Friday, 18 November 2016

औद्योगिकरण की राह में अग्रसर जिला ऊना

हिमाचल प्रदेश में लघु स्तरीय उद्योगों का इतिहास क्रमबद्ध नहीं रहा। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से उद्योगपतियों को यहां उद्योग स्थापित करना घाटे का सौदा लगता था। तकनीकी मार्गदर्शन तथा सुनियोजित औद्योगिक नीति का अभाव भी उद्योगों के विकास में बाधक रहे। इन तमाम कठिनाईयों को अनुभव करते हुए प्रदेश सरकार ने सन् 1967 में एक नीति के तहत लघु उद्योगों के पंजीकरण का विकेन्द्रीकरण करते हुए जिला स्तर पर पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध करवाई, जिससे उद्यमियों को सहायता, सुझाव तथा मार्गदर्शन भी प्राप्त होने लगा।
वर्ष 1971 में हिमाचल प्रदेश ने विविध उद्योगों की स्थापना हेतु उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए नए नियम बनाए और उदार सहायता नीति को अपनाने के अतिरिक्त कुछ क्षेत्रों का चयन कर उन्हे औद्योगिक क्षेत्रों के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया। इस निर्णय के तहत हर जिला में एक क्षेत्र का चयन किया गया। ऊना जिला में प्राथमिकता के आधार पर मैहतपुर को चयनित किया गया। होशियारपुर-ऊना-नंगल सडक़ पर जिला मुख्यालय से करीब 13 किलोमीटर दूर स्थित मैहतपुर में 109 एकड़ भूमि का चयन किया गया। वर्ष 1974 में औद्योगिक दृष्टि से गगरेट जिला का दूसरा महत्वपूर्ण स्थान बना। यह ऊना से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर होशियारपुर-धर्मशाला सडक़ पर स्थित है। सोलन के बाद प्रमुखता से प्रदेश के औद्योगिक मानचित्र पर उभरने वाले इस जिला में मैहतपुर तथा गगरेट के पश्चात विकसित होने वाले औद्योगिक स्थानों में टाहलीवाल, धमांदरी तथा अंब शामिल हैं।
केन्द्र सरकार द्वारा 07 जनवरी, 2003 को हिमाचल प्रदेश के लिए घेाषित विशेष औद्योगिक इकाईयों के 1,734 विभिन्न अस्थाई पंजीकरण में 497 लघु उद्यम, 1,148 सूक्ष्म तथा 89 मध्यम एवं बड़े उद्योग शामिल थे। इससे लघु उद्योगों में 856.04 करोड रूपये का निवेश से 20,645 व्यक्तियों, सूक्ष्म उद्योगों में 422.14 करोड रूपये का निवेश से 20,334 व्यक्तियों तथा 7752.48 करोड़ रूपये के निवेश से 45,001 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। इस तरह इन उद्योगों की स्थापना से ऊना में कुल 9030.66 करोड़ रूपये के निवेश से 88,980 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। 
प्रदेश की शिवालिक पहाडियों के अंचल में बसा जिला ऊना समय के साथ-साथ प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर है। जिला में जिस तेज गति के साथ औद्योगिकरण को बढ़ावा मिला है उसी का ही नतीजा है कि आज ऊना विकास के पथ पर सरपट दौड रहा है। औद्योगिकरण की बात करें तो आज जिला ऊना में 2367 औद्योगिक इकाईयां कार्यरत है। जिसमें 2174 सूक्ष्म, 170 छोटी तथा 23 मध्यम व बडी इकाईयां शामिल हैं। इन छोटी बडी औद्योगिक इकाईयों में लगभग 1775 करोड रूपये का निवेश हुआ है। जिनके माध्यम से 15346 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है जिसमें से 13670 हिमाचली शामिल हैं। मैहतपुर, टाहलीवाल, गगरेट, बसाल, अंब व जीतपुर बाथडी प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। क्रीमिका, नेस्ले, ल्यूमिनस पॉवर टैक्रॉलॉजी, हिम सिलेंडर, सुखजीत एग्रो, प्रीतिका ऑटो कैटस, एमबीडी प्रिंट ग्राफिक्स जैसी अनेक नामी कंपनियां जिला में कार्यरत हैं।
अगर गत साढ़े तीन वर्षों की ही बात करें तो जिला में औद्योगिकरण की दिशा में न केवल कई अहम निर्णय लिए गए बल्कि नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है। प्रदेश सरकार की विकासोन्मुख सोच का ही नतीजा है आज जिला ऊना के पंडोगा में 150 करोड रूपये की लागत से 1570 कनाल भूमि पर एक नया अत्याधुनिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है तो वहीं देहलां-दुलैहड-इसपुर-गगरेट क्षेत्र को भी औद्योगिक कॉरीडोर के तहत शामिल किया गया है। जिससे इन क्षेत्रों में औद्योगिक अधोसंरचना के विकास को बल मिलेगा तो वहीं नए उद्योग स्थापित करने का मार्ग भी प्रशस्त होगा। 
जिला में औद्योगिक अधोसंरचना को विकसित करने तथा इससे जुडी विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई अहम प्रोजैक्टस को शुरू किया है। जिनमें नंगल से टाहलीवाल बाथडी तक प्राकृतिक गैस पाइप लाईन के तहत लगभग अढ़ाई करोड रूपये का एक प्रोजैक्ट, बाथू में 4.46 करोड रूपये की लागत से लेबर हॉस्टल का निर्माण, बाथू में ही 10.08 करोड रूपये की लागत से कॉमन फैसिलिटी सैंटर शामिल है। इसके अतिरिक्त सिंगा में 51 एकड भूमि में लगभग 250 करोड रूपये की लागत से फूड पार्क तथा ठठल में 65 एकड क्षेत्र में 103.90 करोड रूपये की लागत से हिमाचल कपडा पार्क भी स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। 
ऊना जिला में गत साढ़े तीन वर्षों के दौरान प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत बैंकों के माध्यम से 118 मामलों में दो करोड रूपये से अधिक की मार्जिन मनी उपलब्ध करवाई गई है। जिनमें वर्ष 2013-14 के दौरान 32 मामलों में 54.77 लाख, वर्ष 2014-15 के दौरान 37 मामलों में 57.35 लाख तथा वर्ष 2015-16 के दौरान 49 मामलों में 90.12 लाख रूपये की राशि शामिल है। इसी दौरान 44 औद्योगिक इकाइयों को लगभग 5 करोड रूपये की राशि बतौर केन्द्रीय उपदान उलब्ध हुई है। जबकि दो इकाइयों को 30 लाख रूपये की राशि बतौर ट्रांस्पोर्ट सब्सिडी मिली है।
वर्तमान में जिला में कार्यरत औद्योगिक क्षेत्रों की बात करे तो मैहतपुर में 902 कनाल भूमि में 158 प्लाटस आंवटित किए गए हैं जिनमें 135 इकाईयां, टाहलीवाल में 726 कनाल में 184 प्लॉटस आवंटित किए हैं जिनमें 174 इकाईयां स्थापित हैं। इसी तरह जहां गगरेट औद्योगिक क्षेत्र की 1109 कनाल भूमि में 75 प्लाटस आवंटित किए गए हैं जिनमें 61 इकाईयां तो वहीं अंब औद्योगिक क्षेत्र की 1059 कनाल क्षेत्र में 30 प्लाटस आवंटित किए गए हैं जिनमें 18 औद्योगिक इकाईयां स्थापित हैं। जबकि 244 कनाल बसाल औद्योगिक क्षेत्र में 41 प्लाटस में दो तथा जीतपुर बाथडी की 235 कनाल भूमि में 27 प्लाटस आवंटित कर तीन इकाईयां स्थापित हुई हैं।
जिला में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 15.15 करोड रूपये की राशि व्यय कर अजौली-लालूवाल वाया टाहलीवाल सडक़ को बेहतर बनाया गया है। औद्योगिक क्षेत्र टाहलीवाल में सडकों के सुदृढिकरण पर 2.15 करोड जबकि मैहतपुर क्षेत्र में 1.61 करोड रूपये की राशि व्यय की गई है। गोंदपुर जयचंद में 1.78 करोड रूपये की लागत से औद्योगिक पार्क विकसित किया जा रहा है। साथ ही जिला के हरोली विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत पालकवाह में लगभग 18 करोड रूपये की लागत से हिमाचल प्रदेश का पहला कौशल विकास प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जा रहा है। 
इसके अलावा टाहलीवाल औद्योगिक क्षेत्र में सडक के किनारे जल निकासी एवं सिवरेज सिस्टम के तहत प्रथम व द्वितीय फेज में 2.15 करोड रूपये जबकि गगरेट औद्योगिक क्षेत्र में एक करोड रूपये की राशि व्यय की गई है। जिला के खडड गांव में बहुउदेश्यीय सुविधा केन्द्र की स्थापना को लेकर एक करोड, घालूवाल व सलोह में रैहन बसेरा के निर्माण कार्यों के लिए 50-50 लाख रूपये की राशि व्यय की जा रही है। साथ ही सामुदायिक केन्द्र पंडोगा, गोंदपुर जयचंद, सिंगा व हलेडा के निर्माण कार्यों के लिए भी 25-25 लाख रूपये की राशि प्रथम चरण में स्वीकृत कर दी गई है। इसके अतिरिक्त बाथू, बाथडी, गोंदपुर जयचंद, टाहलीवाल, सिंगा, ईसपुर, भडियारा, हलेडा, बालीवाल, लालूवाल, मैहतपुर में ख्खूबसूरत शैली में रेन शैल्टरों के निर्माण कार्य के लिए भी औसतन 10-15 लाख रूपये की राशि मुहैया करवाई गई है। औद्योगिक अधोसंरचना के विकास के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों के विकास पर भी उद्योग विभाग के माध्यम से विभिन्न विकासात्मक कार्यों के लिए भी करोडों रूपये की राशि उपलब्ध करवाई गई है। जिसमें रास्तों व गलियों का निर्माण इत्यादि प्रमुख कार्य शामिल हैं।
इस तरह जिला ऊना में वर्तमान सरकार के साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान औद्योगिक अधोसंरचना के साथ-साथ औद्योगिक विकास के लिए गए अहम निर्णयों से न केवल जिला में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है बल्कि नए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हो जाने से प्रदेश सहित जिला ऊना के शिक्षित युवाओं को सीधे व परोक्ष तौर पर रोजगार के नए अवसर सृजित होंगें।

 
 (साभार: हिमप्रस्थ, सितम्बर-अक्तूबर विशेषांक, 2016 में प्रकाशित)