Saturday, 1 July 2017

सर्पदंश होने पर झाडफूंक के बजाए सीधे अस्पताल पहुंचें

हिमाचल प्रदेश में गत 6 वर्षों में चार हजार लोग बने सर्पदंश का शिकार
हिमाचल प्रदेश में बरसात के मौसम के दौरान सर्पदंश के मामले भी बढऩे लगते हैं, ऐसे में लोगों को इस मौसम के दौरान विशेष एहतियात बरतनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को सर्पदंश हो जाए तो उसे झाडफूंक के बजाए उपचार के लिए सीधे सरकारी अस्पताल में ले जाया जाना चाहिए। ऐसा करने से प्रभावित व्यक्ति को न केवल तुरन्त उपचार मिलेगा बल्कि अनमोल जिन्दगी को भी बचाया जा सकेगा।
ऐसे में यदि आंकडों की बात करें तो सर्पदंश को लेकर 108 नेशनल एंबुलेंस सेवा द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2011 से लेकर 2016 के दौरान 4037 लोग सर्पदंश का शिकार हो चुके हैं। जिनमें वर्ष 2011 में 476, 2012 में 487, 2013 में 571, 2014 में 728, 2015 में 790 तथा वर्ष 2016 में 878 लोग शामिल हैं। ऐसे में जिलावार इन आंकडों का विश्लेषण करें तो कांगडा में सबसे अधिक 905 जबकि लाहुल एवं स्पिति में सबसे कम दो मामले सर्पदंश के गत 6 वर्षों के दौरान सामने आए हैं। इसके अतिरिक्त जिला मंडी में 473, सोलन में 467, हमीरपुर में 436, शिमला में 398, चंबा में 378, बिलासपुर में 312, सिरमौर में 279, ऊना में 224, कुल्लू में 135 तथा किन्नौर जिला में 28 मामले सर्पदंश के सामने आ चुके हैं। अगर आंकडों की बात करें तो वर्ष 2011 से लेकर 2016 तक प्रदेश में सर्पदंश के मामलों में लगभग एक सौ फीसदी की वृद्धि दर्ज की हुई है। ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रदेश में सर्पदंश के मामले लगातार बढ़ रहे हैं तथा सर्पदंश को लेकर लोगों को जागरूक होने की बेहद जरूरत है। 
सर्वेक्षण की ही बात करें तो प्रदेश मेें जून से नवम्बर माह के दौरान सर्पदंश के अधिकत्तर मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में इन महीनों के दौरान लोगों को विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है। विशेषकर बरसात के मौसम के दौरान लोगों को चप्पल पहनकर जंगलों व खेतों में घास काटने से परहेज करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि लोग जूतों के साथ-साथ पूरी बाहों की कमीज पहनकर खेतों व घासनियों में काम करने जाएं। अंधेरे में बाहर जाने पर टॉर्च को साथ रखें तथा रोशनी के लिए इसका इस्तेमाल करें। इसके अतिरिक्त भूमि पर सोने से भी सर्पदंश का खतरा बना रहता है इसलिए जमीन पर सोने से परहेज करना चाहिए। यदि किसी भी व्यक्ति को सर्पदंश हो जाए तो पीडित का झांडफूंक के बजाए सीधे अपने नजदीकी अस्पताल ले जाकर ईलाज करवाना चाहिए। स्वास्थ्य संस्थानों में सर्पदंश के लिए एंटीस्नेक वेलम उपलब्ध रहती है। इसके अलावा 108 एंबुलेंस को भी तुरन्त सूचित करना चाहिए, क्योंकि 108 एंबुलेंस में सांप के काटने पर लगने वाला एंटी स्नेक टीका उपलब्ध रहता है तथा प्रभावित व्यक्ति का अस्पताल पहुंचने से पहले ही तुरंत ईलाज आरंभ हो जाता है।
सर्पदंश को लेकर चिकित्सकों का कहना है कि सांप के काटने पर उस जगह को बांधना नहीं चाहिए, क्योंकि बांधने से खून का प्रवाह रुक जाता है, जिससे जहर उस जगह पर ज्यादा असर करता है। साथ ही सर्पदंश की जगह पर किसी चाकू या ब्लेड से कोई चीरफाड़ नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से जहर जल्दी फैलता है। काटने वाली जगह के नजदीकी जोड़ को हिलाना नहीं चाहिए और बिना समय बर्वाद किये पीडित व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में पहुंचाया जाना चाहिए। 
चिकित्सकों का कहना है कि काटने वाली जगह पर दर्द, खून का बहना, गले या पेट में दर्द, आंखें खोलने में परेशानी, बेहोशी, पेशाव कम आना या सांस का रुकना इत्यादि सर्पदंश के मुख्य लक्ष्णों में शामिल हैं। चिकित्सकों का यह भी मानना है कि बहुत से सांप जहरीले नहीं होते, लेकिन कई बार सांप के काटने पर घबराहट से दिल की धडकऩ बढ़ जाने से गंभीर स्थिति उपत्पन्न हो जाती है।
इसलिए यदि कोई भी व्यक्ति सर्पदंश का शिकार होता है तो ऐसे व्यक्ति को झाडफूंक पर समय बर्बाद करने के बजाए चिकित्सा उपचार के लिए तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाया जाना चाहिए ताकि सर्पदंश के कारण अनमोल जिंदगी को बचाया जा सके।