भारत वर्ष की जनगणना-2011 के आंकडों के आधार पर पूरे देश में 0-6 वर्ष आयु वर्ग में प्रति हजार लडक़ों के मुकाबले लड़कियों के लिंगानुपात में कमी दर्ज हुई है। आंकडों के अनुसार यह लिंगानुपात वर्ष 1961 में 976 से वर्ष 2011 में 918 तक पहुंच गया है जो कि अब तक हुई जनगणनाओं में सबसे कम आंका गया है। ऐसे में समाज में बेटियों के प्रति नजरिए में आए बदलाव तथा भ्रूण में ही कन्याओं की बढ़ती हत्यों के प्रति जागरूकता लाने के लिए पूरे देश के सबसे प्रभावित चुनिंदा 100 जिलों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आरंभ किया गया है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का प्रमुख लक्ष्य जहां बालिका जन्मोत्सव मनाना और उसे शिक्षा दिलाना है तो वहीं जेंडर आधारित लिंग चयन में समापन का निवारण करना, बालिका की उत्तरजीविता और संरक्षण तथा बालिका की शिक्षा सुनिश्चित करना इस अभियान का प्रमुख उदेश्य है। इसके अतिरिक्त समाज में बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए सभी ग्राम पंचायतों में गुडडा गुडडी बोर्ड लगाकर प्रत्येक माह संबंधित गांव के बालक-बालिका अनुपात को दर्शाया जाएगा। साथ ही ग्राम पंचायत हर लडकी के जन्म होने पर उसके परिवार को तोहफे भेजेगी,प्रतिवर्ष कम से कम एक दर्जन लडकियों का जन्म दिवस मनाया जाएगा। यही नहीं जहां सभी ग्राम पंचायतों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शपथ दिलाई जाएगी तो वहीं जिस ग्राम पंचायत में बालक-बालिका अनुपात बढ़ता है तो उस ग्राम पंचायत को सम्मानित भी किया जाएगा। जबकि किसी भी गांव में बाल विवाह होने पर संबंधित ग्राम पंचायत प्रधान को जिम्मेदार माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत हमारे समाज में बेटियों के प्रति सामाजिक मानसिकता को बदल कर लडकियों एवं महिलाओं के प्रति हो रहे भेदभाव को समाप्त कर समाज की मुख्यधारा में जोडकर उन्हे आगे बढ़ाया जाएगा। आज भले ही हम अपनी कामयाबी के कितने ही झंडे गाडने के दावे कर रहे हों लेकिन हमारे समाज में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्याएं तथा बालिकाओं के प्रति दोयम दर्जे के व्यवहार ने यह साबित कर दिया है आज भी हम मानवीय दृष्टिकोण से काफी पिछडे हुए हैं। जिसमें बात चाहे बालिकाओं के प्रति शिक्षा की हो या फिर गर्भ में ही कन्या भ्रूण हत्या करने की हो। ऐसे में बालिकाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव लाने तथा जागरूकता पैदा करने के लिए देश भर के चुुनिंदा सौ जिलों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आरंभ किया गया है।
इस अभियान के तहत हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला को भी शामिल किया गया है। जनगणना-2011 के आंकडों के अनुसार ऊना जिला देश के उन 100 जिलों में शामिल है जिन्हे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के साथ जोडा गया है। जनसंख्या आंकडे-2011 के आधार पर जिला में 0-6 वर्ष आयु वर्ग में प्रतिहजार लडक़ों के मुकाबले 875 लडकियां हैं जो राष्ट्रीय अनुपात 918 के मुकाबले काफी कम है। जिला में इस अभियान को उपायुक्त ऊना की अगुआई में चलाया जाएगा जिसमें महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, शिक्षा तथा पुलिस विभाग सहित गैर सरकारी एवं स्वयं सेवी संस्थों से मिलकर घर-घर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश पहुंचाया जाएगा।
उपायुक्त ऊना अभिषेक जैन ने बताया कि जिला ऊना में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया गया है तथा इसके बेहतर कार्यान्वयन के लिए जिला स्तर पर उपायुक्त, खंड स्तर पर एसडीएम जबकि पंचायत स्तर पर स्थानीय पंचायत प्रधान की अध्यक्षता में तीन स्तरीय टॉस्क फोर्स गठित की गई है। जिला में स्कूली स्तर पर बेटियों के ड्राप आउट को कम करने व शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूली स्तर पर विशेष प्रयास किए जाएंगे। लडकियों की शिक्षा में शतप्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने तथा आसपास के क्षेत्र में लडकियों को शिक्षा हासिल करने लिए के प्रेरित करने वाले स्कूल को जिला स्तर पर एक लाख रूपये का ईनाम भी दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रत्येक माह ही दस तरीख को विशेष कन्या दिवस के तौर पर मनाया जाएगा।
उपायुक्त ने बताया कि इस अभियान के तहत समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जोडने के लिए सोशल मीडिया का सहारा भी लिया जाएगा तथा बेटी बचाओ नाम से वाहटस ऐप ग्रुप बनाया जाएगा। जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों के अतिरिक्त समाज से आम जन को भी जोडा जाएगा ताकि वह बेटियों के प्रति अपने विचारों को साझा कर सकें तथा अपने बहुमूल्य सुझाव दे सकें। साथ ही जिला के उद्योगों में हजारों कर्मचारी कार्यरत हैं ऐसे में उद्योगों को भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के साथ जोडा जाएगा।
डीसी ने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने तथा सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, पुलिस, पंचायतीराज विभागों तथा पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस अभियान को एक जनआंदोलन बनाया जाएगा। उन्होने बताया कि जिला में पीसी पीएनडीटी एक्ट के तहत अवैध तौर पर कन्या भ्रूण हत्या का मामला पकडने पर दी जाने वाली दस हजार रूपये की ईनाम राशि के अतरिक्त संबंधित पुलिस स्टेशन को 21 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि अलग से प्रदान की जाएगी। साथ ही इस अभियान के तहत जिला में पैदा होने वाली लडकियों के जन्म पंजीकरण को समय पर दर्ज करवाना सुनिश्चित बनाया जाएगा तथा मदर-चाईल्ड ट्रैकिंक सिस्टम को भी गंभीरता से लिया जाएगा। साथ ही मदर-चाईल्ड प्रोटेक्शन कॉर्ड को भी गंभीरता से बनाया जाएगा तथा समय पर अपडेट किया जाएगा। इसके अतिरिक्त जिला के सभी स्कूलों में लडकियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी जबकि सभी आंगनबाडी केन्द्रों में शौचालय की सुविधा मुहैया करवाने पर बल दिया जाएगा।
उन्होने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मीडिया व अन्य प्रचार प्रसार माध्यमों के साथ-साथ जिला के धार्मिक व आध्यात्मिक गुरूओं को भी शामिल किया जाएगा। उपायुक्त ने बताया कि जिला के विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए पीसी पीएनडीटी एक्ट की कडाई से अनुपालना सुनिश्चित की जाएगी तथा अवहेलना करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इस अभियान के साथ समाज के प्रत्येक वर्ग को जोडने तथा जागरूक करने के लिए विभिन्न स्तरों पर जागरूकता शिविर भी लगाए जाएंगें तथा उनका पूरा सहयोग लिया जाएगा ताकि बेटियों के प्रति व्याप्त इस सामाजिक विषमता को जल्दी ठीक किया जा सके।
(साभार: दिव्य हिमाचल, 7 अप्रैल, 2015 को संपादकीय पृष्ठ में प्रकाशित)