Friday, 18 June 2021

अनुवर्ती कार्यक्रम के तहत चार वर्षों में जोगिन्दर नगर में 229 महिलाएं लाभान्वित

अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग परिवारों से संबंधित महिलाओं को स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बनाने को लेकर प्रदेश सरकार ने अनुवर्ती कार्यक्रम योजना की शुरूआत की है। इस योजना के माध्यम से महिलाओं को सिलाई मशीनों का वितरण किया जाता है। इसी के तहत जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र में भी गत चार वर्षों के दौरान 229 महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है। 

इस संबंध में जानकारी देते हुए तहसील कल्याण अधिकारी जोगिन्दर नगर व लडभड़ोल चंदन वीर सिंह ने बताया कि अनुवर्ती कार्यक्रम योजना के माध्यम से जोगिन्दर नगर विधानसभा क्षेत्र में गत चार वर्षों के दौरान 229 महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित कर लाभान्वित किया किया जा चुका है। जिनमें जोगिन्दर नगर तहसील के अंतर्गत 197 जबकि लडभड़ोल तहसील के तहत 32 महिलाएं शामिल हैं। उन्होने बताया कि तहसील जोगिन्दर नगर के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में 37, 2018-19 में 58, वर्ष 2019-20 में 78 तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 में 24 महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। इसी तरह लडभड़ोल तहसील के तहत वित्तीय वर्ष 2018-19 में सात, 2019-20 में 12 तथा वर्ष 2020-21 में 13 महिलाओं को लाभान्वित किया गया है। 

किन्हे मिलती है सहायता:

अनुवर्ती कार्यक्रम योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग परिवारों से संबंधित ऐसी महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित की जाती हैं जिनके परिवार की वार्षिक आय 35 हजार रूपये से कम हो, हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हो तथा किसी भी दर्जी से सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया हो। 

कैसे करें आवेदन:

योजना का लाभ हासिल करने के लिए पात्र महिलाएं आवश्यक दस्तावेजों जिनमें आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, हिमाचली प्रमाणपत्र तथा किसी भी दर्जी से सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र शामिल है सहित अपने नजदीकी तहसील कल्याण अधिकारी कार्यालय में अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकती हैं। 








Friday, 11 June 2021

कोरोना ने छीनी फाइव स्टार होटल की नौकरी, घर आकर शुरू कर दिया स्वरोजगार

जोगिन्दर नगर के कुठेहड़ा निवासी लवली ने बेकरी का काम शुरू कर हौंसलों को दी नई उड़ान

12वीं तक की शिक्षा हासिल कर ली, घर की आर्थिक सेहत ऐसी नहीं कि आगे पढ़ा जा सके। दिलो दिमाग पर परिवार की आर्थिकी को मजबूत बनाने का एक दबाव। ऐसी परिस्थिति में आगे की पढ़ाई का सपना त्याग कर रोजगार की तलाश में घर छोड़ना ही बेहतर समझा। इन विकट परिस्थितियों में 17 वर्ष की आयु में नौकरी की तलाश में घर छोड़ दिया और पहुंच गए शिमला। वर्ष 2012 में शिमला की एक कैंटीन के मैस से रोजगार का सफर शुरू करते हुए जिंदगी के अनेक उतार-चढ़ाव अनुभव लेते हुए वर्ष 2018 में देश की नामी फाइव स्टार होटल कंपनी ऑबराय होटल से जुडक़र आगरा पहुंच गए। लेकिन यहां भी मानो कोरोना महामारी की नजर उनकी नौकरी को लग गई तथा वर्ष 2020 में लगे लॉकडाउन के कारण जून में उनकी यह नौकरी भी जाती रही।
यह कहानी है जोगिन्दर नगर की ग्राम पंचायत कुठेहड़ा के गांव रोपी पंजालतर के 26 वर्षीय लवली की। लवली ने अपनी इस छोटी सी जिंदगी में जीवन का एक ऐसा सफर तय कर लिया है कि वे अब रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकने के बजाए स्वरोजगार से केवल अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने में जुट गए हैं बल्कि दूसरों को रोजगार प्रदान करने की स्थिति में भी पहुंच रहे हैं।
हंसमुख आत्मविश्वास से लबरेज 26 वर्षीय लवली से बातचीत की तो उन्होने बताया कि जून, 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते फाइव स्टार होटल ओबेरॉय आगरा की नौकरी चली गई। ऐसे में मजबूरी में घर वापिस आना पड़ा। प्रतिमाह 22 से 25 हजार रूपये कमाने वाला व्यक्ति अब बेरोजगार हो गया। लेकिन ऐसे में थोड़ी हिम्मत जुटाकर एवं अपने अनुभव को आगे रखकर स्थानीय स्तर पर ही स्वरोजगार शुरू करने का निर्णय लिया। अगस्त, 2020 को जोगिन्दर नगर कस्बे के नजदीक मच्छयाल नामक स्थान पर बेकरी उत्पाद तैयार करने का फैसला कर लिया। यहां के मौसम एवं परिस्थितियों के तहत प्राकृतिक तौर पर उन्हे बेकरी का काम करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस बीच मशीनों के माध्यम से इसे आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया तथा धीरे-धीरे जरूरत के अनुसार मशीनरी का विस्तार करते रहे। वर्तमान में केक, पेस्ट्री, पिज़्ज़ा, बिस्कुट, स्वीस रोल इत्यादि बेकरी उत्पाद तैयार कर लोगों की मांग पर उपलब्ध करवाते हैं।
उनका कहना है कि फाइव स्टार होटल की तर्ज पर यहां के लोगों को उच्च गुणवत्ता युक्त बेकरी उत्पाद उपलब्ध करवाना उनका मूल उद्देश्य है ताकि स्वाद के साथ-साथ लोगों की सेहत भी बनी रहे। उनका कहना है कि आज वे इतना कमा ले रहे हैं कि उन्हे फाइव स्टार होटल की नौकरी जाने का रंज नहीं है। इस बीच अपनी बेकरी में एक अन्य व्यक्ति को भी अपनी सहायता के लिए रोजगार पर रख लिया है।
अब तक का कैसा रहा है 26 वर्षीय लवली का संघर्ष
जब उनके अब तक के जीवन में हुए संघर्ष बारे जानना चाहा तो उन्होने बताया कि वर्ष 2012 में शिमला स्थित आईजीएमसी कॉलेज कैंटीन से उनका रोजगार का सफर शुरू हुआ। जीवन में कुछ बेहतर करने की चाहत में वे चंडीगढ़ पहुंच गए तथा वहां पर एक वर्ष तक गोल्डन टयूलिप में काम किया। इसके बाद बेकरी प्रोडक्ट्स को ही अपनी विशेषज्ञता बनाते हुए वे राजस्थान के उदयपुर पहुंच गये तथा यहां पर एक-एक वर्ष के लिए प्रसिद्ध होटल कंपनी ललित लीला में काम किया। इसके बाद वे 6 माह के लिए बंगलुरू चले गए तथा वहां के प्रसिद्ध होटल मेरियॉट में काम किया। बाद में दो बार के असफल प्रयास के वाबजूद तीसरे प्रयास में उनका चयन देश की नामी फाइव स्टार होटल कंपनी ओबेरॉय में हो गया तथा वर्ष 2018 में वे आगरा पहुंच गये।
क्या है प्रदेश के युवाओं को संदेश:
लवली का प्रदेश के युवाओं को यही संदेश है कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है तथा काम करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। लग्र, विश्वास हिम्मत के साथ आगे बढ़ा जाए तो जीवन में कुछ भी पाना नामुमकिन नहीं है। उनका कहना है कि नौकरी के बजाए वे स्वरोजगार के माध्यम से केवल अच्छा कमा सकते हैं बल्कि इससे उन्हे आत्म संतुष्टि भी मिलती है। साथ ही आगे बढ़ने के लिए उनके पास असीमित अवसर मौजूद होते हैं। बस सही समय पर सही लक्ष्य को केन्द्रित करते हुए पूरे समर्पण मेहनत के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।