गांव में ही वाशिंग पाऊडर बनाकर आर्थिकी को प्रदान कर रही है मजबूती
कहावत है यदि व्यक्ति के मन में कुछ करने की चाह हो तो विकट परिस्थितियां भी उसे आगे बढऩे से नहीं रोक सकती हैं। कमोवेश कुछ यही कर दिखाया है ऊना विकास खंड की ग्राम पंचायत लोअर देहलां की 20 ग्रामीण महिलाओं ने। गांव की यह 20 महिलाएं कपडे धोने का वाशिंग पाऊडर (सर्फ) बनाकर न केवल सरकार के महिला शक्तिकरण के उदेश्य को साकार करने में एक कदम आगे बढ़ी है बल्कि साबित कर दिया है कि यदि थोडी सी हिम्मत के साथ सकारात्मक प्रयास किए जाएं तो कुछ करना असंभव नहीं है। आज गांव की यह 20 महिलाएं मिलकर वाशिंग पाऊडर (सर्फ) तैयार कर अपनी सफलता की कहानी को खुद लिखने जा रही हैं।
यह कहानी है ऊना विकास खंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत लोअर देहलां की 20 महिलाओं की है। इन महिलाओं ने कृषि विभाग के सहयोग से वर्ष 2016 में बाबा भाई पैहलों स्वयं सहायता समूह बनाया। समूह बनने के बाद सभी महिलाओं ने एक सौ रूपये प्रतिमाह की दर से बचत शुरू की तथा बचत को रखने के लिए स्थानीय कांगडा सहकारी बैंक की शाखा में बचत खाता खोल दिया। महिलाओं ने एक दूसरे की आर्थिक मदद करने के लिए दो प्रतिशत पर इंटरलोनिंग तथा समूह से बाहर के लोगों को पांच प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मुहैया करवाने की शुरूआत की। इससे न केवल समूह बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को जरूरत पडने पर सस्ती ब्याज दरों पर ऋण की सुविधा गांव में ही उपलब्ध हो गई। लेकिन समूह की महिलाओं में इससे भी आगे बढक़र कुछ बेहतर करने का जज्बा था, लेकिन सही मार्गदर्शन न होने के कारण वह अनिर्णय की स्थिति में रही। लेकिन समूह के हौंसले को उस वक्त एक नया लक्ष्य मिल गया जब फरवरी, 2017 में उन्हे कृषि विभाग के सौजन्य से एक दिन का कपडे धोने का वाशिंग पाऊडर तैयार करने का प्रशिक्षण हासिल हुआ। प्रशिक्षण के बाद समूह की सभी महिलाओं ने सर्फ तैयार करने का निर्णय लिया। आज समूह की महिलाएं गांव में ही वाशिंग पाऊडर (सर्फ) तैयार कर धीरे-धीरे अपनी आर्थिकी को मजबूती प्रदान करने में लगी हैं।
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं तैयार वाशिंग पाउडर के साथ |
जब इस बारे समूह की प्रधान अनीता कुमारी से बातचीत की तो उनका कहना है कि समूह की सभी महिलाएं स्थानीय मंदिर में महीने या फिर दो सप्ताह बाद इक्टठी होकर वाशिंग पाउडर को तैयार करती हैं तथा एक बार में कम से कम एक क्विटल तक वाशिंग पाऊडर तैयार किया जाता है। उनका कहना है कि समूह ने फरवरी, 2017 से अब तक लगभग पांच क्विंटल वाशिंग पाऊडर तैयार किया है जिसमें से लगभग साढ़े चार क्विंटल तक बिक चुका है। उनका कहना है कि उनका सर्फ प्रति किलो 45 रूपये की दर से गांव व आसपास के क्षेत्रों में बिक रहा है। उनका कहना है कि वाशिंग पाऊडर तैयार करने के लिए कच्चे माल को प्रदेश के बाहर जाकर लुधियाना या फिर दूसरे शहरों से लाना पडता है जिससे डिटर्जेंट तैयार करने की न केवल लागत बढ़ जाती है बल्कि मुनाफे में भी कमी आती है। उनका कहना है कि आज समूह के लिए सबसे बडी समस्या सर्फ की पैकेजिंग की है। उनका कहना है कि यदि सरकार उन्हे पैकेजिंग की ट्रेनिंग मुहैया करवा दे तो वह अपने उत्पाद को बडी कंपनियों की तर्ज पर मार्केट में उतार सकती हैं। उन्होने इस बारे महिलाओं को ग्रामीण स्तर पर ही बेहतर प्रशिक्षण करवाने की वकालत भी की ताकि समूह वर्तमान बाजार की जरूरतों के आधार पर वाशिंग पाऊडर का उत्पादन कर सके।
जब इस बारे स्थानीय पंचायत प्रधान देवेन्द्र कुमार से बातचीत की तो उन्होने समूह के प्रयासों की सराहना की तथा कहा कि समूह द्वारा तैयार उत्पाद ग्रामीण स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे इसके लिए पंचायत उन्हे डिटर्जेंट विक्रय के लिए एक बेहतर स्थान मुहैया करवाने का प्रयास करेगी। उन्होने बताया कि पंचायत में महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए अबतक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत 10 समूहों का गठन कर लिया गया है।