Sunday, 25 November 2018

सहकारिता क्षेत्र में जिला ऊना ने दिखाई देश को राह

पूरे देश को सहकारिता की राह दिखाने के कार्य की शुरूआत हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के गांव पंजावर ने की थी। वर्ष 1892 को पंजावर गांव में सहकारिता के क्षेत्र में एक अनूठी पहल करते हुए ठाकुर हीरा सिंह ने गांव के किसानों की भू-स्खलन की समस्या को समझते हुए पहली सहकारी सभा का गठन किया गया। इस सहकारी सभा को भारतीय पंजीकरण अधिनियम-1860 के तहत पंजीकृत किया गया। इस सहकारी सभा में प्राथमिक दौर में कुल 27 सदस्य शामिल हुए जिन्होने सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने का कार्य किया। भले ही देश में सहकारिता का अधिनियम वर्ष 1904 को अस्तित्व में आया हो लेकिन पंजावर वासियों ने इसकी शुरूआत इससे पहले ही कर दी थी। इस तरह हम कह सकते हैं कि आज सहकारिता के माध्यम से पूरी दुनिया में विकास का डंका बजाने वाले भारत वर्ष के कई राज्यों को इसकी राह सही मायनों में ऊना जिला ने ही दिखाई थी तथा पंजावर निवासी ठाकुर हीरा सिंह को देश में सहकारिता आंदोलन का जनक भी कहा जाता है। 
वर्तमान समय की बात करें तो आज पूरे देश को सहकारिता के क्षेत्र आगे बढ़ाने वाला ऊना जिला भी पीछे नहीं है। ऊना जिला ने सहकारिता के माध्यम से जहां हिमकैप्स संस्थान की स्थापना कर शिक्षा के क्षेत्र में एक अनूठा प्रयास किया है तथा इसमें सफलता भी मिली है। आज प्रदेश की 92 सहकारी सभाओं के माध्यम से जिला के हरोली उप-मंडल के गांव बढ़ेडा में हिमकैप्स नाम से इस संस्थान को सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। इस संस्थान में नर्सिंग व वकालत जैसे पाठयक्रम सफलतापूर्वक चलाए जा रहे हैं तथा यहां से शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी देश व दुनिया में अपना नाम कमा रहे हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस तरह का प्रयास पूरे देश में केवल ऊना जिला में ही हुआ है। इसी तरह जिला की अग्रणी कृषि सेवा सहकारी सभा सीमित कोटला डोहगी ने प्रदेश के चंबा तथा धर्मशाला में क्रमश: पांच व दो मैगावॉट के जल विद्युत संयंत्रों में भी अपनी भागीदारी कर इस क्षेत्र में भी अपना परचम लहराने का प्रयास किया है।  
यही नहीं जिला में सहकारी सभाओं के माध्यम से विभिन्न विविधिकरण के कार्य भी किए जा रहे हैं तथा बाजार से कम दरों पर विभिन्न सेवाएं जैसे इलैक्ट्रॉनिक सामान, ट्रैक्टर, रोवर, सीड प्लांटर, गृह निर्माण का सामान इत्यादि उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसानों को खाद की सब्सिडी डीबीटी स्कीम के माध्यम से सीधे बैंक खातों में पहुंचाने के लिए देश के 19 जिला में वर्ष 2016 शुरू किए गए पायलट प्रौजेक्ट के सफलतम क्रियान्वयन में भी जिला ऊना देश के चुनिंदा जिलों में अग्रणी स्थान पर रहते हुए तय समय सीमा से पूर्व ही लक्ष्य को हासिल कर लिया गया। 
जिला में 377 सहकारी सभाएं कार्यरत तथा 43 प्रतिशत आबादी सहकारिता से जुड़ी
जिला में 377 सहकारी सभाओं के माध्यम से कुल 2 लाख 24 हजार 802 लोग बतौर सदस्य जुड़े हुए हैं, जो जिला की कुल जनसंख्या का लगभग 43 प्रतिशत है। जिला में कार्यरत 377 सहकारी सभाओं में 219 कृषि सेवा सहकारी सभाएं, 29 ऋण व बचत सहकारी सभाएं, आठ बहुउदेश्यीय सहकारी सभाएं, 21 दुग्ध, 11 परिवहन तथा 16 अन्य प्रकार की सहकारी सभाएं शामिल हैं। जिला में सहकारी सभाओं की कुल कार्यशील पूंजी लगभग 1883 करोड़ रूपये से अधिक है। वर्ष 2017-18 के दौरान जिला में सहकारी सभाओं के माध्यम से लगभग 3.04 अरब रूपये बतौर ऋण सदस्यों को जारी किया गया जबकि वर्ष के अंत तक लगभग 4.83 अरब रूपये बतौर ऋण शेष हैं। इसके अलावा सहकारी सभाओं के माध्यम से कुल लगभग 88.61 करोड़ रूपये भागधन एवं 1.10 अरब रूपये की अमानतें जमा करवाकर सदस्यों ने सहकारिता के प्रति अपने विश्वास का परिचय दिया है। 
क्या कहते हैं अधिकारी
सहायक पंजीयक सहकारी सभाएं ऊना सुरेंद्र वर्मा का कहना है कि विभाग के माध्यम से सहकारी सभाओं को मजबूत बनाने के दृष्टिगत संचालन मंडलों, कर्मचारी वर्ग व सदस्यों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर लगाए जाते हैं तथा चालू वित्त वर्ष में अबत क ऐेसे कुल 58 प्रशिक्षण शिविर लगाए जा चुक हैं जिनके माध्यम से 2548 लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं। इसके अलावा विशेष घटक योजना के माध्यम से सहकारी सभाओं को कार्यशील पूंजी, कार्यभागधन तथा सदस्यों की भर्ती के आधार पर आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई जाती है। 
उन्होने बताया कि सहकारी सभाओं के सचिवों को ऑडिट संबधी 4 माह का प्रशिक्षण मशोबरा एवं गरली के अलावा क्षेत्रीय सहकारी संस्थान चंडीगढ़ के माध्यम से करवाया जाता है। उन्होने बताया कि सहकारी सभाओं को लेकर आने वाली शिकायतों की जांच भी विभाग द्वारा की जाती है। उन्होने कहा कि विभाग सहकारी सभाओं को विभिन्न विविधिकरण गतिविधियों को लेकर पर भी लगातार प्रेरित करने का कार्य करता रहता है ताकि सहकारी सभाओं के कार्य क्षेत्र का विस्तार हो सके।