Thursday, 15 July 2021

कोरोना काल में जोल के राजेश कुमार ने टमाटर की खेती से मजबूत की आर्थिकी

 सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत टमाटर बेचकर कमाए 50 हजार, बेरोजगारों के लिये बने प्रेरणास्रोत

वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच जहां कई लोग नौकरियां छूट जाने के कारण बेरोजगार हो गए तो वहीं कईयों के सामने आजीविका का भी संकट खड़ा हो गया है। लेकिन ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी सामने आए जिन्होने स्वरोजगार के माध्यम से जीवन को एक नई दिशा देने का न केवल प्रयास किया बल्कि उसमें वे कामयाब भी हुए हैं। कोरोना संकट के बीच जोगिन्दर नगर उपमंडल के अंतर्गत ग्राम पंचायत मतेहड़ के गांव जोल निवासी 43 वर्षीय राजेश कुमार ने खेती-बाड़ी को आजीविका का न केवल जरिया बनाया बल्कि अच्छी खासी आमदन भी अर्जित की है। राजेश कुमार ने टमाटर बेचकर अब तक लगभग 50 हजार रूपये घर बैठे कमा लिये हैं।

इस बारे प्रगतिशील किसान राजेश कुमार से बातचीत की तो उन्होने बताया कि उन्होने अपनी तीन बीघा जमीन में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत टमाटर की फसल ऊगाई है। अब तक वे लगभग 50 हजार रूपये का टमाटर बेच चुके हैं जबकि 2 बीघा में अभी भी टमाटर की फसल तैयार हो रही है। ऐसे में एक अनुमान है कि टमाटर की इस पूरी फसल से वे लगभग एक लाख रूपये तक की आमदन अर्जित करने में कामयाब हो जाएंगे। जब उनसे मार्केटिंग के बारे में जानना चाहा ने उन्होने बताया कि वे स्वयं ही आसपास के गांवों में लोगों के घर-द्वार पहुंचकर टमाटर को बेचते हैं तथा उन्हे अच्छे दाम प्राप्त हो रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि उनके द्वारा तैयार टमाटर पूरी तरह से प्राकृतिक है तथा इसमें किसी प्रकार की रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं हुआ है।

आईटीआई एवं स्नातक स्तर तक की शिक्षा प्राप्त राजेश कुमार स्वरोजगार के माध्यम से ही जीवन में आगे बढ़ने को प्रयासरत हैं। पिछले दो वर्षों से वे आत्मा परियोजना के माध्यम से सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के साथ जुड़े हैं तथा सब्जी उत्पादन की ओर कदम बढ़ाए हैं। पहले ही प्रयास में वे टमाटर की बंपर पैदावार कर वे इसमें न केवल कामयाब हुए हैं बल्कि उन्हे हौसला भी मिला है। उनका कहना है कि आने वाले समय में वे बागवानी के साथ भी जुड़ेगें ताकि उनके इन प्रयासों को बल मिल सके। उन्होने बताया कि सिंचाई सुविधा के लिए भू-संरक्षण विभाग के माध्यम से उन्होने टयूब वैल लगाया है जिस पर सरकार ने लगभग 1.10 लाख रूपये का उपदान दिया है। आत्मा परियोजना के माध्यम से उन्हे बीजा अमृत, जीवामृत एवं घन जीवामृत तैयार करने को प्लास्टिक ड्रम्स तथा फलदार पौधे मुहैया करवाए गए हैं।

राजेश कुमार का बेरोजगार युवाओं से आहवान है कि वे यदि खेती-बाड़ी व बागवानी को आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके से अपनाते हैं तो न केवल घर बैठे उनके लिये आमदनी का एक जरिया बन सकता है बल्कि नौकरी की तलाश में इधर-उधर भी नहीं भटकना पड़ेगा। उनका कहना है कि हमारे गांव में प्रत्येक व्यक्ति के पास थोड़ी या ज्यादा जमीन अवश्य उपलब्ध है। जिसका वे सही तरीके से सदुपयोग कर न केवल घर बैठे स्वरोजगार हासिल कर सकते हैं बल्कि उन्हे आत्म संतुष्टि का भी अहसास होगा।

क्या कहते हैं अधिकारी:

जब इस बारे कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा परियोजना) के खंड तकनीकी प्रबंधक (बी.टी.एम.)चौंतड़ा सुनील कुमार से बातचीत की तो इनका कहना है कि वर्ष 2018 में राजेश कुमार सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के साथ जुड़े हैं। वर्ष 2019 में इन्होने प्रदर्शनी के तौर पर टमाटर की बिजाई की थी जिससे उन्हे लगभग 22 हजार रूपये की आमदन हुई। वर्तमान में उन्होने तीन बीघा जमीन में टमाटर की खेती की है तथा अनुमान है कि वे लगभग एक लाख रूपये से अधिक आय अर्जित कर लेंगे। उन्होने बताया कि चौंतड़ा ब्लॉक में 2243 किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ने का प्रयास हुआ है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा किसानों खासकर बेरोजगार युवाओं से सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के साथ जुडऩे का आहवान किया है।

किसानों को घन जीवामृत, जीवामृत एवं बीजामृत उपलब्ध करवाने के लिए संसाधन भंडार स्थापित किये हैं जिनके माध्यम से किसान 5 रूपये किलो देसी गाय का गोबर, दो रूपये प्रति लीटर जीवामृत तथा गोमूत्र आठ रूपये प्रति लीटर की दर से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा देसी गाय खरीदने, गाय का शैड बनाने एवं प्लास्टिक का ड्रम खरीदने के लिए भी सरकार सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए किसानों को उपदान मुहैया करवा रही है।