जिला ऊना में वर्तमान में 47 एनआरएसटीसी केंद्रों में 1200 बच्चों को 47 अध्यापक दे रहे शिक्षा
सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा के लक्ष्य की पूर्ति के लिए सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं ताकि 6-14 वर्ष आयु वर्ग का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए सरकार ने शिक्षा गारंटी योजना (ईजीएस), वैकल्पिक शिक्षा स्कूल (एएलएस), वैकल्पिक अभिनव शिक्षा(एआईई), गैर आवासीय ब्रिज कोर्स (एनआरबीसी) तथा गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केंद्र(एनआरएसटीसी) जैसे अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं। जिला ऊना में वर्ष 2003 में गैर आवासीय प्रशिक्षण केंद्र (एनआरएसटीसी) केंद्रों की शुरूआत हुई। शुरू में जिला में 150 बच्चों के साथ ऐसे कुल सात केंद्र झुग्गी-झोंपडी वाले क्षेत्रों में स्थापित किए गए तथा जिनकी संख्या अब बढक़र 47 हो गई है।
वर्तमान में इन 47 एनआरएसटीसी केंद्रों में 12सौ बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिन्हे 47 अध्यापक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इस योजना के माध्यम से जिला में अबतक लगभग 15 हजार बच्चों को लाभान्वित किया जा चुका है। इसके अलावा इन केंद्रों के माध्यम से लगभग 60 परिवारों को रोजगार भी मुहैया करवाया गया है।
एनआरएसटीसी केंद्रों में सरकार दे रही ये सुविधा
एनआरएसटीसी केंद्रों में सरकार बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए पढऩे व लिखने का सामान, लाईब्रेरी की किताबें, स्वच्छता किट, पठन-पाठन सामाग्री, मोबाइल टॉयलेटस, कांऊसलिंग शिविर तथा टीचर ट्रेनिंग की सुविधा दे रही है। इसके अलावा इन केंद्रों में पठन-पाठन प्रक्रिया के अतिरिक्त खेलकूद, अन्य प्रतियोगिताएं एवं अन्य विभिन्न तरह की गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है।
कैसे लाया गया बच्चों में परिवर्तन
इस संबंध में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाईट) ऊना के प्रधानाचार्य एवं प्रोजैक्ट डायरेक्टर एसएसए-आरएमएसए कमलदीप सिंह से बातचीत की तो उनका कहना है कि एनआरएसटीसी केंद्रों के माध्यम से सबसे पहले झुगी-झोंपडी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के अभिभावकों को इन केंद्रों में शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हे बताया कि गया कि यदि बच्चे शिक्षित एवं विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित होंगे तो वे जीवन में बेहतर रोजगार के साधन जुटा सकते हैं तथा रोजगार प्राप्त करने के अवसर में भी बढ़ौतरी होगी।
शुरूआती दौर में जहां झुग्गी-झोंपडियों में रहने वाले अप्रवासी एवं मेहनत-मजदूरी करने वाले परिवारों के बच्चे स्वच्छता के प्रति जागरूक भी नहीं थे। जिसके प्रति इन केंद्रों के माध्यम से जहां स्वच्छता को लेकर जागरूकता लाई गई तो वहीं उन्हे स्वच्छता किट भी वितरित किए गए। साथ ही बताया का आरंभिक दौर में अभिभावक बच्चों के पठन-पाठन तथा पढऩे-लिखने के लिए सामाग्री उपलब्ध करवाने के प्रति भी जागरूक नहीं थे। इस बारे भी बच्चों को सरकार के माध्यम से पढऩे-लिखने के लिए पुस्तकें, स्कूल बैग, ड्रैस इत्यादि उपलब्ध करवाकर उन्हे शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया गया। इसके अलावा बच्चों की समय पर कांऊसलिंग भी की गई तथा एनआरएसटीसी केंद्रों के बच्चों को एक्सपोजर देने के लिए केंद्र, ब्लॉक व जिला स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसके अलावा आसपास के सरकारी व निजी स्कूलों में भी इन बच्चों का भ्रमण करवाया जाता है ताकि इन्हे समाज की मुख्यधारा में जोड कर इनके जीवन में व्यापक बदलाव लाया जा सके।
क्या कहते हैं उपायुक्त
इस बारे उपायुक्त ऊना राकेश कुमार प्रजापति का कहना है कि एनआरएसटीसी योजना के माध्यम से जिला ऊना में कार्यरत 47 केंद्रों के तहत वर्तमान में लगभग 12 सौ बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है। उन्होने बताया कि बच्चों को शिक्षित करने के लिए 10 डाईट के अध्यापक तथा 37 गैर सरकारी संस्थाओं जिनमें राष्ट्रीय एकता मंच, सनराईज एजुकेशन सोसाइटी तथा शिक्षा सुधार समिति शामिल है के 37 अध्यापक बच्चों को शिक्षित करने के लिए वहां तैनात हैं। उन्होने बताया कि इस योजना के माध्यम से वर्ष 2003 से लेकर 2018 तक लगभग तीन करोड 80 लाख रूपये की राशि व्यय कर लगभग 15 हजार बच्चों को लाभान्वित किया जा चुका है तथा 45 सौ बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा के साथ जोडा गया है।
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