंड में अबतक 1683 पात्र गर्भवती व धात्री माताओं को लाभान्वित किया जा चुका है। उन्होने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में अबतक 226 पात्र महिलाओं को लाभान्वित कर 12.45 लाख रूपये की आर्थिक मदद सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में डाली जा चुकी है। इसी तरह गत वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 541 पात्र महिलाओं को लाभान्वित कर लगभग 23 लाख रूपये की आर्थिक मदद की जा चुकी है। उन्होने बताया कि यह योजना एक जनवरी, 2018 से शुरू हुई है तथा एक जनवरी 2016 से पात्र महिला लाभार्थियों को इस योजना का लाभ दिया गया है।

योजना को क्या है पात्रता की शर्तें

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य गर्भवती व धात्री माताओं में स्वस्थ रहने के आचरण में सुधार लाना व मजदूरी की क्षति का नकद प्रोत्साहन राशि के रूप में आंशिक क्षतिपूर्ति प्रदान करना है। सरकारी क्षेत्र में रोजगार पाने वाली गर्भवती व धात्री माताओं को छोडक़र अन्य सभी महिलाओं को पहले बच्चे के जन्म पर 6 हजार रूपये का आर्थिक लाभ प्रदान किया जाता है। जिसका भुगतान सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में किया जाता है।

कैसे करें आवेदन

योजना का लाभ प्राप्त करने को पात्र महिलाएं अपने आंगनबाडी कार्यकत्र्ता से संपर्क कर सकती हैं। गर्भधारण का पंजीकरण करवाने पर पात्र लाभार्थी को पहली किश्त के तौर पर एक हजार रूपये मिलेंगे इसके लिए उन्हे निर्धारित प्रपत्र एक-क को भरा जाएगा। प्रथम प्रसव पूर्व स्वास्थ्य जांच करवाने पर लाभार्थी को प्रपत्र एक-ख भरने पर दो हजार रूपये प्राप्त होंगे जबकि सरकारी अस्तपाल में प्रसव करवाने पर एक हजार रूपये तथा बच्चे के जन्म पंजीकरण करवाने एवं प्रथम टीकाकरण चक्र पूर्ण अगली किश्त के लिए प्रपत्र एक-ग भरने पर दो हजार रूपये मिलेंगे।

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता या आंगनबाडी पर्यवेक्षक या बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं।







Friday, 11 September 2020

मुख्य मंत्री एक बीघा योजना के अंतर्गत चौंतड़ा ब्लॉक में 306 कार्यों को मिली स्वीकृति

योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था व महिला सशक्तीकरण को मिलेगी मजबूती, प्रदेश भर में डेढ लाख महिलाएं होंगी लाभान्वित
प्रदेश सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को जोडक़र मुख्य मंत्री एक बीघा योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत एक महिला या उसका परिवार जिनके पास एक बीघा या 0.4 हेक्टेयर तक की भूमि है, वह सब्जियों और फल को उगाने के लिए बैकयार्ड किचन गार्डन तैयार कर सकते हैं।
इस योजना के तहत पांच हजार स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लगभग डेढ़ लाख महिलाओं को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी योजना में लाभार्थी महिला को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार प्राप्त करने का भी अधिकार रहेगा। इसके अलावा महिलाओं के कौशल को बढ़ाने के लिए उन्हे प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही पहाड़ी भूमि को समतल करने, पानी को चैनेलाइज करने, वर्मी कम्पोस्ट पिट स्थापित करने, गाय व बकरी का शैड बनाने, डंगा लगाने तथा पौधे व बीज इत्यादि खरीदने के लिए अनुदान भी दिया जाएगा।
इसी योजना के तहत जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र के चौंतड़ा विकास खंड की विभिन्न पंचायतों से अबतक प्राप्त 306 आवेदनों को अनुमति प्रदान की गई है तथा 17 लाभार्थियों ने कार्य भी प्रारंभ कर दिया है। बीडीओ चौंतड़ा विवेक चौहान ने बताया कि प्रदेश सरकार ने कोरोना काल से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के पुनरूथान के लिए मुख्य मंत्री एक बीघा योजना की शुरूआत की है। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन का अभिसरण कर ग्रामीणों को किचन गार्डनिंग के लिए प्रोत्साहित करना है। ग्रामीण स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूहों को इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाना है। साथ ही बताया कि स्वयं सहायता समूह जो मनरेगा के अंतर्गत जॉब कार्ड धारक हैं वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसी योजना के माध्यम से चौंतड़ा विकास खंड से भी आवेदन प्राप्त हुए हैं तथा
अब तक 306 को स्वीकृति प्रदान कर दी है तथा 17 ने कार्य भी प्रारंभ कर दिया है।
भडयाड़ा पंचायत से 59, टिकरी मुशैहरा से 53 तथा भडयाड़ा बूहला से मिले हैं 47 आवेदन
मुख्य मंत्री एक बीघा योजना के तहत चौंतड़ा विकास खंड में अब तक कुल 306 आवेदनों को स्वीकृति प्रदान की गई है जिनमें ग्राम पंचायत भडयाड़ा से सबसे अधिक 59 जबकि टिकरी मुशैहरा से 53, भडयाड़ा बूहला से 47 तथा द्राहल पंचायत से 37 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसी तरह ऐहजु से 23, बडैहर से 22, चौंतड़ा से पांच, गोलवां से 20, कथौण से 13, खुडडी से एक, लांगणा से चार, मैन भरोला से 5, पस्सल से 11 तथा सगनेहड़ व तलकेहड़ पंचायतों से प्राप्त तीन-तीन आवेदनों को स्वीकृति प्रदान की गई है।
17 आवेदकों ने शुरू कर दिया है कार्य, 25 ग्राम पंचायतों से नहीं प्राप्त हुआ है कोई आवेदन
इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत आवेदनों में से 17 ने अपना कार्य भी प्रारंभ कर दिया है। जिनमें चौंतड़ा पंचायत से 3, द्राहल से चार, कथौण से चार तथा पस्सल से 6 आवेदक शामिल हैं। चौंतड़ा विकास खंड की 25 ग्राम पंचायतों में से अबतक कोई भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है जिनमें बाग, भड़ोल, दलेड, धार, ढ़ेलू, द्रुब्बल, गलू, खद्दर, खडीहार, कोलंग, कुठेहड़ा, ममाण-बनांदर, मतेहड़, मटरू, पीहड-बेहडलू, पीपली, रोपड़ी, रोपड़ी कलैहडू, सैंथल पडैन, सिमस, टिकरू, त्रैम्बली, तुलाह, ऊपरीधार व ऊटपुर शामिल है।







Thursday, 10 September 2020

पंचवटी योजना के तहत चौंतड़ा ब्लॉक में प्राप्त हुए 51 प्रस्ताव, 15 को मिली स्वीकृति

ग्रामीण क्षेत्रों में वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगी मनोरंजन के साथ-साथ पार्क व बागीचों की सुविधा
प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को ग्रामीण स्तर पर मनोरंजन के साथ-साथ पार्क व बागीचों की सुविधा मुहैया करवाने के लिए पंचवटी योजना की शुरूआत की है। इस योजना में ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तथा 14वें वित्तायोग के तहत प्रदेश के सभी विकास खंडों में एक बीघा समतल भूमि पर सभी आवश्यक सुविधाओं से लैस पार्क व बागीचे विकसित किये जाएंगे। वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन पार्कों में आयुर्वेदिक व औषधीय पौधों का भी रोपण किया जाएगा। पूरे प्रदेश भर में चालू वित्त वर्ष में ऐसे लगभग एक सौ पंचवटी पार्क विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना का शुभारंभ प्रदेश के मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर ने गत जून माह में शिमला से किया था।
इसी पंचवटी योजना के अंतर्गत जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र के चौंतड़ा ब्लॉक की 40 ग्राम पंचायतों में से अब तक कुल 51 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। जिनमें से 15 प्रस्तावों को अनुमति प्रदान कर दी गई है तथा 8 पर कार्य भी प्रारंभ हो गया है।
इस बारे खंड विकास अधिकारी चौंतड़ा विवेक चौहान से बातचीत की तो उन्होने बताया कि ग्राम पंचायतों से अब तक प्राप्त प्रस्तावों में से विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग 3 करोड़ रूपये की राशि से बनने वाले 15 पंचवटी पार्कों के निर्माण को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है तथा इनमें से आठ पंचायतों में पंचवटी पार्क विकसित करने का कार्य भी शुरू हो गया है। ग्रामीण स्तर पर पंचवटी पार्क विकसित करने के लिए मनरेगा, 14 वां वित्तायोग तथा अन्य योजनाओं के माध्यम से राशि को स्वीकृति प्रदान की जा रही है।
इन पंचायतों में शुरू हुआ है पंचवटी पार्क विकसित करने का कार्य
चौंतड़ा ब्लॉक की आठ ग्राम पंचायतों भडयाड़ा, चौंतड़ा, द्राहल, ममाण-बनांदर, सैंथल पडैन, सिमस, टिकरी मुशैहरा तथा ऊटपुर में पंचवटी पार्क विकसित करने का कार्य शुरू हो चुका है। इसके अलावा ग्राम पंचायत गलू में एक, लांगणा में दो, पीहड़-बेहड़लू में भी एक तथा तुलाह में तीन पार्क विकसित करने को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
सबसे अधिक तुलाह पंचायत से प्राप्त हुए हैं 5, तो लांगणा से मिले हैं 4 प्रस्ताव
वरिष्ठ नागरिकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पंचवटी पार्क विकसित करने को ग्राम पंचायत तुलाह से कुल पांच प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिनमें से 3 को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है जबकि लांगणा पंचायत से 4 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिनमें से 2 को स्वीकृति दे दी गई है। इसी तरह गोलवां व खद्दर पंचायतों से तीन-तीन, बाग, भडयाड़ा, द्राहल, खुड्डी, मतेहड़ तथा सैंथल पड़ैन से दो-दो पंचवटी पार्क विकसित करने को प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
इन पंचायतों से पंचवटी पार्क विकसित करने को नहीं प्राप्त हुआ कोई प्रस्ताव
पंचवटी योजना के अंतर्गत पार्क विकसित करने को चौंतड़ा ब्लॉक की 40 ग्राम पंचायतों में से 34 ने अपने प्रस्ताव बीडीओ कार्यालय को प्रस्तुत किये हैं। जबकि 6 ग्राम पंचायतों जिनमें दलेड, धार, द्रुब्बल, खडीहार, कोलंग तथा त्रैंबली से कोई भी प्रस्ताव अब तक प्राप्त नहीं हुआ है।