Friday, 27 December 2019

अश्वगंधा की खेती अपनाएं, घर में खुशहाली लाएं

मात्र 5-6 माह में ही प्रति एकड़ आठ से 12 हजार रूपये की करें कमाई
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, बिलासपुर, ऊना, मंडी, कांगड़ा, सोलन, हमीरपुर व कुल्लू जिला के किसान अश्वगंधा की औषधीय खेती से जुडक़र अपनी आर्थिकी को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। जलवायु की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्र अश्वगंधा की खेती के लिए उपयुक्त है तथा किसान थोड़ी सी मेहनत कर अश्वगंधा के माध्यम से अपनी आर्थिकी को बल प्रदान कर सकते हैं।
अश्वगंधा की खेती समुद्रतल से 14 सौ मीटर से नीचे वाले क्षेत्रों में की जा सकती है। जड़ के रूप में यह पौधा हिमाचल प्रदेश के आठ जिलों बिलासपुर, ऊना, मंडी, कांगड़ा, सोलन, सिरमौर, हमीरपुर व कुल्लू में आसानी से उगाया जा सकता है। 7-8 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है तथा इसकी रोपाई जून-जुलाई नर्सरी के दो महीने बाद की जा सकती है तथा पौधों को 4-6 इंच की दूरी पर प्रत्यारोपित किया जाता है। अश्वगंधा की फसल मात्र 5-6 महीने में ही तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ इसकी उपज 250 से 300 किलोग्राम तक रहती है तथा प्रति एकड़ किसान आठ से 12 हजार रूपये के बीच में शुद्ध आय अर्जित कर सकता है।
क्या है अश्वगंधा
अश्वगंधा एक झाड़ीदार रोमयुक्त पौधा है, जो एक से चार फुट ऊंचा तथा बहुशाखीय होता है। इसकी शाखाएं गोलाकार रूप में चारों ओर फैली रहती है। इसका डंठल बहुत ही छोटा जबकि फल शाखाओं के अग्र भाग में खिलते हैं तथा फल छोटे-छोटे गोल मटर के फल के समान पहले हरे, फिर लाल रंग के हो जाते हैं। यह बहुवर्षीय पौधा पौष्टिक जड़ों से युक्त है। अश्वगंधा के बीज, फल व छाल का विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है तथा सूख जाने पर अश्वगंधा की गंध कम हो जाती है।
अश्वगंधा की जड़ में होते हैं कई एल्केलाइड्स
अश्वगंधा की जड़ में कई एल्केलाइड्स पाए जाते हैं। इनमें कुस्कोहाइग्रीन, एनाहाइग्रीन, ट्रोपीन, स्टुडोट्रोपीन, ऐनाफेरीन, आईसोपेलीन, टोरीन और तीन प्रकार के ट्रोपिलीटग्लोएट शामिल है तथा इनकी मात्रा 0.13 से 0.31 प्रतिशत तक होती है। इसके अलावा जड़ में स्टार्च, शर्करा, ग्लाइकोमाइड्स-हेट्रियाकाल्टेन, अलसिटॉल व विदनाल, तने में प्रोटीन तथा बहुत से अमीनो अम्ल भी पाए जाते हैं। इसमें रेशा बहुत कम तथा कैल्शियम व फॅास्फोरस भी प्रचुर मात्रा होती है। इसके अलावा अश्वगंधा के फलों में प्रोटीनों को पचाने वाला एन्जाइम कैमेस भी पाया जाता है।
बड़ी बलवर्धक है अश्वगंधा
अश्वगंधा कशकाय रोगियों, सूखा रोग से ग्रस्त बच्चों व व्याधि उपरांत कमजोरी में, शारीरिक व मानसिक थकान में पुष्टिकारक बलवर्धक के नाते प्रयोग होती है। कुपोषण, बुढ़ापे व मांसपेशियों की कमजोरी और थकान जैसे रोगों में अश्वगंधा का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लगातार सेवन करने से शरीर के सारे विकार बाहर निकल जाते हैं। अश्वगंधा को आयुर्वेद में पुरातन काल से ही वीर्यवर्धक, शरीर में ओज और कांति लाने वाले, परम पौष्टिक व सर्वांग शक्ति देने वाली, क्षय रोगनाशक, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाली तथा वृद्धावस्था को दूर रखने वाली सर्वोत्तम वनौषधि माना है।
क्या कहते हैं अधिकारी
क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत, जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन का कहना है कि सरकार राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) के अंतर्गत राज्य औषधीय पादप बोर्ड के माध्यम से अश्वगंधा की खेती को प्रति हैक्टेयर लगभग 11 हजार रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। उन्होने हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों में रहने वाले किसानों से व्यक्तिगत या सामूहिक तौर पर अश्वगंधा की औषधीय खेती अपनाने का आह्वान किया है ताकि आय का एक नया साधन सृजित कर उनकी आर्थिकी को मजबूती प्रदान की जा सके।
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने जिला के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी या राज्य औषधीय पादप बोर्ड शिमला के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र जोगिन्दर नगर या आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (आईएसएम) जोगिन्दर नगर जिला मंडी के कार्यालयों से भी संपर्क कर सकते हैं।
इसके अलावा वैबसाइट www.ayurveda.hp.gov.in से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।


Thursday, 12 December 2019

मुख्य मंत्री कन्या दान योजना के अंतर्गत बेटी की शादी पर सरकार दे रही है 51 हजार

चौंतड़ा ब्लॉक में गत वर्ष 16 बेटियों को मिले 6.40 लाख रूपये, इस बर्ष 22 नये मामले स्वीकृत
घर में कमाने वाला पुरूष न हो या फिर कमाने में असमर्थ हो, ऊपर से गरीबी का आलम तो ऐसे में बेटी के हाथ कैसे पीले हों, इस बात की चिंता तो केवल एक मां ही समझ सकती है। ऊपर से आज के इस मंहगाई भरे दौर में बेटी की शादी करना मानो किसी बड़ी चुनौती को पार करने जैसा है। लेकिन इस घड़ी में यदि कोई अपना महज सहारा बनकर ही सामने खड़ा हो जाए तो माने बहुत सारी समस्याओं का अंत स्वयं ही हो जाता है। ऐसी ही मुश्किल भरी घड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री कन्यादान योजना आज कई गरीब परिवारों की बेटी की शादी में सहारा बनकर खड़ी हुई है।
ऐसे में मंडी जिला के विकास खंड चौंतड़ा की बात करें तो कंचन सुपुत्री कांता देवी गांव भटेड, राजकुमारी सुपुत्री सरोजनी देवी गांव कफलौण (गंगोटी), विशाली सुुपुत्री सुधा देवी गांव सारली (डोह), सपना देवी सुपुत्री शीला देवी गांव सूजा (मटरू) जैसी अनेक बेटियां है जिनके लिए प्रदेश सरकार की मुख्य मंत्री कन्या दान योजना शादी में सहारा बनकर खड़ी हुई है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार गरीब परिवार की बेटी की शादी पर 51 हजार रूपये बतौर शगुन देती है। पहले इस योजना के तहत सरकार 40 हजार रूपये की आर्थिक मदद करती थी लेकिन इसे अब बढ़ाकर 51 हजार रूपये कर दिया गया है।
योजना को क्या है पात्रता की शर्तें
इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए जहां परिवार की समस्त स्त्रोतों से आय 35 हजार रूपये वार्षिक से कम होनी चाहिए। बेटी के पिता की मृत्यु हो गई हो या फिर शारीरिक या मानसिक तौर पर अजीविका कमाने में असमर्थ हो। इसके अलावा परित्यक्त या तलाकशुदा महिलाओं की पुत्रियां, जिनके संरक्षक की वार्षिक आय 35 हजार रूपये से कम हो। साथ ही शादी के समय बेटी की आयु 18 वर्ष जबकि दुल्हे की आयु 21 वर्ष पूर्ण होनी चाहिए।
कैसे करें आवेदन
पात्र परिवार इस योजना के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए अपने आवेदन पत्र को बेटी की शादी का कार्ड, कार्यकारी दंडाधिकारी से सत्यापित आय प्रमाणपत्र तथा अन्य सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपने नजदीकी बाल विकास परियोजना अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी आंगनबाडी कार्यकत्र्ता, आंगनबाडी पर्यवेक्षिका या बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
बाल विकास परियोजना अधिकारी चौंतड़ा पूर्ण चंद ठाकुर का कहना है कि मुख्य मंत्री कन्यादान योजना के तहत चौंतड़ा विकास खंड में वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 40 हजार रूपये प्रति बेटी 16 बेटियों की शादी पर सरकार ने 6 लाख 40 हजार रूपये का शगुन दिया है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 40 हजार रूपये की दर से अब तक कुल 22 नये मामलों को स्वीकृति प्रदान की गई है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार ने इस शगुन राशि को अब बढ़ाकर 51 हजार रूपये कर दिया है। उन्होने बताया कि यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में सरकार जमा करती है।





Tuesday, 26 November 2019

पीएमएवाई के तहत जोगिन्दर नगर में 1.22 करोड़ रूपये व्यय कर बनेंगे 74 मकान

प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत मकान बनाने को सरकार देती है 1.65 लाख रूपये
मंडी जिला के नगर परिषद क्षेत्र जोगिन्दर नगर के लक्ष्मी बाजार वार्ड नम्बर एक निवासी जितेन्द्र कुमार व प्रीतम चंद के लिए आर्थिक तंगी में प्रधान मंत्री आवास योजना सहारा बनकर आई है। प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत पक्का मकान बनाने के लिए इन दोनों परिवारों को सरकार ने क्रमश: 1.65-1.65 लाख रूपये की मदद की है। मंहगाई भरे इस दौर में सरकार की इस मदद के कारण आज इन दोनों परिवारों का पक्के मकान का सपना भी पूरा हो गया है। जोगिन्दर नगर शहरी क्षेत्र में प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत सरकार ने 74 परिवारों को पक्का मकान बनाने की स्वीकृति प्रदान की है जिन पर लगभग 1.22 करोड़ रूपये की राशि खर्च होगी।  
जब इस बारे दो बच्चों के पिता जितेन्द्र कुमार से बातचीत हुई तो उनका कहना है कि उनके पास एक पुश्तैनी कच्चा मकान है जो न केवल वर्तमान में परिवार की जरूरतों के अनुसार कम पड़ रहा है बल्कि हालत भी कुछ अच्छी नहीं है। घर में ही टेलर का काम कर अपने परिवार की गुजर बसर कर रहे जितेन्द्र कुमार चेहरे में खुशी लाते हुए कहते हैं कि अब उनका न केवल पक्के मकान का स्वप्र पूरा हुआ है बल्कि जरूरत के अनुसार मकान में दो कमरे, किचन व बाथरूम की सुविधा भी सुनिश्चित हुई है। मकान बनाने को मिली इस आर्थिक सहायता के लिए वे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी व सरकार का धन्यवाद व्यक्त करते हैं। 
इसी संबंध में दूसरे लाभार्थी प्रीतम चंद से बातचीत हुई तो उनका भी कहना है कि स्वरोजगार के माध्यम से जीवन की गाड़ी को बढ़ाते-2 पिछले कुछ वर्ष पूर्व वे बीमारी से ग्रस्त हो गए। ऐसे में उनका पक्के मकान का सपना न केवल अधूरा रहा बल्कि दो बेटियों की शादी की जिम्मेदारी भी भारी पड़ी। लेकिन अब प्रधान मंत्री आवास योजना के माध्यम से आज उनके पक्के मकान का सपना भी पूरा हो गया है। वे सरकार की ओर से मिली इस 1.65 लाख रूपये की मदद के लिए आभार जताते हुए कहते हैं कि सरकार की यह योजना उनके जैसे आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के लिए न केवल लाभकारी सिद्ध हो रही है बल्कि आर्थिक तंगी में पक्के मकान का सपना भी पूरा हो रहा है।
किन्हे मिलता है इस योजना का लाभ
प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकार मकान बनाने के लिए एक लाख 65 हजार रूपये की राशि को चार किस्तों में प्रदान करती है। जिनमें पहली तीन किस्तें 45-45 हजार रूपये जबकि चौथी किस्त 30 हजार रूपये की मिलती है। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आवेदक की समस्त स्त्रोतों से आय 3 लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए तथा साथ ही मकान बनाने के लिए जमीन भी उपलब्ध हो। इस योजना के तहत मकान का निर्माण निर्धारित नक्शे के तहत 30 वर्गमीटर कारपेट क्षेत्र में लाभार्थी को स्वयं करना होता है। जिसमें कुल दो कमरों के साथ-साथ किचन, शौचालय व बाथरूम का निर्माण शामिल है। 
कैसे होता है पात्रों का चयन
प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत पात्र परिवार लाभ प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड, जमीन के कागजात इत्यादि के साथ अपना आवेदन पत्र स्थानीय नगर निकाय के कार्यालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। चयनित होने पर संबंधित पात्र परिवार को मकान बनाने के लिए सरकार की ओर से एक लाख 65 हजार रूपये की आर्थिक मदद चार किस्तों में मिलती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में तहसीलदार एवं कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद् जोगिन्दर नगर बीएस ठाकुर का कहना है कि प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत जोगिन्दर नगर नगर परिषद् क्षेत्र में अब तक कुल 74 मकान स्वीकृत हुए हैं जिन पर कुल 1.22 करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी। उन्होने बताया कि स्वीकृत मकानों में से 20 मकानों का निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है। 
इसके अलावा इस योजना के तहत नए पात्र परिवार भी आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं। आवेदन पत्र को किसी भी कार्य दिवस पर नगर परिषद् कार्यालय से नि:शुल्क प्राप्त किया जा सकता है।






Thursday, 14 November 2019

बेटी है अनमोल योजना के अंतर्गत चौंतड़ा ब्लॉक में 38 बेटियां लाभान्वित

बेटी है अनमोल योजना के तहत अब सरकार दे रही है 12 हजार रूपये
बेटी है अनमोल योजना के अंतर्गत चौंतड़ा विकास खंड में गत दो वर्षों के दौरान अब तक कुल 38 बेटियों को लाभान्वित किया जा चुका है जिनमें वर्ष 2018-19 के दौरान 22 जबकि चालू वित्तीय वर्ष में 16 बेटियों को लाभान्वित किया गया है। बेटी है अनमोल योजना के अंतर्गत सरकार ने दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को भी 10 हजार रूपये से बढ़ाकर 12 हजार रूपये कर दिया है। यह योजना बीपीएल परिवार में पैदा होने वाली केवल दो बेटियों तक ही सीमित है।
बेटी है अनमोल योजना को सरकार दो चरणों में चला रही है। पहले चरण में परिवार में बेटी के जन्म लेने पर सरकार 12 हजार रूपये की धनराशि बतौर सावधि जमा राशि प्रदान करती है जो बेटी के 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर ब्याज सहित वापिस मिलेगी। इस चरण में सरकार पहले दस हजार रूपये की राशि बतौर प्रोत्साहन प्रदान करती थी जिसे वर्तमान सरकार ने बढ़ाकर 12 हजार रूपये कर दिया है। इसी योजना के दूसरे चरण में बेटी को पहली कक्षा से लेकर स्नातक स्तर तक की शिक्षा ग्रहण करने पर सरकार छात्रवृति प्रदान करती है। पहली से तीसरी कक्षा के लिए यह छात्रवृति 450 रूपये वार्षिक, चौथी कक्षा के लिए 750 रूपये, पांचवीं कक्षा के लिए 900 रूपये, छठी व सातवीं कक्षा के लिए 1050 रूपये, आठवीं कक्षा के लिए 12 सौ रूपये, नौवीं व दसवीं कक्षा के लिए 15सौ रूपये, 11वीं व 12वीं कक्षा के लिए 2250 रूपये जबकि स्नातक स्तर की कक्षा में पढ़ाई करने के लिए पांच हजार रूपये वार्षिक दर से यह राशि प्रदान की जाती है। बेटी है अनमोल योजना के दूसरे चरण के अंर्तगत चौंतड़ा विकास खंड में लगभग अढ़ाई सौ पात्र बच्चियों को लाभान्वित किया जा रहा है।
कैसे करें आवेदन
बेटी है अनमोल योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र परिवारों को बेटी के जन्म लेने के प्रमाणपत्र, बीपीएल प्रमाणपत्र सहित अपना ई-डिस्ट्रिक्ट वैब पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन भरना होगा। आवेदन पत्रों की जांच के बाद पात्र परिवार की नवजात बेटी को सरकार की ओर से 12 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि बतौर सावधि जमा प्रदान की जाती है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र, आंगनबाड़ी वृत पर्यवेक्षक कार्यालय या बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
बाल विकास परियोजना अधिकारी चौंतड़ा पूर्ण चंद ठाकुर का कहना है कि चौंतड़ा ब्लॉक में गत दो वर्षों के दौरान इस योजना के प्रथम चरण के अंतर्गत अब तक कुल 38 बेटियों को लभान्वित किया जा चुका है जिनमें 16 बेटियां चालू वित्तीय वर्ष के दौरान लाभान्वित की गई हैं। जबकि द्वितीय चरण के तहत अढ़ाई सौ से अधिक बेटियों को लाभान्वित किया जा रहा है। इसके अलावा प्रोत्साहन राशि को भी अब सरकार ने बढ़ाकर 12 हजार रूपये कर दिया है।

Tuesday, 22 October 2019

मुख्य मंत्री आवास योजना के तहत दो वर्षों में चौंतड़ा ब्लॉक में 63 मकान स्वीकृत

मुख्य मंत्री आवास योजना के तहत बीपीएल परिवार को मकान बनाने को मिलते हैं 1.30 लाख रूपये
आपदा ग्रस्त परिवार को पुन: मकान निर्माण को मिलते हैं दो लाख, रिपेयर को मिलते हैं 25 हजार रूपये
चौंतड़ा विकास खंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत कथौण के गांव कथौण की मंजु देवी पत्नी विनोद कुमार, ग्राम पंचायत तकलेहड़ के गांव मचकेहड़ की रविता देवी पत्नी अनिल कुमार, ग्राम पंचायत तुलाह के कोठी गांव की तंबो देवी पत्नि मंगलदास, ग्राम पंचायत भड़ोल के डिब्बडिआऊं गांव के जोगिन्द्र सिंह, ग्राम पंचायत मैन भरोला के गांव आडू की सरोजा कुमारी जैसे कई ऐसे परिवार हैं जिनके लिए सरकार की मुख्य मंत्री आवास योजना अपना आशियाना बनाने में सहारा बनकर आई है। बीपीएल परिवार में शामिल इन सभी परिवारों को सरकार की ओर से मुख्य मंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए सरकार ने एक लाख 30 हजार रूपये की आर्थिक मदद की है। 
चौंतड़ा विकास खंड की बात करें तो गत दो वर्षों के दौरान मुख्य मंत्री आवास योजना के तहत कुल 63 परिवारों को मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिनमें से वर्ष 2017-18 में 28 जबकि बर्ष 2018-19 में 35 मकान शामिल हैं। 
किन्हे मिलता है इस योजना का लाभ
मुख्य मंत्री आवास योजना का प्रमुख उदद्ेश्य निर्धन परिवारों को गृह निर्माण हेतु तथा प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त मकानों के पुन: निर्माण हेतु सहायता प्रदान करना है। प्राकृतिक आपदा के कारण क्षतिग्रस्त मकान के पुन: निर्माण हेतु दी जाने वाले सहायता राशि के लिए बीपीएल श्रेणी की शर्त लागू नहीं होगी। नए निर्मित मकान का क्षेत्रफल कम से कम 25 वर्ग मीटर होना चाहिए। इस योजना के तहत मकान केवल महिलाओं के नाम पर ही स्वीकृत किए जाने का प्रावधान है। परिवार में महिला न होने की स्थिति में ही मकान पुरूष के नाम स्वीकृत होगा। मकान का निर्माण लाभार्थी द्वारा स्वयं किया जाएगा।
कैसे होता है पात्रों का चयन
इस योजना के तहत ग्राम सभा लाभार्थियों की सूची तैयार करती है तथा बीपीएल सूची में कल्याण व स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रमाणित शारीरिक व मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों वाला परिवार, सशस्त्र कार्रवाई में मारे गए सेना, अर्धसैनिक बलों व पुलिस बल कर्मियों की विधवाओं, कुष्ठ या कैंसर रोग से पीडि़त सदस्य वाला परिवार, एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति, एकल नारी इत्यादि को प्राथमिकता प्रदान करने का प्रावधान है। लाभार्थी को योजना के तहत धनराशि का आवंटन सीधे आरटीजीएस के माध्यम से बैंक खाते में तीन किस्तों में किया जाता है। जिनमें पहली किस्त  65 हजार, दूसरी किस्त 35 हजार जबकि तीसरी किस्त 30 हजार रूपये की मिलती है।
आपदा ग्रस्त परिवारों के लिए किया गया है विशेष प्रावधान
मुख्य मंत्री आवास योजना के अंतर्गत कुल आबंटित धनराशि में से पांच प्रतिशत राशि आपदा ग्रस्त परिवारों के लिए सुरक्षित रखने का प्रावधान किया गया है। जिसमें बर्फ, बारिश, बाढ़, बादल फटने, आसमानी बिजली गिरने, आग व भूकंप इत्यादि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों को शामिल किया गया है। प्राकृतिक आपदा से प्रभावित परिवार का बीपीएल सूची में शामिल होना अनिवार्य नहीं है। साथ ही यदि आपदा ग्रस्त परिवार ने पहले ही केंद्र या राज्य सरकार की आवसीय योजनाओं का लाभ प्राप्त किया हो तो भी वह पुन: आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है। आपदा प्रभावित परिवार को 2 लाख रूपये की राशि को दो किस्तों क्रमश: एक लाख 20 हजार तथा 80 हजार की दर से प्रदान करने का प्रावधान है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी चौंतड़ा राजेश्वर भाटिया का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में मुख्य मंत्री आवास योजना के अंतर्गत 35 गरीब परिवारों को मकान बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिनमें से 25 गैर योजना तथा 10 योजना मद में शामिल हैं। उन्होने बताया कि इस योजना के अंतर्गत मकान बनाने को सरकार एक लाख 30 हजार रूपये तक की आर्थिक मदद करती है। इसके अलावा मकान की रिपेयर करने को 25 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने का भी प्रावधान है। इस योजना के तहत सरकार ने आपदा प्रभावित मकानों के पुन: निर्माण के लिए विशेष व्यवस्था का भी प्रावधान किया है।






Wednesday, 16 October 2019

जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की खेती को सरकार दे रही बढ़ावा

राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना के अंतर्गत सरकार प्रति हैक्टेयर दे रही है वित्तीय सहायता
राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना के अंतर्गत जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार आर्थिक मदद प्रदान कर रही है। देश भर में 140 औषधीय पौधों की प्रजातियों की खेती को प्राथमिकता दी जा रही है।
जिनमें से वर्तमान में सरकार चयनित 7 औषधीय पौधों अतीस, कुटकी, कुठ, सुगन्धबाला, अश्वगंधा, सर्पगंधा तथा तुलसी की खेती को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत सरकार की ओर से औषधीय पौधों की खेती के लिए वित्तीय सहायता का लाभ ऐसे किसान सामूहिक तौर पर उठा सकते हैं जिनके पास 2 हैक्टेयर भूमि उपलब्ध हो। 15 किलीमीटर के दायरे में रहने वाले तीन गांव के किसान भी एक समूह या क्लस्टर बनाकर औषधीय खेती के लिए सरकारी अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा रैहन रखी हुई भूमि पर भी औषधीय खेती की जा सकती है।
क्या है आर्थिक मदद का पैमाना
औषधीय पौधों की खेती को सरकार प्रति हैक्टेयर की दर से वित्तीय मदद प्रदान कर रही है। अतीस की खेती को प्रति हैक्टेयर 1,20,785 रूपये की दर से 20 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर कुल 24.157 लाख रूपये की मदद ली जा सकती है जबकि कुटकी की खेती को प्रति हैक्टेयर 1,23,530 रूपये की दर से 26.5 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर कुल 32.735 लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता सरकार प्रदान कर रही है। कुठ की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार प्रति हैक्टेयर 96080 रूपये की दर से 18 हैक्टेयर तक 17.294 लाख रूपये जबकि सुगन्धबाला की औषधीय खेती को प्रति हैक्टेयर 43,925 की दर से 20 हैक्टेयर क्षेत्रफल को 8.785 लाख रूपये तक की आर्थिक मदद सरकार की ओर से दी जा रही है। इतना ही नहीं जहां अश्वगंधा की खेती को प्रति हैक्टेयर 10,977 रूपये की दर से 2 हैक्टेयर तक 21 हजार 9सौ रूपये तो वहीं सर्पगंधा की खेती को 45 हजार 742 रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से 7 हैक्टेयर क्षेत्रफल तक 3.202 लाख रूपये तक की वित्तीय मदद सरकार कर रही है। इसके अतिरिक्त तुलसी की खेती को सरकार 13, 171 रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से 7 हैक्टेयर तक 92 हजार रूपये तक की आर्थिक मदद मिल रही है।
आवेदन करने को क्या हैं औपचारिकताएं
औषधीय व जड़ी-बूटियों की खेती प्रारंभ करने के लिए किसान को आवश्यक दस्तावेजों के साथ जिला आयुर्वेदिक अधिकारी को आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र में वित्तीय सहायता प्राप्ति के लिए खेती को उपलब्ध भूमि व किस प्रजाति की औषधीय खेती की जानी है, क्लस्टर में शामिल होने वाले प्रत्येक किसान की भूमि की स्थिति खसरा नम्बर सहित संबंधित जानकारी पटवारी से सत्यापित होनी चाहिए। औषधीय खेती को उपलब्ध खाली भूमि का राजस्व पत्र, पते व विवरण सहित क्लस्टर में शामिल किसानों का संयुक्त आवेदन, स्टांप पेपर पर यह हल्फनामा देना होगा कि सरकार या अन्य किसी एजैंसी से कोई अनुदान नहीं लिया है। साथ ही किसान को इस बात का भी शपथ पत्र देना होगा कि वह औषधीय पौधों की खेती को अनुमोदित भूमि का प्रयोग करेगा। इसके अलावा संबंधित पंचायत का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी देना होगा। प्राप्त आवेदन पत्रों की उचित सत्यापन करने के उपरान्त मामले को स्वीकृति हेतु राज्य औषधीय पादप बोर्ड को भेजा जाएगा।
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने जिला के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी या राज्य औषधीय पादप बोर्ड शिमला के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र जोगिन्दर नगर या अनुसंधान संस्थान आईएसएम जोगिन्दर नगर जिला मंडी के कार्यालयों से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा वैबसाइट www.ayurveda.hp.gov.in से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत, जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन का कहना है कि सरकार राज्य औषधीय पादप बोर्ड के माध्यम से औषधीय पौधों व जड़ी बूटियों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान में चयनित सात औषधीय पौधों अतीस, कुटकी, कुठ, सुगन्धबाला, अश्वगंधा, सर्पगंधा तथा तुलसी पर प्रति हैक्टेयर की दर से वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। उन्होने किसानों से व्यक्तिगत या सामूहिक तौर पर अनुकूल जलवायु के तहत औषधीय खेती अपनाने का आहवान किया है ताकि अतिरिक्त आय का एक नया साधन सृजित कर उनकी आर्थिकी को मजबूती प्रदान की जा सके।






Thursday, 26 September 2019

हराबाग के विनोद कुमार मुर्गीपालन को बतौर उद्यम चाहते हैं अपनाना

पशु पालन विभाग की 200 चूजा बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम बनी है मददगार
जोगिन्दर नगर उप-मंडल के गांव हराबाग निवासी 38 वर्षीय विनोद कुमार मुर्गीपालन को बतौर उद्यम अपनाना चाहते हैं। विनोद कुमार ने आज से लगभग आठ-दस वर्ष पूर्व मुर्गीपालन को व्यवसाय को तौर अपनाया तथा निजी प्रयासों से सुंदरनगर हैचरी से चूजे लेकर पालना शुरू किया तथा लगभग तीन वर्षों तक इस व्यवसाय से जुड़े रहे, परन्तु किन्ही परिस्थितियों के कारण उन्हे कुछ समय के लिए इस व्यवसाय को बंद करना पड़ा। लेकिन पशुपालन विभाग के माध्यम से वर्ष 2015 में चौंतड़ा से छह दिन का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर फिर से इस व्यवसाय से जुड़ गए तथा अब वे मुर्गीपालन को एक उद्यम के तौर पर अपनाने को तैयार हैं।
जब इस बारे विनोद कुमार से बातचीत की तो कहना है कि प्रशिक्षण हासिल करने के बाद घर के एक कमरे को मुर्गीबाड़े में परिवर्तित करने के बाद उन्हे पशु पालन विभाग के माध्यम से वर्ष 2015 में एक दिन के 50 चूजे प्राप्त हुए। इन चूजों की बेहतर देखभाल के साथ-साथ इनकी फीड का भी इंतजाम किया। ऐसे में खर्चा जेब पर भारी न पड़े इसके लिए उन्होने स्वयं की तैयार फीड के साथ-साथ चूजों को गर्म रखने के लिएख्बिजली का खर्चा कम करने एवं बिजली चली जाने की स्थिति में मिटटी से तैयार ऊर्जा का अतिरिक्त सोर्स भी तैयार किया। इसके अलावा खर्चा कम करने के लिए वे मुर्गीयों को अपने आंगनबाड़ी में भी चराने लगे। इस तरह प्रति चूजा केवल एक रूपया खर्च किया। उन्होने बताया कि जैसे चूजे एक किलोग्राम के हुए तो उन्हे एक सौ रूपये प्रति पक्षी की दर से बेच दिया, जिससे उन्हे लगभग साढ़े तीन हजार रूपये की आय हुई। इसके बाद उन्होने चूजों के लिए एक नया शैड का निर्माण कर दो सौ चूजे पालने का निर्णय लिया। उन्हे पशु पालन विभाग के माध्यम से 200 चूजा बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम के तहत दो सौ चूजों की एक युनिट स्वीकृत हुई है। जिसका वह पालन कर रहे हैं तथा नियमित तौर इन्हे बेचकर उन्हे अच्छी खासी आय भी हो रही है।
दसवीं तक शिक्षा प्राप्त विनोद कुमार का कहना है कि वे भविष्य में मुर्गीपालन को एक उद्यम के तौर पर अपनाना चाहते हैं। उन्होने कहा कि ज्यादा संख्या में मुर्गीपालन के लिए वे एक नया शैड़ का निर्माण करने जा रहे हैं। ब्रायलर के साथ-साथ वे कडक़नाथ प्रजाति के मुर्गे भी पालना चाहते हैं जिसकी न केवल मार्केट में अच्छी मांग है बल्कि दाम भी बेहतर मिलते हैं। इसके अलावा मुर्गी के अंडे बेचकर भी अच्छी कमाई की जा सकती है। विनोद कुमार कहते हैं कि बेरोजगार युवा मुर्गीपालन के माध्यम से स्वरोजगार अपनाकर न केवल अपने पांव में खड़े हो सकते हैं बल्कि घर बैठे आर्थिकी को बल प्रदान कर सकते हैं। 
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जोगिन्दर नगर डॉ. अनीश कुमार का कहना है कि विनोद कुमार मुर्गीपालन में बेहतर कार्य कर रहा है तथा विभाग के माध्यम से बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम की दो सौ चूजों की एक युनिट भी प्रदान की है। विनोद कुमार के आत्मविश्वास को देखते हुए उनमें इस व्यवसाय में बेहतर कार्य करने की संभावनाएं हैं तथा विभाग द्वारा हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी। 
डॉ. अनीश कुमार का कहना है कि स्वरोजगार शुरू करने के लिए विभाग के माध्यम से बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम के तहत एक दिन के चूजे प्रति लाभार्थी 21 रूपये की दर से वितरित किए जाते हैं। इसके अलावा एनएलएम योजना के तहत चार सप्ताह पालने उपरान्त 40 चूजे प्रति लाभार्थी 75 प्रतिशत अनुदान पर तथा कुक्कट बाड़ा निर्माण हेतु 1125 रूपये प्रति कुक्कट पालन प्रदान किए जाते हैं। उन्होने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से कुक्कट पालन से जुडक़र घर में ही स्वरोजगार के माध्यम से अपनी आर्थिकी को बल प्रदान करने का आहवान किया है।