Saturday, 29 December 2018

जिला रोजगार कार्यालय व कॉलेज युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार बारे देंगे परामर्श

प्रदेश सरकार के प्रयासों से अब पढ़ाई के दौरान ही युवाओं को रोजगार बारे मिलेगी जानकारी
प्रदेश सरकार ने स्कूलों व कॉलेजों में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार की संभावनाओं बारे जागरूक बनाने के लिए प्रदेश के जिला रोजगार कार्यालयों एवं बड़े कॉलेजों में रोजगार सैल स्थापित करने का अहम निर्णय लिया है। सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय से अब युवाओं को उपलब्ध रोजगार की संभावनाओं की तलाश में इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। वास्तव में प्रदेश व प्रदेश के बाहर उपलब्ध विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने तथा स्वरोजगार की संभावनाओं को लेकर युवाओं को जहां रोजगार हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है बल्कि सही जानकारी व परामर्श के अभाव में वर्षों तक बेरोजगारी का दंश भी झेलना पड़ता है। लेकिन प्रदेश के युवाओं के इस दर्द को समझते हुए मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर ने रोजगार व स्वरोजगार के विभिन्न क्षेत्रों बारे जागरूक बनाने के लिए जिला रोजगार कार्यालयों एवं चुनिंदा महाविद्यालयों में रोजगार सैल स्थापित कर परामर्श सुविधा उपलब्ध करवाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए इस बारे सरकार ने आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं। 
सरकार ने जिला स्तर पर परामर्श टीम के संचालन के साथ-साथ जिला व राज्य स्तर पर इसकी निगरानी के लिए कमेटियों का भी गठन किया गया है। जिला स्तर पर उप-मंडलाधिकारी नागरिक की अध्यक्षता में यह परामर्श टीम कार्य करेगी। इस टीम में कृषि, बागवानी, पशु पालन, पर्यटन, उद्योग, आयुर्वेद, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, परिवहन, जिला अग्रणी बैंक एवं आरसेटी, विश्वविद्यालय, औद्योगिक संगठनों, हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम तथा सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग का एक-एक प्रतिनिधि शामिल रहेगा जबकि जिला रोजगार अधिकारी इस परामर्श टीम का सदस्य सचिव होगा। परामर्श टीम की निगरानी के लिए जहां जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में तो वहीं राज्य स्तर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (श्रम एवं रोजगार) की अध्यक्षता में कमेटी कार्य करेगी। जिला स्तरीय निगरानी समिति में उपनिदेशक एवं परियोजना अधिकारी डीआरडीए, उपनिदेशक उद्योग, कृषि, बागवानी, उच्च शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा, जिला पर्यटन अधिकारी इसके सदस्य होंगे जबकि जिला रोजगार अधिकारी समिति के सदस्य सचिव होंगे। इसी तरह राज्य स्तरीय निगरानी समिति में प्रधान सचिव शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, पर्यटन, बागवानी, उद्योग, तकनीकी विश्व विद्यालय, बागवानी विवि, कृषि विवि व हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय के कुल सचिव तथा हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक सदस्य जबकि श्रमायुक्त एवं निदेशक रोजगार विभाग इसके सदस्य सचिव होंगे। 
कब और कैसे मिलेगा स्कूली व कॉलेज विद्यार्थियों को परामर्श:
परामर्श टीम के संचालन के लिए सरकार ने दिशा निर्देश जारी करते हुए बताया कि प्रत्येक माह के आखिरी शुक्रवार को 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को जिला रोजगार कार्यालय जबकि प्रत्येक माह के आखिरी शनिवार को संबंधित जिला के कॉलेजों में सांय 3 से 5 बजे के दौरान परामर्श सत्र का आयोजन किया जाएगा। जिसमें विद्यार्थियों को रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार के विभिन्न क्षेत्रों बारे व्यापक जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी। 
सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अंतर्गत 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को कला, विज्ञान तथा कॉमर्स संकाय में उपलब्ध रोजगार की संभावनाओं के साथ उपलब्ध कौशलों एवं प्रशिक्षण की जानकारी दी जाएगी। इसी तरह कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को अतिरिक्त कौशल सुधार के साथ-साथ विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं, प्लेसमेंट तथा रोजगार की संभावनाओं पर परामर्श उपलब्ध करवाया जाएगा।
इसके अतिरिक्त सरकार ने इस संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित बनाने के लिए भी संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। 
ऐसे में निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि सरकार द्वारा स्कूली व कॉलेज विद्यार्थियों को रोजगार व स्वरोजगार के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध संभावनाओं बारे परामर्श प्राप्त होने से जहां युवाओं को रोजगार प्राप्त करने में आसानी होगी तो वहीं स्वरोजगार को लेकर भी युवा जागरूक हो सकेंगे। साथ ही प्रदेश सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम से युवाओं को पढ़ाई पूर्ण होते ही रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकने से भी निजात मिलेगी।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस बारे उपायुक्त ऊना राकेश कुमार प्रजापति का कहना है कि सरकार की ओर से स्कूली व कॉलेज विद्यार्थियों को रोजगार व स्वरोजगार हेतु रोजगार सैल के माध्यम से परामर्श देने के लिए दिशा-निर्देश प्राप्त हुए हैं तथा जिला में संबंधित विभागों के माध्यम से इस पर जल्द ही अमल किया जाएगा।





(साभार: पंजाब केसरी, दिव्य हिमाचल, दैनिक जागरण, दैनिक सवेरा टाईम्स, आपका फैसला, अजीत समाचार, 29 दिसम्बर, 2018 में प्रकाशित)

Saturday, 15 December 2018

उद्योगों में कार्यरत हिमाचली कामगारों को भी अब मिलेगा कौशल विकास भत्ता

सरकार ने जारी की अधिसूचना, सामान्य को एक हजार तथा दिव्यांगजनों को मिलेगें 1500 रूपये प्रतिमाह
प्रदेश के उद्योगों में कार्यरत हिमाचली कामगारों को उनके कौशल विकास में वृद्धि के लिए सरकार ने औद्योगिक कौशल विकास भत्ता योजना-2018 को अधिसूचित कर दिया है। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत तथा उद्योगों में 15 हजार रूपये प्रतिमाह या इससे कम वेतन पाने वाले सामान्य कामगारों को एक हजार रूपये जबकि 50 प्रतिशत दिव्यांगता वालों को 15 सौ रूपये प्रतिमाह की दर से अधिकत्तम 24 माह के लिए कौशल विकास भत्ता प्रदान किया जाएगा। प्रदेश सरकार का इस योजना को लागू करने का प्रमुख उद्देश्य जहां उद्योगों में कार्यरत हिमाचली युवाओं के कौशल में वृद्धि करना है तो वहीं रोजगार के बेहतर अवसरों के लिए भी उन्हे तैयार करना है। 
मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर ने अपने पहले बजटीय भाषण में इस योजना का विशेष जिक्र किया था तथा प्रदेश में कौशल विकास भत्ता योजना के लिए बजट में 100 करोड रूपये का प्रावधान किया है। सरकार ने अपने बजटीय घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए इस योजना को लागू कर दिया है। इस योजना के माध्यम से अब प्रदेश सरकार उद्योगों में कार्यरत होने वाले हिमाचली युवाओं को जहां कौशल विकास के लिए प्रतिमाह एक हजार से 15 सौ रूपये भत्ता प्रदान करेगी बल्कि प्रदेश के युवा अपने कौशल में वृद्धि कर बेहतर रोजगार के अवसर भी तलाश पाएंगे।
किन्हे मिलेगा इस योजना का लाभ:
इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए योजना के अधिसूचित होने की तारीख के बाद फैक्टरी अधिनियम-1948 के अंतर्गत पंजीकृत औद्योगिक इकाईयों में 18 से 36 वर्ष आयु वर्ग के 15 हजार रूपये प्रतिमाह या इससे कम वेतनमान पर तैनात होने वाले हिमाचली कामगार ही पात्र होंगे। अप्रेन्टिस अधिनियम-1961 के अंतर्गत बतौर एप्रेन्टिस तैनात होने वाले प्रशिक्षु भी इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा लाभार्थी का नाम प्रदेश के रोजगार कार्यालय में आवेदन करने के समय पंजीकृत होना जरूरी है तथा इससे पहले कौशल विकास भत्ता योजना के अंतर्गत भत्ता प्राप्त न किया हो। इस योजना का लाभ अधिकत्तम 24 माह के लिए ही मिलेगा। साथ ही यदि इससे पहले कौशल विकास भत्ता योजना के तहत 24 माह से कम अवधि के लिए कौशल विकास भत्ता प्राप्त किया हो तो बचे हुए महीनों के लिए कौशल विकास भत्ता प्राप्त किया जा सकता है। इस योजना के तहत मिलने वाले भत्ते को सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा। सरकार ने इस योजना का लाभ हासिल करने के लिए कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित नहीं की है।
किन्हे नहीं मिलेगा योजना का लाभ:
इस योजना के अंतर्गत गैर हिमाचली, जिनकी आयु 18 वर्ष से कम तथा 36 वर्ष से अधिक हो, सरकार द्वारा बर्खास्त कर्मी, 48 घंटे तक जेल में रहने वाला व्यक्ति, औद्योगिक इकाई द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली रिहायश तथा 15 हजार रूपये से अधिक वेतमान पर तैनात कामगार इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं होंगे। इसके अलावा जो लोग योजना की अधिसूचना जारी होने से पूर्व औद्योगिक इकाईयों में तैनात होंगे उन्हे भी इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही जिन्होने पहले ही प्रदेश सरकार की कौशल विकास भत्ता योजना का लाभ प्राप्त कर लिया है वे भी इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे।
इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्ति सभी औपचारिकताओं को पूर्ण कर निर्धारित प्रपत्र पर अपना आवेदन पत्र जिस रोजगार कार्यालय में नाम पंजीकृत है उसे प्रस्तुत कर सकता है। इस योजना से संबंधित अधिक जानकारी हासिल करने के लिए पात्र व्यक्ति अपने नजदीकी रोजगार कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। 
क्या कहते हैं अधिकारी:
जिला रोजगार अधिकारी ऊना अनीता गौत्तम का कहना है कि औद्योगिक विकास भत्ता योजना-2018 को सरकार ने अधिसूचित कर दिया है तथा इस बारे सरकार से आवश्यक दिशा-निर्देश भी प्राप्त हो गए हैं। उन्होने कहा कि इस योजना के अंतर्गत पात्र हिमाचली युवा इसका लाभ उठा सकते हैं। 






(साभार: पंजाब केसरी, दिव्य हिमाचल, दैनिक जागरण, दैनिक सवेरा टाईम्स, आपका फैसला, अजीत समाचार, 15 दिसम्बर, 2018 में प्रकाशित) 

Wednesday, 12 December 2018

(आज पुरानी राहों से योजना) प्रदेश में सांस्कृतिक पर्यटन को मिलेगा बल, सांस्कृतिक धरोहर का होगा संरक्षण

सांस्कृतिक मार्गदर्शक के तौर पर स्थानीय युवाओं को मिलेंगे स्वरोजगार के अवसर 
प्रदेश की जय राम ठाकुर सरकार ने अपने पहले बजटीय भाषण में प्रदेश के अंदर सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने तथा सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को बल देने के दृष्टिगत एक नई योजना आज पुरानी राहों से शुरू करने का ऐलान किया था। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, ऐतिहासिक घटनाओं तथा विलुप्त व अनछुई सांस्कृतिक धरोहरों व विरासतों को जहां सांस्कृतिक एवं हेरिटेज गाईड के माध्यम से लोगों को जागरूक बनाना है तो वहीं प्रदेश में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को भी बल दिया जाना है। 
प्रदेश सरकार ने भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से आज पुरानी राहों से नामक योजना को अधिसूचित कर दिया है। इस योजना के माध्यम से हिमाचल प्रदेश की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर के अनछुए पहलुओं का संरक्षण व संवर्धन करना है तो वहीं जन मानस विशेषकर युवाओं व पर्यटकों को परिचित व जागृत करना भी है। इस योजना के राज्य स्तर पर क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक सचिव (भाषा, कला एवं संस्कृति) की अध्यक्षता में सांस्कृतिक परिधि समिति गठित की है तो वहीं जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में यह समिति कार्य करेगी तथा जहां राज्य स्तरीय समिति में निदेशक भाषा, कला एवं संस्कृति सदस्य सचिव होंगे तो वहीं जिला स्तरीय समिति के सदस्य सचिव जिला भाषा अधिकारी को बनाया गया है। इसके अलावा 5 से 6 अन्य सदस्यों को भी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है। 
क्या है इस योजना का प्रमुख उद्ेश्य:
इस योजना का प्रमुख उदेश्य जहां प्रत्येक जिला में लुप्त सांस्कृतिक विरासत को पुर्नजीवित करना है तो वहीं महान व्यक्तित्व, स्मारक, जनश्रुति व पौराणिक गाथा, ललित कला हस्तशिल्प, पुरातत्व दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थानों का इतिहास, नक्शे सहित संकेतक पटिटका इत्यादि लगाना है। इसके साथ ही पर्यटन व होम स्टे योजना को प्रोन्नत करना, स्थानीय युवकों को सांस्कृतिक मार्गदर्शक का प्रशिक्षण दिलवाकर स्वरोजगार के साथ जोडऩा तथा आगंतुकों को संबंधित स्थान से जुडी विशेष वस्तुओं, कलाकृतियों, स्मारकों इत्यादि के मिनिएचराईज्ड सॉवनियर उपलब्ध करवाना भी है। 
इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए राज्य व जिला स्तर पर गठित समितियां प्राप्त सुझावों के आधार पर अपने-अपने क्षेत्रों में सांस्कृतिक परिधि का चुना करेंगीं तथा चयनित परिधियों से संबंधित तमाम जानकारी जन मानस को विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके लिए जहां समिति प्रदेश के कॉलेजों में इतिहास के छात्रों से लुप्त हो रही सांस्कृतिक विरासतों व धरोहरों के प्रस्ताव आमंत्रित करेगी तो वहीं सांस्कृतिक मार्गदर्शकों का चयन कर उन्हे प्रशिक्षित करवाएगी। इसके अलावा चयनित परिधि स्थलों को विकसित करने की दिशा में कार्य किया जाएगा। 
सांस्कृतिक मार्गदर्शक के तौर पर स्थानीय युवाओं को मिलेंगे स्वरोजगार के अवसर 
पर्यटकों, आगन्तुकों की सुविधा व स्थलीय यात्रा को लेकर सांस्कृतिक मार्गदर्शक नियुक्त किए जाएंगे तथा इनके माध्यम से सांस्कृतिक परिधि नक्शे उपलब्ध करवाए जाएंगे। सांस्कृतिक मार्गदर्शक नियुक्ति हेतु न्यूनतम शिक्षा 12वीं पास होगी तथा उसे प्रदेश की संस्कृति, इतिहास, पर्यटन स्थलों, भौगोलिक स्थिति तथा लोक गाथाओं का ज्ञान होना जरूरी है। चयनित मार्गदर्शकों को हिमकॉन, हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम एवं इनटैच के माध्यम से प्रशिक्षण व प्रमाणिकरण किया जाएगा। 
प्रशिक्षित सांस्कृतिक मार्गदर्शक पर्यटकों व आगन्तुकों को सांस्कृतिक परिधि का भ्रमण, संबंधित इतिहास व गाथाओं इत्यादि से परिचित करवाएंगे और अपनी आजीविका कमाएंगे।
ऐसे मेें कह सकते हैं कि सरकार द्वारा शुरू की गई यह योजना जहां प्रदेश में सांस्कृतिक पर्यटन एवं सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को बल देगी तो वहीं ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
(साभार: हिमाचल दस्तक, दिव्य हिमाचल, दैनिक सवेरा टाईम्स, अजीत समाचार, पंजाब केसरी, 26 नवम्बर, 2018 में प्रकाशित)