Friday, 12 July 2024

डेयरी फॉर्म चलाकर आर्थिकी को सुदृढ़ बना रहे हैं देहलां के हरभजन सिंह

 20 गाय व 6 भैंस पालकर प्रतिदिन बेच रहे एक से डेढ क्विंटल दूध, हो रही है अच्छी आमदन

ऊना जिला के देहलां गांव के प्रगतिशील किसान 50 वर्षीय हरभजन सिंह डेयरी फॉर्म चलाकर परिवार की आर्थिकी को सुदृढ़ बना रहे हैं। निजी क्षेत्र में काम करने वाले हरभजन सिंह आज 20 गाय व 6 भैंस पालकर जहां प्रतिदिन एक से डेढ़ क्विंटल दूध का उत्पादन कर रहे हैं तो वहीं दूध बेचकर अच्छी खासी आमदन भी प्राप्त कर रहे है। हरभजन सिंह के इस कार्य में उनका 19 वर्षीय बेटा अमनवीर सिंह भी हाथ बंटा रहा है। साथ ही डेयरी फार्म में सहयोग के लिए एक स्थानीय ग्रामीण को भी रोजगार मुहैया करवाया है।
जब इस संबंध में खुश मिजाज व्यक्तित्व के धनी हरभजन सिंह से बातचीत की तो उनका कहना है बचपन से ही पिता जी के साथ वे पशुपालन से जुड़े रहे हैं। पहले वे छोटे स्तर पर यह कार्य करते रहे हैं लेकिन पिछले 4 वर्षों से उन्होंने बडे़ स्तर पर डेयरी फॉर्म चलाने का निर्णय लिया। वर्तमान में उनके पास मुर्रा नस्ल की 6 भैंसे तथा साहीवाल, जर्सी तथा एचएफ नस्ल की 20 गाय हैं। एक भैंस से जहां औसतन 18 लीटर दूध प्राप्त हो रहा है तो वहीं गायों से औसतन 30 से 35 लीटर दूध प्रतिदिन मिल रहा है। कुल मिलाकर एक दिन में वे औसतन एक से डेढ़ क्विंटल दूध उत्पादन कर रहे हैं। वर्तमान में उन्हें कुल दूध उत्पादन में से संपूर्ण लागत व खर्च निकालकर लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक की शुद्ध आय प्राप्त हो रही है।
हरभजन सिंह बताते हैं कि वे अधिकत्तर दूध अमूल डेयरी को बेच रहे हैं। इसके अलावा आसपास के ग्रामीण भी घर से ही दूध खरीदते हैं। कुल मिलाकर डेयरी फॉर्म से तैयार दूध आसानी से बिक जाता है, लेकिन उन्हें दूध की लागत के हिसाब से बड़ी कंपनियां अमूल, वेरका इत्यादि बेहतर दाम नहीं दे रही हैं। उनका कहना है दूध खरीद की दिशा में प्रदेश सरकार कुछ मदद करे तो वे भविष्य में डेयरी फॉर्म से अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं।
डेयरी फार्म से जुड़कर युवा घर बैठे कमा सकते हैं लाखों रूपये
हरभजन सिंह कहते हैं कि डेयरी फॉर्म के कार्य को पूरी मेहनत व लगन से किया जाए तो घर बैठे अच्छी आय सृजित की जा सकती है। उनका कहना है कि नये युवाओं को डेयरी फॉर्म के कार्य से जुड़ना चाहिए। इससे न केवल घर बैठे स्वरोजगार की राह आसान होगी बल्कि अच्छी खासी आमदन भी प्राप्त की जा सकती है। उनका कहना है कि उनका बेटा भी डेयरी फॉर्म संचालन में पूरा सहयोग प्रदान कर रहा है तथा इस क्षेत्र में भविष्य में बड़े स्तर पर कार्य करने की योजना बना रहे हैं।
उनका कहना है कि बेटा 12 वीं कक्षा पास कर वेटनरी फॉर्मासिस्ट का प्रशिक्षण भी हासिल कर रहा है ताकि डेयरी उत्पादन की बारीकियों को बेहतर तरीके से समझा जा सके। उन्होंने युवाओं को डेयरी उत्पादन से जोड़ने एवं तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाने को ग्रामीण स्तर पर पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यशालाओं के आयोजन पर भी बल दिया।
क्या कहते हैं अधिकारीः
वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी ऊना डॉ. राकेश भटटी का कहना है कि देहलां के प्रगतिशील किसान हरभजन सिंह डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। उन्हें विभाग के माध्यम से सरकार की ओर मिलने वाली विभिन्न तरह की मदद प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से दो दुधारू पशु खरीदने को 1 लाख 60 हजार रुपये का आर्थिक लाभ प्रदान किया है। साथ ही समय-समय पर विभाग की ओर से प्रशिक्षण तथा अन्य लाभ भी दिये जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन्हें मुख्य मंत्री स्वावलंबन योजना के साथ जोड़ने का भी प्रयास किया जाएगा। साथ ही आधुनिक वैज्ञानिक डेयरी फॉर्मिंग की जानकारी तथा प्रशिक्षण भी उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके अलावा दुधारू पशुपालकों को प्रदेश सरकार की ओर से सेक्स सॉर्टिड सीमन की सुविधा भी प्रत्येक पशुपालन चिकित्सा केंद्र तक उपलब्ध करवाई गई है ताकि पशुपालकों को इसका लाभ मिल सके।
उपायुक्त ऊना जतिन लाल का कहना है कि सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से पात्र लोगों को लाभान्वित करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने जिला के सभी विभागीय अधिकारियों को धरातल पर सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन को सख्त निर्देश जारी किये हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा सके। DOP 08/07/2024
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Monday, 1 July 2024

कृषि व पशुपालन से आर्थिकी को सुदृढ़ बना रहे लोअर बढे़ड़ा के रघुवीर सिंह

खेतीबाड़ी व पशुपालन को बनाया आर्थिकी का अहम जरिया, प्रतिवर्ष कमा रहे हैं 6 से 8 लाख रूपये

ऊना जिला के लोअर बढे़ड़ा निवासी 50 वर्षीय रघुवीर सिंह के लिए कृषि व पशुपालन आर्थिकी का अहम जरिया बना है। अर्धसैन्य बल सीआरपीएफ में लगभग 22 वर्षों तक देश सेवा करने के उपरान्त रघुवीर सिंह ने अपनी पुश्तैनी जमीन को संभाला तथा कृषि के साथ-साथ पशुपालन को भी आर्थिकी का आधार बनाया है। वर्ष 2016 में सीआरपीएफ से सेवानिवृति लेने के उपरान्त पिछले लगभग 6 से 7 वर्षों के दौरान वे समय-समय पर सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कृषि व पशुपालन विकास योजनाओं के साथ जुड़ते हुए आज वे एक प्रगतिशील किसान की दिशा में आगे बढ़े हैं। 

जब इस संबंध में रघुवीर सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सबसे पहले वे कृषि विभाग की जाइका परियोजना से जुड़े तथा कृषि की नई तकनीकों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही मिश्रित खेती की दिशा में भी कदम आगे बढ़ाए। उन्होंने बताया कि वे वर्तमान में मिश्रित खेती कर रहे हैं, जिसमें मक्की, गेहूं, आलू, गन्ना के साथ-साथ विभिन्न तरह की सब्जियों का भी उत्पादन शामिल है। 

मक्की की अग्रिम फसल के मिल रहे अच्छे दाम, उत्पादन क्षमता में भी हुई है वृद्धि

उन्होंने बताया कि अन्य किसानों के साथ मक्की की अग्रिम तैयार होने वाली फसल को बीजा है। अग्रिम मक्की का बीजारोपण तीन चरणों में किया है जिसमें पहला चरण मार्च, दूसरा अप्रैल तथा तीसरा मई में शामिल है। उन्होंने बताया कि पहले चरण की कटाई जून माह में की जा रही है जबकि दूसरे चरण की कटाई जुलाई तथा तीसरा चरण अगस्त माह में पूरा होगा। उनका कहना है कि समय पूर्व मक्की तैयार होने से जहां बाजार में अच्छा दाम मिल रहा है तो वहीं उत्पादन क्षमता में भी वद्धि हुई है। 

मिश्रित खेती अपनाने से वर्ष भर प्राप्त होती है आय, खेती की आधुनिक तकनीकों का कर रहे इस्तेमाल

रघुवीर सिंह का कहना है कि खेतीबाड़ी से उन्हें प्रति वर्ष औसतन लगभग 5 से 6 लाख रूपये की आय प्राप्त हो रही है। उन्होंने बताया कि मिश्रित खेती के चलते उन्हे वर्ष भर विभिन्न फसलों से आय प्राप्त होती रहती है। उन्होंने ने बताया कि कृषि विभाग के माध्यम से उन्हें उन्नत खेती बारे प्रशिक्षण भी मिला है। इसके अलावा जाइका परियोजना के माध्यम से भी मिश्रित खेती बारे आवश्यक प्रशिक्षण हासिल किया है। साथ ही विभागीय अधिकारियों का भी समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहता है। 

पशुपालन भी आर्थिकी को दे रहा मजबूती, प्राकृतिक खाद को कर रहे तैयार

उन्होंने बताया कि वे कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी कर रहे हैं। उन्होंने गाय व भैंसें भी पाल रखी है। जिनसे प्राप्त होने वाले दुग्ध उत्पादों से भी उन्हें औसतन प्रतिवर्ष 2 से अढ़ाई लाख रूपये की आमदन हो रही है। इसके अलावा पशुओं के गोबर से वे प्राकृतिक खाद भी तैयार कर रहे हैं। रासायनिक खाद के बजाय प्राकृतिक खाद फसलों के लिए अच्छी है तो वहीं इससे तैयार फसलें सेहतमंद भी हैं। साथ ही प्राकृतिक खाद के चलते फसलों की लागत भी घटती है।
उन्होंने कहा कि यदि सच्ची लगन व कड़ी मेहनत के साथ कृषि व्यवसाय को भी अपनाया जाए तो इससे न केवल बेहतर आमदन अर्जित की जा सकती है बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि हमारी अर्थ व्यवस्था का अहम आधार है तथा कृषि की नई व आधुनिक तकनीकों को अपनाते हुए इससे जुडे़ रहना चाहिए। उन्होंने जिला व प्रदेश के शिक्षित युवाओं से भी कृषि की आधुनिक तकनीकों को अपनाते हुए इससे जुड़ने का आहवान किया।

क्या कहते हैं अधिकारी: 

उपनिदेशक कृषि ऊना कुलभूषण धीमान ने बताया कि जिला ऊना में मक्की की अग्रिम फसल के प्रति रूझान बढ़ रहा है तथा विभाग भी ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर उन्हें तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि अग्रिम मक्की फसल के किसानों को होशियारपुर मंडी में विक्रय करके अच्छे दाम प्राप्त हो रहे हैं।  ऊना के लोअर बढे़ड़ा निवासी रघुवीर सिंह मक्की की अग्रिम  फसल से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। इसके अलावा वह पिछले काफी समय से जापान वित पोषित जाइका परियोजना से भी जुड़े रहे हैं तथा मिश्रित खेती अपनाकर आय के अतिरिक्त स्त्रोत सृजित कर रहे हैं। DOP 01/07/2024
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