Wednesday, 16 October 2019

जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की खेती को सरकार दे रही बढ़ावा

राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना के अंतर्गत सरकार प्रति हैक्टेयर दे रही है वित्तीय सहायता
राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना के अंतर्गत जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार आर्थिक मदद प्रदान कर रही है। देश भर में 140 औषधीय पौधों की प्रजातियों की खेती को प्राथमिकता दी जा रही है।
जिनमें से वर्तमान में सरकार चयनित 7 औषधीय पौधों अतीस, कुटकी, कुठ, सुगन्धबाला, अश्वगंधा, सर्पगंधा तथा तुलसी की खेती को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत सरकार की ओर से औषधीय पौधों की खेती के लिए वित्तीय सहायता का लाभ ऐसे किसान सामूहिक तौर पर उठा सकते हैं जिनके पास 2 हैक्टेयर भूमि उपलब्ध हो। 15 किलीमीटर के दायरे में रहने वाले तीन गांव के किसान भी एक समूह या क्लस्टर बनाकर औषधीय खेती के लिए सरकारी अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा रैहन रखी हुई भूमि पर भी औषधीय खेती की जा सकती है।
क्या है आर्थिक मदद का पैमाना
औषधीय पौधों की खेती को सरकार प्रति हैक्टेयर की दर से वित्तीय मदद प्रदान कर रही है। अतीस की खेती को प्रति हैक्टेयर 1,20,785 रूपये की दर से 20 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर कुल 24.157 लाख रूपये की मदद ली जा सकती है जबकि कुटकी की खेती को प्रति हैक्टेयर 1,23,530 रूपये की दर से 26.5 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर कुल 32.735 लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता सरकार प्रदान कर रही है। कुठ की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार प्रति हैक्टेयर 96080 रूपये की दर से 18 हैक्टेयर तक 17.294 लाख रूपये जबकि सुगन्धबाला की औषधीय खेती को प्रति हैक्टेयर 43,925 की दर से 20 हैक्टेयर क्षेत्रफल को 8.785 लाख रूपये तक की आर्थिक मदद सरकार की ओर से दी जा रही है। इतना ही नहीं जहां अश्वगंधा की खेती को प्रति हैक्टेयर 10,977 रूपये की दर से 2 हैक्टेयर तक 21 हजार 9सौ रूपये तो वहीं सर्पगंधा की खेती को 45 हजार 742 रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से 7 हैक्टेयर क्षेत्रफल तक 3.202 लाख रूपये तक की वित्तीय मदद सरकार कर रही है। इसके अतिरिक्त तुलसी की खेती को सरकार 13, 171 रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से 7 हैक्टेयर तक 92 हजार रूपये तक की आर्थिक मदद मिल रही है।
आवेदन करने को क्या हैं औपचारिकताएं
औषधीय व जड़ी-बूटियों की खेती प्रारंभ करने के लिए किसान को आवश्यक दस्तावेजों के साथ जिला आयुर्वेदिक अधिकारी को आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र में वित्तीय सहायता प्राप्ति के लिए खेती को उपलब्ध भूमि व किस प्रजाति की औषधीय खेती की जानी है, क्लस्टर में शामिल होने वाले प्रत्येक किसान की भूमि की स्थिति खसरा नम्बर सहित संबंधित जानकारी पटवारी से सत्यापित होनी चाहिए। औषधीय खेती को उपलब्ध खाली भूमि का राजस्व पत्र, पते व विवरण सहित क्लस्टर में शामिल किसानों का संयुक्त आवेदन, स्टांप पेपर पर यह हल्फनामा देना होगा कि सरकार या अन्य किसी एजैंसी से कोई अनुदान नहीं लिया है। साथ ही किसान को इस बात का भी शपथ पत्र देना होगा कि वह औषधीय पौधों की खेती को अनुमोदित भूमि का प्रयोग करेगा। इसके अलावा संबंधित पंचायत का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी देना होगा। प्राप्त आवेदन पत्रों की उचित सत्यापन करने के उपरान्त मामले को स्वीकृति हेतु राज्य औषधीय पादप बोर्ड को भेजा जाएगा।
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने जिला के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी या राज्य औषधीय पादप बोर्ड शिमला के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र जोगिन्दर नगर या अनुसंधान संस्थान आईएसएम जोगिन्दर नगर जिला मंडी के कार्यालयों से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा वैबसाइट www.ayurveda.hp.gov.in से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत, जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन का कहना है कि सरकार राज्य औषधीय पादप बोर्ड के माध्यम से औषधीय पौधों व जड़ी बूटियों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान में चयनित सात औषधीय पौधों अतीस, कुटकी, कुठ, सुगन्धबाला, अश्वगंधा, सर्पगंधा तथा तुलसी पर प्रति हैक्टेयर की दर से वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। उन्होने किसानों से व्यक्तिगत या सामूहिक तौर पर अनुकूल जलवायु के तहत औषधीय खेती अपनाने का आहवान किया है ताकि अतिरिक्त आय का एक नया साधन सृजित कर उनकी आर्थिकी को मजबूती प्रदान की जा सके।






No comments:

Post a Comment